Hindi Origin कैसे हुआ जानिए इसके पीछे की पूरी जानकारी

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Hindi Origin

हिंदी का जन्म विश्व की प्राचीनतम भाषाओं में से एक संस्कृत से हुआ है। आज हिंदी दुनिया की सबसे बड़ी आबादी द्वारा बोली और समझे जानी वाली भाषा है। हिंदी विश्व की प्रमुख भाषाओं में से एक है तथा भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। एथनोलॉग के अनुसार हिन्दी विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। भाषाई सर्वेक्षणों के अनुसार दुनिया की आबादी का 18 प्रतिशत इसे समझता है। आइए जानें कैसे हुई Hindi Origin विस्तार से। 

Hindi Origin

जैसा की सभी जानते हैं, संस्कृत भारत की सबसे प्राचीन भाषा है। यह आर्य भाषा और देव भाषा के नाम से भी जानी जाती है। हिंदी इसी आर्य भाषा की उत्तराधिकारिणी मानी जाती है। भारतीय आर्यभाषाओं को तीन कालखंडो में बांटा गया है:-

  1. प्राचीन भारतीय आर्यभाषाएँ (1500 ई.पू – 500 ई.पू )

           भारतीय आर्य भाषाओं का सबसे प्राचीन रूप वेदों में मिलता है। इस भाषा में रूप बहुत अधिक हैं । इस भाषा में नियमों की कमी देखी गई। प्राचीन भारतीय आर्य भाषा को दो भागों में बाँटा गया है –

  • वैदिक संस्कृत (200 ई.पू -800 ई.पू )
  • लौकिक संस्कृत (800 ई.पू – 500 ई.पू )
  1. मध्यकालीन भारतीय आर्यभाषाएँ 

मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाओं को तीन भागों में बांटा गया है-

  • पाली (500 ई.पू – 1 ई ) – यह मध्यकालीन आर्यभाषा के पहले चरण की भाषा है। यह भाषा बौद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा प्रयोग की गई। इस भाषा का नामकरण आधुनिक काल के यूरोपीय अनुयायियों द्वारा किया गया। इस भाषा के नामकरण को लेकर विद्वानों में मतभेद है। पाली के भाषा क्षेत्र को लेकर भी विद्वानों में मतभेद है। कुछ विद्वानों के अनुसार यह मगध की बोली है, तो कुछ के अनुसार उज्जयनी की। परन्तु यह एक ऐतिहासिक सत्य है की पाली भाषा का सबसे अधिक प्रयोग बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार के लिए, बौद्ध भिक्षुओं द्वारा किया गया। 
  • प्राकृत (1 ई – 500 ई ) – विद्वानों द्वारा इस बात पर सहमति रही की प्राकृत जनभाषा यानी सामान्य लोगों की भाषा थी। इस वजह से इसका नाम प्राकृत पड़ गया था। प्राकृत शब्द का मतलब तीन तरीकों से लिया जा सकता है। पहला आशय है अभिलेख प्राकृत से। दुसरे में भारत और भारत के बाहर अनगिनत प्राकृत हैं। तीसरे में प्राकृत में अवहट्ट और अपभंश को शामिल कर सकते हैं। इस तरह भूगोल, धर्म और साहित्य के आधार पर प्राकृत के भिन्न -भिन्न भेद किए जा सकते हैं। 
  • अपभ्रंश (500 ई – 1000 ई ) – अपभ्रंश मध्यकालीन भारतीय आर्यभाषा और आधुनिक भारतीय आर्यभाषाओं के बीच का पुल है। इसलिए विद्वानों ने अपभ्रंश को “ संधिकाल” कहा। 

अपभ्रंश शब्द का सबसे पहला प्रामाणिक प्रयोग पतंजलि द्वारा लिखे गए महाभाष्य में देखने को  मिलता है। अवहट्ट अपभ्रंश का ही परिवर्तित रूप है। 

  1. आधुनिक भारतीय भाषाएँ (1000 ई –  अब तक)

आधुनिक आर्यभाषाओं का समय काल 1000 ई से अब तक माना जाता है। आधुनिक भारतीय आर्यभाषाओं का विकास अपभ्रंश से हुआ है। जो परिवर्तन और ह्रास की क्रिया मध्यकाल के आरम्भ में चल पड़ी थी, वह आधुनिक आर्यभाषा के रूप में पूरी हुई। भाषा का स्वरुप और बनावट धीरे- धीरे समय और दूरी के साथ बदलता रहा। जहाँ, मध्यदेश में नवीन परिवर्तन होते रहे, वहीं भाषा का प्राचीन रूप भी उसमें सुरक्षित रहा। 

हिंदी भाषा क्या है? 

हिंदी भाषा भारत की राजभाषा है और विश्व की एक प्रमुख भाषा है। केंद्रीय स्तर पर भारत की दूसरी आधिकारिक भाषा अंग्रेज़ी है। हिंदी भाषा को भारत की राष्ट्रभाषा का दर्जा प्राप्त नहीं है क्योंकि भारत के संविधान में किसी भी भाषा को ऐसा दर्जा नहीं दिया गया है।

हिंदी भाषा का ज़िक्र भारतीय संविधान के भाग 17 और 18वीं अनुसूची में अनुच्छेद 343 -351 में है। 8वीं अनुसूची में शामिल भारतीय भाषाओं की कुल संख्या 22 है। 

हिंदी भाषा भारत में संपर्क भाषा का कार्य करती है। हिंदी और इसकी बोलियाँ पूरे भारत में बोली समझी जाती हैं। भारत के अलावा अन्य देशों में भी हिंदी भाषा बोली, पढ़ी और लिखी जाती है। मॉरिशस, फ़िजी, सूरीनाम, गयाना, नेपाल और संयुक्त अरब अमीरात में भी हिंदी या इसकी अन्य बोलियों का प्रयोग करने वालों की बड़ी संख्या मौजूद है। 

