UPSC History Syllabus in Hindi : जानिए वैकल्पिक विषय इतिहास का सिलेबस, एग्जाम पैटर्न, बेस्ट बुक्स

2 minute read
UPSC History Syllabus in Hindi

UPSC क्रैक करने के लिए सबसे सही विषय आर्ट्स व ह्यूमैनिटी का माना जाता है क्योंकि UPSC परीक्षा में सबसे ज्यादा प्रश्न आर्ट्स विषयों से संबंधित ही पूछें जाते हैं। यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) कैंडिडेट्स को 48 वैकल्पिक विषय चुनने का अवसर देता है। जिसमें एक विषय इतिहास का भी है। इसके साथ ही इतिहास एक ऐसा महत्वपूर्ण विषय भी है जिससे प्रिमिल्स और मेंस एग्जाम में हमेशा प्रश्न पूछें जाते हैं। जिसके माध्यम से आप UPSC एग्जाम में अच्छी रैंक हासिल कर सकते हैं। लेकिन किसी भी परीक्षा में बेस्ट रिजल्ट लाने के लिए उस विषय के कंप्लीट सिलेबस का ज्ञान होना बहुत आवश्यक होता है। यहां आप UPSC History Syllabus in Hindi की सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। 

UPSC क्या है?

संघ लोक सेवा आयोग जिसे इंग्लिश में ‘यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन’ (UPSC) के नाम से भी जाना जाता है। यह भारतीय कॉन्स्टिटूशन द्वारा स्थापित एक कोंस्टीटूशनल बॉडी है, जो भारत सरकार के लोकसेवा के पदाधिकारियों की रिक्रूटमेंट के लिए एग्जाम कंडक्ट करता है। भारतीय कॉन्स्टिटूशन के भाग-14 के अंतर्गत अनुच्छेद 315-323 में एक यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन और राज्यों के लिए ‘स्टेट पब्लिक सर्विस कमीशन’ (SPSC) के गठन का प्रोविशन है। जिसके माध्यम से देश सबसे कठिन एग्जाम माने जाने वाले UPSC के माध्यम से देश के प्रमुख पदाधिकारियों की रिक्रूटमेंट की जाती है। जिसमें IAS, IPS, IFS, IRS और ITS जैसी अन्य पोस्ट शामिल होती हैं। 

UPSC वैकल्पिक विषय – इतिहास  

इतिहास UPSC परीक्षा में स्कोरिंग वैकल्पिक विषय माना जाता है क्योंकि इसमें मुख्य रूप से भारतीय संस्कृति, भारत की स्वतंत्रता संरचना और विश्व का इतिहास शामिल होता है। इसके अलावा यह UPSC कैंडिडेट्स के लिए इतिहास का अध्ययन करने के लिए उपयोग की जाने वाली तकनीकों और कालानुक्रमिक घटनाओं को समझने पर केंद्रित होता है। यहां हम UPSC एग्जाम की तैयारी करने वाले कैंडिडेट्स के लिए upsc history syllabus in hindi की सम्पूर्ण जानकारी दे रहें है। जिसके माध्यम से आप UPSC प्रिलिम्स ओर मेंस एग्जाम की तैयारी आसानी से कर सकते हैं। 

UPSC प्रिलिम्स परीक्षा का सिलेबस क्या है?

UPSC प्रिलिम्स एग्जाम में दो पेपर होते है, जिसका सिलेबस हम नीचे दिए गए बिंदुओं में देख सकते हैं :

प्रथम पेपर – जनरल स्टडी 

  • राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ
  • भारत का इतिहास और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन 
  • भारत एवं विश्व का भूगोल : भारत एवं विश्व का प्राकृतिक, सामाजिक, आर्थिक भूगोल
  • भारतीय राज्यतंत्र और शासन- संविधान, राजनीतिक प्रणाली, पंचायती राज, लोकनीति, अधिकारों संबंधी मुद्दे इत्यादि 
  • आर्थिक और सामाजिक विकास- सतत् विकास, गरीबी, समावेशन, जनसांख्यिकी, सामाजिक क्षेत्र में की गई पहल आदि
  • पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन संबंधी सामान्य मुद्दे
  • सामान्य विज्ञान 

दूसरा पेपर – सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट (CSAT)

  • कम्प्रेहेंसिबिलिटी 
  • इंटर पर्सनल स्किल्स इन्क्लूडिंग कम्युनिकेशन स्किल्स 
  • लॉजिकल स्किल्स एंड एनालिटिकल एबिलिटी 
  • डिसीजन मेकिंग एंड प्रॉब्लम सॉल्विंग 
  • जनरल मेन्टल एबिलिटी 
  • बेसिक नंबर्स, इंटरप्रिटेशन ऑफ़ डाटा  (चार्ट, ग्राफ, तालिका, आँकड़ों की पर्याप्तता आदि)

