Battle of Peshawar in Hindi: एक युद्ध ऐसा जिसने अटक से कटक तक, मराठा साम्राज्य का विजयगान किया

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Battle of Peshawar in Hindi

इतिहास में कई युद्ध ऐसे हुए, जिन्होंने मानव की विस्तारवादी नीति को या तो बढ़ावा दिया या उसका विध्वंस किया। कई युद्ध ऐसे भी हुए जिन्होंने मातृभूमि और मानवता का संरक्षण किया। ऐसे ही ऐतिहसिक युद्धों में मानव ने वीरता को तो परिभाषित किया ही, साथ ही न्याय का राज भी स्थापित किया। इन्हीं युद्धों में से एक युद्ध पेशावर का भी था, जिसने छत्रपति शिवाजी महाराज के हिंदवी स्वराज के सपने को साकार किया। Battle of Peshawar in Hindi के माध्यम से आप जानेंगे उस युद्ध का गौरवशाली इतिहास, जिसने अटक से कटक तक मराठा साम्राज्य का विस्तार किया। पेशावर में हुए उस युद्ध का इतिहास जानने के लिए ब्लॉग को अंत तक पढ़ें।

Battle of Peshawar in Hindi किस-किस के बीच हुआ था?

इतिहास में भारत पर अनेको विदेशी आक्रमण हुए जिन्होंने भारत में क्रूरता और लूटपाट मचाई, इन आक्रमणों का उद्देश्य समृद्ध भारत को लूटना, भारत की सनातन संस्कृति को तहस-नहस करना था। इसी क्रम में अफगान का दुरानी सम्राज्य भी था, जो भारत को लूटना चाहता था।

दुर्रानी साम्राज्य की क्रूरता से भारत को बचाने के लिए मराठों और दुर्रानी साम्राज्य के बीच पेशावर का युद्ध हुआ। जिसमें मराठाओं के साहस ने अटक से कटक तक जीत का भगवा ध्वज फहराया। अहमद शाह अब्दाली ही दुर्रानी साम्राज्य का संस्थापक था। पेशावर का युद्ध अहमद शाह अब्दाली और नानासाहेब पेशवा के छोटे भाई रघुनाथराव और मल्हारराव होल्कर के नेतृत्व में लड़ा था।

कब हुआ था पेशावर का युद्ध?

Battle of Peshawar in Hindi एक ऐसा युद्ध था जिसमें दुरानी साम्राज्य की क्रूरता का प्रतिकार करने के लिए मराठा साम्राज्य आगे आए। 8 मई 1758 को नानासाहेब पेशवा के छोटे भाई रघुनाथराव और मल्हारराव होल्कर के नेतृत्व में मराठाओं ने यह युद्ध पेशावर की धरती पर लड़ा था। जिसमें मराठाओं का भगवा परचम लहराया, और मराठा साम्राज्य का विस्तार अटक से कटक तक हुआ।

कहाँ हुआ था पेशावर का युद्ध?

Battle of Peshawar in Hindi के माध्यम से आप जानेंगे कि भारत को अफगानी शासक अहमद शाह अब्दाली की क्रूरता से भारत को बचाने के लिए वीर मराठों ने शौर्य और साहस के साथ यह युद्ध लड़ा। पेशावर का यह युद्ध पुणे की सीमा से लगभग 2000 किलोमीटर दूर वर्तमान में पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था।

Battle of Peshawar in Hindi का संक्षिप्त इतिहास

Battle of Peshawar in Hindi के माध्यम से आप ऐसे राजा की क्रूरता और ऐसे इतिहास से परिचित होंगे, जिसमें एक विदेशी आक्रमणकारी से मातृभूमि को बचाने के लिए मराठाओं ने कमान संभाली। इस युद्ध के पीछे की वजह और इस युद्ध में अहमद शाह अब्दाली और नानासाहेब पेशवा के छोटे भाई रघुनाथराव और मल्हारराव होल्कर के बारे में निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से जान पाएंगे।

  • मराठाओं के अदम्य साहस का ही परिणाम था कि अफगानिस्तान की सीमा तक भगवा पताका लहरा सका और दुर्रानी साम्राज्य की नींव हिल गयी।
  • यह युद्ध पेशावर की धरती पर 8 मई 1758 को नानासाहेब पेशवा के छोटे भाई रघुनाथराव और मल्हारराव होल्कर के नेतृत्व में अहमद शाह अब्दाली से लड़ा गया था।
  • पेशावर का युद्ध जीतने के बाद मराठा साम्राज्य का विस्तार अटक से कटक तक फैला।
  • पेशावर का युद्ध जीतने से केवल दस दिन पहले (28 अप्रैल 1758) को मराठाओं ने अटक का युद्ध जीतकर, वहाँ भी अपना भगवा ध्वज फहरा दिया था।
  • 1738-1739 से लगभग 200 सालों तक भारत पर बाहरी आक्रमण देखने को नहीं मिलता है।
  • 1738-1739 में नादिर शाह के बाद ये सिलसिला दोबारा शुरू हुआ।
  • 1747 में नादिर शाह की मृत्यु के बाद उसका एक सेनापति अहमद शाह अब्दाली सामने आया।
  • अहमद शाह अब्दाली ने अपना अलग साम्राज्य बनाया, जिसको दुर्रानी साम्राज्य के नाम से जाना गया।
  • अहमद शाह अब्दाली की भारत के लिए वैसी ही नीतियां थी, जैसी कभी गजनी की थी। क्रूरता और कट्टरता से भरे अहमद शाह अब्दाली का मकसद भारत को गुलाम बनाना और पूरी तरह लूटने का था।
  • अहमद शाह अब्दाली ने भारत पर कुल चार आक्रमण 1748, 1749, 1751 और 1752 हुए।
  • अहमद शाह अब्दाली ने पाकिस्तान में मुल्तान और लाहौर को मुगलों से छीन लिया था।
  • जिसके बाद मुगलों ने घबराकर 1752 में मराठाओं के साथ अहमदियां संधि की।
  • जिसके बाद सतलज के दक्षिण में मराठाओं का दबदबा बढ़ गया और उनका लक्ष्य पंजाब था तो वहीं अहमद शाह अब्दाली की नज़र भी पंजाब था। यहीं से मराठाओं और दुर्रानी साम्राज्य के बीच तनातनी बढ़ने लगी।
  • परिणामस्वरूप 1758 में पेशावर का युद्ध हुआ, जिसमें उस समय पेशावर के किले में तैमूर शाह दुर्रानी और जहान खान रहते थे। जो मराठाओं के शौर्य के आगे टिक न सके, अंततः इस युद्ध में मराठाओं की विजय हुई।
  • इस विजय के बाद मराठा सेना के मुख्य सेनापति मल्हार राव होल्कर पेशावर में 3 महीने तक रहे, जिसके बाद उन्होंने तुकोजी राव होल्कर को 10 हजार मराठा सैनिकों का नेतृत्व दिया, जिसका उद्देश्य पेशावर के किले की रक्षा करना था।
  • दुर्रानी की सेना ने 1759 में दोबारा पेशावर के किले पर अपना कब्जा कर लिया।

आशा है कि आपको पेशावर के युद्ध पर आधारित Battle of Peshawar in Hindi का यह ब्लॉग जानकारी से भरपूर लगा होगा। इसी प्रकार इतिहास से जुड़े अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।

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