दुष्यंत कुमार: हिंदी के प्रसिद्ध कवि, लेखक व नाटककार का जीवन परिचय – Dushyant Kumar Ka Jivan Parichay

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दुष्यंत कुमार

Dushyant Kumar Ka Jivan Parichay: दुष्यंत कुमार 20वीं सदी में हिंदी के नामचीन गजलकार और कथाकार माने जाते हैं। इन्होंने अपनी गजलों के माध्यम से हिंदी जगत में अपना एक विशिष्ठ स्थान बनाया था। बता दें कि 30 दिसंबर 2024 को दुष्यंत कुमार जी की 49वीं पुण्यतिथि मनाई जाएगी। दुष्यंत कुमार ने केवल 42 वर्ष का जीवन पाया था लेकिन उन्होंने जिस भी विधा में साहित्य का सृजन किया वह कालजयी हो गई। वहीं, आधुनिक हिंदी साहित्य में उनकी रचनाएँ आज भी ‘मील का पत्थर’ मानी जाती हैं। उनकी कई ऐसी नज्म और कलाम है जो व्यक्ति में ही नहीं बल्कि पूरे समाज में क्रांति की अलख जगा सकते हैं। वह हिंदी जगत के उन चुनिंदा साहित्यकारों में से एक थे जिनकी रचनाओं को संसद से लेकर सड़क तक में पढ़ा गया। 

बता दें कि दुष्यंत कुमार की कई रचनाओं को स्कूल के साथ ही बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। वहीं बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं, इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी दुष्यंत कुमार का जीवन परिचय (Dushyant Kumar Ka Jivan Parichay) और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है।

आइए अब हम आधुनिक हिंदी साहित्य के लोकप्रिय गजलकार और लेखक दुष्यंत कुमार का जीवन परिचय और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

मूल नाम दुष्यंत कुमार त्यागी
उपनाम दुष्यंत कुमार (Dushyant Kumar)
जन्म 01 सितंबर 1933
जन्म स्थान राजपुर, नवादा गाँव, उत्तर प्रदेश 
पिता का नाम श्री भगवत सहाय 
माता का नाम श्रीमती राम किशोरी 
पत्नी का नाम राजेश्वरी 
शिक्षा एम.ए (प्रयाग विश्वविधालय) 
भाषा हिंदी, उर्दू 
पेशा गजलकार, सरकारी कर्मचारी 
विधाएँ उपन्यास, कहानी, गजल, नाटक, कविता 
उपन्यास छोटे छोटे सवाल, आँगन में एक वृक्ष, दोहरी जिंदगी 
काव्य संग्रह सूर्य का स्वागत, आवाजों के घेरे, जलते हुए वन का बसंत 
गजल संग्रह साये में धूप
नाटक संग्रह और मसीहा मर गया 
कहानी संग्रह मन के कोण 
निधन 30 दिसंबर 1975 

उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में हुआ जन्म – Dushyant Kumar Ka Jivan Parichay

हिंदी साहित्य में गजल विधा को प्रतिष्ठित करने वाले प्रसिद्ध रचनाकार दुष्यंत कुमार का जन्म 01 सितंबर 1933 को उत्तर-प्रदेश के बिजनौर जिले के राजपुर नवादा गांव में हुआ था। क्या आप जानते हैं कि उनका मूल नाम ‘दुष्यंत कुमार त्यागी’ था लेकिन वह साहित्य जगत में ‘दुष्यंत कुमार’ के नाम से जाने गए। उनके पिता का नाम ‘श्री भगवत सहाय’ और माता का नाम ‘श्रीमती राम किशोरी’ था। 

प्रयाग विश्वविद्यालय से किया एम.ए.

दुष्यंत जी की आरंभिक शिक्षा छ: वर्ष की आयु में ‘नवादा प्राथमिक विद्यालय’ से शुरू हुई। इसके पश्चात उन्होंने ‘चंदौसी इंटर कॉलेज’ से सेकंडरी की परीक्षा पास की। इसी दौरान उनके काव्य लेखन की शुरुआत भी हो चुकी थी। 12वीं कक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद उन्होंने पढ़ाई का सिलसिला जारी रखा और ‘प्रयाग विश्वविद्यालय’ से हिंदी, दर्शनशास्त्र व इतिहास विषय में तृतीय श्रेणी के साथ B.A. की डिग्री हासिल की। 