जानिए UPSC History Syllabus in Hindi की जानकारी 

यहां हम UPSC की तैयारी करने वाले कैंडिडेट्स के लिए मेंस एग्जाम में वैकल्पिक इतिहास विषय के संपूर्ण सिलेबस की संपूर्ण जानकारी दी जा रही है। जिन्हें आप नीचे दिए गए बिंदुओं में देख सकते हैं :

UPSC History Optional Paper-1 Syllabus in Hindi

  1. स्रोत : 

पुरातात्विक स्रोतः अन्वेषण, उत्खनन, पुरालेखविद्या, मुद्राशास्त्र, स्मारक, साहित्य स्रोत। स्वदेशीः प्राथमिक व द्वितीयक; कविता, विज्ञान साहित्य, साहित्य, क्षेत्रीय भाषाओं का साहित्य, धार्मिक साहित्य। विदेशी वर्णन : यूनानी, चीनी एवं अरब लेखक। 

  1. प्रागैतिहास एवं आद्य इतिहास : 

भौगोलिक कारक, शिकार एवं संग्रहण (पुरापाषाण एवं मध्यपाषाण युग); कृषि का आरंभ (नवपाषाण एवं ताम्रपाषाण युग)।

  1. सिंधु घाटी सभ्यता : 

उद्गम, काल, विस्तार, विशेषताएँ, पतन, अस्तित्व एवं महत्त्व, कला एवं स्थापत्य।

  1. महापाषाणयुगीन संस्कृतियाँ : 

सिंधु से बाहर पशुचारण एवं कृषि संस्कृतियों का विस्तार, सामुदायिक जीवन का विकास, बस्तियाँ, कृषि का विकास, शिल्पकर्म, मृदभांड एवं लौह उद्योग।

  1. आर्य एवं वैदिक काल : 

भारत में आर्यों का प्रसार। वैदिक कालः धार्मिक एवं दार्शनिक साहित्य; ऋग्वैदिक काल से उत्तर वैदिक काल तक हुए रूपांतरण; राजनैतिक, सामाजिक एवं आर्थिक जीवन; वैदिक युग का महत्त्व; राजतंत्र एवं वर्ण व्यवस्था का क्रम विकास।

  1. महाजनपद काल : 

महाजनपदों का निर्माण: गणतंत्रीय एवं राजतंत्रीय; नगर केंद्रों का उद्भव; व्यापार मार्ग, आर्थिक विकास; टंकण (सिक्का ढलाई); जैन धर्म एवं बौद्ध धर्म का प्रसार; मगधों एवं नंदों का उद्भव। ईरानी एवं मकदूनियाई आक्रमण एवं उनके प्रभाव।

  1. मौर्य साम्राज्य : 

मौर्य साम्राज्य की नींव, चंद्रगुप्त, कौटिल्य और अर्थशास्त्र; अशोक; धर्म की संकल्पना; धर्मादेश; राज्य व्यवस्था; प्रशासन; अर्थ-व्यवस्था; कला, स्थापत्य एवं मूर्तिशिल्प; विदेशी संपर्क; धर्म; धर्म का प्रसार; साहित्य। साम्राज्य का विघटन; शुंग एवं कण्व।

  1. उत्तर मौर्य काल (भारत-यूनानी, शक, कुषाण, पश्चिमी क्षत्रप) : 

बाहरी विश्व से संपर्क; नगर-केंद्रों का विकास, अर्थव्यवस्था, टंकण, धर्मों का विकास, महायान, सामाजिक दशाएँ, कला, स्थापत्य, संस्कृति, साहित्य एवं विज्ञान।

  1. प्रारंभिक राज्य एवं समाज; पूर्वी भारत, दकन एवं दक्षिण भारत : 

खारवेल, सातवाहन, संगमकालीन तमिल राज्य; प्रशासन, अर्थव्यवस्था, भूमि-अनुदान, टंकण, व्यापारिक श्रेणियों एवं नगर केंद्र; बौद्ध केंद्र, संगम साहित्य एवं संस्कृति, कला एवं स्थापत्य। 

  1. गुप्त वंश, वाकाटक एवं वर्धन वंश : 

राज्य व्यवस्था एवं प्रशासन, आर्थिक दशाएँ, गुप्तकालीन टंकण, भूमि अनुदान, नगर केंद्रों का पतन, भारतीय सामंतशाही, जाति प्रथा, स्त्री की स्थिति, शिक्षा एवं शैक्षिक संस्थाएँ, नालंदा, विक्रमशिला एवं वल्लभी, साहित्य, विज्ञान, कला एवं स्थापत्य।

  1. गुप्तकालीन क्षेत्रीय राज्य : 

