Essay on Lala Lajpat Rai in Hindi : जानिए शेर ए पंजाब और पंजाब केसरी के जीवन के बारे में और ‘अंग्रेजों वापस जाओ’ नारे के पीछे की कहानी 

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Essay on Lala Lajpat Rai in Hindi

Essay on Lala Lajpat Rai in Hindi : लोगों को सत्य की उपासना करते हुए सांसारिक लाभ पाने की निंदा किए बिना साहसी और ईमानदार होना चाहिए। सभी के मन में ये प्रश्न होगा कि आखिर कौन इस तरह आत्म-ज्ञान को परिभाषित कर रहा है। यह कथन महानायक का है। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं लाला लाजपत राय की । भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कई क्रांतिकारियों ने आगे बढ़ के भाग लिया, जिनकी गाथा को इतिहास के सवर्ण अक्षरों में लिखा गया है। आज हम ऐसे ही महापुरुष के बारे में इस ब्लॉग में जानेंगे। भारत में जन्मे स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख व्यक्ति जिन्होंने कहा था कि “नेता वह है जिसका नेतृत्व प्रभावशाली हो, जो अपने अनुयायियों से सदैव आगे रहता हो, जो साहसी और निर्भीक हो”। हम आज बात कर रहे हैं, लाला लाजपत राय के जीवन और संघर्ष की कहानियों पर। लाला लाजपत राय से जुड़ें महत्वपूर्ण तथ्य और Essay on Lala Lajpat Rai in Hindi जानने के किये इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें। इस ब्लॉग में 200 शब्दों से लेकर 500 शब्दों में लाला लाजपत राय पर निबंध विस्तार से।

लाला लाजपत राय कौन थे?

शेर-ए-पंजाब और पंजाब केसरी के नाम से मशहूर लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 में पंजाब के फिरोजपुर में हुआ था। लाला लाजपत राय के पिता का नाम मुंशी राधा कृष्ण था, वे राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रेवाड़ी में शिक्षक और आजाद फारसी और उर्दू के महान विद्वान थे।

Essay on Lala Lajpat Rai in Hindi (100 शब्दों में)

100 शब्दों में Essay on Lala Lajpat Rai in Hindi यहाँ प्रस्तुत है –

कांग्रेस द्वारा चलाए गए असहयोग आन्दोलन में उन्होंने खुलकर भाग लिया था। जिसके कारण उन्हें कई बार सजा के तौर पर जेल जाना पड़ा। सन् 1928 की तो इन्होंने इस समय अंग्रेजो के साईमन कमिशन के विरोध में हिस्सा लिया था, जिसके चलते उस विरोध में लाठीचार्ज के दौरान लाला लाजपत राय को बहुत ही गम्भीर चोटे लगी थी। उस समय इन्होंने कहा था: “मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश सरकार के ताबूत में एक-एक कील का काम करेगी।” लालाजी के बलिदान के 20 वर्ष के अंदर ब्रिटिश साम्राज्य का सूर्य अस्त हो गया। 17 नवंबर 1928 को उनका देहांत हो गया था।

Essay on Lala Lajpat Rai in Hindi (250 शब्दों में )

250 शब्दों में  लाला लाजपत राय पर निबंध प्रस्तुत है –

स्वतंत्रता संग्राम के इतने बड़े नेता की हत्या ने हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचएसआरए) से जुड़े क्रांतिकारी भगत सिंह पर गहरा प्रभाव डाला। लाला जी की मृत्यु से सारा देश उत्तेजित हो उठा और चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव व अन्य क्रांतिकारियों ने लालाजी की मौत का बदला लेने का निर्णय किया। इन जांबाज देशभक्तों ने लालाजी की मौत के ठीक एक महीने बाद अपनी प्रतिज्ञा पूरी कर ली और 17 दिसम्बर 1928 को ब्रिटिश पुलिस के अफसर सांडर्स को गोली से उड़ा दिया।  वे निडर और बहादुर इंसान थे। मातृभूमि के लिए उनका ये त्याग और बलिदान अतुलनीय था।

