जानिए महान टीपू सुल्तान का इतिहास

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टीपू सुल्तान का जन्म 10 नवंबर 1750 को कर्नाटक के देवनहल्ली में हुआ था। वह सैन्य अधिकारी और बाद में मैसूर के वास्तविक शासक हैदर अली और फातिमा फख्र-उन-निसा के पुत्र थे। टीपू सुल्तान एक शक्तिशाली योद्धा और विद्वान शासक थे और उन्हें लोकप्रिय रूप से ‘मैसूर के बाघ’ के नाम से जाना जाता है और इससे जुड़े सवाल कई बार स्टूडेंट्स से प्रतियोगी परीक्षाओं में भी पूछ लिए जाते हैं। इसलिए आज के इस ब्लॉग में हम Tipu Sultan Kaun Tha के बारे में जानेंगे।

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टीपू सुल्तान का जन्म

टीपू सुल्तान (Tipu Sultan in hindi) का जन्म 20 नवंबर 1750 को कर्नाटक के देवनाहल्ली में हुआ था। इनके पिता हैदर अली मैसूर साम्राज्य के सेनापति हुआ करते थे और इनकी मां का नाम फ़क़रुन्निसा था। हैदर अली कई लंबे समय तक मैसूर साम्राज्य के सेनापति रहे थे और बाद में अपनी ताकत के बल पर इन्होंने मैसूर राज्य के शासन को अपने हाथों में ले लिया था और इस राज्य के राजा बन गए थे। 32 साल की आयु में टिपू ने अपने पिता की गद्दी को संभाला था और साल 1782 में यह मैसूर के राजा बनें थे।

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टीपू सुल्तान का परिवार

टीपू सुल्तान के पिता का नाम (Tipu Sultan Father Name) हैदर अली था जो कि दक्षिण भारत में मैसूर के साम्राज्य के एक काबिल और सैन्य अधिकारी थे। इनकी माता का नाम फातिमा फख- उन निसा था और टीपू सुल्तानइन दोनों के बड़े पुत्र थे।

उनके पिता हैदर अली साल 1761 में अपनी बुद्धिमत्ता और कुशलता के बल पर मैसूर सम्राज्य के वास्तविक शासक के रूप में सत्ता में काबिज हुए और उन्होनें अपने कौशल और योग्यता के बल पर अपने रूतबे से मैसूर राज्य में सालों तक शासन किया।

वहीं उनके पिता की 1782 में मौत के बाद वे Tipu Sultan ने मैसूर सम्राज्य का राजसिंहासन संभाला। वहीं उनका विवाह सिंध सुल्तान (Tipu Sultan Wife) के साथ किया गया, हालांकि इसके बाद उन्होंने कई और भी शादियां की। उनके अपनी अलग-अलग बेगमों से कई बच्चे भी हुए।

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टीपू सुल्तान की शिक्षा

टीपू सुल्तान के पिता हैदर अली खुद पढ़े- लिखे नहीं थे लेकिन उन्होनें Tipu Sultan  को वीर और कुशल योद्धा बनाने पर खास ध्यान दिया। यहां तक कि हैदर अली ने टीपू की शिक्षा के लिए योग्य शिक्षकों की नियुक्ति भी की थी।

दरअसल हैदर अली के फ्रांसिसी अधिकारियों के साथ राजनीतिक संबंध थे इसलिए उन्होनें अपने बेटे को को सेना में कुशल फ्रांसिसी अधिकारियों द्धारा राजनीतिक मामलों में प्रशिक्षित किया गया था।

टीपू सुल्तान को हिंदी, उर्दू, पारसी,अरबी,कन्नड़ भाषाओं के साथ-साथ कुरान, इस्लामी न्यायशास्त्र, घुड़सवारी, निशानेबाजी और तलवारबाजी की भी शिक्षा दी गई थी।

टीपू सुल्तान को बचपन से ही शिक्षाविदों में बहुत अधिक रुचि थी। टीपू सुल्तान  अच्छी तरह से शिक्षित होने के साथ ही एक कुशल सैनिक भी थे। टीपू एक धार्मिक प्रवृति के व्यक्ति थे और वह सभी धर्मों को मान्यता देते थे। कुछ सिद्धांतों के द्वारा उन्होंने हिंदुओं और ईसाइयों के धार्मिक उत्पीड़न का विरोध भी किया था।

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टीपू सुल्तान का प्रारंभिक जीवन 

महज 15 साल की उम्र में ही Tipu Sultan युद्ध कला में निपुण हो गए थे। उन्होंने अपने पिता हैदर अली के साथ कई सैन्य अभियानों में भी हिस्सा लिया। 1766 में उन्होनें ब्रिटिश के खिलाफ हुई मैसूर की पहली लड़ाई में अपने पिता के साथ संघर्ष किया था और अपनी कौशल क्षमता और बहादुरी से अंग्रेजों को खदेड़ने में भी कामयाब हुए।