कदंब वंश, पल्लव वंश, बादामी का चालुक्य वंश; राज्य व्यवस्था एवं प्रशासन, व्यापारिक श्रेणियाँ, साहित्य; वैष्णव एवं शैव धर्मों का विकास। तमिल भक्ति आंदोलन, शंकराचार्य; वेदांत, मंदिर संस्थाएँ एवं मंदिर स्थापत्य; पाल वंश, सेन वंश, राष्ट्रकूट वंश, परमार वंश, राज्य व्यवस्था एवं प्रशासन; सांस्कृतिक पक्ष। सिंध के अरब विजेता; अलबरूनी, कल्याणी का चालुक्य वंश, चोल वंश, होयसल वंश, पांड्य वंश, राज्य व्यवस्था एवं प्रशासन; स्थानीय शासन; कला एवं स्थापत्य का विकास, धार्मिक संप्रदाय, मंदिर एवं मठ संस्थाएँ, अग्रहार वंश, शिक्षा एवं साहित्य, अर्थव्यवस्था एवं समाज।

  1. प्रारंभिक भारतीय सांस्कृतिक इतिहास के प्रतिपाद्य : 

भाषाएँ एवं मूलग्रंथ, कला एवं स्थापत्य के क्रम विकास के प्रमुख चरण, प्रमुख दार्शनिक चिंतक एवं शाखाएँ, विज्ञान एवं गणित के क्षेत्र में विचार।

  1. प्रारंभिक मध्यकालीन भारत, 750-1200 : 
  • राज्य व्यवस्था : उत्तरी भारत एवं प्रायद्वीप में प्रमुख राजनैतिक घटनाक्रम, राजपूतों का उद्गम एवं उदय।
  • चोल वंश : ग्रामीण अर्थव्यवस्था एवं समाज
  • भारतीय सामंतशाही
  • कृषि अर्थव्यवस्था एवं नगरीय बस्तियाँ
  • व्यापार एवं वाणिज्य
  • समाज : ब्राह्मण की स्थिति एवं नई सामाजिक व्यवस्था
  • स्त्री की स्थिति
  • भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
  1. भारत की सांस्कृतिक पंरपरा, 750-1200 :
  • दर्शनः शंकराचार्य एवं वेदांत, रामानुज एवं विशिष्टाद्वैत, मध्व एवं ब्रह्म-मीमांसा।
  • धर्म : धर्म के स्वरूप एवं विशेषताएँ, तमिल भक्ति, संप्रदाय, भक्ति का विकास, इस्लाम एवं भारत में इसका आगमन, सूफी मत।
  • साहित्य : संस्कृत साहित्य, तमिल साहित्य का विकास, नवविकासशील भाषाओं का साहित्य, कल्हण की राजतरंगिणी, अलबरूनी का भारत।
  • कला एवं स्थापत्य : मंदिर स्थापत्य, मूर्तिशिल्प, चित्रकला।
  1. तेरहवीं शताब्दी : 
  • दिल्ली सल्तनत की स्थापना : गोरी के आक्रमण-गोरी की सफलता के पीछे कारक।
  • आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिणाम।
  • दिल्ली सल्तनत की स्थापना एवं प्रारंभिक तुर्क सुल्तान।
  • सुदृढ़ीकरण : इल्तुतमिश और बलबन का शासन।
  1. चौदहवीं शताब्दी :
  • खिलजी क्रांति
  • अलाउद्दीन खिलजी : विजय एवं क्षेत्र-प्रसार, कृषि एवं आर्थिक उपाय।
  • मुहम्मद तुगलक : प्रमुख प्रकल्प (Project), कृषि उपाय, मुहम्मद तुगलक की अफसरशाही।
  • फिरोज तुगलक : कृषि उपाय, सिविल इंजीनियरी एवं लोक निर्माण में उपलब्धियाँ, दिल्ली सल्तनत का पतन, विदेशी संपर्क एवं इब्नबतूता का वर्णन।
  1. तेरहवीं एवं चौदहवीं शताब्दी का समाज, संस्कृति एवं अर्थव्यवस्था :
  • समाज, ग्रामीण समाज की रचना, शासी वर्ग, नगर निवासी, स्त्री, धार्मिक वर्ग, सल्तनत के अंतर्गत जाति एवं दास प्रथा, भक्ति आन्दोलन, सूफी आन्दोलन।
  • संस्कृति : फारसी साहित्य, उत्तर भारत की क्षेत्रीय भाषाओं का साहित्य, दक्षिण भारत की भाषाओं का साहित्य, सल्तनत स्थापत्य एवं नए स्थापत्य रूप, चित्रकला, सम्मिश्र संस्कृति का विकास।
  • अर्थव्यवस्था : कृषि उत्पादन, नगरीय अर्थव्यवस्था एवं कृषित्तर उत्पादन का उद्भव, व्यापार एवं वाणिज्य।
  1. पंद्रहवीं एवं प्रारंभिक सोलहवीं शताब्दी-राजनैतिक घटनाक्रम एवं अर्थव्यवस्था :
  • प्रांतीय राजवंशों का उदयः बंगाल, कश्मीर (जैनुल आबदीन), गुजरात, मालवा, बहमनी।
  • विजयनगर साम्राज्य
  • लोदी वंश
  • मुगल साम्राज्य, पहला चरण : बाबर एवं हुमायूँ
  • सूर साम्राज्य : शेरशाह का प्रशासन
  • पुर्तगाली औपनिवेशिक प्रतिष्ठान
  1. पंद्रहवीं एवं प्रारंभिक सोलहवीं शताब्दी – समाज एवं संस्कृति
  • क्षेत्रीय सांस्कृतिक विशिष्टताएँ
  • साहित्यिक परंपराएँ
  • प्रांतीय स्थापत्य
  • विजयनगर साम्राज्य का समाज, संस्कृति, साहित्य और कला।
  1. अकबर काल :
  • विजय एवं साम्राज्य का सुदृढ़ीकरण
  • जागीर एवं मनसब व्यवस्था की स्थापना
  • राजपूत नीति
  • धार्मिक एवं सामाजिक दृष्टिकोण का विकास, सुलह-ए-कुल का सिद्धांत एवं धार्मिक नीति।
  • कला एवं प्रौद्योगिकी को राज-दरबारी संरक्षण।
  1. सत्रहवीं शताब्दी में मुगल साम्राज्य : 
  •   जहाँगीर, शाहजहाँ एवं औरंगजेब की प्रमुख प्रशासनिक नीतियाँ
  •   साम्राज्य एवं जमींदार
  •   जहाँगीर, शाहजहाँ एवं औरंगजेब की धार्मिक नीतियाँ
  •   मुगल राज्य का स्वरूप
  •   उत्तर सत्रहवीं शताब्दी का संकट एवं विद्रोह
  •   अहोम साम्राज्य
  •   शिवाजी एवं प्रारंभिक मराठा राज्य
  1. सोलहवीं एवं सत्रहवीं शताब्दी में अर्थव्यवस्था एवं समाज : 
  • जनसंख्या, कृषि उत्पादन, शिल्प उत्पादन
  • नगर, डच, अंग्रेज़ी एवं फ्राँसीसी कंपनियों के माध्यम से यूरोप के साथ वाणिज्य : व्यापार क्रांति।
  • भारतीय व्यापारी वर्ग, बैंकिग, बीमा एवं ऋण प्रणालियाँ
  • किसानों की दशा, स्त्रियों की दशा
  • सिख समुदाय एवं खालसा पंथ का विकास
  1. मुगल साम्राज्यकालीन संस्कृति : 
  • फारसी इतिहास एवं अन्य साहित्य
  • हिन्दी एवं अन्य धार्मिक साहित्य
  • मुगल स्थापत्य
  • मुगल चित्रकला
  • प्रांतीय स्थापत्य एवं चित्रकला
  • शास्रीय संगीत
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
  1. अठारहवीं शताब्दी : 
  • मुगल साम्राज्य के पतन के कारक
  • क्षेत्रीय सामंत देशः निजाम का दकन, बंगाल, अवध
  • पेशवा के अधीन मराठा उत्कर्ष
  • मराठा राजकोषीय एवं वित्तीय व्यवस्था
  • अफगान शक्ति का उदय, पानीपत का युद्ध-1761
  • ब्रिटिश विजय की पूर्व संध्या में राजनीति, संस्कृति एवं अर्थव्यवस्था की स्थिति।

