Heat Waves UPSC in Hindi: ग्लोबल वार्मिंग के कारण आज विश्व के कोने-कोने में मौसम के बदलते स्वरुप को देखा जा रहा है, जो मानव जाति के भविष्य पर किसी बड़े संकट के समान है। इन्हीं खतरों में से एक हीट वेव्स (Heat Waves) भी है, जो कि भारत में एक गंभीर समस्या है। यह न केवल पर्यावरण को बल्कि मानव जीवन, कृषि, और आर्थिक गतिविधियों को भी गंभीर से प्रभावित करती है। बता दें कि हीट वेव्स एक ऐसा विषय है जिससे संबंधित प्रश्नों को ‘संघ लोक सेवा आयोग’ (UPSC) की परीक्षा में अकसर पूछा जाता है।
वहीं परीक्षा की तैयारी करने वाले सभी कैंडिडेट्स को ज्ञात होना चाहिए कि हीट वेव्स (Heat Wave) को हिंदी में ‘लू’ कहा जाता है, जो जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न होती है। इस ब्लॉग में कैंडिडेट्स के लिए हीट वेव्स के बारे में (Heat Waves UPSC in Hindi) संपूर्ण जानकारी दी गई है, इसलिए ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़ें।
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हीट वेव्स के बारे में – Heat Waves UPSC in Hindi
जब तापमान किसी दिए गए क्षेत्र के सामान्य औसत से अधिक हो जाता है तो उसे हीट वेव कहते हैं। हीट वेव्स (Heat Waves) भारत में गर्मी के मौसम में एक गंभीर समस्या बन जाती है। हीट वेव्स एक ऐसी स्थिति है जिसमें किसी क्षेत्र के सामान्य तापमान से अधिक बढ़ोत्तरी होती है। इस स्थिति को आसान भाषा में ‘लू’ भी कहा जाता हैं, जिसकी जांच भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा निर्धारित पैमाने से की जाती है।
आसान भाषा में समझें तो यदि किसी क्षेत्र में तापमान सामान्य से 4.5°C से अधिक हो, मैदानी क्षेत्रों में 40°C, पहाड़ी क्षेत्रों में 30°C, और तटीय क्षेत्रों में 37°C या उससे अधिक तापमान हो, तो उसे हीट वेव कहा जाता है।
हीट वेव्स के कारण
नीचे दिए गए बिंदुओं में हीट वेव्स के कारण (Heat Waves UPSC in Hindi) दिए गए हैं :-
- हीट वेव्स का मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन है, क्योंकि ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ते उत्सर्जन से वैश्विक तापमान में वृद्धि हो रही है जिससे हीट वेव्स का खतरा लगातार बढ़ रहा है।
- आधुनिक दौर में बढ़ती मानव गतिविधियां भी इसका एक प्रमुख कारण है।
- वनों की कटाई के कारण वनस्पति की कमी से वातावरण में गर्मी बनी रहती है, जिससे हीट वेव्स की उत्पत्ति होती है।
- औद्योगिकीकरण भी इसका एक मुख्य कारण है, जिससे भविष्य में हीट वेव्स एक बड़े खतरे के रूप में उभर रहा है।
- इसका एक मुख्य कारण मौसमी प्रभाव भी है, जो मानसून पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है और गर्मी की तीव्रता बढ़ाता है।
- अधिक जनसंख्या घनत्त्व वाले शहरी क्षेत्र, इमारतें और कंक्रीट की सतह अधिक गर्मी को अवशोषित करती हैं तथा ऊष्मा को बनाए रखती हैं जिस कारण हीट वेव (Heat Waves) के दौरान तापमान उच्च होता है।
हीट वेव्स का प्रभाव
हीट वेव्स के प्रभाव को नीचे दिए गए बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता हैं:-
- हीट वेव्स का प्रभाव मानव स्वास्थ्य पर पड़ता है, जिससे लू लगना, निर्जलीकरण, हृदय और श्वसन रोगों में बढ़ोत्तरी देखी जाती है।
