भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-3 चंद्रमा मिशन लॉन्च किया है। इस मिशन का मकसद है विक्रम लैंडर की चांद की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग करना व प्रज्ञान रोवर को चांद की सतह पर चलाकर दिखाना और वैज्ञानिक परीक्षण करना।
लॉन्चिंग सफल चंद्रयान-3 की ने अपनी लॉन्चिंग के चार चरण सफलता पूर्वक पूरे कर लिए हैं। ISRO के मुताबिक चंद्रयान-3 पृथ्वी की निर्धारित कक्षा में पहुंच गया है वहां से वह चांद की कक्षा की ओर जाएगा।
चंद्रयान-3 मिशन चंद्रयान-2 का ही अगला चरण है, जो चंद्रमा की सतह पर उतरेगा और परीक्षण करेगा। चंद्रयान-3 को LVM3-M4 रॉकेट से लॉन्च किया गया और इसे पहले GSLV MK-III के नाम से जाना जाता था।
चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम के 23 अगस्त की शाम करीब 5.47 बजे चांद पर लैंड करने की उम्मीद है। हालांकि, कई फैक्टर्स के चलते इसमें बदलाव हो सकता है।
चंद्रयान-3 एक लैंडर, एक रोवर और एक प्रोपल्शन मॉड्यूल से लैस है। इसकी शुरुआती रफ्तार 1,627 किमी प्रति घंटा होगी और लॉन्चिंग के 108 सेकंड बाद 45 किलोमीटर की ऊंचाई पर इसका लिक्विड इंजन स्टार्ट होगा।
इस बार चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग की जिम्मेदारी एक महिला साइंटिस्ट के हाथों में है। ISRO साइंटिस्ट ऋतु करिधाल चंद्रयान-3 की मिशन डायरेक्टर हैं।
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क्यों खास है चंद्रयान-3 मिशन?
चंद्रयान-3 मिशन अलग और खास माना जा रहा है क्योंकि अब तक जितने भी देशों ने अपने यान चंद्रमा पर भेजे हैं उनकी लैंडिग उत्तरी ध्रुव पर हुई है, जबकि चंद्रयान 3 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला यान होगा। इसके अलावा चंद्रयान 3 इसरो ही नहीं बल्कि पीएम मोदी का भी ड्रीम प्रोजेक्ट है।
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