हिंदी की उत्पत्ति

हिंदी शब्द की उत्पत्ति सिंधु शब्द से हुई है, यहाँ सिंधु का आशय सिंधु नदी से है। जब ईरानी लोग उत्तर पश्चिम की ओर से भारत आए, तब उन्होंने सिंधु नदी के आसपास रहने वाले लोगों को हिंदू कहा क्योंकि ईरानी भाषा में ‘स’ को ‘ह’ और ‘ध’ को ‘द’ कहते हैं। 

इस प्रकार यह सिंधु से हिन्दू बना और हिन्दू से हिन्द। हिन्द देश की भाषा को हिंदवी कहा जाने लगा। कालांतर में यह हिंदी हो गया। हिंदी फ़ारसी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है हिंदी देश के निवासी। 

हिंदी का विकास

हिंदी भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषाओं में से एक है जो विश्व में तीसरी सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा है। जनगणना 2011 के अनुसार भारत की 57% जनसंख्या हिंदी जानती है।

हिंदी भाषा के विकास का लंबा इतिहास है। भाषाई विद्वान 1000 ई. से आधुनिक भारतीय भाषाओं का इतिहास मानते हैं। राहुल सांस्कृत्यायन के अनुसार भी हिंदी का विकास 1000 ई. से है। हिंदी भी आधुनिक आर्यभाषा है जिसका जन्म संस्कृत, पालि, प्राकृत से होते हुए अपभ्रंश से हुआ है। प्राकृत की अंतिम अवस्था जो कि अपभ्रंश है से ही हिंदी भाषा का आविर्भाव माना जाता है। कुछ विद्वानों ने अपभ्रंश और हिंदी के बीच ‘अवहट्ट’ भाषा की स्थिति की बात की है। चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ द्वारा इसी अवहट्ट को ‘पुरानी हिंदी’ नाम दिया है।

प्राकृत और अपभ्रंश का प्राचीन हिंदी पर स्पष्ट प्रभाव दिखाई देता है। पुरानी अपभ्रंश भाषा और बोलचाल की देशी भाषा का प्रयोग निरंतर बढ़ता गया। इस भाषा को विद्यापति द्वारा ‘देशी भाषा’ कहा गया। 14वीं शताब्दी से आधुनिक भाषाओं का स्पष्ट रूप देखने को मिलता है। परंतु अपभ्रंश की प्रवृत्तियाँ इसमें मिली जुली रहीं, जो धीरे-धीरे कम होती गई। 

हिंदी का वर्तमान स्वरुप 

आज जिसे हिंदी कहते हैं, वह खड़ी बोली हिंदी का विकसित रूप है। खड़ी बोली हिंदी का नाम यह क्यों और कैसे पड़ा, इसको लेकर विद्वानों में मतभेद है। खड़ी बोली हिंदी के नामकरण को लेकर मुख्य रूप से तीन मत हैं –

  • यह खरी बोली है। खरी से बिगड़कर इसका नाम खड़ी बोली पड़ गया। 
  • ब्रजभाषा की तुलना में कर्कश होने के कारण इसे खड़ी बोली नाम से जाना जाने लगा। 
  • मेरठ के आस पास की बोली – पड़ी बोली को खड़ी बनाकर उसका लश्करों के रूप में प्रयोग किया जाने लगा।

हिंदी कितने देशों में बोली जाती है?

हिंदी भाषा विश्व में अधिकतम लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा है। भारत के अतिरिक्त हिंदी भाषा कई अन्य देशों में बोली जाती है। नेपाल, मॉरिशस, सूरीनाम, गुयाना, त्रिनिदाद, टोबैगो और फिजी जैसे अन्य देशों में बोली जाती है। नीचे उन देशों के नामों की सूची दी गयी है जहाँ हिंदी भाषा बोली जाती है। 

  • नेपाल 
  • मॉरिशस 
  • त्रिनिदाद 
  • फिजी 
  • टोबैगो 
  • गुयाना 
  • सूरीनाम 
  • बांग्लादेश 
  • सिंगापुर 

FAQs

हिंदी भाषा कैसे बनी?

हिन्दी का वर्तमान स्वरूप शौरसेनी और अर्धमागधी अपभ्रंशों से विकसित होकर बना है । 1000 ई॰ के आसपास इसकी स्वतन्त्र सत्ता को पहचान मिलने लगी थी, जब अपभ्रंश भाषाएँ साहित्यिक सन्दर्भों में प्रयोग में आ रही थीं। यही भाषाएँ बाद में विकसित होकर आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं के रूप में जानी गयीं। इस तरह Hindi Origin हुई। 

Hindi Origin कैसे हुई?

हिंदी भाषा का जो विकास Hindi Origin हुआ वह अपभ्रंश से हुआ है और इस भाषा से कई आधुनिक भारतीय भाषाओं और उपभाषाओं की उत्पत्ति हुई, जिसमें शौरसेनी (पश्चिमी हिन्दी, राजस्थानी और गुजराती), पैशाची (लंहदा, पंजाबी), ब्राचड़ (सिन्धी), खस (पहाड़ी), महाराष्ट्री (मराठी), मागधी (बिहारी, बांग्ला, उड़िया और असमिया), और अर्ध मागधी शामिल हैं। 

Hindi Origin में हिंदी भाषा के जनक कौन हैं?

भारतेन्दु हरिश्चंद्र को हिंदी भाषा Hindi Origin का जनक कहा जाता है। वे हिंदी के महान लेखक थे और उन्होंने आधुनिक हिंदी गद्य लेखन की शुरुआत की। 

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