राष्ट्रीय दुग्ध दिवस भारत में हर साल 26 नवंबर को मनाया जाता है। इस दिन को मनाये जाने का उद्देश्य दूध और डेयरी उत्पादों के महत्व को उजागर करना है। इसके साथ ही लोगों को दूध के स्वास्थ्य लाभ और इसके महत्वपूर्ण योगदान के बारे में जागरूक करना भी है। दूध, जिसे हमारे दैनिक आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है, सेहतमंद हड्डियों, मजबूत दांतों, और समग्र पोषण में अहम भूमिका निभाता है। इस ब्लॉग में हम राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के महत्व, इसके इतिहास और दूध के स्वास्थ्य लाभ पर चर्चा करेंगे। यह दिन हमें दूध की कई खूबियों को समझने और इसके सेवन को अपने जीवन में शामिल करने की प्रेरणा देता है।
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राष्ट्रीय दुग्ध दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस भारत में हर साल 26 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिन भारत के प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक डॉ. वर्गीज कुरियन के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। डॉ. कुरियन को “श्वेत क्रांति का जनक” कहा जाता है क्योंकि उन्होंने भारत में दूध उत्पादन में क्रांति ला दी। इस दिन, भारत सरकार और कई गैर-सरकारी संगठन दूध उत्पादन और खपत को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करेंगे। राष्ट्रीय दुग्ध दिवस का उद्देश्य लोगों को दूध की आवश्यकता और महत्व के बारे में जागरूक करना है। दूध बच्चों, वयस्कों और बुजुर्गों – सभी के लिए आवश्यक है। यह प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन और अन्य पोषक तत्वों का एक अच्छा स्रोत है।
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस का इतिहास
इस दिवस को भारत के ‘मिल्क मैन’ डॉ. वर्गीज कुरियन की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस साल डॉ. कुरियन की 102वीं जयंती मनाई जाएगी।
भारत को दूध की उपलब्धता और उत्पादन से जुड़े कई मुद्दों का सामना करना पड़ा था। डॉ. वर्गीज कुरियन के नेतृत्व में की गई पहल के बाद, जिसे ‘ऑपरेशन फ्लड’ के नाम से जाना जाता है, देश दुनिया में सबसे बड़ा दूध उत्पादक बन गया। उनके प्रयासों को श्रद्धांजलि देने के लिए हर साल 26 नवंबर को भारत में राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाया जाता है।
हालाँकि भारत में हजारों सालों से दूध भारतीय व्यंजनों का एक अनिवार्य अंग रहा है और कई भारतीयों के लिए यह एक मुख्य भोजन है, फिर भी देश में दूध की खपत कम हो रही है। NDDB 1966 से दूध और इसके उत्पादों के महत्व को बढ़ावा दे रहा है, और दूध दिवस जैसे आयोजनों ने दूध की खपत के महत्व को बढ़ाने में मदद की है।
कौन थे भारत के मिल्क मैन डॉ. वर्गीज़ कुरियन?
डॉ. वर्गीज कुरियन भारत के एक प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक थे। उन्हें “श्वेत क्रांति का जनक” कहा जाता है क्योंकि उन्होंने भारत में दूध उत्पादन में क्रांति ला दी। डॉ. कुरियन का जन्म 26 नवंबर, 1921 को केरल के कोझीकोड जिले में हुआ था। उन्होंने त्रिवेंद्रम विश्वविद्यालय से कृषि विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में मिशिगन स्टेट विश्वविद्यालय से पशु विज्ञान में मास्टर और डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
- डॉ. कुरियन भारत लौटने के बाद, उन्होंने गुजरात के आनंद शहर में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की स्थापना की। उन्होंने “ऑपरेशन फ्लड” नामक एक कार्यक्रम शुरू किया, जिसने भारत में दूध उत्पादन में भारी वृद्धि की।
- ऑपरेशन फ्लड के तहत, डॉ. कुरियन ने देश भर में सहकारी डेरी समितियों का गठन किया। उन्होंने किसानों को आधुनिक डेयरी प्रौद्योगिकी और प्रबंधन के बारे में प्रशिक्षित किया। उन्होंने किसानों को डेयरी उत्पादों का अधिक लाभदायक मूल्य निर्धारण भी सुनिश्चित किया।
- ऑपरेशन फ्लड की सफलता के परिणामस्वरूप, भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक बन गया। 1951 में, भारत का दूध उत्पादन केवल 12 मिलियन टन था। 2023 तक, यह बढ़कर 166 मिलियन टन हो गया है।
- डॉ. कुरियन को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें भारत रत्न, पद्म विभूषण और पद्म भूषण शामिल हैं। 90 वर्ष की आयु में 9 सितंबर, 2012 को उनका निधन हो गया।
