हर साल 25 अगस्त से 8 सितंबर तक क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा? जानें इतिहास

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राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा

भारत में दृष्टिहीनता एक गंभीर समस्या है, जिससे लाखों लोग प्रभावित हैं। भारत सरकार और कई गैर सरकारी संगठन इस समस्या से निपटने के लिए विभिन्न योजनाएं और कार्यक्रम चला रहे हैं। राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा उनमें से एक है। यह एक महत्वपूर्ण अभियान है जिसका उद्देश्य देश में नेत्रदान के प्रति जागरूकता बढ़ाना और दृष्टिहीनता को कम करना है। राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़े के बारे में अधिक जानने के लिए यह ब्लॉग अंत तक पढ़ें। 

राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा क्या है?

राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा भारत में हर साल मनाया जाने वाला एक विशेष अभियान है जिसका उद्देश्य देशभर के लोगों को नेत्रदान के महत्व के बारे में जागरूक करना और अधिक से अधिक लोगों को नेत्रदान करने के लिए प्रेरित करना है। आपको बता दें कि इस विशेष अभियान का आयोजन भारत में हर साल 25 अगस्त से 8 सितंबर तक किया जाता है। वहीं इस दौरान, देश भर में विभिन्न कार्यक्रमों, सेमिनारों और जागरूकता अभियानों का आयोजन किया जाता है।

नेत्रदान क्यों महत्वपूर्ण है और समाज पर इसका प्रभाव क्या है?

नेत्रदान एक महान और महत्वपूर्ण कार्य है जो समाज में एक बड़ा बदलाव ला सकता है। नेत्रदान से नेत्रहीन लोगों को दृष्टि मिलती है। दृष्टिहीनता के कारण लोग अक्सर शिक्षा, रोजगार, और सामाजिक गतिविधियों में पीछे रह जाते हैं। नेत्रदान के माध्यम से वह दृष्टि पाते है जिससे उन्हें शिक्षा प्राप्त करने, नौकरी करने और स्वतंत्र जीवन जीने में मदद मिलती है। नेत्रहीनता से मुक्ति पाने के बाद, एक व्यक्ति आत्मनिर्भर बन सकता है।

कब और क्यों शुरू हुआ राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा?

राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा की शुरुआत भारत में नेत्रदान के महत्व के प्रति जागरूकता फैलाने और अधिक से अधिक लोगों को नेत्रदान के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से की गई थी। बता दें कि इसकी शुरुआत 1985 में हुई थी। वहीं इस पखवाड़े का आयोजन भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के द्वारा किया जाता है। 

राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा का इतिहास क्या है?

राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा की शुरुआत का प्रमुख उद्देश्य नेत्रदान के प्रति जागरूकता बढ़ाना और लोगों को नेत्रदान के लिए प्रोत्साहित करना था। अंधेपन की बढ़ती समस्या के कारण भारत में नेत्रदान को एक बड़े स्तर पर प्रोत्साहित करना बहुत जरुरी हो गया था। इसके बाद सरकार ने दृष्टिहीनता के मुद्दे को सुलझाने के लिए नेत्रदान पखवाड़ा की शुरुआत की। राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा पहली बार 1985 में भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) द्वारा शुरू किया गया था और उसी दौरान इसे 25 अगस्त से 8 सितंबर तक मनाये जाने का फैसला लिया गया। तब से यह हर साल मनाया जाने लगा। वहीं इस पखवाड़े की शुरुआत के बाद से, भारत में नेत्रदान करने वालो की संख्या में वृद्धि देखी गयी।  

राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा का मुख्य उद्देश्य क्या है?

राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा लोगों को नेत्रदान के महत्व के बारे में जागरूक करता है। यह विशेष अभियान लोगों को नेत्रदान की प्रक्रिया, इसके लाभ और इससे जुड़ी अन्य जानकारियों के बारे में शिक्षित करता है। यह पखवाड़ा नेत्रदान के माध्यम से दृष्टिहीनता को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा इस पखवाड़े के दौरान जागरूकता और प्रचार-प्रसार के माध्यम से लोगों को नेत्रदान के लिए प्रेरित किया जाता है।

राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा का महत्व क्या है?

भारत में कई लोग कॉर्निया संबंधी समस्याओं के कारण अपनी दृष्टि खो देते हैं। राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा इस समस्या के समाधान की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। यह अभियान लोगों को नेत्रदान के लिए प्रेरित करके प्रभावित व्यक्तियों की दृष्टि को पुनः लाने में मदद करता है। कई लोग नेत्रदान की प्रक्रिया और इसके लाभों के बारे में नहीं जानते। ऐसे में यह महत्वपूर्ण अभियान लोगों को सही जानकारी देने और नेत्रदान के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में मदद करता है। नेत्रदान एक सामाजिक जिम्मेदारी और मानवीय कर्तव्य है। यह पखवाड़ा समाज को एकजुट करता है और एक-दूसरे के मदद करने की भावना को बढ़ावा देता है।

कैसे मनाया जाता है राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा?

राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़े को निम्नलिखित तरीकों से मनाया जा सकता है: 

  • इस दिन अस्पताल, एनजीओ और कई मेडिकल संस्थानों में नेत्रदान के महत्व पर सेमिनार और कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं। इन कार्यक्रमों में नेत्रदान की प्रक्रिया और इसके लाभों के बारे में जानकारी दी जाती है।
  • विभिन्न स्थानों पर नेत्रदान पंजीकरण शिविर लगाए जाते हैं, जहाँ लोग नेत्रदान के लिए पंजीकरण कर सकते हैं।
  • इस दौरान नि:शुल्क नेत्र स्वास्थ्य जांच शिविर भी लगाए जाते हैं। 
  • इसी के साथ ही स्कूल, कॉलेजों में निबंध लेखन, पोस्टर मेकिंग और वाद-विवाद प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं ताकि युवा पीढ़ी नेत्रदान के महत्व को समझ सके।

नेत्रदान से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य 

नेत्रदान से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य निम्नलिखित हैं –

  • 1 वर्ष से अधिक आयु, लिंग या ब्लड ग्रुप का व्यक्ति नेत्रदान कर सकता है।
  • नेत्रदान में पूरी आंख का दान नहीं होता है। केवल कॉर्निया को निकाला जाता है और ट्रांसप्लांट के लिए उपयोग किया जाता है।
  • व्यक्ति की मृत्यु के 6 से 8 घंटे के भीतर ही कॉर्निया निकाल दिया जाना चाहिए।
  • इस प्रक्रिया का कुल समय 15-20 मिनट है।
  • दानकर्ता एवं प्राप्तकर्ता की जानकारी गोपनीय रखी जाती है। 

FAQs

भारत में राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा कब मनाया जाता है?

भारत में हर साल 25 अगस्त से 8 सितंबर तक राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जाता है। 

राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा क्यों मनाया जाता है?

राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा, लोगों को नेत्रदान के महत्व के बारे में जागरूक करने और अधिक से अधिक लोगों को नेत्रदान करने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। 

राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़े की शुरुआत कब हुई?

राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़े की शुरुआत 1985 में भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) द्वारा की गयी थी। 

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