World Earth Day Poem : पृथ्वी दिवस पर कविताएं, जो बढ़ा देंगी आपका प्रकृति के प्रति प्रेम 

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World Earth Day Poem in Hindi

विश्व पृथ्वी दिवस एक वार्षिक अवसर है जो ग्रह के पर्यावरण की याद दिलाता है और प्रदूषण के बारे में सार्वजनिक जागरूकता लाता है। यह दिन दुनिया भर में रैलियों, सम्मेलनों, आउटडोर मनोरंजन और सेवा कार्यक्रमों के साथ मनाया जाता है। इसलिए आज के इस ब्लॉग में हम आपको विश्व पृथ्वी दिवस (World Earth Day Poem in Hindi) पर लिखी कुछ कविताएं बताने जा रहें है जो आपको पृथ्वी के महत्व के बारे में बताएँगे, जिससे आप पृथ्वी को और गहराई से जान पाएंगे। 

विश्व पृथ्वी दिवस के बारे में 

पृथ्वी दिवस हर साल 22 अप्रैल को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के बारे में जनता का ध्यान बढ़ाना है। पृथ्वी दिवस समारोह एक दिन से लेकर कुछ सप्ताह तक चलता है जहाँ पर्यावरण को साफ़ करने के लिए कई प्रयास किए जाते हैं। यह हमें पर्यावरण की सुरक्षा की दिशा में कार्य करने और संरक्षण की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

World Earth Day Poem in Hindi

World Earth Day Poem in Hindi यहाँ दी जा रहीं हैं :

1. यह धरती कुछ कह रही है – 

इसकी बातों को
सुनने का प्रयास करो
इसे न अपनी आंखों
से नजरअंदाज करो
अपने गर्भ को चीरकर
इसने तुम्हें पाला-संवारा
जिंदगी के हर एक पल को
इसने तुम्हें दिया सहारा
किंतु तुम स्वार्थी मानव
उसके उपकार को न समझ पाए
नफरत, स्वार्थ, ईर्ष्या, द्वेष से न उबर पाए
न जाने कितने घाव
इसके शरीर पर किए
पर्वत तोड़े, पहाड़ तोड़े
नदी और झरने बंद किए
पेड़ काटे, फूल उजाड़े
हर तरफ इसे बर्बाद किया
इसके सुंदर स्वरूप का
तुमने सत्यानाश किया
इसकी इस दशा पर तारे भी
आंसू बहाते हैं
ओस की बूंदों के रूप में
वो धरती पर छा जाते हैं
कभी तुम्हारी भयानक हरकतों से
वह अपनी करवट बदलती है
भूकम्प-ज्वालामुखी के रूप में
यह तांडव कर देती है
तुम्हें चेताने के लिए
सुनामी हवाएं आती हैं
सृष्टि से छेड़छाड़ की
भयानक परिणाम की
जानकारी दे जाती है
तो हे मानव ! अब तुम
धरती की आवाज सुनो
तुम इसका न तिरस्कार करो
इस मां को तुम प्रणाम करो
इस मां को तुम सलाम करो
-राकेशधर द्विवेदी

भावार्थ: पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जिस पर हम रह सकते हैं। इसलिए हमें लोगों को पृथ्वी को किसी भी नुकसान से बचाना सिखाना चाहिए। पृथ्वी दिवस हमारे ग्रह की रक्षा के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है, लेकिन बच्चे इसका सही अर्थ नहीं समझ पाते हैं। हमारी धरती हर दिन अपनी सुरक्षा के लिए पुकारती है जिसके लिए हम सब को मिलकर काम करना होगा। 

2. माटी –

माटी से ही जन्म हुआ है!
माटी में ही मिल जाना है!!
धरती से ही जीवन अपना!
धरती पर ही सजे सब सपना!!
सब जीव जन्तु धरती पर रहते!
गंगा यमुना यही पर बहते!!
सब्जी फल यहाँ ही उगते!
धन फसल यहाँ ही उपजे!!
धरती माँ की देख रेख कर!
हमको फर्ज़ निभाना है!!
- अनुष्का सूरी

भावार्थ: इस कविता के माध्यम से कवी यह कहना चाहता है की इस धरती पर हमारा जन्म हुआ है और हमारा अंत भी इस धरती पर ही होना है। इसलिए धरती की देख रेख करना हम सब का फर्ज है।

3. धरती की बस यही पुकार

धरती कह रही हैं बार बार
सुन लो मनुष्य मेरी पुकार,
बड़े बड़े महलों को बना के
मत डालो मुझ पर भार
पेड़ पौधों को नष्ट करके,
मत उजाड़ो मेरा संसार,
धरती की बस यही पुकार!!

मैं हूँ सबकी जीवन दाता
मैं हूँ सबकी भाग्य विधाता,
करने डॉ मुझे सब जीवो पर उपकार,
मत करो मेरे पहाड़ों पर विस्फ़ोटक वार,
मत उजाड़ो मेरा संसार,
धरती की बस यही पुकार!!

