Savitribai Phule Poems in Hindi को पढ़कर युवाओं को शिक्षा के महत्व और सावित्रीबाई फुले के जीवन संघर्षों के बारे में जानने को मिलेगा। यह जानकारी आपको समाजहित के लिए स्वयं को समर्पित करने की प्रेरणा देगी। कल्पना से परे यदि वास्तविकता को देखा जाए तो हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि समाज को सही राह दिखाने को, कुरीतियों को जड़ से मिटाने को तथा क्रूरता से मानवता को बचाने को पृथ्वी पर ऐसी पुण्यात्माएं जन्म लेती हैं जो निज निर्णयों से समाज सुधारक की पदवी प्राप्त करती हैं। विद्यार्थी जीवन में विद्यार्थियों को ऐसे ही महान समाज सुधारकों, कवि-कवियत्रियों आदि के विचारों को अवश्य पढ़ लेना चाहिए, जिनके विचारों से विद्यार्थी मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे ही महान दार्शनिकों में से एक ‘सावित्रीबाई फुले’ भी थीं। इस ब्लॉग में आप Savitribai Phule Poems in Hindi को पढ़ पाएंगे, जो आपको जीवनभर प्रेरित करेंगे।
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Savitribai Phule Poems in Hindi
Savitribai Phule Poems in Hindi कला-साहित्य के क्षेत्र में एक मुख्य भूमिका निभाती हैं, जो मानव को बेहतर जीवन जीने के लिए प्रेरित करती हैं। Savitribai Phule Poems in Hindi पढ़ने से पहले इसकी सूची पर हमें एक नज़र डाल लेनी चाहिए, जो कुछ इस प्रकार है;
कविता का नाम | कवियत्री का नाम |
उसे कैसे इन्सान कहें? | सावित्रीबाई फुले |
श्रेष्ठ धन | सावित्रीबाई फुले |
कवि और कविता में | सावित्रीबाई फुले |
ओ स्त्री जाग! | सावित्रीबाई फुले |
शिक्षा की ज्योति | सावित्रीबाई फुले |
सावित्रीबाई फुले का संक्षिप्त जीवन परिचय
Savitribai Phule Poems in Hindi के बारे में जानने से पहले आपको सावित्रीबाई फुले के बारे में अवश्य पढ़ लेना चाहिए। सावित्रीबाई फुले भारत की एक अग्रणी सामाजिक सुधारक थीं, जिन्होंने 19वीं सदी में महिलाओं की शिक्षा और अधिकारों तथा जाति भेदभाव को मिटने के लिए जीवनभर संघर्ष किया। उन्हें भारत की पहली महिला शिक्षिका का भी दर्जा प्राप्त है और वे महिला आंदोलन की अग्रणी हस्तियों में से एक हैं।
सावित्रीबाई फुले जी का जन्म 3 जनवरी, 1831 को महाराष्ट्र में हुआ था। सावित्रीबाई पहली महिला शिक्षक के रूप में जानी जाती हैं, जिन्होंने भारत में पहली-सर्व-बालिका विद्यालय में पढ़ाया। उन्होंने अपना सारा जीवन वंचितों के उत्थान और अछूतों को समाज का एक समान हिस्सा बनाकर जाति व्यवस्था को समाप्त करने के लिए समर्पित कर दिया।
वर्ष 1852 में उन्होंने अछूत लड़कियों के लिए एक स्कूल खोला और उन्हें मुफ्त में पढ़ाकर भारत की पहली महिला शिक्षक बनीं। सावित्रीबाई फुले जी का निधन 10 मार्च, 1897 को हुआ था।
उसे कैसे इन्सान कहें?
Savitribai Phule Poems in Hindi आपकी चेतना को जागृत करने का सफल प्रयास करेंगी। इस श्रृंखला में उनकी पहली कविता “उसे कैसे इन्सान कहें?” है, जो कुछ इस प्रकार है:
ज्ञान नहीं, विद्या नहीं पढ़-लिखकर शिक्षित होने की मंशा नहीं दिमाग होकर भी उसे व्यर्थ गवाएं उसे कैसे इन्सान कहें? दे हरि खाट पर बैठे-बैठे, पशु भी ऐसा कभी करे नहीं विचार नहीं, आचार नहीं उसे कैसे इन्सान कहें? घर में बच्चों की भरमार उनकी परवरिश और खाने-पीने के हाल काम-चोर आलसी बना कंगाल उसे कैसे इन्सान कहें? सहानुभूति न देता कोई सहायता न करे कोई बेपरवाह न करे किसी की उसे कैसे इन्सान कहें? ज्योतिष, पंचाग, हस्तरेखा में पड़े मूर्ख स्वर्ग-नरक की कल्पना करे पशु जीवन की हकीकत देखे नहीं उसे कैसे इन्सान कहें? पत्नी काम करती रहे मुफ्तखोर बेशर्म खावे पशुओं में ऐसा अजूबा नहीं उसे कैसे इन्सान कहें? घर-संसार में कंगाली छाई रहे जिसका कोइ पड़ोसी नहीं धिक्कार करे सभी रिश्तेदार उसे कैसे इन्सान कहें? लिख-पढ़ न पावे, अनसुनी करे भलाई की बात पशु को भी बात समझ में आवे उसे कैसे इन्सान कहें? पशुता की शर्म नहीं उस बेशर्मी को ही माने सुख पशु जीवन की जो राह चले उसे इन्सान कैसे कहें? दूसरों की कभी मदद न करे सेवा त्याग दया ममता से रहे हमेशा परे जिसे सद्गुण सदाचार खले उसे इन्सान कैसे कहें? गुलामी का न जिसे रंज हो न कभी उन्नति का संकल्प करे मानवता को जो कहे मेरी ठोकर तले उसे इन्सान कैसे कहें? पशु-पक्षी, कीड़े-मकौड़े, बन्दर, इन्सान जन्म-मृत्यु सभी चराचर को एक समान जीवन का इतना सा सच जिसे समझ न आए उसे इन्सान कैसे कहें?