1959 में, लाला लाजपत राय ट्रस्ट का गठन उनके शताब्दी जन्म समारोह की पूर्व संध्या पर एक ग्रुप द्वारा किया गया था। मुंबई में वाणिज्य और अर्थशास्त्र कॉलेज, लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज, मेरठ का नाम उनके नाम पर रखा गया है। 2010 में, हरियाणा सरकार ने उनकी याद में हिसार में लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना की। लाजपत नगर और लाला लाजपत राय चौक हिसार में उनकी प्रतिमा है।  वहीं कानपुर में लाला लाजपत राय अस्पताल, बस टर्मिनल, उनके गृहनगर जगराओं में कई संस्थानों, स्कूलों और पुस्तकालयों का नाम उनके सम्मान में रखा गया है। जिसमें प्रवेश द्वार पर उनकी प्रतिमा के साथ एक बस टर्मिनल भी शामिल है।

Essay on Lala Lajpat Rai in Hindi (400 शब्दों में)

लाला लाजपत राय पर निबंध (Essay on Lala Lajpat Rai in Hindi) 400 शब्दों में नीचे प्रस्तुत है। 

प्रस्तावना 

वहीं लाला लाजपत राय की शिक्षा 5 वर्ष की आयु से शुरू हुई थी। उन्होंने एफ. ए. की परीक्षा तथा मुख्तारी की परीक्षा पास की। लाला लाजपत राय ने वर्ष 1885 में वकालत की परीक्षा को पास किया था। उन्होंने कुछ समय तक हरियाणा के रोहतक और हिसार शहरों में वकालत की। लाला लाजपत राय का आजादी की लड़ाई में बहुत महत्वपूर्ण योगदान था। लाला लाजपत राय एक धार्मिक व्यक्ति थे, ईश्वर पर उनकी सच्ची आस्था थी। लेकिन लाजपत राय ने सदैव ही हिंदू धर्म में मौजूद कुछ कट्‌टरताओं और रूढ़ियों का विरोध किया।1877 में उनका विवाह राधा देवी से हुआ और 1892 में उन्होंने लाहौर में अपने पहले उच्च न्यायालय सत्र में भाग लिया। कुछ वर्षों के बाद वे अमेरिका गए और उन्होंने इंडियन होम रूल लीग ऑफ अमेरिका की स्थापना की।

सन् 1902 और 1910 में दो बार कांग्रेस के रहे प्रतिनिधि

बात करें सन् 1888 की तो इलाहाबाद में सम्पन्न हुए कांग्रेस का सम्मेलन इनके राजनीतिक भविष्य की शुरुआत थी। जहां इनका भाषण सुनकर सभी लोग इनके समर्थक बन गए थे। सन् 1902 और 1910 में दो बार कांग्रेस का प्रतिनिधि बनकर इंग्लैण्ड की यात्रा की थी। लाजपत राय अंग्रेजों की नीतियों के कारण उनके कट्टर शत्रु थे। सन् 1920 में कलकत्ता में हुए कांग्रेस अधिवेशन के वे सभापति बने।

किसे लाल-बाल-पाल के नाम से जाना जाता था ?

राय भारत के एक प्रसिद्ध राष्ट्रवादी, समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जाने जाते थे। उन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से भारत की आजादी की वकालत करने में अहम भूमिका निभाई थी। “इंकलाब जिंदाबाद” (क्रांति लंबे समय तक जीवित रहें) सहित अपने शक्तिशाली नारों के लिए लोकप्रिय होते गए, राय एक प्रभावशाली नेता थे जिन्होंने निडर होकर भारतीय लोगों के अधिकारों और कल्याण के लिए लड़ाई लड़ी थी। बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय और बिपिन चंद्र पाल के साथ इस त्रिमूर्ति को लाल-बाल-पाल के नाम से जाना जाता था। इन तीन महापुरुषों ने ही सबसे पहले भारत में पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की थी, बाद में पूरा देश उनके साथ हो गया था।

