भारत एक ऐसी पुण्यभूमि है जहाँ से कला और साहित्य का उदय हुआ। भारत में ऐसे कई महान कवि और बेहतर लिखने वाले शायर हुए जिन्होंने समाज को साहित्य से परिचित करवाया। साथ ही इन महान कवियों और शायरों ने समाज के हर विषय पर बेबाकी से अपनी राय रखी, ऐसे ही सुप्रसिद्ध शायरों में से एक “शकील बदायूनी” भी थे जिनके लेखन ने उर्दू साहित्य के बढ़ते सम्मान में अपना मुख्य योगदान दिया। यहां विद्यार्थियों को उर्दू साहित्य की भी समझ होगी, साहित्य किसी भी भाषा का हो समाज को कलात्मक रूप से सोचने का अवसर प्रदान कराता है। इस पोस्ट से आप Shakeel Badayuni Shayari in Hindi के साथ-साथ, शकील बदायूनी का संक्षिप्त जीवन परिचय भी पढ़ पाएंगे। शकील बदायूनी की शायरी विद्यार्थियों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का सफल प्रयास करेंगी।
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शकील बदायूनी का संक्षिप्त जीवन परिचय
इस ब्लॉग में लिखित Shakeel Badayuni Shayari in Hindi पढ़ने से पहले, आपको उस सदी के महान शायरों में एक शकील बदायूनी का जीवन परिचय अवश्य पढ़ लेना चाहिए। शकील बदायूनी के कुशल लेखन ने उन्हें उनके समय का एक मशहूर शायर और गीतकार बनाया। ये उनके लेखन का ही प्रभाव है कि आज भी उनका लेखन युवाओं के लिए उतना ही प्रासंगिक है, जितना कभी पहले हुआ करता था।
शकील बदायूनी का जन्म 3 अगस्त 1916 को उत्तर प्रदेश के बदायूँ में हुआ था। शकील बदायूनी ने मात्र 14 साल की उम्र से ही अपनी कविताएं लिखनी शुरू कर दी थी। उस सदी के महान शायर “शकील बदायूनी” ने अपनी शिक्षा उर्दू, अरबी, फारसी और हिंदी भाषाओं में प्राप्त की थी। शकील बदायूनी ने अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन की और कई सालों तक दिल्ली में सरकारी नौकरी पर रहें, जिसके बाद वर्ष 1940 में वह मुंबई चले गए और बाकी जीवन वहीं गुज़ारा।
शकील बदायूनी को तीन बार फिल्मफेयर पुरस्कार और वर्ष 1963 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। अपना जीवन उर्दू साहित्य के प्रति समर्पित करने वाले शकील बदायूनी का निधन 20 अप्रैल 1970 को मुंबई में हुआ था।
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Shakeel Badayuni Shayari in Hindi (शकील बदायूनी की शायरी)
शकील बदायूनी की शायरी पढ़कर युवाओं में उर्दू साहित्य को लेकर एक समझ पैदा होगी, जो उन्हें उर्दू साहित्य की खूबसूरती से रूबरू कराएगी, जो इस प्रकार है:
"ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया जाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया..." -शकील बदायूनी "हम ने सीने से लगाया दिल न अपना बन सका मुस्कुरा कर तुम ने देखा दिल तुम्हारा हो गया..." -शकील बदायूनी "उन का ज़िक्र उन की तमन्ना उन की याद वक़्त कितना क़ीमती है आज कल..." -शकील बदायूनी "कभी यक-ब-यक तवज्जोह कभी दफ़अतन तग़ाफ़ुल मुझे आज़मा रहा है कोई रुख़ बदल बदल कर..." -शकील बदायूनी "उन्हें अपने दिल की ख़बरें मिरे दिल से मिल रही हैं मैं जो उन से रूठ जाऊँ तो पयाम तक न पहुँचे..." -शकील बदायूनी “मुझे छोड़ दे मेरे हाल पर तिरा क्या भरोसा है चारागर ये तिरी नवाज़िश-ए-मुख़्तसर मेरा दर्द और बढ़ा न दे…” -शकील बदायूनी “तर्क-ए-मय ही समझ इसे नासेह इतनी पी है कि पी नहीं जाती…” -शकील बदायूनी “मैं नज़र से पी रहा था तो ये दिल ने बद-दुआ दी तिरा हाथ ज़िंदगी भर कभी जाम तक न पहुँचे…” -शकील बदायूनी “वो हवा दे रहे हैं दामन की हाए किस वक़्त नींद आई है…” -शकील बदायूनी “दिल की बर्बादियों पे नाज़ाँ हूँ फ़तह पा कर शिकस्त खाई है…” -शकील बदायूनी
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शकील बदायूनी के लोकप्रिय शेर
शकील बदायूनी के शेर पढ़कर युवाओं को साहित्य के आँगन में फलने-फूलने की प्रेरणा मिलेगी। शकील बदायूनी के शेर युवाओं का परिचय साहित्य के सौंदर्य से करवाएंगे, जो कुछ इस प्रकार हैं:
“अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे बे-हिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझे…” -शकील बदायूनी “यूँ तो हर शाम उमीदों में गुज़र जाती है आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया…” -शकील बदायूनी “काँटों से गुज़र जाता हूँ दामन को बचा कर फूलों की सियासत से मैं बेगाना नहीं हूँ…” -शकील बदायूनी “वो हम से ख़फ़ा हैं हम उन से ख़फ़ा हैं मगर बात करने को जी चाहता है…” -शकील बदायूनी “तुम फिर उसी अदा से अंगड़ाई ले के हँस दो आ जाएगा पलट कर गुज़रा हुआ ज़माना…” -शकील बदायूनी “क्या असर था जज़्बा-ए-ख़ामोश में ख़ुद वो खिच कर आ गए आग़ोश में…” -शकील बदायूनी “भेज दी तस्वीर अपनी उन को ये लिख कर 'शकील' आप की मर्ज़ी है चाहे जिस नज़र से देखिए…” -शकील बदायूनी “कोई ऐ 'शकील' पूछे ये जुनूँ नहीं तो क्या है कि उसी के हो गए हम जो न हो सका हमारा…” -शकील बदायूनी “क्या हसीं ख़्वाब मोहब्बत ने दिखाया था हमें खुल गई आँख तो ताबीर पे रोना आया…” -शकील बदायूनी “काफ़ी है मिरे दिल की तसल्ली को यही बात आप आ न सके आप का पैग़ाम तो आया…” -शकील बदायूनी
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शकील बदायूनी की शायरी
शकील बदायूनी की दर्द भरी शायरी पढ़ने का अवसर मिलेगा। शकील बदायूनी की दर्द भरी शायरी युवाओं को एक शायर के ग़मों से अवगत कराएंगी, जो कुछ इस प्रकार हैं:
“ग़म-ए-हयात भी आग़ोश-ए-हुस्न-ए-यार में है ये वो ख़िज़ाँ है जो डूबी हुई बहार में है…” -शकील बदायूनी “दिल की तरफ़ 'शकील' तवज्जोह ज़रूर हो ये घर उजड़ गया तो बसाया न जाएगा…” -शकील बदायूनी “मेरा अज़्म इतना बुलंद है कि पराए शोलों का डर नहीं मुझे ख़ौफ़ आतिश-ए-गुल से है ये कहीं चमन को जला न दे…” -शकील बदायूनी “नई सुब्ह पर नज़र है मगर आह ये भी डर है ये सहर भी रफ़्ता रफ़्ता कहीं शाम तक न पहुँचे…” -शकील बदायूनी “ये अदा-ए-बे-नियाज़ी तुझे बेवफ़ा मुबारक मगर ऐसी बे-रुख़ी क्या कि सलाम तक न पहुँचे…” -शकील बदायूनी “मोहब्बत ही में मिलते हैं शिकायत के मज़े पैहम मोहब्बत जितनी बढ़ती है शिकायत होती जाती है…” -शकील बदायूनी “मुझे दोस्त कहने वाले ज़रा दोस्ती निभा दे ये मुतालबा है हक़ का कोई इल्तिजा नहीं है…” -शकील बदायूनी “मेरे हम-नफ़स मेरे हम-नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा न दे मैं हूँ दर्द-ए-इश्क़ से जाँ-ब-लब मुझे ज़िंदगी की दुआ न दे…” -शकील बदायूनी “कैसे कह दूँ कि मुलाक़ात नहीं होती है रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है…” -शकील बदायूनी “उठा जो मीना-ब-दस्त साक़ी रही न कुछ ताब-ए-ज़ब्त बाक़ी तमाम मय-कश पुकार उठ्ठे यहाँ से पहले यहाँ से पहले…” -शकील बदायूनी
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शकील बदायूनी की ग़ज़ल
शकील बदायूनी की ग़ज़ल आपको उर्दू साहित्य के सौंदर्य से परिचित कराएंगी, जो नीचे दी गई हैं-
आज फिर गर्दिश-ए-तक़दीर पे रोना आया
आज फिर गर्दिश-ए-तक़दीर पे रोना आया, दिल की बिगड़ी हुई तस्वीर पे रोना आया, इश्क़ की क़ैद में अब तक तो उमीदों पे जिए, मिट गई आस तो ज़ंजीर पे रोना आया, क्या हसीं ख़्वाब मोहब्बत ने दिखाया था हमें, खुल गई आँख तो ता'बीर पे रोना आया, पहले क़ासिद की नज़र देख के दिल सहम गया, फिर तिरी सुर्ख़ी-ए-तहरीर पे रोना आया, दिल गँवा कर भी मोहब्बत के मज़े मिल न सके, अपनी खोई हुई तक़दीर पे रोना आया, कितने मसरूर थे जीने की दुआओं पे 'शकील', जब मिले रंज तो तासीर पे रोना आया, -शकील बदायूनी
अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे
अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे, बे-हिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझे, वो वक़्त भी ख़ुदा न दिखाए कभी मुझे, उन की नदामतों पे हो शर्मिंदगी मुझे, रोने पे अपने उन को भी अफ़्सुर्दा देख कर, यूँ बन रहा हूँ जैसे अब आई हँसी मुझे, यूँ दीजिए फ़रेब-ए-मोहब्बत कि उम्र भर, मैं ज़िंदगी को याद करूँ ज़िंदगी मुझे, रखना है तिश्ना-काम तो साक़ी बस इक नज़र, सैराब कर न दे मिरी तिश्ना-लबी मुझे, पाया है सब ने दिल मगर इस दिल के बावजूद, इक शय मिली है दिल में खटकती हुई मुझे, राज़ी हों या ख़फ़ा हों वो जो कुछ भी हों'शकील', हर हाल में क़ुबूल है उन की ख़ुशी मुझे, -शकील बदायूनी
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आशा है कि इस ब्लॉग में आपको Shakeel Badayuni Shayari in Hindi पढ़ने का अवसर मिला होगा। Shakeel Badayuni Shayari in Hindi को पढ़कर आप साहित्य के क्षेत्र में शकील बदायूनी के योगदान से परिचित हो सकते हैं। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।