Barish Par Kavita: रिमझिम फुहारों का जादू बिखेरती बारिश पर लिखी लोकप्रिय कविताएं

1 minute read
Barish Par Kavita

Barish Par Kavita: बारिश प्रकृति का वह तोहफा है जो हमारे मन को शीतलता और सुकून देने के साथ-साथ, हमें प्रकृति की सुंदरता के समीप ले जाता है। बारिश की बूंदें और बादलों की गर्जना सही मायनों में प्रकृति के ऐसे संगीत का निर्माण करती है, जो बारिश के मौसम को बेहद खास बना देता है। बारिश पर कविताएं न केवल हमारी भावनाओं को व्यक्त करने का आसान तरीका है, बल्कि यह प्रकृति की सुंदरता को शब्दों में पिरोने का एक अनोखा माध्यम भी है। बारिश की बूंदों की ठंडी छुअन, मिट्टी की सौंधी महक और बहती नदियों की मधुर ध्वनि पर कई कवियों ने लोकप्रिय कृतियां लिखीं हैं। इस लेख में आपके लिए बारिश पर कविता (Barish Par Kavita) दी गई हैं, जो आपको प्रकृति के नज़दीक ले जाएंगी। यहां पढ़ें बारिश पर चुनिंदा लोकप्रिय कविताएं।

बारिश पर कविता – Barish Par Kavita

बारिश पर कविता (Barish Par Kavita) की सूची इस प्रकार है:

कविता का नामकवि/कवियत्री का नाम
बारिशमंगलेश डबराल
रात में वर्षासर्वेश्वरदयाल सक्सेना
बारिश आने से पहलेगुलज़ार
बारिश का मौसमदीनदयाल शर्मा
वर्षा के मेघ कटेगोपीकृष्ण ‘गोपेश’
चंद्रकूट वर्षादिनेश कुमार शुक्ल
बादल घिर आए, गीत की बेला आईहरिवंशराय बच्चन
बादल आए गोल बाँधकरकेदारनाथ अग्रवाल
आई है बरखा!योगेन्द्र दत्त शर्मा
बरखा का दिनकेदारनाथ अग्रवाल

बारिश

खिड़की से अचानक बारिश आई
एक तेज़ बौछार ने मुझे बीच नींद से जगाया
दरवाज़े खटखटाए ख़ाली बर्तनों को बजाया
उसके फुर्तील्रे क़दम पूरे घर में फैल गए
वह काँपते हुए घर की नींव में धँसना चाहती थी
पुरानी तस्वीरों टूटे हुए छातों और बक्सों के भीतर
पहुँचना चाहती थी तहाए हुए कपड़ों को
बिखराना चाहती थी वह मेरे बचपन में बरसना
चाहती थी मुझे तरबतर करना चाहती थी
स्कूल जानेवाले रास्ते पर

बारिश में एक एक कर चेहरे भीगते थे
जो हमउम्र थे पता नहीं कहाँ तितरबितर हो गए थे
उनके नाम किसी और बारिश में पुँछ गए थे
भीगती हुई एक स्त्री आई जिसका चेहरा
बारिश की तरह था जिसके केशों में बारिश
छिपी होती थी जो फ़िर एक नदी बनकर
चली जाती थी इसी बारिश में एक दिन
मैं दूर तक भीगता हुआ गया इसी में कहीं लापता
हुआ भूल गया जो कुछ याद रखना था
इसी बारिश में कहीं रास्ता नहीं दिखाई दिया
इसी में बूढ़ा हुआ जीवन समाप्त होता हुआ दिखा

एक रात मैं घर लौटा जब बारिश थी पिता
इंतज़ार करते थे माँ व्याकुल थी बहनें दूर से एक साथ
दौड़ी चली आई थीं बारिश में हम सिमटकर
पास-पास बैठ गए हमने पुरानी तस्वीरें देखीं
जिन पर कालिख लगी थी शीशे टूटे थे बारिश
बार बार उन चेहरों को बहाकर ले जाती थी
बारिश में हमारी जर्जरता अलग तरह की थी
पिता की बीमारी और माँ की झुर्रियाँ भी अनोखी थीं
हमने पुराने कमरों में झाँककर देखा दीवारें
साफ़ कीं जहाँ छत टपकती थी उसके नीचे बर्तन
रखे हमने धीमे धीमे बात की बारिश
हमारे हँसने और रोने को दबा देती थी
इतने घने बादलों के नीचे हम बार बार
प्रसन्न्ता के किसी किनारे तक जाकर लौट आते थे
बारिश की बूँदें आकर लालटेन का काँच
चिटकाती थीं माँ बीच बीच में उठकर देखती थी
कहीं हम भीग तो नहीं रहे बारिश में।

मंगलेश डबराल

रात में वर्षा

मेरी साँसों पर मेघ उतरने लगे हैं,
आकाश पलकों पर झुक आया है,
क्षितिज मेरी भुजाओं में टकराता है,
आज रात वर्षा होगी।
कहाँ हो तुम?

