इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष, दुनिया के सबसे पुराने और सबसे जटिल संघर्षों में से एक है। यह संघर्ष इजराइल और फिलिस्तीन के बीच है, जहां दोनों देश अपनी ज़मीन, पहचान और अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। यूपीएससी की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए यह एक महत्वपूर्ण विषय है क्योंकि यह न केवल अंतर्राष्ट्रीय संबंधों से जुड़ा हुआ है, बल्कि वैश्विक राजनीति पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। इस ब्लॉग में हम यूपीएससी एस्पिरेंट्स के लिए इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष (Israel Palestine Conflict UPSC in Hindi) की पूरी जानकारी साझा करेंगे, ताकि छात्र इस विषय को अच्छे से समझ सकें।
This Blog Includes:
- इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष क्या है?
- इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष की शुरुआत कैसे हुई?
- इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष के मुख्य कारण क्या है?
- दोनों देशों के मध्य विवाद के प्रमुख स्थल
- इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष में विभिन्न देशों के दृष्टिकोण
- इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष का समाधान क्या है?
- इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष से जुड़े यूपीएससी के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
- FAQs
इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष क्या है?
इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष (Israel Palestine Conflict UPSC in Hindi) एक लंबे समय से चल रहा विवाद है, जो मुख्य रूप से ज़मीन, पहचान, और धार्मिक मुद्दों से जुड़ा हुआ है। यह संघर्ष इजराइल और फिलिस्तीन के बीच है। इस संघर्ष में कई देशों की भागीदारी है। अमेरिका ने इजराइल का समर्थन किया है, जबकि तुर्की, पाकिस्तान, और कई अरब देश फिलिस्तीन के पक्ष में हैं। यह विवाद न केवल इन दोनों देशों के बीच है, बल्कि वैश्विक राजनीति और शांति के लिए भी बड़ी चुनौती है।
इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष की शुरुआत कैसे हुई?
इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष की शुरुआत 20वीं सदी की शुरुआत में हुई जब ब्रिटिश साम्राज्य ने प्रथम विश्व युद्ध के बाद इस क्षेत्र पर नियंत्रण किया। इसके बाद यहूदियों और अरबों के बीच भूमि को लेकर विवाद उत्पन्न हुए। 1947 में, संयुक्त राष्ट्र ने इस क्षेत्र को दो हिस्सों में बांटने की योजना बनाई – एक हिस्सा यहूदियों के लिए और दूसरा अरबों के लिए। 1948 में इजराइल ने एक स्वतंत्र देश के रूप में अपनी स्थापना की, जिसका अरब देशों और फिलिस्तीनियों ने विरोध किया। इसके बाद इजराइल और फिलिस्तीन के बीच कई संघर्ष हुए। फिलिस्तीनियों ने इजराइल द्वारा कब्जाए गए क्षेत्रों में अपने स्वतंत्र राज्य की मांग की।
आज भी यह संघर्ष जारी है, विशेषकर येरुशलम, वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी जैसे क्षेत्रों को लेकर, जिन पर दोनों पक्ष दावा करते हैं। इस संघर्ष के समाधान के लिए विभिन्न प्रयास किए गए हैं, लेकिन स्थिति जटिल बनी हुई है।
इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष के मुख्य कारण क्या है?
इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
- भूमि विवाद: इजराइल और फिलिस्तीन के बीच सबसे बड़ा विवाद भूमि को लेकर है। फिलिस्तीनियों का कहना है कि इजराइल ने उनकी ज़मीन पर कब्जा किया है, जबकि इजराइल इसे अपना ऐतिहासिक और कानूनी घर मानता है।
- येरुशलम का विवाद: येरुशलम शहर, जो यहूदी, मुस्लिम और ईसाई धर्मों के लिए पवित्र है, पर दोनों पक्षों का दावा है। इस शहर को लेकर दोनों के बीच तनाव बना रहता है।
- शरणार्थी समस्या: 1948 में इजराइल के गठन के समय, अरब-इजराइल युद्ध के बाद लाखों फिलिस्तीनी अपने घरों से बेदखल हो गए। उनकी वापसी और पुनर्वास की समस्या आज भी एक बड़ा विवाद है।
- सुरक्षा और सीमाएं: दोनों पक्षों के बीच सुरक्षा और सीमाओं को लेकर भी मतभेद हैं। इजराइल अपनी सुरक्षा के लिए वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में दीवारें और चेकपोस्ट बनाता है, जबकि फिलिस्तीनी इसे अपनी स्वतंत्रता पर अतिक्रमण मानते हैं।
- अंतरराष्ट्रीय समर्थन और प्रभाव: इजराइल को पश्चिमी देशों, विशेष रूप से अमेरिका से समर्थन मिलता है, जबकि फिलिस्तीनी संघर्ष को कई अरब और मुस्लिम देशों से समर्थन प्राप्त है। इससे संघर्ष और जटिल हो गया है।
- विश्वास और शांति समझौते: कई शांति समझौतों के बावजूद, दोनों पक्षों के बीच विश्वास की कमी और हिंसा जारी रहने से यह संघर्ष खत्म नहीं हो पाया।
दोनों देशों के मध्य विवाद के प्रमुख स्थल
इजराइल और फिलिस्तीन के बीच विवाद के प्रमुख स्थल निम्नलिखित हैं:
येरुशलम
येरुशलम दोनों देशों के लिए अत्यधिक संवेदनशील और विवादित स्थान है। यह शहर यहूदी, ईसाई और मुस्लिम धर्मों के लिए पवित्र माना जाता है। 1948 से पश्चिमी येरुशलम पर इजराइल का कब्जा है, जबकि पूर्वी येरुशलम में फिलिस्तीनी लोगों की संख्या अधिक है। 1980 में इजराइल ने एक कानून पारित किया, जिसमें कहा गया कि “येरुशलम पूरी तरह से इजराइल की राजधानी है।” फिलिस्तीन इसका विरोध करता है और पूर्वी येरुशलम को अपनी भविष्य की राजधानी मानता है।
अल-अक्सा मस्जिद
अल-अक्सा मस्जिद इस्लाम का तीसरा सबसे पवित्र स्थान है और यहूदी इसे अपनी सबसे पवित्र जगह मानते हैं। यह स्थान यहूदियों के लिए ‘टेंपल माउंट’ और मुसलमानों के लिए ‘अल-हरम अल-शरीफ’ के नाम से जाना जाता है। यहाँ ‘अल-अक्सा मस्जिद’ और ‘डोम ऑफ द रॉक’ स्थित हैं। इस पवित्र स्थल पर दोनों समुदायों के अधिकार के दावे से अक्सर विवाद उत्पन्न होता है।
गाजा पट्टी
गाजा पट्टी मिस्त्र और इजराइल के बीच भूमध्यसागरीय तट पर स्थित है। यह फिलिस्तीनियों के नियंत्रण में है, लेकिन इजराइल ने इसे चारों ओर से घेर रखा है। गाजा में हमास नामक इस्लामिक समूह का शासन है, जो इजराइल के साथ लगातार संघर्ष करता रहता है।
शेख जर्राह
शेख जर्राह पूर्वी येरुशलम के उत्तर में स्थित एक इलाका है। 1948 में जब इजराइल का गठन हुआ, तो लाखों फिलिस्तीनी परिवारों को उनके घरों से बेदखल कर दिया गया। इनमें से कुछ परिवार शेख जर्राह में आकर बस गए थे। इस इलाके में फिलिस्तीनी परिवारों को निकालने के प्रयासों से हाल के वर्षों में तनाव बढ़ा है।
वेस्ट बैंक
वेस्ट बैंक एक ऐसा इलाका है, जो इजराइल और जॉर्डन के बीच स्थित है और चारों ओर से जमीन से घिरा हुआ है। 1948 के युद्ध में जॉर्डन ने इस पर कब्जा कर लिया था, लेकिन 1967 के युद्ध में इजराइल ने इसे फिर से ले लिया और तब से इसका नियंत्रण इजराइल के पास है। वेस्ट बैंक में कई फिलिस्तीनी समुदाय रहते हैं, और यहाँ इजराइल की बस्तियाँ भी हैं, जिनके कारण दोनों के बीच संघर्ष होता है।
ये सभी स्थल इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इन स्थानों पर विवादों के चलते शांति प्रयासों में लगातार बाधाएँ आती हैं।
इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष में विभिन्न देशों के दृष्टिकोण
इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष में विभिन्न देशों के दृष्टिकोण अलग-अलग रहे हैं। इस संघर्ष में अमेरिका, तुर्की, पाकिस्तान और अन्य अरब देशों का बहुत बड़ा योगदान रहा है, आईये जानते हैं –
अमेरिका का पक्ष
इस संघर्ष में अमेरिका ने इजराइल का पक्ष लिया है और उसका मानना है कि इजराइल को अपनी आत्मरक्षा का पूरा अधिकार है। अमेरिका के अनुसार, अगर इजराइल अपनी रक्षा के लिए किसी दूसरे देश पर सैनिक कार्रवाई करता है, तो उसे गलत नहीं ठहराया जा सकता। अमेरिका का यह समर्थन इसलिए भी है क्योंकि वहां यहूदियों की संख्या इजराइल में मौजूद यहूदियों से ज्यादा है। इसके अलावा, संयुक्त राज्य अमेरिका की अर्थव्यवस्था और तकनीक के क्षेत्र में यहूदियों का बहुमूल्य योगदान है।
तुर्की और पाकिस्तान का पक्ष
तुर्की और पाकिस्तान जैसे देशों ने खुले तौर पर फिलिस्तीन का पक्ष लिया है और इसे एक स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास किए हैं। तुर्की और पकिस्तान , जो खुद एक मुस्लिम बहुल देश है, हमेशा फिलिस्तीनियों के अधिकारों के पक्ष में खड़े रहे हैं और इसके लिए वैश्विक मंचों पर आवाज उठाई है।
अरब देशों और इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) का समर्थन
इसके अलावा, विभिन्न अरब देशों ने भी फिलिस्तीन के समर्थन में आवाज उठाई है। अरब लीग और ‘इस्लामिक सहयोग संगठन’ (OIC) ने हमेशा फिलिस्तीन के दावे को सही मानते हुए उसे एक स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित करने की मांग की है। इन देशों का मानना है कि फिलिस्तीनियों को अपने अधिकार मिलना चाहिए और उनका संघर्ष पूरी दुनिया में मान्यता प्राप्त करना चाहिए।
भारत का दृष्टिकोण और भूमिका
भारत ने इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष में न तो केवल इजराइल का समर्थन किया, न ही केवल फिलिस्तीन का। बल्कि, भारत ने दोनों देशों के अधिकारों का सम्मान किया है और संघर्ष के समाधान के लिए दोनों पक्षों के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रयास किया है। इसे एक निष्पक्ष दृष्टिकोण भी कहा जा सकता है।
इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष का समाधान क्या है?
इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष का समाधान शांति और आपसी समझ के जरिए हो सकता है। दोनों पक्षों को ‘ओस्लो शांति समझौते’ के तहत दो राज्यों के समाधान पर विचार करना चाहिए। कुछ लोग यह सुझाव देते हैं कि सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और संसाधनों के लिए दोनों देशों के बीच सहयोग हो, लेकिन वे अपनी-अपनी सीमाओं में स्वतंत्र रहें।
इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष से जुड़े यूपीएससी के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष से जुड़े यूपीएससी (Israel Palestine Conflict UPSC in Hindi) के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर इस प्रकार से हैं :
- इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष की शुरुआत कब हुई थी?
- 1945
- 1947
- 1948
- 1950
उत्तर: 1948
2 . ‘ओस्लो शांति समझौता’ किसके बीच हुआ था?
- इज़राइल और मिस्र
- इज़राइल और फिलिस्तीनी प्राधिकरण
- इज़राइल और जॉर्डन
- इज़राइल और लेबनान
उत्तर: इज़राइल और फिलिस्तीनी प्राधिकरण
3. किस वर्ष में इज़राइल और फिलिस्तीन के बीच शांति प्रक्रिया के लिए ओस्लो समझौता हुआ था?
- 1991
- 1992
- 1993
- 1995
उत्तर : 1993
4. फिलिस्तीनी शरणार्थी संकट किस घटना के बाद बढ़ा था?
