यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) ने डिग्री के अंतिम वर्ष के स्टूडेंट्स के लिए नई पहल की है। अब अपने अंडर ग्रेजुएट के चौथे यानि आखिरी वर्ष में रिसर्च इंटर्नशिप हासिल करने वाले स्टूडेंट्स को स्टाइपेंड, इंश्योरेंस कवरेज और अकेडमिक क्रेडिट मिलेगा।
यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) की ओर से निर्धारित और हायर एजुकेशनल इस्टिट्यूट्स के लिए तय गाइडलाइन्स के मुताबिक, हायर एजुकेशनल इंस्टिट्यूट्स को रिसर्च इंटर्नशिप के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने होंगे जो कई कंपनियों के साथ समझौता (agreements) करेंगे और उसमें इंटर्नशिप के लिए स्टाइपेंड (फाइनेंशियल कंपनसेशन) को प्राथमिकता पर रखा जाएगा।
इंटर्नशिप सुपरवाइजर करेंगे छात्रों की मदद
इसके अलावा, हायर एजुकेशनल इंस्टिट्यूट्स ग्रुप इंटर्नशिप के अवसरों की भी तलाश कर सकते हैं। रिसर्च इंटर्नशिप चार वर्षीय ग्रेजुएशन प्रोग्राम के चौथे वर्ष में की जाएगी। प्रत्येक छात्र के लिए इंटर्नशिप सुपरवाइजर नियुक्त किया जाएगा जो छात्रों को उनके प्रोजेक्ट समय पर पूरा करने में मदद करेगें।
एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट में एकत्र होंगे छात्रों के प्वाइंट्स
UGC के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने कहा कि नेशनल एजुकेशन पाॅलिसी-2020 के मुताबिक, UG लेवल पर क्रेडिट फ्रेमवर्क लागू किया गया है। इससे छात्रों के प्वाइंट्स NEP के तहत लागू ‘एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट’ में एकत्र हो जाएंगे और जिस कंपनी में वह इंटर्नशिप कर रहे हैं तो बाद में उनके प्रोग्राम का समय बढ़ाया जा सकता है।
HEIs को API integration के लिए पोर्टल पर करनी होगी व्यवस्था
कुमार ने कहा कि हायर एजुकेशनल इंस्टिट्यूट्स को एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस एपीआई इंटीग्रेशन (API integration) के लिए अपने पोर्टल पर व्यवस्था करनी होगी ताकि कंपनियों या एजेंसियों के एक्सपर्ट्स इस पर रजिस्ट्रेशन कर सकें और बातचीत शुरू हो सके।
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एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट के बारे में
NEP के तहत एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट स्टूडेंट का एकेडमिक रिकॉर्ड रखने, खोलने, बंद करने और उसे वेरिफाई करने के लिए है। ये क्रेडिट एक्यूमुलेशन, क्रेडिट वैरीफिकेशन और क्रेडिट ट्रांसफर आदि काम करेगा। इससे कोर्स के दौरान स्टूडेंट द्वारा पाए गए क्रेडिट सात साल तक रिडीम किए जा सकते हैं और इसकी सहायता से वह किसी कोर्स के दूसरे वर्ष में एडमिशन ले सकते हैं।
UGC के बारे में
यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) 28 दिसंबर, 1953 को अस्तित्व में आया और विश्वविद्यालय में शिक्षा, परीक्षा और अनुसंधान के रेगुलेशंस के समन्वय और रखरखाव के लिए 1956 में संसद के एक अधिनियम द्वारा भारत सरकार की काॅंस्टिट्यूशनल बाॅडी बन गया। यह यूनिवर्सिटी और काॅलेजों को ग्रांट देता है।
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