दादरा एवं नगर हवेली मुक्ति दिवस का इतिहास और इसके आज़ाद होने की कहानी

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दादरा एवं नगर हवेली मुक्ति दिवस

दादरा नगर हवेली भारत का एक तटीय राज्य है। वर्ष 2020 से पहले यह एक केंद्र शासित प्रदेश हुआ करता था और अब यह दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव केंद्र शासित प्रदेश का भाग है। यह भारत के दो बड़े राज्यों महाराष्ट्र और गुजरात के बीच में स्थित है। दादरा नगर हवेली भारत की आज़ादी के काफी समय बाद आज़ाद हुआ था। दादरा नगर हवेली पर पहले पुर्तगालियों का शासन था। भारत को अपने इस अभिन्न अंग को आज़ाद कराने और भारत में विलय कराने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा था। दादरा नगर हवेली 2 अगस्त 1954 को पुर्तगालियों से आज़ाद हुआ था। इसी याद में हर साल 2 अगस्त को दादरा नगर हवेली मुक्ति दिवस मनाया जाता है। यहाँ दादरा एवं नगर मुक्ति दिवस और दादरा नगर हवेली के भारत में विलय से जुड़ी जानकारी विस्तार से दी गई है।

दादरा नगर हवेली के बारे में

आसापस के क्षेत्रों जैसे महाराष्ट्र और गुजरात से अलग, दादरा और नगर हवेली पर 1783 से 20वीं सदी के मध्य तक पुर्तगालियों का शासन था। इस क्षेत्र पर 1954 में भारत समर्थक लोगों ने दादरा नगर हवेली को अपने शासन में ले लिया था। वर्ष 1961 में इसे केंद्रशासित प्रदेश के रूप में स्थापित कर दिया गया। 26 जनवरी 2020 को केंद्र शासित प्रदेश को पड़ोसी केंद्र शासित प्रदेश दमन और दीव के साथ मिलाकर “दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव” का नया केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। दादरा और नगर हवेली का क्षेत्र अब दादरा और नगर हवेली जिले के रूप में नए केंद्र शासित प्रदेश के तीन जिलों में से एक बन गया है। 

दादरा नगर हवेली मुक्ति दिवस कब मनाया जाता है?

दादरा नगर हवेली मुक्ति दिवस हर साल 2 अगस्त के दिन मनाया जाता है। यह दिन दादरा नगर हवेली का स्वतंत्रता दिवस है। दादरा नगर हवेली 2 अगस्त 1954 के दिन पुर्तगालियों से आज़ाद हुआ था। इसी कारण से हर साल 2 अगस्त को दादरा नगर हवेली मुक्ति दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

दादरा नगर हवेली मुक्ति दिवस क्यों मनाया जाता है?

दादरा नगर हवेली मुक्ति दिवस राज्य की आज़ादी का जश्न मनाने का दिन है। यह उन वीर शहीदों को याद करने का दिन है जिन्होंने पुर्तगालियों से इस क्षेत्र को मुक्ति दिलाने के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया है।

दादरा नगर हवेली दिवस कैसे मनाया जाता है? 

दादरा नगर हवेली दिवस के दिन विभिन्न प्रकार की गतिविधियां की जाती हैं –

  • सांस्कृतिक कार्यक्रम: इस दिन विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें नृत्य, संगीत, नाटक और लोक कलाएं शामिल होती हैं। ये कार्यक्रम स्थानीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किए जाते हैं और क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति को प्रदर्शित करते हैं।
  • शैक्षिक कार्यक्रम: स्कूलों और कॉलेजों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें छात्रों को दादरा और नगर हवेली के इतिहास, संस्कृति और विकास के बारे में जानकारी दी जाती है। निबंध प्रतियोगिताएं, चित्रकला प्रतियोगिताएं और वाद-विवाद सत्र जैसे कार्यक्रम भी आयोजित किए जा सकते हैं।
  • राजनीतिक समारोह: इस दिन राजनीतिक नेता और सरकारी अधिकारी विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। इन कार्यक्रमों में भाषण दिए जाते हैं, जिसमें क्षेत्र के विकास और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा की जाती है।

दादरा नगर हवेली कब केंद्र शासित प्रदेश बना?

दादरा और नगर हवेली एवं दमन और दीव दोनों ही केंद्र शासित प्रदेश पुर्तगालियों के उपनिवेश थे। दमन और दीव 1961 से 1987 तक गोवा एवं दमन और दीव संयुक्त रूप से गोवा केंद्रशासित प्रदेश का ही भाग थे। लेकिन वर्ष 1987 में जब गोवा को अलग राज्य बना दिया गया तो दमन और दीव एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गया। 

दादरा नगर हवेली का इतिहास

दादरा और नगर हवेली का इतिहास राजपूत राजाओं के शासन से शुरू होता है। राजपूत राजाओं ने क्षेत्रीय कोली सरदारों को हराकर इस प्रदेश पर कब्ज़ा कर लिया था। इसके बाद 18वीं सदी में मराठों ने राजपूत राजाओं को हराकर दादर नगर हवेली क्षेत्र पर अपना शासन कर लिया। मराठों और पुर्तगालियों के बीच भी इस क्षेत्र को लेकर लंबे समय तक युद्ध होते रहे। इस क्षेत्र के इतिहास में नया मोड़ तब आया जब मराठा पेशवा माधव राव ने एक संधि के तहत इस प्रदेश के 79 ग्रामों को पुर्तगालियों के हवाले कर दिया। इसके बाद 2 अगस्त 1954 को भारत समर्थित ताकतों ने दादर नगर हवेली की आज़ादी का अभियान चलाया और इस क्षेत्र को पुर्तगालियों से आज़ाद करा लिया। वर्ष 1954 से 1961 तक यह प्रदेश स्वतंत्र रूप से कार्य करता रहा जिसे ‘स्वतंत्र दादरा एंव नगर हवेली प्रशासन’ ने चलाया। इसके बाद 11 अगस्त 1961 में यह प्रदेश भारतीय संघ का हिस्सा बन गया और इसे एक केंद्र शासित प्रदेश के रूप में स्थापित कर दिया गया।

दादरा नगर हवेली को आज़ादी कैसे मिली?