वहीं इस दौरान उनके पिता हैदर अली, पूरे भारत में सबसे शक्तिशाली शासक बनने के लिए मशहूर हो गए थे। अपने पिता हैदर अली के बाद शासक बनने के बाद टीपू ने उनकी नीतियों को जारी रखा और अंग्रेजों को अपनी कुशल प्रतिभा से कई बार पटखनी दी, इसके अलावा निज़ामों को भी कई मौकों पर धूल चटाई।

Tipu Sultan  ने अपने पिता के मैसूर सम्राज्य को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों में पड़ने से बचाने के लिए वीरता के साथ प्रदर्शन किया और सूझबूझ से रणनीति बनाई। वे हमेशा अपने देश की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहते थे। इसके साथ ही वे अपने अभिमानी और आक्रामक स्वभाव के लिए भी जाने जाते थे।

  • मैसूर के राजा बनने के बाद टिपू सुल्तान ने अपने राज्य के विकास और विस्तार के लिए बेहद ही अच्छे काम किए थे।
  •  इन्होंने अपने राज्य की महिलाओं और बच्चों के लिए एक सुरक्षित माहौल बना रखा था।
  •  हालांकि टीपू सांप्रदायिक हुआ करते थे और अपने धर्म को सबसे ऊपर माना करते थे। 
  • टीपू सुल्तान का इतिहास पढ़कर यह कहा जा सकता है कि इन्होंने हिंदूओं पर कई सारे अत्याचार किए थे। यह हिंदू धर्म के विरोधी के रूप में जाने जाते थे और इनके द्वारा हिंदूओं को उनका धर्म बदलने पर मजबूर भी किया गया था। 
  • टीपू सुल्तान बेशक की एक अच्छे शासक हुआ करते थे। लेकिन इनके मन में हिंदूओं के खिलाफ काफी नफरत भरी हुई थी और इसी नफरत के कारण इन्हें हिंदूओं पर कई सारे अत्याचार किए थे।

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जब महान शासक टीपू सुल्तान हुए वीरगति को प्राप्त

‘फूट डालो, शासन करो’ की नीति चलाने वाले अंग्रेज़ों ने संधि करने के बाद भी Tipu Sultan से गद्दारी कर डाली। ईस्ट इंडिया कंपनी ने हैदराबाद के निजामों के साथ मिलकर चौथी बार टीपू पर ज़बरदस्त हमला किया और इस लड़ाई में महान योद्धा Tipu Sultan की हत्या कर दी।

इस तरह 4 मई साल 1799 में मैसूर का शेर श्रीरंगपट्टनम की रक्षा करते हुए शहीद हो गया। इसके बाद इनके शव को मैसूर के श्रीरंगपट्टनम में दफन किया गया। ये भी कहा जाता है कि Tipu Sultan की तलवार (Tipu Sultan ki Talwar) को ब्रिटशर्स ब्रिटेन ले गए।

इस तरह वीरयोद्धा Tipu Sultan हमेशा के लिए वीरगति को प्राप्त हो गए और इसके बाद इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए उनकी वीरगाथा के किस्से छप गए।

महायोद्धा Tipu Sultan की मौत के बाद 1799 ई. में अंग्रेज़ों ने मैसूर राज्य के एक हिस्से में उसके पुराने हिन्दू राजा के जिस नाबालिग पौत्र को गद्दी पर बैठाया, उसका दीवान पुरनिया को नियुक्त कर दिया गया था। आगे जानते है Tipu Sultan kaun tha के इस ब्लॉग में उनसे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी।

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Tipu Sultan kaun tha और उनसे जुडी अन्य जानकारी

टीपू सुल्तान से जुड़ी जानकारी यहाँ दी गई है :

