National Forest Martyrs Day : हर साल 11 सितंबर को क्यों मनाया मनाया जाता है राष्ट्रीय वन शहीद दिवस? जानें इतिहास

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National Forest Martyrs Day in Hindi

भारत में हर साल सितंबर माह में राष्ट्रीय वन शहीद दिवस मनाया जाता है। यह विशेष दिन उन वीरों की याद दिलाता है जिन्होंने भारत के हरे-भरे जंगलों, वन्यजीवों और प्राकृतिक संसाधनों के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। यह दिन केवल उन शहीदों को श्रद्धांजलि देने का अवसर नहीं है, बल्कि हमें हमारे पर्यावरण संरक्षण की महत्ता और इसको सुरक्षित रखने के लिए हमारी जिम्मेदारी की भी याद दिलाता है। राष्ट्रीय वन शहीद दिवस (National Forest Martyrs Day in Hindi) के बारे में अधिक जानने के लिए यह लेख पूरा पढ़ें। 

राष्ट्रीय वन शहीद दिवस कब मनाया जाता है?

भारत में हर साल 11 सितंबर को राष्ट्रीय वन शहीद दिवस मनाया जाता है। यह दिन उन बहादुर वनकर्मियों और पर्यावरण संरक्षकों की याद में मनाया जाता है जिन्होंने भारत के वन और वन्यजीवों की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी है। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करना भी है। इस दिवस का उद्देश्य लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करना और विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा के लिए प्रेरित करना है।

राष्ट्रीय वन शहीद दिवस का इतिहास क्या है?

राष्ट्रीय वन शहीद दिवस का इतिहास 11 सितंबर 1730 की एक ऐतिहासिक घटना से जुड़ा हुआ है, जिसे खेजड़ली नरसंहार के नाम से जाना जाता है। राजस्थान के जोधपुर जिले के केहजरली गांव में बिश्नोई समुदाय ने पेड़ों की कटाई के विरोध में अपने प्राणों की आहुति दी। हुआ यूँ था कि राजस्थान के जोधपुर में उस समय के महाराजा अभय सिंह ने अपने सैनिकों को ईंधन और लकड़ी की जरूरतों को पूरा करने के लिए पेड़ों को काटने के लिए भेजा था। जब बिश्नोई समुदाय को इस बात की खबर हुई तो वे उन्होंने पेड़ों को काटने का विरोध किया क्योंकि बिश्नोई धर्म में पेड़ों को माता का दर्जा दिया जाता है। 

लेकिन उनके विरोध के बाद भी राजा के सैनिकों ने पेड़ों को काटना शुरू कर दिया। ऐसा करने पर विश्नोई समाज की महिला अमृता देवी ने  पेड़ों को बचाने के लिए अपना बलिदान दे दिया। 

उनके इस बलिदान के बाद, गाँव के अन्य लोगों ने भी पेड़ों को बचाने के लिए सैनिकों का विरोध किया और इस संघर्ष में लगभग 363 बिश्नोई लोगों ने अपनी जान गँवा दी। जब महाराजा अभय सिंह को इस घटना की खबर मिली तो उन्होंने तुरंत पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी और भविष्य में बिश्नोई समुदाय के गांवों में पेड़ों को नहीं काटने का आदेश जारी किया। आज बिश्नोई समाज पर्यावरण संरक्षण के लिए जाने जाते हैं। वहीं इस घटना में शहीद हुए लोगों की विरासत को सम्मान देने के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 2013 में आधिकारिक तौर पर 11 सितंबर को इस दिवस के रूप में घोषित किया। तब से यह दिवस हर साल मनाया जा रहा है। 

राष्ट्रीय वन शहीद दिवस दिवस क्यों मनाया जाता हैं?

यह दिवस उन वनकर्मियों के साहस और बलिदान को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है जिन्होंने जंगलों और वन्यजीवों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की परवाह किये बिना ही शहीद हो गए थे। वे अक्सर खतरनाक स्थितियों में वन भूमि की रक्षा करते हैं, जिससे उनकी जान जोखिम में पड़ती है। यह दिन शहीद वनकर्मियों की याद में मनाया जाता है और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जिम्मेदार नागरिक बनने की प्रेरणा देता है, जिससे आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रकृति की धरोहर को संरक्षित रखा जा सके।

राष्ट्रीय वन शहीद दिवस का महत्व क्या है?

