आज यानि 2 दिसंबर 2023 को DU के एक अधिकारी ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय की एक कमिटी स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग की सेल्फ-लर्निंग मटीरियल की समीक्षा को इंस्पेक्ट करेगी और भविष्य के स्टडी मटीरियल की तैयारी के लिए दिशानिर्देश तैयार करेगी।
यह फैसला अकादमिक काउंसिल (AC) के सामने पेश की गई सेल्फ-लर्निंग मटीरियल में बार-बार मुद्दों को चिह्नित किए जाने के बाद आया है।
इसी मुद्दे पर अधिकारी ने कहा कि साउथ कैंपस के निदेशक, कैंपस ऑफ ओपन लर्निंग के डायरेक्टर, शैक्षणिक मामलों के डीन और अंग्रेजी विभाग के प्रमुख की चार सदस्यीय समिति को 4 या 5 दिसंबर 2023 तक नोटिफाइड किया जाएगा।
30 नवंबर 2023 को हुई एक बैठक के दौरान सेल्फ-लर्निंग मटीरियल की रिव्यु रिपोर्ट अप्रूवल के लिए AC के सामने रखी गई। एक काउंसिल मेंबर द्वारा मटिरियल्स में व्याकरण संबंधी और फैक्चुअल गलतियों और की ओर इशारा करने के बाद रिपोर्ट को खारिज कर दिया गया था।
AC और एग्जीक्यूटिव काउंसिल (EC) ने दी मंज़ूरी
दिल्ली विश्वविद्यालय की AC और एग्जीक्यूटिव काउंसिल (EC) ने इसकी क्वालिटी पर आपत्तियों के बावजूद अगस्त में सेल्फ-लर्निंग मटीरियल को सशर्त मंजूरी दे दी। स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग को मटिरियल्स की समीक्षा करने और गलतियों को सुधारने का भी निर्देश दिया गया। इसके बाद, स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग ने दो पोलिटिकल साइंस पेपर्स की सेल्फ-लर्निंग मटीरियल में गलतियों की समीक्षा करने के लिए एक पैनल का गठन किया।
ये थी बड़ी गलतियां
विभिन्न कोर्सेज के हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में पोलिटिकल साइंस और इंडियन पॉलिटी के पेपरों में उजागर की गई फैक्चुअल गलतियों में तारीखों को लेकर कई गलतियाँ शामिल थीं। इनमें ग़लत जानकारी शामिल थी जैसे कि भारत को 1945 में (1947 के बजाय) आज़ादी मिली, भारतीय संविधान का 1994 में “बनाया गया” और जवाहरलाल नेहरू की 1967 में मृत्यु (1964 के बजाय) आदि शामिल थीं।
ब्रिटेन के पूर्व प्रधान मंत्री रामसे मैकडोनाल्ड (रामसे मैकडोनाल्ड के रूप में गलत वर्तनी), स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस (सुबाष चंद्र बोस के रूप में गलत वर्तनी), इतिहासकार बिपन चंद्र (विपिन चंद्र के रूप में गलत वर्तनी) और असम गण परिषद (असम के रूप में गलत वर्तनी) के नामों में वर्तनी की गलतियाँ गन परिषद्) की ओर भी इशारा किया गया।
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