UPSC History Optional Paper-2 Syllabus in Hindi

  1. भारत में यूरोप का प्रवेश : 

प्रारंभिक यूरोपीय बस्तियाँ; पुर्तगाली एवं डच, अंग्रेज़ी एवं फ्राँसीसी ईस्ट इंडिया कंपनियाँ; आधिपत्य के लिये उनके युद्ध; कर्नाटक युद्ध; बंगाल-अंग्रेज़ों एवं बंगाल के नवाब के बीच संघर्ष; सिराज और अंग्रेज़; प्लासी का युद्ध; प्लासी का महत्त्व।

  1. भारत में ब्रिटिश प्रसार : 

बंगाल और मीर ज़ाफर एवं मीर कासिम; बक्सर का युद्ध; मैसूर, मराठा; तीन अंग्रेज़ – मराठा युद्ध; पंजाब

  1. ब्रिटिश राज की प्रारंभिक संरचना : 

प्रारंभिक प्रशासनिक संरचना;  द्वैधशासन से प्रत्यक्ष नियंत्रण तक; रेगुलेटिंग एक्ट (1773); पिट्स इंडिया एक्ट (1784); चार्टर एक्ट (1833); मुक्त व्यापार का स्वर एवं ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन का बदलता स्वरूप; अंग्रेज़ी उपयोगितावादी और भारत। 