राष्ट्रीय वन शहीद दिवस का महत्व निम्नलिखित है –

  • यह दिवस हमें उन वनकर्मियों और पर्यावरण योद्धाओं के बलिदान को याद करने का अवसर प्रदान करता है जिन्होंने जंगलों की रक्षा करते हुए अपनी जान गंवाई।
  • यह दिवस हमें और हमारी आने वाली पीढ़ियों को पर्यावरण संरक्षण का कार्य करने के लिए प्रेरित करता है। 
  • यह दिवस समाज को वनों और वन्यजीवों की सुरक्षा के प्रति जागरूक करता है। 
  • यह दिवस इस बात पर भी जोर देता है कि लोग वनों और वन्यजीवों के संरक्षण की आवश्यकता को समझें और उनके विनाश को रोकने के प्रयासों में सक्रिय रूप से भाग लें।
  • यह दिवस हमें यह भी सिखाता है कि प्राकृतिक संसाधन हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और उनकी रक्षा करना आवश्यक है।

राष्ट्रीय वन शहीद दिवस दिवस कैसे मनाया जाता है?

राष्ट्रीय वन शहीद दिवस दिवस को आप निम्नलिखित तरीकों से मना सकते है: 

  • वन विभाग और सरकार द्वारा शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है जिन्होंने वनों और पर्यावरणों की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। 
  • इस दिन वन विभाग और सरकार द्वारा उन शहीदों को सम्मनित करने के लिए विभिन्न तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। 
  • इस दिन पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से कई स्थानों पर वृक्षारोपण अभियान चलाए जाते हैं। 
  • विद्यालयों, कॉलेजों और विभिन्न सामाजिक संगठनों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। 
  • इसके अलावा वनकर्मियों और पर्यावरण के लिए कार्यरत व्यक्तियों को उनके मेहनत और समर्पण के लिए सम्मनित किया जाता है।

राष्ट्रीय वन शहीद दिवस पर कोट्स 

Quotes on National Forest Martyrs Day in Hindi इस प्रकार से हैं –

“यदि हम पर्यावरण को नष्ट करेंगे तो हमारा समाज नहीं बचेगा।”

– मार्गरेट मीड

“जंगल एक कविता है जो धरती खुद पर लिखती है।”

– डेविड अब्राम

“ब्रह्मांड में जाने का सबसे स्पष्ट रास्ता जंगल से होकर जाता है।”

– जॉन मुइर
राष्ट्रीय वन शहीद दिवस

“एक पेड़ लगाना कल पर विश्वास करना है।”

– ऑड्रे हेपबर्न

“प्रकृति जल्दी नहीं करती, फिर भी सब कुछ पूरा हो जाता है।”

– लाओ त्ज़ु

“जो देश अपनी मिट्टी को नष्ट करता है, वह खुद को नष्ट कर लेता है। वन हमारी धरती के फेफड़े हैं, जो हवा को शुद्ध करते हैं और हमारे लोगों को नई ताकत देते हैं।” 

– फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट

FAQs

भारत में राष्ट्रीय वन शहीद दिवस कब मनाया जाता है?

भारत में हर साल 11 सितंबर को राष्ट्रीय वन शहीद दिवस मनाया जाता है। 

राष्ट्रीय वन शहीद दिवस क्या है?

राष्ट्रीय वन शहीद दिवस की स्थापना उन लोगों को सम्मनित करने के लिए की गयी थी जिन्होंने भारत के वनों और वन्यजीवों की सुरक्षा में अपनी जान गंवा दी थी। यह दिवस हर साल 11 सितंबर को मनाया जाता है। 

राष्ट्रीय वन शहीद दिवस को मनाये जाने की शुरुआत कब हुई?

साल 2013 में, पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 11 सितंबर को इस दिवस के रूप में घोषित किया गया।

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