कोल विद्रोह भारत के इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना थी। यह 19वीं सदी के अंत में 1831 और 1832 के बीच हुआ था। यह वर्तमान झारखंड के छोटा नागपुर क्षेत्र में हुआ था। कोल जनजाति के लोगों ने विद्रोह का नेतृत्व किया था और यह अंग्रेजों के अत्याचार के विरुद्ध था। इस विद्रोह के बारे में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के अलावा एसएससी, राज्य सिविल सेवा परीक्षा आदि जैसी अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछा जाता है, इसलिए इस ब्लाॅग में इस विद्रोह के बारे में बताया जा रहा है जिससे आपकी तैयारी को मजबूती मिलेगी।
विद्रोह का नाम | कोल विद्रोह |
विद्रोह की शुरुआत | 1831 (झारखंड) |
विद्रोह का कारण | ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा लागू भूमि स्वामित्व और प्रशासनिक प्रणालियों के परिणामस्वरूप हुए आर्थिक शोषण (economic exploitation) |
विद्रोह का उद्देश्य | यह भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ पहले महत्वपूर्ण विद्रोहों में से एक था। इससे पता चला कि अंग्रेज अजेय नहीं थे और भारत के मूल निवासी अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ने को तैयार थे। |
आंदोलन का नतीजा | विद्रोह के कारण कोलों के प्रति ब्रिटिश नीति में कई सुधार हुए। इसमें भूमि स्वामित्व की एक नई प्रणाली का निर्माण शामिल था जिसने कोल को अपनी भूमि पर अधिक नियंत्रण दिया। |
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कोल विद्रोह के बारे में
कोल विद्रोह 1831 और 1832 के बीच हुआ था। यह झारखंड में छोटा नागपुर के आदिवासी कोल लोगों का आंदोलन था। यह विद्रोह ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा लागू भूमि स्वामित्व और प्रशासनिक प्रणालियों के परिणामस्वरूप हुए आर्थिक शोषण (economic exploitation) के कारण हुआ था। आपको बता दें कि छोटा नागपुर क्षेत्र के मूल निवासी, जो भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान बंगाल प्रेसीडेंसी का एक हिस्सा था।
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कोल विद्रोह का इतिहास क्या है?
ईस्ट इंडिया कंपनी के भूमि स्वामित्व और प्रशासनिक संस्थानों के कारण होने वाले आर्थिक दिक्कतों के विरोध में छोटा नागपुर के आदिवासी कोल लोगों ने 1829 और 1839 के बीच आंदोलन किया। ब्रिटिश अभिलेखों में इस विद्रोह को कोल विद्रोह भी कहा जाता है। मुंडा, ओरांव और होस जैसे अन्य समुदाय कोल लोगों में शामिल हो गए।
1819 के आसपास दक्षिण बिहार और हाल ही में सौंपे गए पड़ोसी क्षेत्र में सरकार में एक राजनीतिक एजेंट की नियुक्ति के जवाब में विद्रोह छिड़ गया। बड़ी संख्या में लोग इन क्षेत्रों में चले गए जहां कई आदिवासी जनजातियां निवास करती थीं। इन जनजातियों के पास कोई केंद्रीय प्राधिकरण नहीं था और उनकी भूमि उन परिवारों के बीच विभाजित थी जो परहा या सभाओं से जुड़े हुए थे।
कोल विद्रोह का कारण क्या था?
इस अंदोलन के प्रमुख कारणों में नए भूमि कर और कानून शामिल थे। बता दें कि उस दौरान अंग्रेजों ने कई नए ऐसे भूमि कर और कानून लागू कर दिए थे जिससे कोल लोगों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। इन करों और कानूनों ने कोल लोगों के लिए जीवनयापन करना कठिन बना दिया और उनमें से कई को गरीबी में धकेल दिया था।
विद्रोह के अन्य प्रमुख कारणों में कोल लोगों को शिक्षा और सरकारी नौकरियों तक पहुंच से वंचित करना कर्ज की सुरक्षा के रूप में स्थानीय लोगों की जमीनों को जब्त करना शामिल था।
कोल विद्रोह की शुरुआत
कोल जनजाति के लोग भारत के छोटा नागपुर क्षेत्र में रहते थे। 19वीं सदी की शुरुआत में, ईस्ट इंडिया कंपनी ने छोटा नागपुर पर अपना नियंत्रण बढ़ाया। कंपनी ने कई नई भूमि स्वामित्व और प्रशासनिक प्रणालियां पेश थीं और इससे कोल लोगों का आर्थिक समस्या और भूमि को लोकर भी परेशानियां सामने आईं।
1831 में कोल जनजाति के नेतृत्व में यह विद्रोह हुआ था और इसके नेता बुधु भगत, जोआ भगत, झिंदराय मानकी और मदारा महत आदि थे। कोल्स ने ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ विद्रोह कर दिया। शुरुआत में विद्रोह सफल रहा। कोल कई शहरों और गांवों पर कब्ज़ा करने में सक्षम थे। हालांकि बाद में अंग्रेजों के साथ कोल पराजित हो गए और विद्रोह का छोटा नागपुर में ब्रिटिश नीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा।
कोल विद्रोह का महत्व क्या था?
यह आंदोलन भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना थी। यह ब्रिटिश शासन के खिलाफ पहले बड़े विद्रोहों में से एक था। इससे पता चला कि अंग्रेज अजेय नहीं थे और भारत के मूल निवासी अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ने को तैयार थे। इसके परिणामस्वरूप ब्रिटिश सरकार को छोटानागपुर में अपनी भूमि के स्वामित्व और प्रशासनिक नीतियों में कुछ सुधार करने पड़े।
कोल विद्रोह का परिणाम क्या रहा?
विद्रोह के बढ़ने के बाद अंग्रेजों को एहसास हुआ कि भविष्य के अंदोलनों से बचने के लिए उन्हें अपनी भूमि का स्वामित्व और प्रशासनिक प्रणालियों को बदलने की जरूरत है। विद्रोह के परिणामस्वरूप अंग्रेजों ने कई सुधार किए। इसमें भूमि स्वामित्व की एक नई प्रणाली का निर्माण शामिल था जिसने कोल को अपनी भूमि पर अधिक नियंत्रण दिया। इस विद्रोह ने भविष्य के झारखंड आंदोलन की नींव रखी।
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FAQs
यह विद्रोह झारखंड में हुआ था।
1831-32 के इस विद्रोह का नेतृत्व बुद्धू भगत ने किया था।
यह विद्रोह 19वीं सदी की शुरुआत में हुआ था
आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको कोल विद्रोह के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ब्लाॅग्स पढ़ने के लिए बने रहें हमारी वेबसाइट Leverage Edu पर।