  • टीपू सुल्तान को मिसाइल मैन कहा जाता है। क्योंकि इनके द्वारा युद्ध के दौरान रॉकेट का इस्तेमाल किया गया था।
  • टीपू के रॉकेट को लंदन के मशहूर साइंस म्यूजियम में भी रखा गया है। इस रॉकेट को 18वीं सदी में अंग्रेजों ने अपने कब्जे में ले लिया था और लंदन ले गए थे।
  • जिस वक्त टीपू सुल्तान ने अपना पहला युद्ध लड़ा था उस समय इनकी आयु 18 वर्ष की थी।
  • इतिहास के अनुसार टीपू ने लाखों हिंदूओं का धर्म परिवर्तन करवाया था। जिसकी कारण इनकी गिनत बुरे शासकों में की जाती है।
  • टीपू सुल्तान अपनी कुशलता और महानता के लिए जाने जाते हैं। वे एक महान योद्धा थे।
  • टीपू सुल्तान का पूरा नाम ‘सुल्तान फतेह अली खान शाहाब’ था और उनका यहा नाम उनके पिता हैदर अली ने रखा था। वे भी एक कूटनीतिज्ञ  और दूरदर्शिता के पक्के थे।
  • योग्य और कुशल शासक Tipu Sultan एक बादशाह बन कर पूरे देश पर राज करना चाहता था, लेकिन उस महायोद्धा की ये इच्छा पूरी नही हुई।
  • टीपू सुल्तान ने महज 18 साल की उम्र में अंग्रेजों के खिलाफ अपनी पहली जंग जीती थी।
  • आपको बता दें कि वीर योद्धा Tipu Sultan को “शेर-ए-मैसूर” इसलिए कहा जाता हैं, क्योंकि उन्होनें महज 15 साल की छोटी उम्र से ही अपने पिता के साथ जंग में हिस्सा लेने की शुरूआत कर दी थी और इस दौरान टीपू ने बेहतर प्रदर्शन किया था। वहीं पिता हैदर अली ने अपने बेटे टीपू को बहुत मजबूत बनाया और उसे राजनीतिक, सैन्य सभी तरह की शिक्षा दी।
  • टीपू सुल्तान को लेकर कहा जाता है कि वह अपने आसपास की चीजों का इस्लामीकरण चाहता था। वहीं Tipu Sultan इस वजह से भारतीय राजनीति में भी काफी विवादों में रहते हैं।
  • यह कहा जाता है कि Tipu Sultan ने बहुत सी जगहों का नाम बदलकर मुस्लिम नामों पर रख दिया था। लेकिन उनकी मौत के बाद सभी जगहों के नाम फिर से पुराने नामों पर रख दिए गए।
  • टीपू सुल्तान राजसिंहासन संभालते ही अपने राज्य मैसूर को मुस्लिम राज्य घोषित कर दिया था। Tipu Sultan के लिए यह भी कहा जाता है कि उन्होंने अपने शासनकाल के दौरान करीब 1 करोड़ हिंदूओं का धर्म परिवर्तन कराकर उन्हें मुसलमान बना दिया। लेकिन टीपू की मृत्यु के बाद जिनका धर्म परिवर्तन करवाया गया था उनमें से ज्यादातर लोग वापस हिंदू बन गए थे।
  • टीपू सुल्तान के नाम पर ये भी तथ्य मशहूर है कि टीपू ‘राम’ नाम की अंगूठी पहनते थे, वहीं उनकी मौत के बाद उनकी ये अंगूठी अंग्रेजों ने उतार ली थी और इसे भी वे अपने साथ ले गए थे।
  • साल 1799 में अंग्रजों के खिलाफ चौथी लड़ाई में अपने राज्य मैसूर की रक्षा करते हुए Tipu Sultan शहीद हो गए थे।
  • टीपू सुल्तान खुद को नागरिक टीपू कहा करते थे।
  • ऐसा कहा जाता है कि Tipu Sultan के 12 बच्चे थे। जिनमें से महज दो बच्चों के बारे में ही पता चल पाया है।

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टीपू सुल्तान की तलवार के बारे में भी एक रोचक तथ्य

टीपू सुल्तान की तलवार के बारे में यहाँ बताया गया है :

  • Tipu Sultan Kaun Tha और उसकी तलवार के बारे में भी एक रोचक तथ्य यह है कि जब महान योद्धा शहीद हो गए थे तो उनकी तलवार उनके शव के पास पड़ी मिली थी जिसके बाद ब्रिटिशर्स उनकी तलवार को ब्रिटेन लेकर चले गए थे और उन्होंने इस अपनी जीत की ट्रॉफी कर वहां के म्यूजियम में इसे रख लिया। वहीं उनकी तलवार पर रत्नजड़ित बाघ बना हुआ था।
  • टीपू सुल्तान की तलवार का वजन 7 किलो 400 ग्राम है। वहीं आज के समय में उनकी तलवार की कीमत करोड़ों रुपए में आंकी जाती थी।
Source: BBC News Hindi

FAQs

टीपू सुल्तान की तलवार पर क्या लिखा है?

टीपू सुल्तान की तलवार पर एक शिलालेख भी है जिस पर लिखा है, “शासक की तलवार।” बता दें कि टीपू सुल्तान को ‘टाइगर ऑफ मैसूर’ के नाम से जाना जाता था।

टीपू सुल्तान के शासनकाल में कितने युद्ध हुए थे?

टीपू सुलतान ने अपने शासनकाल में तीन युद्ध लड़े थे।

टीपू सुल्तान का दूसरा नाम क्या है?

टीपू सुल्तान ( सुल्तान फतेह अली साहब टीपू ; 1 दिसंबर 1751 – 4 मई 1799) को शेर-ए-मैसूर या “मैसूर का बाघ” के नाम से जाना जाता है। वह मैसूर साम्राज्य के भारतीय मुस्लिम शासक थे।

आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको Tipu Sultan Kaun Tha से जुड़ी पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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