भारत का संविधान, जिसे 1950 में अपनाया गया था, 448 लेखों और 12 अनुसूचियों के साथ दुनिया के सबसे लंबे संविधानों में से एक है। भारत का संविधान सरकार की संसदीय प्रणाली के साथ देश को राज्यों के एक संघ के रूप में परिभाषित करता है। भारत के संविधान को अपनाने के उपलक्ष्य में हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है। इस दिन, भारत की संविधान सभा ने भारत के संविधान को अपनाया, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। संविधान दिवस (Samvidhan Diwas) के बारे में अधिक जानकारी के लिए यह ब्लॉग अंत तक पढ़ें।
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संविधान दिवस क्या है?
भारतीय का संविधान दिवस हर साल 26 नवंबर को मनाया जाता है। 19 नवंबर 2015 को 26 नवंबर को ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की गई। यह निर्णय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा अधिसूचित किया गया। इसका उद्देश्य नागरिकों के बीच मूल्यों को बढ़ावा देना था। यह दिन भारत के संविधान को अपनाए जाने की याद में मनाया जाता है। संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को संविधान को अपनाया था और 26 जनवरी 1950 को इसे लागू किया गया था।
संविधान दिवस का इतिहास क्या है?
संविधान दिवस (Samvidhan Diwas) को पहली बार 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषणा की गई थी। इस दिन को बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की संविधान के प्रति अमूल्य योगदान को सम्मानित करने और संविधान के महत्व को समझाने के लिए मनाया जाता है। इसका उद्देश्य भारतीय संविधान के सिद्धांतों, जैसे कि न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाना है संविधान दिवस के अवसर पर सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों में भारतीय संविधान से संबंधित कई कार्यक्रम, चर्चाएं और व्याख्यान आयोजित किए जाते हैं, ताकि लोग संविधान और उसके महत्व के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त कर सकें।
संविधान दिवस का उद्देश्य
संविधान दिवस (Samvidhan Diwas) का मूल उद्देश्य नागरिकों के बीच संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देना है। संवैधानिक मूल्यों की जानकारी देश के हर नागरिक को हो, इसलिए इस दिन को मनाया जाता है। इस दिन स्कूल और कॉलेजों में भारत के संविधान की प्रस्तावना को पढ़ाया जाता है। इसके साथ ही भारत के संविधान की विशेषता और महत्व पर भी चर्चा की जाती है।
संविधान दिवस का महत्व
भारतीय संविधान एक लिखित संविधान है, जिसका अर्थ है कि यह एक दस्तावेज़ है जो भारत की सरकार के ढांचे और उसके नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को निर्धारित करता है। यह दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है, जिसमें 25 भाग, 448 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियां शामिल हैं।
भारतीय संविधान भारत के नागरिकों के लिए कई अधिकार और स्वतंत्रता प्रदान करता है, जिनमें शामिल हैं:
मौलिक अधिकार, जैसे कि स्वतंत्रता का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार, और समानता का अधिकार।
मौलिक कर्तव्य, जैसे कि देश की रक्षा करना, संविधान का पालन करना, और अपने माता-पिता का सम्मान करना।
भारतीय संविधान भारत के लोकतंत्र की नींव है। यह देश के नागरिकों को अपने अधिकारों और स्वतंत्रताओं का आनंद लेने और देश के विकास में भाग लेने का अधिकार देता है।
यह दिन भारतीय संविधान के महत्व पर जोर देता है और यह बताता है कि देश के नागरिकों के लिए संविधान क्यों आवश्यक है।
मौलिक कर्तव्यों की सूची
भारत के संविधान के भाग IV-A में मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख किया गया है। मूल रूप से इनकी संख्या 10 थी, लेकिन बाद में 86वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 के माध्यम से एक और कर्तव्य जोड़ा गया। वर्तमान में भारत में मौलिक कर्तव्यों की कुल संख्या 11 है। मौलिक कर्तव्यों की सूची इस प्रकार है:
- संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज एवं राष्ट्रीय गान का आदर करें।
- स्वतंत्रता के लिये राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोये रखें और उनका पालन करें।
- भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करें तथा उसे अक्षुण्ण रखें।
- अपने देश की प्रगति और समृद्धि में व्यक्तिगत योगदान दें।
- सामाजिक न्याय और समरसता को बढ़ावा दें और सभी प्रकार के भेदभाव से बचें।
- अपने पड़ोसियों के साथ मिलजुल कर रहें और उनकी मदद करें।
- पर्यावरण की रक्षा करें और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करें।
- अपने माता-पिता और गुरुजनों का सम्मान करें।
- बालकों का पालन-पोषण और शिक्षा में ध्यान दें।
- सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करें।
- अपने कर्तव्यों का पालन करें और अधिकारों का दुरुपयोग न करें।
मौलिक कर्तव्यों को भारतीय नागरिकों के लिए एक आदर्श रूपरेखा के रूप में देखा जाता है। इनका उद्देश्य नागरिकों को एक जिम्मेदार और सभ्य नागरिक बनने के लिए प्रेरित करना है। मौलिक कर्तव्यों के पालन से भारत को एक सुंदर और समृद्ध राष्ट्र बनाने में मदद मिल सकती है।
यह भी पढ़ें – भारत के संविधान पर निबंध
संविधान दिवस (Samvidhan Diwas) अस्तित्व में कैसे आया?