मैंने शीशे का एक बहुत बड़ा एक्वेरियम
बादलों के ऊपर आकाश में बनाया है,
जिसमें रंग-बिरंगी असंख्य मछलियाँ डाल दी हैं,
सारा सागर भर दिया है।
आज रात वह एक्वेरियम टूटेगा
बौछारे की एक-एक बूँद के साथ
रंगीन छलियाँ गिरेंगी।
कहाँ हो तुम?

मैं तुम्हें बूँदों पर उड़ती
धारों पर चढ़ती-उतरती
झकोरों में दौड़ती, हाँफती,
उन असंख्य रंगीन मछलियों को दिखाना चाहता हूँ
जिन्हें मैंने अपने रोम-रोम की पुलक से आकार दिया है।

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

यह भी पढ़ें – प्रेरणादायक प्रसिद्ध हिंदी कविताएँ

बारिश आने से पहले

बारिश आने से पहले
बारिश से बचने की तैयारी जारी है
सारी दरारें बन्द कर ली हैं
और लीप के छत, अब छतरी भी मढ़वा ली है
खिड़की जो खुलती है बाहर
उसके ऊपर भी एक छज्जा खींच दिया है
मेन सड़क से गली में होकर, दरवाज़े तक आता रास्ता
बजरी-मिट्टी डाल के उसको कूट रहे हैं!
यहीं कहीं कुछ गड़हों में
बारिश आती है तो पानी भर जाता है
जूते पाँव, पाँएचे सब सन जाते हैं

गले न पड़ जाए सतरंगी
भीग न जाएँ बादल से
सावन से बच कर जीते हैं
बारिश आने से पहले
बारिश से बचने की तैयारी जारी है!!

गुलज़ार

यह भी पढ़ें – बसंत पंचमी पर कविता

बारिश का मौसम

बारिश का मौसम है आया।
हम बच्चों के मन को भाया।।

‘छु’ हो गई गरमी सारी।
मारें हम मिलकर किलकारी।।

काग़ज़ की हम नाव चलाएँ।
छप-छप नाचें और नचाएँ।।

मज़ा आ गया तगड़ा भारी।
आँखों में आ गई खुमारी।।

गरम पकौड़ी मिलकर खाएँ।
चना चबीना खूब चबाएँ।।

गरम चाय की चुस्की प्यारी।
मिट गई मन की ख़ुश्की सारी।।

बारिश का हम लुत्फ़ उठाएँ।
सब मिलकर बच्चे बन जाएँ।।

दीनदयाल शर्मा

यह भी पढ़ें: भारतीय संस्कृति की सजीव झलक प्रस्तुत करती रामनरेश त्रिपाठी की कविताएं

वर्षा के मेघ कटे

वर्षा के मेघ कटे
रहे-रहे आसमान बहुत साफ़ हो गया है,
वर्षा के मेघ कटे!

पेड़ों की छाँव ज़रा और हरी हो गई है,
बाग़ में बग़ीचों में और तरी हो गई है
राहों पर मेंढक अब सदा नहीं मिलते हैं
पौधों की शाखों पर काँटे तक खिलते हैं
चन्दा मुस्काता है;
मधुर गीत गाता है
घटे-घटे,
अब तो दिनमान घटे!
वर्षा के मेघ घटे!!

ताल का, तलैया का जल जैसे धुल गया है;
लहर-लहर लेती है, एक राज खुल गया है
डालों पर डोल-डोल गौरैया गाती है
ऐसे में अचानक ही धरती भर आती है
कोई क्यों सजता है
अन्तर ज्यों बजता है
हटे-हटे
अब तो दुःख-दाह हटे!
वर्षा के मेघ कटे!!

साँस-साँस कहती है, तपन ज़र्द हो गई है
प्राण सघन हो उठे हैं, हवा सर्द हो गई है
अपने-बेगाने
अब बहुत याद आते हैं
परदेसी-पाहुन क्यों नहीं लौट आते हैं?
भूलें ज्यों भूल हुई
कलियाँ ज्यों फूल हुईं
सपनों की सूरत-सी
मन्दिर की मूरत-सी
रटे-रटे
कोई दिन-रैन रटे।
वर्षा के मेघ कटे।

गोपीकृष्ण ‘गोपेश’

यह भी पढ़ें: दुष्यंत कुमार की कविताएं, जो आपको प्रेरित करेंगी

चंद्रकूट वर्षा

जब दृष्टि स्वयम् घुल गई दृश्य के साथ-साथ
तब जो भी था सब भर आया
भर आईं आँखें
कण्ठ
हृदय
सातों समुद्र
सब भर आये

आँसू बरसे
अमृत बरसा
बरसे तरकश के तीर
क्षीर-अमृत-हालाहल-कालकूट
गिरि चंद्रकूट की तरह
चमकते थे बादल