-सावित्रीबाई फुले
भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवियत्री उन लोगों पर व्यंग्य करती है जो दूसरों का शोषण करते हैं और उन्हें दबाते हैं। कविता के माध्यम से कवियत्री लोगों को अन्याय और अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित करती हैं। साथ ही यह कविता मानवता के मूल्यों को अपनाने और समाज में समानता स्थापित करने के लिए मानव को प्रेरित करती है।
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श्रेष्ठ धन
Savitribai Phule Poems in Hindi आपकी चेतना को जागृत करने का सफल प्रयास करेंगी। इस श्रृंखला में उनकी एक सुप्रसिद्ध बाल कविता “श्रेष्ठ धन” है, जो कुछ इस प्रकार है:
सुबह-सवेरे उठे जो बच्चा, शौच आदि मुखमार्जन करे हो जाए नहा-धोकर तैयार और करे माता-पिता को अभिवादन। स्मरण करके गुरू का मन लगाकर करे पढ़ाई लाभकारी है दिन जीवन के व्यर्थ ना गवाएं। करे नित पढ़ाई ज्ञान पाने के लिए विद्या को समझकर सर्वोच्च लीजिए लाभ विद्या का मन के एकाग्र करते हुए। विद्या ही धन है सभी धन-दौलत से सर्वश्रेष्ठ अच्छा जिसके पास है ज्ञान का भण्डार है वह ज्ञानी जनता की नजरों में सच्चा। -सावित्रीबाई फुले
भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवियत्री शिक्षा को सर्वोच्च धन बताने का सफल प्रयास करती हैं, साथ ही इस कविता के माध्यम से कवियत्री समाज को शिक्षित होने के लिए प्रेरित करती है। यह कविता शिक्षा के महत्व पर भी अधिक जोर डालती है, जिसका लक्ष्य समाज से अज्ञानता के अंधकार को मिटाने का होता है। सरल भाषा में लिखी इस कविता के माध्यम से कवियत्री गरीबों और वंचितों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।
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कवि और कविता में
Savitribai Phule Poems in Hindi आपकी चेतना को जागृत करने का सफल प्रयास करेंगी। इस श्रृंखला में उनकी एक सुप्रसिद्ध कविता “कवि और कविता में” है, जो कुछ इस प्रकार है:
कवि करता है कविता का सृजन कल्पना के सहारे सुख-दुख की वह बातें करता कभी स्वर्ग का अनुभव तो कभी नरक का अनुभव करता है वह। कवि पल में स्वयं रोता, रुलाता कभी नाचने लगता, कभी गाता है कभी देवता आराधना करता दिखाई देता है। कवि अघटित घटना का सृजनहार कवि अद्भुत-भव्य लय में गाता है नजरों के सामने खड़ी करता है काल्पनिक परियाँ किन्तु कवि से प्रेम, परी ना करें कभी। गालों में मुस्कुराकर मीठी-मीठी बातें कर बहकावे कल्पनालोक की परियाँ बाहों में भर कर लेती है चुम्बन कवि के मन में ऐसा चित्र दिखाई दे! -सावित्रीबाई फुले
भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवियत्री कवि और कविता के बीच संबंधों पर प्रकाश डालती हैं। इस कविता के माध्यम से कवियत्री कवियों को यह कहकर प्रेरित करती हैं कि वे अपनी कविता का उपयोग समाज के उत्थान के लिए करें। इस कविता को मुख्य रूप से तीन पहलुओं “कवि का कर्तव्य, कविता का प्रभाव तथा कवि और कविता का संबंध” में विभाजित करके आसानी से समझा जा सकता है। यह कविता समाज में कविताओं के महत्व और उनकी भूमिका के बारे में बताती हैं।
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ओ स्त्री जाग!