सुंदर सुंदर बाग़ और बगीचे हैं मेरे,
हे मनुष्य ये सब काम आयेंगें तेरे,
मेरी मिटटी में पला बड़ा तू,
तूने यहीं अपना संसार गाढ़ा हैं,
फिर से कर ले तू विचार,
मत उजाड़ मेरा संसार,
धरती की बस यही पुकार!!

मैं रूठी तो जग रूठा,
अगर मेरे सब्र का बांध टुटा,
नहीं बचेंगा कोई,
मेरे साथ अगर अन्याय करोंगे,
तो न्याय कह से पाओंगे
कभी बाढ़ तो कभी सुखा,
और भूकंप जैसी आपदा सहते जाओंगे,
धरती की बस यहीं पुकार,
मत उजाड़ों मेरा संसार!!

भावार्थ: आजकल बढ़ती औद्योगीकरण के कारण जंगल नष्ट होते चले जा रहें हैं। जगह- जगह जंगलों को काट के घर और बिल्डिंग्स बन रहीं है। यह एक गंभीर समस्या बन चुकी है। विश्वभर में इसके कारण स्वच्छ हवा का तो मानों नामो निशान ही मिट चुका है। इससे हमारी धरती को काफी नुकसान हो रहा है और वह चीख- चीख कर यह कह रही है की मुझे बचाओ वरना अनर्थ हो जाएगा।

4. आओ, धरती बचाएँ

बड़ी-बड़ी बातों से, नहीं बचेगी धरती
वह बचेगी, छोटी-छोटी कोशिशों से
हम नहीं फेंकें कचरा इधर-उधर, स्वच्छ रहेगी धरती,
हम नहीं खोदें गड्ढे धरती पर, स्वस्थ रहेगी धरती,
हम नहीं होने दें उत्सर्जित विषैली गैसें, प्रदूषणमुक्त रहेगी धरती,
हम नहीं काटे जंगल, पानीदार रहेगी धरती,
धरती को पानीदार बनाएँ, आओ, धरती बचाएँ।

भावार्थ: इस कविता के माध्यम से कवी यह कहना चाहता है की हमें धरती के लिए बातों से ज्यादा काम करने के जरुरत है। उसके लिए सभी लोगों को जागरूक होना पड़ेगा और सबसे पहले तो अपने आस पास सफाई रखनी होगी क्योंकि जब स्वच्छ रहेगी धरती तभी तो स्वस्थ रहेगी धरती।  

5. सब ग्रह गाते, पृथ्वी रोती

ग्रह-ग्रह पर लहराता सागर
ग्रह-ग्रह पर धरती है उर्वर,
ग्रह-ग्रह पर बिछती हरियाली,
ग्रह-ग्रह पर तनता है अम्बर,
ग्रह-ग्रह पर बादल छाते हैं, ग्रह-ग्रह पर है वर्षा होती।

सब ग्रह गाते, पृथ्वी रोती।
पृथ्वी पर भी नीला सागर,
पृथ्वी पर भी धरती उर्वर,
पृथ्वी पर भी शस्य उपजता,
पृथ्वी पर भी श्यामल अंबर,
किंतु यहाँ ये कारण रण के देख धरणि यह धीरज खोती।

सब ग्रह गाते, पृथ्वी रोती।
सूर्य निकलता, पृथ्वी हँसती,
चाँद निकलता, वह मुसकाती,
चिड़ियाँ गातीं सांझ सकारे,
यह पृथ्वी कितना सुख पाती;
अगर न इसके वक्षस्थल पर यह दूषित मानवता होती।
सब ग्रह गाते, पृथ्वी रोती।
- हरिवंशराय बच्चन

भावार्थ: हमारी पृथ्वी बहुत खूबसूरत है। यहाँ की हवा, पेड़ पौधे और जीव जंतु ही पृथ्वी को जीवित रखते हैं। लेकिन पृथ्वी को लेकर कई लोग जागरूक नहीं है और हमारी पृथ्वी की हालत दिन प्रतिदिन खराब होती चली जा रही है। जब हमारी पृथ्वी संरक्षित होगी तभी हमारे जीवन में खुशहाली आएगी और हमारा जीवन सुरक्षित रहेगा, इसलिए धरती मां की अहमियत को समझना हम सबका मूल कर्तव्य है, क्योंकि धरती पर रहकर ही हम सभी मनुष्य, जीव-जन्तु, पेड़-पौधे, वनस्पति आदि का जीवन संभव है।

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आशा है कि इस ब्लॉग के माध्यम से आप World Earth Day Poem in Hindi पढ़ पाए होंगे। साथ ही यह ब्लॉग आपको इंट्रस्टिंग और इंफॉर्मेटिव भी लगा होगा। इसी प्रकार की अन्य कविताएं पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।

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