  1. ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन का आर्थिक प्रभाव : 
  • ब्रिटिश भारत में भूमि – राजस्व बंदोबस्त; स्थायी बंदोबस्त; रैयतवारी बंदोबस्त; महालवारी बंदोबस्त; राजस्व प्रबंध का आर्थिक प्रभाव; कृषि का वाणिज्यीकरण; भूमिहीन कृषि श्रमिकों का उदय; ग्रामीण समाज का परिक्षीणन।
  • पारंपरिक व्यापार एवं वाणिज्य का विस्थापन; अनौद्योगीकरण; पारंपरिक शिल्प की अवनति; धन का अपवाह; भारत का आर्थिक रूपांतरण; टेलीग्राफ एवं डाक सेवाओं समेत रेल पथ एवं संचार जाल; ग्रामीण भीतरी प्रदेश में दुर्भिक्ष एवं गरीबी; यूरोपीय व्यापार उद्यम एवं इसकी सीमाएँ।
  1.  सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास : 

स्वदेशी शिक्षा की स्थिति; इसका विस्थापन; प्राच्यविद्-आंग्लविद् विवाद, भारत में पश्चिमी शिक्षा का प्रादुर्भाव; प्रेस, साहित्य एवं लोक मत का उदय; आधुनिक मातृभाषा साहित्य का उदय; विज्ञान की प्रगति; भारत में क्रिश्चियन मिश्नरी के कार्यकलाप।

  1. बंगाल एवं अन्य क्षेत्रों में सामाजिक एवं धार्मिक सुधार आंदोलन :  

राममोहन राय, ब्रह्म आंदोलन; देवेन्द्रनाथ टैगोर; ईश्वरचन्द्र विद्यासागर; युवा बंगाल आंदोलन; दयानंद सरस्वती; भारत में सती, विधवा विवाह, बाल विवाह आदि समेत सामाजिक सुधार आन्दोलन; आधुनिक भारत के विकास में भारतीय पुनर्जागरण का योगदान; इस्लामी पुनरूद्धार वृत्ति- फराइजी एवं वहाबी आन्दोलन।

  1. ब्रिटिश शासन के प्रति भारत की अनुक्रिया : 

रंगपुर ढींग (1783), कोल विद्रोह (1832), मालाबार में मोपला विद्रोह (1841-1920), सन्थाल हुल (1855), नील विद्रोह (1859-60), दकन विप्लव (1875), एवं मुंडा उल्गुलान (1899-1900) समेत 18वीं एवं 19वीं शताब्दी में हुए किसान आंदोलन एवं जनजातीय विप्लव; 1857 का महाविद्रोह-उद्गम, स्वरूप, असफलता के कारण, परिणाम; पश्च 1857 काल में किसान विप्लव के स्वरूप में बदलाव; 1920 और 1930 के दशकों में हुए किसान आंदोलन।

  1. भारतीय राष्ट्रवाद के जन्म के कारक : 

संघों की राजनीति; भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बुनियाद; कांग्रेस के जन्म के संबंध में सेफ्टी वाल्व का पक्ष; प्रारंभिक कांग्रेस के कार्यक्रम एवं लक्ष्य; प्रारंभिक कांग्रेस नेतृत्व की सामाजिक रचना; नरम दल एवं गरम दल; बंगाल का विभाजन (1905); बंगाल में स्वदेशी आन्दोलन; स्वदेशी आन्दोलन के आर्थिक एवं राजनैतिक परिप्रेक्ष्य; भारत में क्रांतिकारी उग्रपंथ का आरंभ।

  1. गांधी का उदय : 

गांधी के राष्ट्रवाद का स्वरूप; गांधी का जनाकर्षण; रौलेट सत्याग्रह; खिलाफत आंदोलन; असहयोग आंदोलन समाप्त होने के बाद से सविनय अवज्ञा आन्दोलन के प्रारंभ होने तक की राष्ट्रीय राजनीति, सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दो चरण; साइमन कमीशन; नेहरू रिपोर्ट; गोलमेज परिषद; राष्ट्रवाद और किसान आंदोलन; राष्ट्रवाद एवं श्रमिक वर्ग आंदोलन; महिला एवं भारतीय युवा तथा भारतीय राजनीति में छात्र (1885-1947); 1937 का चुनाव तथा मंत्रालयों का गठन; क्रिप्स मिशन; भारत छोड़ो आन्दोलन; वैवेल योजना; कैबिनेट मिशन।

  1. औपनिवेशिक : 

भारत में 1858 और 1935 के बीच सांविधानिक घटनाक्रम।

  1. राष्ट्रीय आन्दोलन की अन्य कड़ियाँ : 