- इसका प्रभाव कृषि के क्षेत्र पर भी पड़ता है, जिससे फसलों की उत्पादकता में कमी और जल संकट जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
- इसका प्रभाव पर्यावरण पर भी पड़ता है, जिसके तहत जंगलों में आग लगने की घटनाएं और जैव विविधता पर खतरे की घटनाओं में वृद्धि होती है।
- हीट वेव्स (Heat Waves) का आर्थिक प्रभाव भी है, जिससे श्रमिक उत्पादकता में गिरावट आती है और बिजली की मांग में वृद्धि होती है।
भारत में हीट वेव्स की स्थिति
भारत में हीट वेव्स की स्थिति (Heat Waves UPSC in Hindi) इस प्रकार हैं-
- भारत में हीट वेव्स का प्रभाव राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में सर्वाधिक होता है।
- बता दें कि वर्ष 2023 में, हीट वेव्स के मार्च और अप्रैल में रिकॉर्ड तोड़ तापमान को दर्ज किया गया था।
- वर्ष 2015 में तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में हीट वेव्स के कारण 2,500 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई थी।
- भारत के कई हिस्सों में पिछले कुछ दशकों में ग्रीष्मकालीन औसत तापमान में वृद्धि पाई गई है। बता दें कि IPCC की रिपोर्ट के अनुसार, ग्लोबल वार्मिंग के चलते हीट वेव्स की आवृत्ति और तीव्रता में लगातार बढ़ोत्तरी देखी जा रही है।
- भारत में वर्ष 1951-1980 की तुलना में वर्ष 1991-2020 के बीच हीट वेव्स की घटनाओं में 3 गुना वृद्धि पाई गई है।
- भारत में हीट वेव्स का प्रभाव वृद्ध और बच्चों पर अधिक देखा गया है, जिसके तहत वर्ष 2022 में लू से 25% अधिक मृत्यु दर को दर्ज किया गया है।
भारत में हीट वेव्स पर सरकार की पहल
भारत में हीट वेव्स पर सरकार की पहल के बारे में आप निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से जान सकते हैं:-
- वर्ष 2013 में अहमदाबाद में पहला ‘हीट एक्शन प्लान’ (Heat Action Plan) लागू हुआ था, जो कि वर्तमान में कई राज्यों में लागू किया जा चुका है।
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) द्वारा राज्यों के लिए हीट वेव्स प्रबंधन की गाइडलाइंस को जारी किया गया ताकि इससे अधिकाधिक लोगों को बचाया जा सके।
- वर्ष 2019 में राष्ट्रीय शीतलन योजना (National Cooling Action Plan) को शुरू किया गया, जिसका उद्देश्य इस संकट से देश को बचाया जा सके।
- सरकार द्वारा समय-समय पर वृक्षारोपण अभियान को बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि पर्यावरण संरक्षण करके इस समस्या से बचा जा सके।
हीट वेव्स पर रोकथाम के उपाय
हीट वेव्स (Heat Waves UPSC in Hindi) पर रोकथाम के उपाय कुछ इस प्रकार है –
- हीट वेव्स को रोकने के लिए वन और हरित क्षेत्र को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि लू की गर्म हवाओं से मानवजाति को बचाया जा सके।
- इसके रोकथाम के लिए जल स्रोतों को संरक्षित किया जाना चाहिए, जिससे गर्म हवाओं से खुद के स्वास्थ्य और सूखा पढ़ने से खुद की जमीं को बचाया जा सके।
- इसके रोकथाम के उपाय के लिए हरित ऊर्जा को बढ़ावा देना और कार्बन उत्सर्जन को कम करना लाभकारी साबित होगा।
- इमारतों में ऊर्जा दक्षता बढ़ाने के लिए ‘ग्रीन बिल्डिंग’ तकनीकों को अपनाना चाहिए, इसके साथ ही हरित क्षेत्रों और जल निकायों को संरक्षित किया जाना चाहिए।
UPSC के लिए Heat Waves से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु
UPSC के लिए हीट वेव्स से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं –
- UPSC परीक्षा में निबंध और सामान्य अध्ययन पेपर में जलवायु परिवर्तन, आपदा प्रबंधन, और पर्यावरणीय मुद्दों से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं।
- इस परीक्षा में नैतिकता और प्रशासन को ध्यान में रखते हुए कमजोर वर्गों की सुरक्षा और सरकार की जिम्मेदारी पर आधारित प्रश्न उम्मीदवारों से किए जाते हैं।
- UPSC परीक्षा में भारत में बढ़ती हीट वेव्स के मामलों पर सवाल पूछे जाते हैं।
- UPSC परीक्षा में हीट वेव्स पर सरकार की पहल और नीतियों पर प्रश्न पूछे जाते हैं।
- UPSC परीक्षा के पेपर 3 में पर्यावरण और अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखते हुए प्रश्न किए जाते हैं।
FAQs
हीट वेव्स (Heat Waves) एक ऐसी स्थिति है जिसमें किसी क्षेत्र में सामान्य से अधिक तापमान कई दिनों तक बना रहता है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा निर्धारित सामान्य तापमान से 4-5 डिग्री सेल्सियस अधिक होने को हीट वेव्स की स्थिति माना जाता है।
हीट वेव के प्रमुख कारण वनों की कटाई, जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वॉर्मिंग और स्थानीय प्रभाव हैं।
भारत में Heat Waves की स्थिति इसलिए गंभीर है क्योंकि यहाँ आज भी ग्रामीण जनसंख्या कृषि पर निर्भर करती है, जिन्हें सीधा हीट वेव का सामना करना पड़ सकता है।
हीट वेव का प्रभाव मुख्य रूप से कृषि, स्वास्थ्य, जल संसाधन और अर्थव्यवस्था जैसे क्षेत्रों पर अधिक पड़ता है।
हीट वेव्स (Heat Waves) की स्थिति का पता लगाने का एक ही पैमाना है, जिसके तहत यदि किसी स्थान का अधिकतम तापमान सामान्य से 4-5 डिग्री अधिक होता है, मैदानों में तापमान 40°C से अधिक और पहाड़ी क्षेत्रों में 30°C से अधिक होता है या लगातार दो दिनों तक उच्च तापमान बना रहता है।
हीटवेव अलर्ट, एक ऐसा अलर्ट है जिसे आईएमडी द्वारा तय तापमान के स्टैंडर्ड से मौसम अधिक गर्म होने पर जारी किया जाता है।
हीट वेव से बचाव के लिए दिन के गर्म समय (दोपहर 12 से 3 बजे) में घर से बाहर न निकलें, हल्के और सूती कपड़े पहनें, अधिक मात्रा में पानी पिएं और शरीर को हाइड्रेट रखें, इलेक्ट्रोलाइट्स और फलों का सेवन करें, साथ ही सरकारी चेतावनियों और अपडेट्स का पालन करें।
हीट वेव के प्रमुख लक्षण कुछ इस प्रकार हैं, जिन्हें नीचे दिए गए बिंदुओं के माध्यम से आसानी से समझा जा सकता है:-
सिरदर्द और चक्कर आना।
त्वचा का सूखा और गर्म होना।
अत्यधिक पसीना आना या पसीने का बंद हो जाना।
अत्यधिक थकावट और कमजोरी महसूस करना।
मांसपेशियों में ऐंठन (Heat Cramps) आना।
उल्टी या मिचली महसूस होना।
हृदय गति और सांस लेने की दर तेज हो जाना।
शरीर का तापमान 104°F (40°C) या उससे अधिक हो जाना।
डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) के कारण होंठ और मुंह सूख जाना।
बेहोशी या चेतना खो देना इत्यादि हैं।
हीट वेव से प्रभावित प्रमुख राज्य राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और ओडिशा हैं।
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आशा है कि आपको इस लेख में हीट वेव्स (Heat Waves UPSC in Hindi) से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी मिल गई होगी। ऐसे ही UPSC एग्जाम से संबंधित अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।