वर्ष 2015 में डॉ. बी.आर. अम्बेडकर की 125वीं जयंती मनाई गई। संविधान की मसौदा समिति के अध्यक्ष को श्रद्धांजलि के रूप में, सरकार ने साल भर उत्सव मनाने की योजना बनाई और मई 2015 में मुंबई में ऐसे एक कार्यक्रम के दौरान, प्रधान मंत्री ने 26 नवंबर को “संविधान दिवस” के रूप में घोषित किया, जिसे पहले कानून दिवस के नाम से जाना जाता था।
संविधान दिवस कैसे मनाया जाता है?
इस दिन भारत भर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में स्कूलों, कॉलेजों और अन्य संस्थानों में संविधान के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए सभाएं, भाषण और प्रतियोगिताएं शामिल हैं। भारत सरकार भी इस दिन संविधान के महत्व पर प्रकाश डालने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित करती है।
भारत के संविधान के बारे में कुछ तथ्य
भारत के संविधान से जुड़े कुछ तथ्य इस प्रकार हैं –
- भारत जब एक स्वतंत्र देश बना तो उसके बाद संविधान निर्माण कार्य शुरू किया गया।
- संविधान बनाने का कार्य 1946 में स्थापित संविधान सभा को दिया गया था जिसे डॉ बीआर अंबेडकर की अध्यक्षता वाली एक समिति को संविधान का ड्राफ्ट तैयार करने का काम सौंपा गया था।
- 1946 में स्थापित संविधान सभा के अध्यक्ष भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद थे।
- 1948 की शुरुआत में, डॉ अम्बेडकर ने भारतीय संविधान का ड्राफ्ट पूरा किया और इसे संविधान सभा में प्रस्तुत किया। उसके बाद भारतीय संविधान के ड्राफ्ट में कुछ बदलाव किए गए और इसे पूरे देश ने अपना लिया था।
- भारतीय संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ, जिसे हर साल पूरा देश गणतंत्र दिवस के रूप में मनाता है।
- भारतीय संविधान 1,17,360 शब्दों के साथ दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है।
- भारतीय संविधान लचीलेपन और कड़कता का बैलेंस है।
यह भी पढ़ें – भारत का संविधान किसने बनाया?
FAQs
संविधान दिवस हर साल 26 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिन भारत के संविधान को अपनाने की याद में मनाया जाता है। संविधान 26 नवंबर, 1949 को अपनाया गया था।
संविधान दिवस भारत के संविधान को अपनाने की याद में मनाया जाता है। संविधान भारत की सर्वोच्च कानूनी ढांचे को परिभाषित करता है और यह देश के नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रताओं की गारंटी देता है। संविधान दिवस एक महत्वपूर्ण अवसर है जब हम अपने संविधान के महत्व और हमारे देश के लोकतंत्र की नींव को याद कर सकते हैं।
संविधान दिवस का महत्व भारत के लोकतंत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह एक ऐसा दिन है जब हम अपने संविधान के महत्व और हमारे देश के लोकतंत्र की नींव को याद कर सकते हैं। संविधान दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हम एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक देश के नागरिक हैं और हमारे पास अपने अधिकारों और स्वतंत्रताओं की रक्षा करने का अधिकार है।
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आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको संविधान दिवस 2024 (Samvidhan Diwas) के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।