क्रांतिकारी; बंगाल, पंजाब, महाराष्ट्र, यू.पी., मद्रास प्रदेश, भारत से बाहर, वामपक्ष; कांग्रेस के अंदर का वाम पक्ष : जवाहरलाल नेहरू, सुभाषचन्द्र बोस, कांग्रेस समाजवादी पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, अन्य वामदल।

  1. अलगाववाद की राजनीति : 

मुस्लिम लीग; हिन्दू महासभा; सांप्रदायिकता एवं विभाजन की राजनीति; सत्ता का हस्तांतरण; स्वतंत्रता।

  1. 1947 के बाद जाति एवं नृजातित्त्व : 

नेहरू की विदेश नीति; भारत और उसके पड़ोसी (1947-1964); राज्यों का भाषावाद पुनर्गठन (1935-1947); क्षेत्रीयतावाद एवं क्षेत्रीय असमानता; भारतीय रियासतों का एकीकरण; निर्वाचन की राजनीति में रियासतों के नरेश (प्रिंस); राष्ट्रीय भाषा का प्रश्न।

  1. आर्थिक विकास एवं राजनीतिक परिवर्तनः-

भूमि सुधार; योजना एवं ग्रामीण पुनर्रचना की राजनीति; उत्तर औपनिवेशिक भारत में पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण नीति; विज्ञान की तरक्की।

  1. प्रबोध एवं आधुनिक विचार :
  •   प्रबोध के प्रमुख विचार : कांट, रूसो
  •   उपनिवेशों में प्रबोध – प्रसार
  •   समाजवादी विचारों का उदय (मार्क्स तक); मार्क्स के समाजवाद का प्रसार
  1. आधुनिक राजनीति के मूल स्रोत :
  •   यूरोपीय राज्य प्रणाली
  •   अमेरिकी क्रांति एवं संविधान
  •   फ्राँसिसी क्रांति एवं उसके परिणाम, 1789-1815
  •   अब्राहम लिंकन के संदर्भ के साथ अमरीकी सिविल युद्ध एवं दासता का उन्मूलन
  •   ब्रिटिश गणतंत्रात्मक राजनीति, 1815-1850; संसदीय सुधार, मुक्त व्यापारी, चार्टरवादी।
  1. औद्योगीकरण : 
  • अंग्रेज़ी औद्योगिक क्रांति : कारण एवं समाज पर प्रभाव।
  • अन्य देशों में औद्योगीकरणः यू.एस.ए., जर्मनी, रूस, जापान।
  • औद्योगीकरण एवं भूमंडलीकरण।
  1. राष्ट्र राज्य प्रणाली :
  • 19वीं शताब्दी में राष्ट्रवाद का उदय
  • राष्ट्रवाद : जर्मनी और इटली में राज्य निर्माण।
  •  पूरे विश्व में राष्ट्रीयता के आविर्भाव के समक्ष साम्राज्यों का विघटन।
  1. साम्राज्यवाद एवं उपनिवेशवाद :
  •  दक्षिण एवं दक्षिण -पूर्व एशिया
  •  लातीनी अमरीका एवं दक्षिण अफ्रीका
  •  ऑस्ट्रेलिया
  •  साम्राज्यवाद एवं मुक्त व्यापार : नवसाम्राज्यवाद का उदय।
  1. क्रांति एवं प्रतिक्रांति :
  • 19वीं शताब्दी की यूरोपीय क्रांतियाँ
  • 1917-1921 की रूसी क्रांति
  • फासीवाद प्रतिक्रांति, इटली एवं जर्मनी
  • 1949 की चीनी क्रांति
  1. विश्व युद्ध :
  • संपूर्ण युद्ध के रूप में प्रथम एवं द्वितीय विश्व युद्ध : समाजीय निहितार्थ
  • प्रथम विश्व युद्ध : कारण एवं परिणाम
  • द्वितीय विश्व युद्ध : कारण एवं परिणाम
  1. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का विश्व :
  •  दो शक्तियों का आविर्भाव
  •  तृतीय विश्व एवं गुटनिरपेक्षता का आविर्भाव
  •  संयुक्त राष्ट्रसंघ एवं वैश्विक विवाद
  1. औपनिवेशिक शासन से मुक्ति :
  • लातीनी अमरीका – बोलीवर
  • अरब विश्व – मिस्र
  • अफ्रीका – रंगभेद से गणतंत्र तक
  • दक्षिण-पूर्व एशिया – वियतनाम
  1. वि-औपनिवेशीकरण एवं अल्पविकास :
  • विकास के बाधक कारक : लातीनी अमरीका, अफ्रीका।
  1. यूरोप का एकीकरण :
  • युद्धोत्तर स्थापनाएँ NATO एवं यूरोपीय समुदाय (यूरोपियन कम्युनिटी)
  • यूरोपीय समुदाय (यूरोपियन कम्युनिटी) का सुदृढ़ीकरण एवं प्रसार
  • यूरोपीय संघ
  1. सोवियत यूनियन का विघटन एवं एक ध्रुवीय विश्व का उदय : 
  • सोवियत साम्यवाद एवं सोवियत यूनियन को निपात तक पहुँचाने वाले कारक, 1985-1991
  •  पूर्वी यूरोप में राजनीतिक परिवर्तन 1989-2001
  •  शीत युद्ध का अंत एवं अकेली महाशक्ति के रूप में US का उत्कर्ष।