उपसंहार 

लाजपत राय को आधुनिक भारत का रचयिता माना जाता था, लाजपत राय संप्रदाय से होने के कारण उन्हें शेर-ए-पंजाब और पंजाब केसरी के नाम से मशहूर थे। हम सभी को लाला लाजपत राय के योगदान से सीखना चाहिए और देश के प्रति योगदान देना चाहिए। हम सभी को उनके जीवन और बलिदान से प्रेरणा लेने का संकल्प लेना चाहिए।

लाला लाजपत राय कोट्स

 लाजपत राय से जुड़ें कुछ अनमोल विचार पर नजर डालें-

  1. दूसरों की बजाय खुद पर विश्वास रखो, फिर देखना आप अपने ही प्रयत्नों से कामयाब हो सकते है।
  2. शिशुओं के लिए दूध, वयस्कों के लिए भोजन और सभी के लिए शिक्षा जरूरी होती है।
  3. अतीत को देखते रहना व्यर्थ है, जब तक उस अतीत पर गर्व करने योग्य भविष्य के निर्माण के लिए कार्य न किया जाए।
  4. लोगों को सत्य की उपासना करते हुए सांसारिक लाभ पाने की निंदा किए बिना साहसी और ईमानदार होना चाहिए।
  5. नेता वह है जिसका नेतृत्व प्रभावशाली हो, जो अपने अनुयायियों से सदैव आगे रहता हो, जो साहसी और निर्भीक हो।
  6. सार्वजनिक जीवन में अनुशासन को बनाए रखना बहुत ही जरूरी है, वरना प्रगति के मार्ग में बाधा खड़ी हो जायेगी।
  7. पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ शांतिपूर्ण साधनों से उद्देश्य पूरा करने के प्रयास को ही अहिंसा कहते है।
  8. देशभक्ति का निर्माण न्याय और सत्य की दृढ़ चट्टान पर ही किया जा सकता है।
  9. पराजय और असफलता कभी कभी विजय की ओर बढ़ने के लिए जरूरी कदम होते है।
  10. मेरे शरीर पर पड़ी एक एक लाठी ब्रिटिश सरकार के ताबूत में एक एक कील का काम करेगी।
  11. अगर सार्वजनिक जीवन में अनुशासन का होना बहुत जरूरी है वरना प्रगति के रास्ते में बाधा आ जाएगी.
  12. नेता वही होता है जिसका नेतृत्व संतोषप्रद और प्रभावशाली हो जो अपनों के लिए सदैव आगे रहता है और ऐसे लोग हमेशा निर्भीक और साहसी होते है.
  13. कष्ट उठाना तो हमारी लक्षण है लेकिन सत्य की खातिर कष्टों से बचना कायरता पूर्ण है.
  14. पूरी निष्ठा और ईमानदारी से शांतिपूर्ण साधनों के जरिये उद्देश्य को पूरा करने को ही अहिंसा कहा जाता है.
  15. परतंत्रता में जीने से मतलब खुद का विनाश है.

FAQs

लाला लाजपत राय पर लाठीचार्ज कब हुआ?

लाला लाजपत राय पर लाठीचार्ज 30 अक्टूबर 1928 को हुआ।

लाला लाजपत राय का नारा क्या था?

‘अंग्रेजों वापस जाओ’  नारा लाला लाजपत राय द्वारा दिया गया।

लाला लाजपत राय के पिता किन दो भाषाओं के विद्वान थे?

लाला लाजपत राय के पिता फारसी और उर्दू के विद्वान् थे।

लाला लाजपत राय की विशेषताएं क्या थीं?

लाला लाजपत राय एक कर्मठ सामाजिक कार्यकर्ता, लोक हितैषी तथा लोकोपकारक थे। 

लाला लाजपत राय के सहयोगी कौन थे?

बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चंद्र पाल उनके सहयोगी थे। 

लाला लाजपत राय की पत्नी का नाम क्या था?

लाजपत राय की पत्नी का नाम राधा देवी अग्रवाल था।

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