- डॉ. कुरियन के योगदान ने भारत में दूध उत्पादन और खपत को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने देश की खाद्य सुरक्षा में सुधार करने और किसानों की आय बढ़ाने में मदद की है।
- उन्हें ‘रेमन मैग्सेसे पुरस्कार’ (1963), ‘कृषि रत्न’ (1986) और ‘विश्व खाद्य पुरस्कार’ (1989) सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
- वह भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार- पद्मश्री (1965), पद्म भूषण (1966) और पद्म विभूषण (1999) के प्राप्तकर्त्ता भी हैं।
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस का महत्व
यह दिवस एक व्यक्ति के जीवन में दूध के महत्त्व को रेखांकित करता है और इसका उद्देश्य दुग्ध से संबंधित लाभों को बढ़ावा देना तथा दूध एवं दुग्ध उत्पादों के महत्त्व के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करना।
आर्थिक सर्वेक्षण 2021-2022 के अनुसार, भारत विश्व में दूध उत्पादन में पहले स्थान पर है और वैश्विक दूध उत्पादन में लगभग 23 प्रतिशत का योगदान करता है। इतना ही नहीं, डेयरी अकेला सबसे बड़ा कृषि उत्पाद है जो राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में 5 प्रतिशत का योगदान करता है, जिसमें सीधे 8 करोड़ से अधिक किसान कार्यरत हैं।
भारत में दूध उत्पादन में सालाना 6.2 फीसदी की वृद्धि हुई है, और यह सब आज भारत को दूध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने में डॉ. वर्गीज कुरियन की पहल के कारण हासिल हुआ है। उनके विचार से प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता दोगुनी हो गई और 30 वर्षों में दूध उत्पादन चार गुना बढ़ गया। उन्होंने भारत में गाय के दूध की जगह भैंस के दूध से दूध पाउडर का उत्पादन शुरू किया।
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस कैसे मनाया जाता है?
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के अवसर पर, देश भर में दूध उत्पादन और खपत को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इनमें दूध वितरण, दूध के महत्व पर जागरूकता कार्यक्रम, और दूध उत्पादन से संबंधित कार्यशालाएं शामिल हैं। यहां कुछ कदम बताए जा रहे हैं जो इस दिवस को मनाने के लिए लिए जा सकते हैं:
संवाद और जागरूकता कार्यक्रम: इस दिन, लोगों को दूध और दुग्ध उत्पादों के लाभों के बारे में जागरूक करने के लिए संवाद और जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जा सकता है. इसमें गोष्ठी, संभाषण, और दूध से जुड़े अन्य शैलीकार कार्यक्रम शामिल हो सकते हैं.
दूध संबंधित प्रदर्शनी: दूध उत्पादों की प्रदर्शनी आयोजित की जा सकती है, जिसमें विभिन्न दूध उत्पादों का प्रदर्शन हो सकता है और लोग उन्हें समझ सकते हैं।
गाय और दूध से जुड़े कला और साहित्य कार्यक्रम: गायों को दूध के उत्पादन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए कला और साहित्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जा सकता है।
शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रम: दूध उत्पादन के क्षेत्र में लोगों को प्रशिक्षित करने के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं।
दुग्ध उत्पादों का सेवन बढ़ावा देना: लोगों को समझाया जा सकता है कि दुग्ध और दुग्ध उत्पादों का सेवन करने से उन्हें कैसे लाभ हो सकता है, और उन्हें इसे अपने दैहिक स्वास्थ्य के लिए कैसे शामिल करना चाहिए।
दुग्ध उत्पादकों के साथ सहयोग: इस दिन, दुग्ध उत्पादकों और उनके साथी व्यापारीयों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं।
FAQs
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस भारत में हर साल 26 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिन भारत के प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक डॉ. वर्गीज कुरियन के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों को दूध की आवश्यकता और महत्व के बारे में जागरूक करना है। दूध एक पौष्टिक भोजन है जो बच्चों, वयस्कों और बुजुर्गों के लिए आवश्यक है। यह प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन और अन्य पोषक तत्वों का एक अच्छा स्रोत है।
डॉ. वर्गीज कुरियन इस आंदोलन के पीछे का चेहरा हैं और उन्होंने भारत में श्वेत क्रांति की शुरुआत की। भारतीय डेयरी उद्योग को बदलने के उनके काम का सम्मान करने के लिए, भारत में 26 नवंबर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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