UPSC वैकल्पिक विषय इतिहास की तैयारी NCERT बुक्स की सूची

यहां UPSC के वैकल्पिक विषय इतिहास की तैयारी के लिए NCERT कक्षा 6th से 12th तक की बुक्स की सूची दी जा रही हैं। जिसके माध्यम से आप UPSC इतिहास की तैयारी आसानी से कर सकते है क्योंकि NCERT बुक्स की भाषा शैली काफी सरल और ज्ञानवर्धक होती है। जिससे आप इतिहास विषय में अपना बेस मजबूत कर सकते हैं :

  • हमारा अतीत (कक्षा 6)
  • हमारा अतीत -I (कक्षा 7)
  • हमारा अतीत II और III (कक्षा 8)
  • भारत और समकालीन विश्व – I (कक्षा 9 – भाग I)
  • भारत और समकालीन विश्व – II (कक्षा 9 – भाग I)
  • विश्व इतिहास में विषय-वस्तु (कक्षा 10)
  • भारतीय कला का एक परिचय (कक्षा 11 – भाग I)
  • भारत की जीवित शिल्प परंपराएं (कक्षा 11 – भाग I)
  • भारतीय इतिहास में विषय-वस्तु – I (कक्षा 12 – भाग I)
  • भारतीय इतिहास में विषय-वस्तु – II (कक्षा 12 – भाग II)
  • भारतीय इतिहास में विषय-वस्तु – III (कक्षा 12 – भाग III)

UPSC इतिहास विषय की तैयारी के लिए बेस्ट बुक्स की सूची

यहां स्टूडेंट्स के लिए UPSC परीक्षा की तैयारी के लिए प्राचीन भारत, मध्यकालीन भारत और आधुनिक भारत की कुछ प्रमुख बुक्स की सूची दी जा रही हैं। जिसके माध्यम से आप UPSC वैकल्पिक इतिहास विषय की तैयारी आसानी से कर सकते हैं :

प्राचीन भारत 

बुक्स ऑथर और पब्लिकेशन यहां से खरीदें 
भारत का प्राचीन इतिहासरामशरण शर्मायहां से खरीदें 
प्राचीन एवं पूर्व-मध्यकालीन भारत का इतिहास (पाषाण काल से 12वीं शताब्दी तक) उपिंदर सिंहयहां से खरीदें 
प्राचीन भारत का इतिहासडॉ ए.के मित्तल यहां से खरीदें 
अद्भुत भारतए.एल. बाशमयहां से खरीदें 

मध्यकालीन भारत

बुक्स ऑथर और पब्लिकेशन यहां से खरीदें 
मध्यकालीन भारतसतीश चंद्र यहां से खरीदें 
मध्यकालीन भारत (भाग-1, 2) हरिश्चंद्र वर्मायहां से खरीदें 
मध्यकालीन भारत (सल्तनत से मुगलकाल – 1) सतीश चंद्रयहां से खरीदें 
मध्यकालीन भारत (सल्तनत से मुगलकाल – 2) सतीश चंद्रयहां से खरीदें
मध्यकालीन भारत का वृहत इतिहासजे. एल. मेहतायहां से खरीदें 

आधुनिक भारत

बुक्स ऑथर और पब्लिकेशन यहां से खरीदें 
भारत का आधुनिक इतिहास विपिन चंद्रयहां से खरीदें 
भारत का स्वतंत्रता संग्रामशेखर बंद्योपाध्याययहां से खरीदें 
भारत का स्वतंत्रता संघर्ष विपिन चंद्रयहां से खरीदें 
आधुनिक भारत का इतिहास आर.एल. शुक्लयहां से खरीदें
आजादी के बाद भारतविपिन चंद्रयहां से खरीदें 
भारतीय कला और संस्कृतिनितिन सिंघानियायहां से खरीदें 
आधुनिक विश्व इतिहासनॉर्मन लोवयहां से खरीदें 
आधुनिक विश्व का इतिहासजैन और माथुरयहां से खरीदें 

विश्व इतिहास

बुक्स ऑथर और पब्लिकेशन यहां से खरीदें 
विश्व इतिहास का सर्वेक्षणदीनानाथ वर्मा एवं शिव कुमार सिंहयहां से खरीदें 
समकालीन विश्व का इतिहासअर्जुन देवयहां से खरीदें 

UPSC में कितने पेपर होते है?