इसके बाद उन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय से ही द्वितीय श्रेणी में एम.ए की परीक्षा पास की। बता दें कि यहीं से उनके साहित्यिक जीवन का आरंभ हुआ और उनके लेखन को एक नया आयाम मिला। अपने अध्ययन के दौरान दुष्यंत कुमार साहित्यिक संस्था ‘परिमल’ की गोष्ठियों में सक्रिय रूप से भाग लेते रहे और ‘नए पत्ते’ जैसे महत्वपूर्ण पत्र से भी जुड़े रहे। इस समय उन्हें मार्गदर्शक के रूप में ‘डॉ.रामकुमार वर्मा’, ‘डॉ. धीरेंद्र कुमार शास्त्री’ व ‘डॉ. रसाल’ मिले तो सहपाठी के रूप में ‘कमलेश्वर’, ‘मार्केंडय’ और ‘रवींद्रनाथ त्यागी’ का सानिध्य प्राप्त हुआ।  

विस्तृत रहा कार्य क्षेत्र 

आर्थिक रूप से संपन्न और पढ़ें लिखे होने के कारण उनका परिवार के कृषि व्यवसाय में मन नहीं लगा। इसके बाद उन्होंने ‘ऑल इंडिया रेडियो’ में एक सामान्य पद के कर्मचारी के रूप में नौकरी की शुरुआत की। यहाँ कुछ समय तक कार्य करने के बाद उन्होंने इस कार्य से इस्तीफा दे दिया और ‘किरतपुर इंटर कॉलेज’ में अध्यापन कार्य की शुरुआत की। किंतु इस कार्य को भी उन्होंने कुछ समय बाद छोड़ दिया और कालांतर में आकाशवाणी दिल्ली में नौकरी करने लगे। यहाँ कुछ समय तक कार्य करने के बाद उनका भोपाल केंद्र में ट्रांसफर हो गया जहाँ उन्होंने रेडियो के लिए ध्वनि नाटक लिखे। 

इसके पश्चात दुष्यंत जी ने आकाशवाणी में सहायक निर्माता का पद छोड़ दिया और ट्रायबल वेलफेयर में डिप्टी डायरेक्टर का पदभार संभाला। किंतु अपने विद्रोही व्यवहार के कारण उन्होंने इस नौकरी को भी कुछ समय बाद छोड़ दिया। फिर उन्होंने कुछ वर्षों तक मध्य प्रदेश के राजभाषा विभाग में सहायक निर्माता के रूप में कार्य किया।  

यह भी पढ़ें – दुष्यंत कुमार की वो महान कविताएं, जो आपका परिचय साहित्य के सौंदर्य से करवाएंगी

वैवाहिक जीवन 

दुष्यंत जी का अपनी स्कूली शिक्षा के दौरान ही ‘राजेश्वरी’ जी से विवाह हुआ था। इसके बाद दोनों ने विवाहोपरांत साथ मिलकर बी.ए की परीक्षा उत्तीर्ण की। अपने दांपत्य जीवन में उन्होंने तीन संतानों को जन्म दिया। उनके दो पुत्र और एक पुत्री थी।  

दुष्यंत कुमार की साहित्यिक रचनाएँ 

क्या आप जानते हैं कि आधुनिक हिंदी साहित्य में दुष्यंत जी (Dushyant Kumar Ka Jivan Parichay) का पर्दापण होने के बाद उन्होंने अपनी आरंभिक रचनाएँ ‘परदेसी’ के नाम से लिखी थी। किंतु कुछ समय बाद उन्होंने अपने उपनाम ‘दुष्यंत कुमार’ से ही लिखना शुरू कर दिया। दुष्यंत कुमार ने हिंदी साहित्य जगत में कई विधाओं में रचनाएँ की जिनमें उपन्यास, कहानी, कविता, नाटक, गीति नाट्य और गजल विधा शामिल हैं। यहाँ दुष्यंत कुमार जी की संपूर्ण साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:-

गजल-संग्रह

  • साये में धूप 

उपन्यास

  • छोटे-छोटे सवाल
  • आँगन में एक वृक्ष 
  • दुहरी ज़िंदगी

काव्य-संग्रह 

  • सूर्य का स्वागत
  • आवाज़ों के घेरे
  • जलते हुए वन का वसंत 

गीति नाट्य 

  • एक कंठ विषपायी

नाटक 

  • और मसीहा मर गया

कहानी-संग्रह 

  • मन के कोण

पुरस्कार एवं सम्मान 

हिंदी गजल विधा के पुरोधा दुष्यंत कुमार के सम्मान में भारतीय डाक विभाग ने एक डाक टिकट जारी किया था। इसके साथ ही ‘दुष्यंत कुमार स्मारक पांडुलिपि संग्रहालय’ (Dushyant Kumar Smarak Pandulipi Sangrahalaya) में उनकी धरोहरों को सँभालने का प्रयास किया गया है।  

दुष्यंत कुमार की कुछ लोकप्रिय हिंदी गजल 

यहाँ दुष्यंत कुमार का जीवन परिचय (Dushyant Kumar Ka Jivan Parichay) की जानकारी के साथ ही उनकी कुछ चुनिंदा लोकप्रिय गजलों के बारे में भी बताया जा रहा है, जो कि इस प्रकार हैं:-

