क्या आपके संस्कृत के अध्यापक ने कभी आपको Jal Shabd Roop लिखने या कक्षा में सुनाने के लिए कहा है? या आपने उन्हें ये कहते सुना है कि जल शब्द रूप बहुत महत्वपूर्ण है। Jal Shabd Roop छोटी कक्षा से लेकर 12वीं कक्षा तक पूछा जाता है क्योंकि यह संस्कृत की नींव है। आपको बता दें कि इससे जुड़े हुए प्रश्न कई प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। Shabd Roop के जरिए हम किसी भी शब्द का प्रयोग सही ढंग से कर सकते हैं और उसका अर्थ भी सही से समझ सकते हैं। इस ब्लॉग में Jal Shabd Roop Sanskrit mein, शब्द रूप किसे कहते हैं?, अकारांत नपुंसकलिंग संज्ञा शब्द किसे कहते हैं? के बारे में दिया गया है।
अकारांत नपुंसकलिंग संज्ञा शब्द किसे कहते हैं?
अकारांत नपुंसकलिंग संज्ञा शब्द वे शब्द होते हैं जिनके अंत में ‘अ’ स्वर होता है और जिनका लिंग नपुंसक होता है। आपको बता दें कि सभी अकारांत नपुंसकलिंग संज्ञापदों के शब्द रूप एक ही प्रकार से बनते हैं। जैसे – ज्ञान, धन, जल, वन, नगर, गृह, पुष्प, पत्र, कमल, वस्त्र, बल, पुस्तक, अन्न, दुग्ध, मित्र, मुख, नक्षत्र, पक्षी, तेल, क्षीर आदि।
शब्द रूप किसे कहते हैं?
जैसा कि हम उच्चारण से समझ सकते हैं शब्द रूप अर्थात एक शब्द के विभिन्न रूप होते हैं। शब्द रूप की परिभाषा यह है कि शब्द के विभिन्न विभक्तियों में होने वाले परिवर्तन को शब्द रूप कहते हैं। शब्द रूप व्याकरण का एक महत्वपूर्ण विषय है, इसे याद करने से हमें यह जानने में मदद मिलती है कि किसी शब्द का प्रयोग विभक्ति और वचन के अनुसार किस प्रकार किया जाता है।
जल शब्द रूप संस्कृत में (Jal Shabd Roop Sanskrit Mein)
जल शब्द रूप (Jal Shabd Roop) समझ लेने से संस्कृत में वचन के अनुसार वाक्यों में इसका प्रयोग करना आसान हो जाता है, जो इस प्रकार हैं –
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथमा | जलम् | जले | जलानि |
द्वितीया | जलम् | जले | जलानि |
तृतीया | जलेन | जलाभ्याम् | जलैः |
चतुर्थी | जलाय | जलाभ्याम् | जलेभ्य: |
पंचमी | जलात् | जलाभ्याम् | जलेभ्य: |
षष्ठी | जलस्य | जलयोः | जलानाम् |
सप्तमी | जले | जलयोः | जलेषु |
संबोधन | हे जलम् ! | हे जले ! | हे जलानि ! |
अकारांत नपुंसकलिंग शब्द रूप
अकारान्त पुल्लिंग शब्द रूप
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उम्मीद है आप सभी को Jal Shabd Roop Sanskrit mein समझ आए होंगे। संस्कृत व्याकरण के अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।