उन झड़ियों की झकझोर
यहाँ तक आती थी उन दिनों
यहाँ तक…

दिनेश कुमार शुक्ल

यह भी पढ़ें – बेटियों के प्रति सम्मान के भाव को व्यक्त करती बालिका दिवस पर कविता

बादल और बारिश पर कविता

बादल और बारिश पर कविता पढ़कर आप इस मौसम का अपनी दोनों बाहें खोलकर स्वागत कर सकेंगे, ये कविताएं निम्नलिखित हैं –

बादल घिर आए, गीत की बेला आई

बादल घिर आए, गीत की बेला आई।
आज गगन की सूनी छाती
भावों से भर आई,
चपला के पावों की आहट
आज पवन ने पाई,
डोल रहें हैं बोल न जिनके
मुख में विधि ने डाले
बादल घिर आए, गीत की बेला आई।
बिजली की अलकों ने अंबर
के कंधों को घेरा,
मन बरबस यह पूछ उठा है
कौन, कहाँ पर मेरा?
आज धरणि के आँसू सावन
के मोती बन बहुरे,
घन छाए, मन के मीत की बेला आई।
बादल घिर आए, गीत की बेला आई।

हरिवंशराय बच्चन

यह भी पढ़ें : सुमित्रानंदन पंत की वो महान कविताएं, जो आपको जीने का एक मकसद देंगी

बादल आए गोल बाँधकर

बादल आए
गोल बाँधकर
नभ में छाए
सूरज का मुँह रहे छिपाए
मैंने देखा :
इन्हें देख गजराज लजाए
इनके आगे शीश झुकाए
बोल न पाए
बादल आए
बरखा के घर साजन आए
जल भर लाए
झूम झमाझम बरस अघाए
मैंने देखा;
प्रकृति-पुरुष सब साथ नहाए,
नहा-नहाकर अति हरसाए-
ताप मिटाए

केदारनाथ अग्रवाल

आई है बरखा!

मस्ती-सी छलकाती
आई है बरखा,
बिजली का झूल गया
रेशमी अंगरखा!

कुहरे की नरम-नरम
चादरें लपेटे,
सूरज भी दुबक गया
धूप को समेटे।

कैसे टिकता, आखिर
बोझ था उमर का!

बादल की बादल से
हो गई लड़ाई,
बूँदों से बूँद लड़ी
कौन-सी बड़ाई?

आपस में लड़कर ही
अपना बल परखा!

कोस रही सावन को
अपने ही मन में,
पानी का ढेर लगा
सारे आँगन में।

दादी माँ कात न पाई
आज चरखा!

हवा चली, माटी की
खुशबू को छूकर,
हरियाली उतरी है
पेड़ों के ऊपर।

धरती का सूखा भी
चुपके-से सरका!
मस्ती-सी छलकाती
आई है बरखा!

योगेन्द्र दत्त शर्मा

बरखा का दिन

मैंने देखा :
यह बरखा का दिन!
मायावी मेघों ने सिर का सूरज काट लिया;
गजयूथों ने आसमान का आँगन पाट दिया;
फिर से असगुन भाख रही रजकिन।

मैंने देखा :
यह बरखा का दिन!
दूध-दही की गोरी ग्वालिन डरकर भाग गई;
रूप-रूपहली धूप धरा को तत्क्षण त्याग गई;
हुड़क रही अब बगुला को बगुलिन!

मैंने देखा :
यह बरखा का दिन!
बड़े-बड़े बादल के योद्धा बरछी मार रहे;
पानी-पवन-प्रलय के रण का दृश्य उभार रहे;
तड़प रही अब मुँह बाए बाघिन।

केदारनाथ अग्रवाल

संबंधित आर्टिकल

रवीन्द्रनाथ टैगोर की रचनाएंभारतेंदु हरिश्चंद्र की रचनाएं
अटल बिहारी वाजपेयी की कविताएंअरुण कमल की लोकप्रिय कविताएं
भगवती चरण वर्मा की कविताएंनागार्जुन की प्रसिद्ध कविताएं
भवानी प्रसाद मिश्र की कविताएंअज्ञेय की महान कविताएं
रामधारी सिंह दिनकर की वीर रस की कविताएंरामधारी सिंह दिनकर की प्रेम कविता
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कविताएंमहादेवी वर्मा की कविताएं
महारथी शरद जोशी की कविताएंसुभद्रा कुमारी चौहान की कविताएं
विष्णु प्रभाकर की कविताएंमहावीर प्रसाद द्विवेदी की कविताएं
सोहन लाल द्विवेदी की कविताएंख़लील जिब्रान की कविताएं
द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की कविताएंसावित्रीबाई फुले कविता
महारथी शरद जोशी की कविताएंबालकृष्ण शर्मा नवीन की कविताएं

आशा है कि आपको इस लेख में बारिश पर कविता (Barish Par Kavita) पसंद आई होंगी। ऐसी ही अन्य लोकप्रिय हिंदी कविताओं को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

Leave a Reply

Required fields are marked *

*

*