1947 में जब ब्रिटिश शासन से भारत को आज़ादी मिली। इसके बावजूद दादर नगर हवेली अभी भी पुर्तगालियों के कब्जे में ही था, लेकिन जनता भारत में मिलना चाहती थी। भारत सरकार ने दादर नगर हवेली को अपना अंग बताते हुए उसे भारत को लौटाने की मांग अंग्रेजों से की लेकिन पुर्तगाल प्रशासन ने भारत सरकार की यह मांग ख़ारिज कर दी। तब भारत सरकार ने गोवा और दादर नगर हवेली को पुर्तगालियों से मुक्त कराने के लिए अभियान शुरू किया।

18 जून 1954 को दादर नगर हवेली के मुक्ति संगठनों ने एक बैठक की। उन्होंने तय किया कि दादर नगर हवेली को आज़ाद कराने के लिए कोई बड़ा कदम उठाना ज़रूरी है। 22 जुलाई की रात यूनाइटेड फ्रंट ऑफ गोवांस के नेता फ्रांसिस मासेरिनहास और वामन देसाई के नेतृत्व में 15 स्वयंसेवकों ने दादरा क्षेत्र में घुसकर पुलिस स्टेशन पर हमला कर दिया। उस समय वहां केवल तीन पुलिस वाले थे, जिन्हें मारकर उन्होंने थाने पर कब्ज़ा कर लिया और तिरंगा झंडा फहराने के बाद राष्ट्रगान गाने के साथ ही दादरा को दादरा मुक्त क्षेत्र घोषित कर दिया। 

इसी प्रकार से 28 जुलाई 1954 के दिन एक दूसरे पुलिस स्टेशन पर भी दादरा नगर हवेली के स्थानीय नेताओं ने दादरा नगर हवेली के अन्य कई क्षेत्रों के पुलिस स्टेशनों पर भी कब्ज़ा कर लिया। इसके लिए क्रांतिकारियों ने एक सुनियोजित योजना बनाई थी। 1 अगस्त 1954 की रात क्रांतिकारियों ने तीन गुट बनाए और रात को ही सिलवासा पुलिस स्टेशन पर जाकर हमला कर दिया। इस अचानक हुए हमले से पुलिसकर्मी घबरा गए और उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया। रात भर क्रांतिकारियों ने पुलिस चौकी को घेरे रखा। 2 अगस्त 1954 के दिन क्रांतिकारियों ने दादरा नगर हवेली को पुर्तगाल के शासन से पूरी तरह से स्वतंत्र घोषित कर दिया। 

दादरा नगर हवेली को स्वतंत्र कराने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भूमिका  

ऐसा कहा जाता है कि दादरा नगर हवेली को पुर्तगालियों से मुक्त कराने में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लोगों का भी हाथ था। लेखक रतन शारदा ने अपनी पुस्तक ‘संघ और स्वराज’ में इसका ब्यौरा दिया है। उन्होंने लिखा है,

1954 की शुरुआत में दादरा नगर हवेली में आजादी की मांग चरम पर थी। इन्हीं दिनों में संघ के स्वयंसेवक राजा वाकणकर और नाना कजरेकर, दादरा नगर हवेली तथा दमन के आसपास के क्षेत्रों में वहां की स्थिति का जायजा लेने कई बार गए, स्थानीय लोगों से मिले जो चाहते थे कि उनका क्षेत्र भारत का हिस्सा बने। वर्ष 1954 के अप्रैल महीने में संघ ने नेशनल मूवमेंट लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन तथा आजाद गोमांतक दल के साथ मिलकर दादरा नगर हवेली को आज़ाद कराने के लिए मुक्ति अभियान चलाया था। उन्होंने आगे बताया है कि 1 अगस्त 1954 की रात को पुणे जिले के संघ संचालक विनायक राव आप्टे के नेतृत्व में लगभग 100 स्वयंसेवकों के एक समूह ने दादरा और नगर हवेली पर हमला कर दिया। इसके बाद उन्होंने सिलवासा पर हमला किया और लगभग 150 से भी अधिक पुर्तगाली पुलिसकर्मियों का आत्मसमर्पण करा दिया। 

FAQs

दादरा नगर हवेली कब आजाद हुआ था?

दादरा नगर हवेली 2 अगस्त 1954 को आज़ाद हुआ था। 

दादरा नगर हवेली में कौन सी भाषा बोली जाती है? 

दादरा नगर हवेली के अधिकतर लोग गुजराती बोलते हैं। 

दादरा नगर हवेली का त्योहार क्या है?

दिवासो दादरा और नगर हवेली के ढोडिया और वरली जनजातियों द्वारा मनाया जाता है। ढोडिया द्वारा कटाई के दौरान मनाया जाने वाला कंसेरी एक और प्रमुख त्योहार है।

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आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको दादरा एवं नगर हवेली मुक्ति दिवस से जुड़ी पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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