UPSC प्रिलिम्स सिविल सर्विस एग्जाम का स्क्रीनिंग चरण है जो हर साल यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) द्वारा कंडक्ट किया जाता है। इस चरण को मुख्यत प्रिलिम्स एग्जाम के नाम से जाना जाता है। यहां UPSC प्रिलिम्स एग्जाम के दोनों क्वेश्चन पेपर्स का एग्जाम पैटर्न नीचे दी गई टेबल में दिया जा रहा हैं :

प्रिमिल्स एग्जाम – जनरल स्टडी 

क्वेश्चन की संख्या100
कुल मार्क्स 200 
एग्जाम टाइमिंग 2 घंटे
नेगेटिव मार्किंग एक तिहाई
एग्जाम टाइप ऑब्जेक्टिव टाइप

प्रिलिम्स एग्जाम – सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट (CSAT)

क्वेश्चन की संख्या80
कुल मार्क्स 200 
एग्जाम टाइमिंग 2 घंटे
नेगेटिव मार्किंग एक तिहाई
एग्जाम टाइप ऑब्जेक्टिव टाइप

नोट – कैंडिडेट्स को UPSC प्रिलिम्स एग्जाम के दोनों पेपर में सम्मिलित होना अनिवार्य होता हैं। यदि कोई कैंडिडेट UPSC के दोनों GS-1 और GS-2 पेपर में शामिल नहीं होता तो वह अयोग्य ठहराया जाएगा। UPSC प्रिलिम्स का का दूसरा पेपर सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट (CSAT) क्वालीफाइंग नेचर का होता है जिसमें पास होने के लिए  मिनिमस 33% मार्क्स होने अनिवार्य होते है। 

UPSC मेंस एग्जाम

विषय कुल मार्क्स 
पेपर A: अनिवार्य भारतीय भाषा 300 
पेपर B: इंग्लिश  300 
पेपर I: निबंध250 
पेपर II: सामान्य अध्ययन – I250 
पेपर III: सामान्य अध्ययन – II250 
पेपर IV: सामान्य अध्ययन – III250 
पेपर V: सामान्य अध्ययन – IV250 
पेपर VI: वैकल्पिक – I250 
पेपर VII: वैकल्पिक – II250 

नोट: UPSC के दोनों एग्जाम में क्वालीफाई करने के बाद स्टूडेंट्स के मार्क्स के आधार पर मेरिट तैयार की जाती है। जिसके अनुसार टॉप रैंक प्राप्त करने वाले कैंडिडेट्स को इंटरव्यू के लिए आमंत्रित किया जाता हैं।  

FAQs

UPSC के सिलेबस में क्या-क्या होता है?

UPSC का हिंदी और इंग्लिश दोनों ही भाषा में एक ही सिलेबस होता है। UPSC के सिलेबस में मुख्यता समसामयिक घटनाएं, सामान्य ज्ञान, इतिहास, भूगोल, रिजनिंग, अंग्रेजी, अर्थव्यवस्था, आदि विषय रहते हैं। 

UPSC पास करने के लिए कुल कितने नंबर होने चाहिए?

UPSC प्रीलिम्स के लिए आपको 200 अंकों में से 120 अंकों को प्राप्त करना अनिवार्य है। जहाँ आपको प्रत्येक सवाल के सही आंसर के लिए 2 अंक और सवाल गलत हो जाने पर नेगेटिव मार्किंग के 0.66 अंक कट जाते हैं। इसी प्रकार आपको UPSC मेंस में पास होने के लिए आपको 1750 अंकों में से न्यूनतम 900 या 950 से अधिक अंक लाने ही होते हैं।

UPSC में इतिहास विषय की तैयारी कैसे करें?

UPSC की तैयारी के लिए कैंडिडेट्स को NCERT बुक्स से शुरुआत करनी चाहिए। क्योंकि NCERT बुक्स की भाषा बहुत सरल और गहन अध्ययन के बाद तैयार की जाती हैं। जिसके माध्यम से आप भारतीय और विश्व इतिहास को आसानी से समझ पाएंगे। उसके बाद आप UPSC की तैयारी के लिए स्टैंडर्ड की ओर बढ़ सकते हैं। 

UPSC के लिए कौन सा इतिहास महत्वपूर्ण है?

UPSC की तैयारी के लिए प्रमुख प्राचीन भारत का इतिहास मुख्य विषय माना जाता है। जिसमें सिंधु घाटी सभ्यता, संगम काल, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और मौर्योत्तर भारत आदि प्रमुख विषय शामिल हैं। 

उम्मीद है आपको UPSC History Syllabus in Hindi का यह ब्लॉग पसंद आया होगा। जिसमें आपको इतिहास सिलेबस की सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त हो गई होगी। UPSC एग्जाम से संबंधित ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

प्रातिक्रिया दे

Required fields are marked *

*

*