15 अगस्त 1947 को भारत को अंग्रेजों की लगभग 200 वर्ष की दासता के बाद आज़ादी मिली थी। यह निश्चित ही भारत के लिए एक ऐतिहासिक और सौभाग्य का दिन है। इसी खुशी में भारतीय हर साल स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं। इस दिन हर एक भारतीय खुश था। लेकिन अंग्रजों ने जाते-जाते भी भारत में बंटवारे का बीज डाल दिया। अनेक परिवार एक दूसरे से बिछड़ गए और लाखों लोग विभाजन के कारण हुए दंगों की भेंट चढ़ गए। इसी कारण से वर्ष 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की थी।
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विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस क्या है?
भारत को 15 अगस्त 1947 के दिन अंग्रेजों से स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी। लेकिन आज़ादी की योजना उन्होंने लगभग एक वर्ष पहले से ही बनानी शुरू कर दी थी। अंग्रेजों ने अपनी फूट डालो और राज करो नीति के तहत अंग्रेजों ने मुस्लिम लीग के अध्यक्ष मोहम्मद अली जिन्ना को मुसलमानों के लिए एक अलग देश की मांग करने के लिए उकसाया। मोहम्मद अली जिन्ना ने पंडित जवाहर लाल नेहरू, महात्मा गांधी एवं अन्य बड़े नेताओं के साथ साथ अंग्रेजों के सामने भी मुसलामानों के लिए एक अलग राष्ट्र पाकिस्तान की मांग रख दी। महात्मा गांधी के भारी विरोध के बाद भी भारत का बंटवारा तय हो गया और पकिस्तान के निर्माण पर मोहर लगा दी गई। अंग्रेजों ने भारत के तीन प्रांत पंजाब, बंगाल और सिंध का बंटवारा किया था। बंटवारा हिन्दुओं और मुसलमानों की जनसंख्या के आधार पर किया गया। जिस क्षेत्र में मुसलामानों की संख्या अधिक थी वह हिस्सा पाकिस्तान को दे दिया गया और बाकी हिस्सा भारत में ही रह गया। इस कारण से हिन्दू-मुसलमान आपस में झगड़ने लगे और देश साम्प्रदायिक दंगों में झुलस गया। लाखों परिवार इन दंगों में प्रभावित हुए। दोनों सम्प्रदायों से बड़ी संख्या में लोग मारे गए।
वास्तव में आज़ादी से एक दिन पहले 14 अगस्त 1947 का दिन भारत के लोगों के लिए बंटवारे के जख्मों को याद करने का दिन है। इस दिन अंग्रेजों ने भारत को दो हिस्सों में बाँट दिया था। इस तरह से यह दिन बंटवारे की कड़वी याद का दिन है। इसी कारण से इस दिन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभाजन विभीषिका दिवस घोषित किया है, ताकि हम विभाजन के पीड़ित परिवारों की व्यथा को समझ सकें और देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए भविष्य में योगदान दे सकें।
विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस कब मनाया जाता है?
विभाजन विभीषिका दिवस हर साल स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पूर्व 14 अगस्त को मनाया जाता है। प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से इस दिवस को मनाए जाने की प्रथा शुरू की गई थी ताकि आने वाली पीढ़ियां विभाजन के दर्द को समझ सकें और उससे सीख ले सकें।
विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस क्यों मनाया जाता है?
विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस को निम्नलिखित कारणों से मनाया जाता हैं :-
- विभाजन विभीषिका दिवस को मनाने के पीछे का मुख्य उद्देश्य भारत पाक विभाजन के कारण पीड़ा झेलने वाले परिवारों की व्यथा को प्रकाश में लाना है।
- इस दिवस को मनाए जाने का एक अन्य उद्देश्य भावी पीढ़ियों को विभाजन के कारण होने वाले दुष्परिणामों से अवगत कराना भी है, ताकि वे भविष्य में देश की एकता और अखंडता की रक्षा कर सकें।
- इस दिवस को मनाए जाने का एक अन्य उद्देश्य विभाजन के कारण फ़ैली नफरत और हिंसा के विरूद्ध एकता और सद्भावना का सन्देश देना है।
विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस का महत्व
विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस कई मायनों में महत्वपूर्ण है :-
- यह दिवस राष्ट्रीय एकता का महत्व याद दिलाता है।
- यह दिवस हमें मानवीय मूल्यों जैसे करुणा, सहानुभूति और क्षमा को स्थापित करने के लिए प्रेरित करता है।
- यह दिन हमें समाज में सद्भाव से रहने के लिए प्रेरित करता है।
विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस का इतिहास
विभाजन विभीषिका दिवस का इतिहास अधिक पुराना नहीं है। 15 अगस्त 2021 को लाल किले से अपने भाषण में, विभाजन के पीड़ित लाखों लोगों की पीड़ा, कष्ट और दर्द को प्रकाश में लाने के लिए 14 अगस्त को “विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस” के रूप में मनाने की घोषणा की थी। तब से हर साल 14 अगस्त के दिन विभाजन विभीषिका दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य भारतीयों को सामाजिक विभाजन, वैमनस्य को दूर करने और एकता, सामाजिक सद्भाव और मानव सशक्तीकरण की भावना को और मजबूत करने की आवश्यकता को याद दिलाना है।
विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस कैसे मनाया जाता है?
विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर विभिन्न गतिविधियां की जाती हैं :
- इस दिन विभाजन के समय दंगों में मारे गए लोगों की याद में जगह जगह रैलियां निकाली जाती हैं।
- इस दिन जगह-जगह विभाजन की त्रासदी को दर्शाती प्रदर्शनियां लगाई जाती हैं।
- रेलवे विभाग की ओर से विभीषिका स्मृति दिवस पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।
- इस दिन सोशल मीडिया पर विभाजन से संबंधित पोस्ट किए जाते हैं।
क्यों हुआ था देश का विभाजन?
भारत पाकिस्तान विभाजन के कई कारण थे जिनमें से मुख्य कारण इस प्रकार हैं :
- धार्मिक विभाजन : हिन्दू और मुस्लिम धर्म के लोगों के बीच धार्मिक मुद्दों को लेकर मतभेद थे। मुस्लिम लीग ने मुसलमानों के लिए अलग देश की मांग की जिससे ये धार्मिक मतभेद और अधिक बढ़ गए।
- ब्रिटिश सरकार की नीतियां : भारत के टुकड़े करने के उद्देश्य से अंग्रेजों ने भारत में “फूट डालो राज करो” की नीति को अपनाया जिसने भारत के विभाजन में बड़ी भूमिका अदा की।
- कांग्रेस का मजबूर पड़ जाना : शुरुआत में कांग्रेस और पंडित नेहरू ने राष्ट्रीय एकता पर बल दिया था लेकिन बाद में उन्हें मुस्लिम लीग और जिन्ना की ज़िद के आगे झुकना पड़ा।
- माउंटबेटन की योजना : लॉर्ड माउंटेन की योजना से भी भारत पाक विभाजन की अवधारणा को बल मिला।
- कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच मतभेद : कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच सत्ता को लेकर मतभेद थे जो कि आगे चलकर भारत पाक विभाजन का एक बड़ा कारण बना।
- अंतरिम सरकार की विफलता : भारत की अंतरिम सरकार हिन्दू मुस्लिम समुदाय के बीच विश्वास पैदा करने में विफल रही थी।
- राजनैतिक अस्थिरता : स्वतंत्रता के समय भारत राजनैतिक रूप से स्थिर नहीं था। हिन्दू और मुसलमानों के बीच झगड़े की ख़बरें आए दिन सुनने को मिलती रहती थीं।
FAQs
विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस भारत के विभाजन के समय जान गंवाने वाले लाखों विस्थापितों की याद में मनाया जाता है।
14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया जाता है।
विभाजन से पहले भारत को “ब्रिटिश इंडिया” के नाम से जाना जाता था।
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