- 1947 में बंटवारा
- 1948 में अरब-इज़राइल युद्ध
- 1967 में छह दिन युद्ध
- 1973 में योम किप्पुर युद्ध
उत्तर: 1948 में अरब-इज़राइल युद्ध
5. इज़राइल के साथ कूटनीतिक संबंध स्थापित करने वाला पहला एशियाई देश कौन सा था?
- भारत
- पाकिस्तान
- चीन
- जापान
उत्तर: भारत
6. इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष में येरुशलम का क्या महत्व है?
- यहूदी, मुस्लिम और ईसाई धर्मों के लिए पवित्र शहर
- इज़राइल की सबसे बड़ी राजधानी
- फिलिस्तीन की धार्मिक राजधानी
- उपरोक्त सभी
उत्तर : यहूदी, मुस्लिम और ईसाई धर्मों के लिए पवित्र शहर
7. 1967 के छह दिन युद्ध में किसने वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी पर कब्जा किया था?
- इज़राइल
- फिलिस्तीनी प्राधिकरण
- जॉर्डन
- मिस्र
उत्तर: इज़राइल
8. किस सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव ने इज़राइल और फिलिस्तीन के विवाद को लेकर ‘दो-राज्य समाधान’ की बात की?
- प्रस्ताव 242
- प्रस्ताव 194
- प्रस्ताव 2334
- प्रस्ताव 376
उत्तर : प्रस्ताव 242
9. इज़राइल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष का मुख्य मुद्दा क्या है?
- तेल संसाधन
- भूमि अधिकार और राजनीतिक पहचान
- जल आपूर्ति
- धार्मिक भेदभाव
उत्तर : भूमि अधिकार और राजनीतिक पहचान
10. किसने फिलिस्तीनियों के ‘नेशनल होम’ के रूप में फिलिस्तीन को स्थापित करने का समर्थन किया था?
- संयुक्त राष्ट्र
- ब्रिटिश विदेश सचिव आर्थर जेम्स बॅल्फोर
- अमेरिका
- रूस
उत्तर: ब्रिटिश विदेश सचिव आर्थर जेम्स बॅल्फोर
FAQs
इजरायल और फिलिस्तीन के बीच विवाद का मुख्य कारण भूमि का अधिकार और राजनीतिक पहचान है।
हमास एक इस्लामिक समूह है, जो 1987 में बना था। इसका मुख्य उद्देश्य इज़राइल को हटाकर फिलिस्तीन में इस्लामिक सरकार बनाना है। गाजा एक छोटा सा इलाका है, जो इज़राइल और मिस्र के बीच स्थित है। यहां पर हमास का शासन है और यह इज़राइल से बार-बार संघर्ष करता है।
इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष की शुरुआत, 20वीं सदी के शुरुआत में हुई थी।
फिलिस्तीन पर अधिकार का सवाल बहुत विवादित है। फिलिस्तीन की अधिकांश भूमि पर फिलिस्तीनी लोग निवास करते हैं, लेकिन इज़राइल ने 1948 में अपने राज्य की स्थापना के बाद से कई क्षेत्रों पर नियंत्रण कर लिया है।
बाइबल में फिलीस्तीन को कैन्नन कहा गया है और उससे पहले ग्रीक इसे फलस्तिया कहते थे।
इजराइल का दूसरा नाम “यहूदी राज्य” (Jewish State) है।
भारत ने दोनों देशों के अधिकारों का सम्मान किया है और संघर्ष के समाधान के लिए दोनों पक्षों के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रयास किया है।
संयुक्त राष्ट्र ने इस संघर्ष को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने के लिए कई प्रस्ताव दिए हैं, जैसे दो-राज्य समाधान और येरुशलम का अंतर्राष्ट्रीय नियंत्रण।
ऑस्लो शांति समझौता 1993 में इजराइल और फिलिस्तीनी नेतृत्व के बीच हुआ, जिसमें दोनों पक्षों ने शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का वादा किया।
संबंधित आर्टिकल्स
उम्मीद है कि इस ब्लाॅग में आपको Israel Palestine Conflict UPSC in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। ऐसे ही UPSC से जुड़े ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।