Savitribai Phule Poems in Hindi आपकी चेतना को जागृत करने का सफल प्रयास करेंगी। इस श्रृंखला में एक सुप्रसिद्ध कविता “ओ स्त्री जाग!” है, जो कुछ इस प्रकार है:
ओ स्त्री जाग! जाग! तू क्यों सोती है? देख तेरा घर कैसा जलता है? तेरे पति, तेरे बेटा, तेरे भाई, सब शराबी होकर हैं लड़ते-झगड़ते; तू क्यों सोती है? ओ स्त्री जाग! जाग! तू क्यों सोती है? देख तेरी बेटी को, तेरी बहू को, सब सास-ससुर के घर में हैं रोती-बिलखती; तू क्यों सोती है? ओ स्त्री जाग! जाग! तू क्यों सोती है? देख तेरे घर का, तेरे धन का, सब चोर-डाकू लूटकर ले जाते हैं; तू क्यों सोती है? ओ स्त्री जाग! जाग! तू क्यों सोती है? देख तेरे जीवन का, तेरे सुख का, सब दुश्मन छीनकर ले जाते हैं; तू क्यों सोती है? ओ स्त्री जाग! जाग! तू क्यों सोती है? देख तेरे भविष्य का, तेरे उद्धार का, सब राह दिखाई देती है; तू क्यों सोती है? ओ स्त्री जाग! जाग! तू क्यों सोती है? देख तेरा कर्तव्य पुकारता है; तू क्यों सोती है? ओ स्त्री जाग! जाग! तू क्यों सोती है? देख तेरा समय निकलता है; तू क्यों सोती है? ओ स्त्री जाग! जाग! तू क्यों सोती है? देख तेरा जीवन खत्म होता है; तू क्यों सोती है? ओ स्त्री जाग! जाग! तू क्यों सोती है? देख तू अब नहीं सो सकती है; तू जाग! जाग! जाग! तू जाग! -सावित्रीबाई फुले
भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवियत्री स्त्रियों को जागृत करने और उन्हें अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए प्रेरित करती हैं। इस कविता में कवियत्री ने नारियों को उनकी शक्ति का एहसास कराने का सफल प्रयास किया है। कविता में कवियत्री द्वारा मुख्य रूप से स्त्रियों को “शिक्षा प्राप्त करने, सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाने और पुरुषों के समान अधिकारों के लिए लड़ने” के लिए प्रेरित करती है।
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शिक्षा की ज्योति
Savitribai Phule Poems in Hindi आपकी चेतना को जागृत करने का सफल प्रयास करेंगी। इस श्रृंखला में उनकी एक लोकप्रिय कविता “शिक्षा की ज्योति” है, जो कुछ इस प्रकार है:
शिक्षा की ज्योति जलाकर, अंधेरे को मिटाना है। ज्ञान का दीप जलाकर, जीवन को सजाना है। स्त्री शिक्षा की ज्योति जले, यह हमारा नारा है। अंधश्रद्धा और कुरीतियों को, दूर भगाना है। शिक्षा की ज्योति से ही, महिलाओं का उद्धार होगा। वे भी पुरुषों के समान, समाज में आगे बढ़ेंगी। शिक्षा की ज्योति से ही, समाज का विकास होगा। एक नया समाज बनेगा, जहाँ सभी को समान अधिकार होंगे। आओ, हम सब मिलकर, शिक्षा की ज्योति जलाएं। और एक बेहतर समाज का निर्माण करें। -सावित्रीबाई फुले
भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवियत्री ने शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालने का प्रयास किया है। इस कविता में कवियत्री स्त्री शिक्षा पर विशेष जोर देती हैं। इस कविता के माध्यम से हमें शिक्षा की ज्योति जलाने और एक बेहतर समाज का निर्माण करने की प्रेरणा मिलती है। इस कविता की सरल और स्पष्ट भाषा में समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले की प्रगतिशील विचारधारा को देखा जा सकता है।
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सावित्रीबाई फुले के अनमोल विचार
Savitribai Phule Poems in Hindi को पढ़ने के बाद आपको इस ब्लॉग में सावित्रीबाई फुले के अनमोल विचार भी पढ़ने का अवसर प्राप्त होगा। सावित्रीबाई फुले के अनमोल विचार कुछ इस प्रकार हैं;
- शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है, जिसका उपयोग आप पूरे समुदाय को बदलने के लिए कर सकते हैं।
- कोई तुम्हें कमजोर समझे, इससे पहले तुम्हे शिक्षा के महत्व को समझना होगा।
- शिक्षा स्वर्ग का द्वार खोलती है, खुद को जानने का अवसर देती है।
- मेरा मानना है कि शिक्षा हर महिला की मुक्ति की कुंजी है।
- शिक्षा स्वर्ग का मार्ग खोलता है, स्वयं को जानने का मौका देता है।
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