सहरिया जनजाति की कुलदेवी : जानिए राजस्थान की यह जनजाति किस देवी की आराधना करती है? 

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सहरिया जनजाति की कुलदेवी

सहरिया शब्द की उत्पत्ति सहर शब्द से हुई है जिसका अर्थ जंगल होता है। सहरिया जनजाति भारत की इकलौती जनजाति है जिसे भारत सरकार ने पीजीटी लिस्ट में शामिल किया है। यह राजस्थान और मध्य प्रदेश में मुख्य रूप से पाई जाती है। यह भारत की जनजाति जनसँख्या का लगभग 2% है। यहाँ सहरिया जनजाति की कुलदेवी के बारे में बताया जा रहा है।  

सहरिया जनजाति की कुलदेवी के बारे में 

सहरिया जनजाति के लोग कोड़िया देवी की आराधना करते हैं। वे कोड़िया देवी को अपनी कुल देवी मानते हैं। सनातन धर्म के पुराणों एवं ग्रंथों में महालक्ष्मी को धन की देवी कहा गया है। धन पाने के चाहवान उन्हें प्रसन्न करने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। कोड़िया देवी को लक्ष्मी का ही रूप माना जाता है।  शिव पुराण और काशी खंड में भी कोड़िया देवी का वर्णन मिलता है। माना जाता है कि दक्षिण भारत में निवास करने वाली कोड़िया देवी बाबा विश्वनाथ के दर्शनों की अभिलाषा लेकर काशी आई। जब वो घूमने की इच्छा से छुदरों की बस्ती में गई तो वहां जाकर उनके साथ बहुत आपत्तिजनक व्यवहार हुआ। उन्होंने अन्न-जल का त्याग कर दिया। तब मां अन्नपूर्णा साक्षात उनके पास आई और उन्हें कौड़ी देवी के रूप में विराजित कर दिया साथ ही आशीर्वाद भी दिया की कौड़ी जिसका कोई मोल नहीं होता तुम्हें उसी रूप में पूजा जाएगा और प्रत्येक युग में पूजने वाला भक्त कभी गरीब नहीं होगा।    

ग्रंथों में लिखी कथा और स्थानीय लोगों का कहना है मां कोड़िया देवी काशी विश्वनाथ की मानस बहन मानी जाती हैं। जब भगवान राम को शबरी ने भावविभोर होकर जूठे बेर खिलाए तो भगवान ने बहुत प्रसन्न होकर उनके हाथों से बेर खाए लेकिन जब शबरी को अपनी भूल का एहसास हुआ तो उसने भगवान राम से क्षमा मांगी। भगवान ने उसे माफ किया साथ ही आशीर्वाद दिया कि कलयुग में तुम्हारा पूजन होगा और प्रसाद रूप में कौड़ियां चढ़ाई जाएंगी।   

कोड़िया देवी का मंदिर 

यहाँ कोड़िया देवी के मंदिर के बारे में बताया जा रहा है : 

  • कोड़िया देवी का मंदिर उत्तर प्रदेश के बनारस नगर में स्थित है।  
  • इस मंदिर की मान्यता है कि यहाँ आने वाले भक्तों की दरिद्रता दूर कर कोड़िया देवी उन्हें धनी बनाती हैं।  
  • इस मंदिर में प्रसाद के रूप में कोड़िया देवी पर कोडियां चढ़ाई जाती हैं।  
  • कोड़िया देवी का मंदिर वाराणसी के खोजवां इलाके में पड़ता है।

सहरिया जनजाति की प्रथाएं 

यहाँ सहरिया जनजाति की कुछ प्रमुख प्रथाओं के बारे में बताया जा रहा है : 

  • सहरिया जनजाति में भिक्षा माँगना वर्जित है। 
  • सहरिया जनजाति के पुरुष अपने शरीर पर कहीं भी टैटू (गोदना) नहीं बनवा सकते।  
  • सहरिया जनजाति में लड़की के पैदा होने पर बहुत खुशी मनाई जाती है। इस जनजाति में लड़की के जन्म को बहुत ही शुभ मानते हैं। 
  • सहरिया जनजाति के लोग महुआ फल से बनी दारु पीना पसंद करते हैं। 
  • सहरिया जनजाति में दीपावली के पर्व पर ‘हीड़’ गाने की परम्परा प्रचलित है। सहरिया जनजाति के स्त्री-पुरुष सामूहिक नृत्य नहीं करते हैं।

आशा है कि आपको इस ब्लाॅग में सहरिया जनजाति की कुलदेवी के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी प्रकार के अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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