जानिए घाघरा का युद्ध कब हुआ और इस युद्ध के क्या परिणाम रहे?

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घाघरा का युद्ध कब हुआ

युद्ध चाहे किसी भी युग या चाहे किसी भी सदी में क्यों न हुआ हो, इसके परिणाम भयावह ही रहे हैं। भारत एक ऐसा राष्ट्र है जिसने अपने ऊपर क्रूरता से भरे अनेकों आक्रमण देखें, अनेकों नरसंहार और रक्तपात की पीड़ाओं को सहकर भी भारत ने अपनी ममता से मानवता का संरक्षण किया। इतिहास पर प्रकाश डालें तो भारत में कई युद्ध मातृभूमि की रक्षा के लिए लड़े गए, तो वहीं कई युद्ध विस्तारवाद की नीति से लड़े गए। इन्हीं युद्धों में से एक युद्ध घाघरा का युद्ध भी था, इस पोस्ट के माध्यम से आप जानेंगे कि घाघरा का युद्ध कब हुआ था?

इतिहास के पन्नों को पलटकर देखा जाए तो भारत एक संपन्न और समृद्ध राष्ट्र रहा है, जिस कारण ईरान, अफगान, तुर्क, अरब से लेकर पुर्तगाली, अंग्रेजों आदि तक विदेशी आक्रमणकारियों की भारत पर कुदृष्टि रही है। इस कारण भारत ने युद्धों का एक बड़ा इतिहास देखा है, इसी श्रेणी में घाघरा का युद्ध भी आता है, जिसके बारे में जानने के लिए आपको इस पोस्ट को अंत तक पढ़ना पड़ेगा।

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घाघरा का युद्ध किसके बीच हुआ?

1526 ई. में पानीपत की दूसरी लड़ाई में सुल्तान इब्राहिम लोदी की मृत्यु के बाद, उसका भाई महमूद लोदी दिल्ली सल्तनत का वैध उत्तराधिकारी बना। 1527 ई. में खानवा का युद्ध हुआ, जिसमें पराजित होने के बाद महमूद लोदी की पकड़ उसके शासन-प्रशासन में ही ढीली पड़ रही थी। वहीं दूसरी ओर बाबर दिल्ली में अपने सत्ता स्थापित करने की जद्दोजहद में लगा हुआ था। घाघरा का युद्ध मुहम्मद लोदी और बाबर के बीच लड़ा गया, जिसमें बंगाल के शासक नुसरत शाह ने मुहम्मद लोदी की मदद की थी।

घाघरा का युद्ध कब हुआ?

6 मई, 1529 को घाघरा का युद्ध मुहम्मद लोदी और बाबर के बीच हुआ, यह युद्ध घाघरा नदी पर लड़ा गया इसी कारण से इसको घाघरा का युद्ध कहा गया। इस युद्ध में बंगाल के शासक नुसरत शाह ने मुहम्मद लोदी की मदद की। इस युद्ध का मुख्य कारण दिल्ली सल्तनत पर अपना एकाधिकार स्थापित करना था, बाबर चाहता था कि उसकी सेना दिल्ली सल्तनत से लोदी वंश की जड़ें उखाड़ दे। तो वहीं मुहम्मद लोदी अपनी विस्तारवाद नीति के साथ आगे बढ़ना चाहता था।

घाघरा युद्ध के परिणाम

घाघरा का युद्ध कब हुआ, जानने के बाद आपको इस युद्ध के परिणामों के बारे में भी जान लेना चाहिए। घाघरा का युद्ध एक भीषण युद्ध के रूप में देखा जाता है, जहाँ घाघरा के युद्ध में बाबर की सेना ने अपने रण कौशल और बाबर के नेतृत्व ने विजय का स्वाद चखा। इस युद्ध से दिल्ली सल्तनत पर बाबर का कब्ज़ा हुआ और मुग़ल वंश की स्थापना हुई। घाघरा का युद्ध महमूद लोदी के लिए एक शर्मनाक हार का सबक बनकर रह गया।

घाघरा का युद्ध का संक्षिप्त इतिहास

1526 ई. में पानीपत की दूसरी लड़ाई में सुल्तान इब्राहिम लोदी की मृत्यु के बाद, उसका भाई महमूद लोदी दिल्ली सल्तनत का वैध उत्तराधिकारी बना। 1527 ई. में खानवा का युद्ध हुआ, जिसमें पराजित होने के बाद महमूद लोदी की पकड़ उसके शासन-प्रशासन में ही ढीली पड़ रही थी। वहीं दूसरी ओर बाबर दिल्ली में अपने सत्ता स्थापित करने की जद्दोजहद में लगा हुआ था।

6 मई 1529 ई. को घाघरा का युद्ध मुहम्मद लोदी और बाबर के बीच हुआ, यह युद्ध घाघरा नदी पर लड़ा गया इसी कारण से इसको घाघरा का युद्ध कहा गया। इस युद्ध में बंगाल के शासक नुसरत शाह ने मुहम्मद लोदी की मदद की। 1527 ई. में खानवा की लड़ाई में महमूद लोदी को मिली हार और युद्धभूमि से भागने के बाद से उसकी सत्ता पर संकट मंडराने लगा था। जिसके लिए महमूद लोदी का घाघरा का युद्ध जितना आवश्यक था, इस युद्ध के लिए लोदी ने अपने अफगान रिश्तेदारों से सहायता का अनुरोध किया।

सुल्तान महमूद शाह लोहानी के बाद बिहार के पठान शासक की मृत्यु के बाद उनके नाबालिग बेटे जलाल उद-दीन लोहानी को शासक के रूप में ताज पहनाया गया। तो वहीं दूसरी ओर लोहानी सरदारों की कलह ने उन्हें बाबर के निकट आने वाले सैनिकों से विचलित कर दिया, जिससे युवा राजकुमार को पास के बंगाल की सल्तनत में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।

राज्य के पूर्ण पतन को रोकने के लिए जौनपुर के अफगानों ने महमूद लोदी से बिहार और जौनपुर की गद्दी पर कब्ज़ा करने के लिए कहा। जिसमें वह बिना किसी विरोध के बिहार के अधिकांश हिस्से पर कब्ज़ा करने में सफल रहा, इसी बीच जौनपुर के सुल्तान जुनैद बिड़ला बाबर के साथ जुड़ गए। इस कारण बाबर के पास लगभग 20,000 सैनिकों का एक बड़ा लश्कर था।

बाबर के विशाल लश्कर, बेहतर युद्ध कौशल और शानदार रणनीति के चलते इस युद्ध के परिणाम बाबर और उसकी सेना के पक्ष में रहे। बाबर ने घाघरा का युद्ध जीत कर दिल्ली सल्तनत पर अपने मुगलिया सम्राज्य की सत्ता कायम की, इस युद्ध को मुग़ल साम्राज्य के लिए हुए अहम युद्धों के रूप में देखा जाता है।

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आशा है कि आपको इस ब्लॉग के माध्यम से आपको घाघरा का युद्ध कब हुआ, के साथ-साथ घाघरा का युद्ध का संक्षिप्त इतिहास पढ़ने को मिला होगा, जो आपको जानकारी से भरपूर लगा होगा। इसी प्रकार इतिहास से जुड़े अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।

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