मैं जिसे ओढ़ता बिछाता हूँ

मैं जिसे ओढ़ता बिछाता हूँ
वो ग़ज़ल आप को सुनाता हूँ 

एक जंगल है तेरी आँखों में 
मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ 

तू किसी रेल सी गुज़रती है 
मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ 

हर तरफ़ ए'तिराज़ होता है 
मैं अगर रौशनी में आता हूँ 

एक बाज़ू उखड़ गया जब से 
और ज़ियादा वज़न उठाता हूँ 

मैं तुझे भूलने की कोशिश में 
आज कितने क़रीब पाता हूँ 

कौन ये फ़ासला निभाएगा 
मैं फ़रिश्ता हूँ सच बताता हूँ

– दुष्यंत कुमार

कहीं पे धूप की चादर बिछा के बैठ गए

कहीं पे धूप की चादर बिछा के बैठ गए 
कहीं पे शाम सिरहाने लगा के बैठ गए 

जले जो रेत में तलवे तो हम ने ये देखा 
बहुत से लोग वहीं छट-पटा के बैठ गए 

खड़े हुए थे अलावों की आँच लेने को 
सब अपनी अपनी हथेली जला के बैठ गए 

लहू-लुहान नज़ारों का ज़िक्र आया तो 
शरीफ़ लोग उठे दूर जा के बैठ गए 

ये सोच कर कि दरख़्तों में छाँव होती है 
यहाँ बबूल के साए में आ के बैठ गए

– दुष्यंत कुमार

इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है

इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है
नाव जर्जर ही सही, लहरों से टकराती तो है

एक चिनगारी कहीं से ढूँढ लाओ दोस्तों
इस दिए में तेल से भीगी हुई बाती तो है

एक खंडहर के हृदय-सी, एक जंगली फूल-सी
आदमी की पीर गूंगी ही सही, गाती तो है

एक चादर साँझ ने सारे नगर पर डाल दी
यह अँधेरे की सड़क उस भोर तक जाती तो है

निर्वसन मैदान में लेटी हुई है जो नदी
पत्थरों से, ओट में जा-जाके बतियाती तो है

दुख नहीं कोई कि अब उपलब्धियों के नाम पर
और कुछ हो या न हो, आकाश-सी छाती तो है

– दुष्यंत कुमार

अल्प रहा जीवनकाल 

दुष्यंत जी का जीवनकाल लंबा तो नहीं रहा किंतु उन्होंने आधुनिक हिंदी साहित्य में जिस भी विधा में साहित्य का सृजन किया वह इतिहास बन गया। मात्र 42 वर्ष की आयु में ह्रदय गति रुक जाने से उनका 30 दिसंबर 1975 का निधन हो गया। फिर भी उनकी साहित्यिक साधना के कारण दुष्यंत कुमार को हमेशा हिंदी जगत में याद किया जाता है और किया जाता रहेगा। 

यह भी पढ़ें – पढ़िए दुष्यंत कुमार के चुनिंदा शेर, शायरी और गजल

पढ़िए हिंदी साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ हिंदी के प्रसिद्ध कवि,लेखक व नाटककार दुष्यंत कुमार का जीवन परिचय (Dushyant Kumar Ka Jivan Parichay) के साथ ही हिंदी साहित्य के अन्य साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही है। जिन्हें आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-

चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी आचार्य रामचंद्र शुक्ल आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी
रामानुजनभारतेंदु हरिश्चंद्रमहादेवी वर्मा

FAQs 

दुष्यंत कुमार का मूल नाम क्या था?

दुष्यंत कुमार का मूल नाम दुष्यंत कुमार त्यागी था। 

दुष्यंत कुमार का जन्म कहाँ हुआ था?

दुष्यंत कुमार का जन्म 1 सितंबर 1931 को उत्तर-प्रदेश के बिजनौर जिले के राजपुर नवादा गांव में हुआ था। 

दुष्यंत कुमार की पत्नी का क्या नाम था?

दुष्यंत कुमार की पत्नी का नाम राजेश्वरी था। 

दुष्यंत कुमार के गजल संग्रह का क्या नाम है?

बता दें कि ‘साये में धूप’ उनका लोकप्रिय गजल संग्रह है। 

दुष्यंत कुमार का निधन कब हुआ था?

दुष्यंत कुमार का मात्र 42 वर्ष की आयु में ह्रदय गति रुक जाने से उनका 30 दिसंबर 1975 का निधन हो गया था। 

दुष्यंत कुमार की दो रचनाएं कौनसी है?

साये में धूप (गजल संग्रह) छोटे-छोटे सवाल और आँगन में एक वृक्ष  (उपन्यास) उनकी प्रमुख रचना है। 

आशा है कि आपको हिंदी के प्रसिद्ध कवि, लेखक व नाटककार दुष्यंत कुमार का जीवन परिचय (Dushyant Kumar Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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