Pradhanmantri ki Shaktiyan: भारत के संसदीय लोकतंत्र में प्रधानमंत्री देश की कार्यपालिका का वास्तविक प्रमुख होता है। भारत में राष्ट्रपति भले ही भारत का संवैधानिक प्रमुख हो, लेकिन शासन संचालन की वास्तविक जिम्मेदारी प्रधानमंत्री के हाथों में होती है। प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद का नेतृत्व करने के साथ नीतियों का निर्धारण, प्रशासन का संचालन, संसद में सरकार का प्रतिनिधित्व और राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का मार्गदर्शन भी करते हैं। प्रधानमंत्री की शक्तियाँ विभिन्न क्षेत्रों में फैली हुई हैं। इस ब्लॉग में प्रधानमंत्री की शक्तियों (Pradhanmantri ki Shaktiyan) के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है।
This Blog Includes:
प्रधानमंत्री का परिचय
भारत का प्रधानमंत्री देश की कार्यपालिका का वास्तविक नेता होता है। प्रधानमंत्री न केवल मंत्रिपरिषद का प्रमुख होता है, बल्कि सरकार की सभी नीतियों और निर्णयों का संचालन भी उसी के नेतृत्व में होता है। भारत के संसद में सरकार का प्रतिनिधित्व करने से लेकर देश और विदेश में भारत की छवि बनाने तक, प्रधानमंत्री की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। भारत के प्रधानमंत्री को राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाने से पहले उसे संसद के लोकसभा में बहुमत का विश्वास प्राप्त होना आवश्यक है। प्रधानमंत्री सरकार के कार्यों का समन्वय करता है, मंत्रियों के बीच जिम्मेदारियाँ बाँटता है। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए महत्वपूर्ण फैसले लेता है। भारत जैसी लोकतांत्रिक व्यवस्था में प्रधानमंत्री देश के विकास और स्थिरता के लिए एक मार्गदर्शक की भूमिका निभाता है।
यह भी पढ़ें- UPSC के लिए स्टडी मटीरियल
प्रधानमंत्री की शक्तियाँ और कर्तव्य
विभिन्न क्षेत्रों में प्रधानमंत्री की शक्तियाँ (Pradhanmantri ki Shaktiyan) और कर्तव्य यहां दिए गए हैं:
प्रधानमंत्री की मंत्रिपरिषद से संबंधित शक्तियां
प्रधानमंत्री की मंत्रिपरिषद से संबंधित शक्तियां इस प्रकार हैं:
- प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को मंत्रियों की नियुक्ति के लिए नाम सुझाते हैं।
- विभिन्न मंत्रालयों का कार्यभार तय करने और मंत्रियों में फेरबदल का अधिकार प्रधानमंत्री के पास होता है।
- प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल की बैठकों की अध्यक्षता करते हैं और आवश्यक होने पर लिए गए निर्णयों में संशोधन कर सकते हैं।
- वह राष्ट्रपति को किसी मंत्री के इस्तीफे को स्वीकार करने या उसे पद से हटाने का सुझाव दे सकते हैं।
- मंत्रियों के कामकाज का समन्वय और मार्गदर्शन प्रधानमंत्री द्वारा किया जाता है।
- प्रधानमंत्री इस्तीफा देकर या मंत्रिमंडल को भंग करने की सिफारिश कर संसद में नए चुनाव कराने का सुझाव दे सकते हैं।
- यदि प्रधानमंत्री इस्तीफा देते हैं या उनका निधन हो जाता है, तो पूरा मंत्रिमंडल स्वतः भंग हो जाता है।
प्रधानमंत्री की नियुक्तियों से संबंधित शक्तियां
प्रधानमंत्री इन शक्तियों का उपयोग करके केंद्रीय मंत्रियों की नियुक्ति, राज्यों के राज्यपालों की सिफारिश और उच्च पदों पर योग्य व्यक्तियों को चुनने में अहम भूमिका निभाते हैं। प्रधानमंत्री की नियुक्तियों से संबंधित शक्तियां निम्न पदों पर नियुक्तियों के लिए उपयोग की जाती हैं:
- भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG)
- भारत के अटॉर्नी जनरल
- भारत के महाधिवक्ता
- संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष और सदस्य
- चुनाव आयुक्तों
- वित्त आयोग के अध्यक्ष और सदस्य
संसद और राष्ट्रीय संस्थाओं से संबंधित शक्तियाँ
संसद और राष्ट्रीय संस्थाओं से संबंधित शक्तियाँ इस प्रकार हैं:
- प्रधानमंत्री लोकसभा में सत्तारूढ़ दल के नेता के रूप में कार्य करते हैं।
- वे देश की विदेश नीति का निर्धारण करते हैं।
- प्रधानमंत्री नीति आयोग, राष्ट्रीय विकास परिषद, राष्ट्रीय एकता परिषद, अंतर-राज्य परिषद और राष्ट्रीय जल संसाधन परिषद के अध्यक्ष भी होते हैं।
- आपातकालीन स्थितियों में राजनीतिक स्तर पर आपदा प्रबंधन का नेतृत्व प्रधानमंत्री करते हैं।
- प्रधानमंत्री सभी सेनाओं के राजनीतिक प्रमुख भी होते हैं (यहाँ राजनीतिक प्रमुख का अर्थ है प्रशासनिक और नीतिगत दिशा-निर्देश देना)।
प्रधानमंत्री की राष्ट्रपति से संबंधित शक्तियां
प्रधानमंत्री की राष्ट्रपति से संबंधित शक्तियां इस प्रकार हैं:
- राष्ट्रपति को राष्ट्रीय महत्व के मामलों में सलाह देने के लिए मंत्रियों का एक मंत्रिमंडल होता है, जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री करते हैं।
- राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिपरिषद द्वारा दी गई सलाह के आधार पर कार्य करते हैं।
- राष्ट्रपति के पास मंत्रिपरिषद के निर्णयों पर पुनर्विचार की मांग करने का अधिकार है, लेकिन पुनर्विचार के बाद उसे मंत्रियों की सलाह का पालन करना अनिवार्य होता है।
- प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर करते हैं।
- मंत्री अपने पद पर राष्ट्रपति की इच्छा तक बने रहते हैं।
- संपूर्ण मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से संसद के प्रति उत्तरदायी होती है।
प्रधानमंत्री की संसद से संबंधित शक्तियां
प्रधानमंत्री की संसद से संबंधित शक्तियां इस प्रकार हैं:
- प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को संसद सत्र बुलाने और उसे स्थगित करने के संबंध में सलाह देते हैं।
- प्रधानमंत्री आवश्यकता पड़ने पर राष्ट्रपति से लोकसभा को भंग करने का सुझाव दे सकते हैं।
- प्रधानमंत्री संसद के पटल पर सरकार की नई नीतियों, योजनाओं और पहलों की घोषणा करते हैं।
प्रधानमंत्री की अन्य शक्तियां और कार्य
प्रधानमंत्री की अन्य शक्तियां और कार्य इस प्रकार हैं:
- प्रधानमंत्री नीति आयोग, राष्ट्रीय एकता परिषद, अंतर्राज्यीय परिषद, राष्ट्रीय जल संसाधन परिषद सहित कई महत्वपूर्ण संगठनों का नेतृत्व करते हैं।
- देश की विदेश नीति निर्माण और उसे दिशा देने में प्रधानमंत्री का प्रमुख योगदान होता है।
- प्रधानमंत्री केंद्र सरकार की नीतियों और फैसलों के प्रमुख प्रवक्ता के रूप में कार्य करते हैं।
- किसी भी राजनीतिक या राष्ट्रीय संकट के समय प्रधानमंत्री संकट प्रबंधन की बागडोर संभालते हैं।
- राष्ट्र के नेता के रूप में प्रधानमंत्री विभिन्न राज्यों और समुदायों के प्रतिनिधियों से मिलते हैं और उनके मुद्दों व मांगों से जुड़े ज्ञापन स्वीकार करते हैं।
- प्रधानमंत्री सत्तारूढ़ पार्टी का चेहरा और नेता होते हैं तथा सशस्त्र बलों के राजनीतिक नेतृत्व का दायित्व भी निभाते हैं।
भारतीय प्रधानमंत्री की शक्ति पर प्रतिबंध
भारतीय प्रधानमंत्री की शक्ति पर प्रतिबंध यहां दिए गए हैं:
- अविश्वास प्रस्ताव का खतरा: यदि प्रधानमंत्री संसद के सदस्यों की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरते, तो उन पर अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है। ऐसी स्थिति में उन्हें इस्तीफा देना पड़ता है, जिससे उनकी शक्तियों पर स्वाभाविक नियंत्रण बना रहता है।
- पार्टी की विचारधारा का पालन: प्रधानमंत्री को अपनी पार्टी की घोषित नीतियों और विचारधारा के अनुसार ही कार्य करना होता है। वे पार्टी लाइन से बाहर जाकर स्वतंत्र रूप से निर्णय नहीं ले सकते।
- राष्ट्राध्यक्ष की सलाह का पालन: राष्ट्रपति समय-समय पर प्रधानमंत्री को महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर सलाह दे सकते हैं, जिसे प्रधानमंत्री को गंभीरता से लेना और आवश्यक कदम उठाना अनिवार्य होता है।
- जनमत का प्रभाव: प्रधानमंत्री के निर्णयों पर जनता की राय का गहरा असर होता है। यदि कोई नीति जनता के हितों के विरुद्ध मानी जाती है या मीडिया में नकारात्मक छवि बनती है, तो प्रधानमंत्री को अपने फैसले बदलने पर विवश होना पड़ सकता है।
प्रधानमंत्री के द्वारा सत्ता का दुरुपयोग
प्रधानमंत्री के द्वारा सत्ता का दुरुपयोग से जुड़ी जानकारी इस प्रकार हैं:
- शाह समिति की रिपोर्ट (1977): 1977 में भारत सरकार ने आपातकाल (1975-77) के दौरान हुई ज्यादतियों की जांच के लिए शाह आयोग का गठन किया। रिपोर्ट में सामने आया कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों से सलाह लिए बिना आपातकाल घोषित किया था।
- प्रधानमंत्री पर लोकपाल की निगरानी: लोकपाल को वर्तमान या पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच का अधिकार प्राप्त है, ताकि प्रधानमंत्री अपने पद का दुरुपयोग न कर सकें।
- प्रधानमंत्री के खिलाफ जांच के नियम: प्रधानमंत्री से जुड़े विदेशी मामलों, आंतरिक और बाहरी सुरक्षा तथा सार्वजनिक व्यवस्था से संबंधित आरोपों की जांच तभी शुरू हो सकती है जब लोकपाल के अध्यक्ष और उसके सभी सदस्यों से मिलकर बनी जूरी उस पर विचार करे और कम से कम दो-तिहाई सदस्य इसकी मंजूरी दें।
FAQs
प्रधानमंत्री भारत सरकार का प्रमुख होता है और उसकी शक्तियाँ व्यापक होती हैं। वह मंत्रिमंडल का नेतृत्व करते हैं, मंत्रियों का चयन करते हैं, कार्यों का बंटवारा करते हैं और कैबिनेट की बैठकों की अध्यक्षता करते हैं। प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को मंत्रियों की नियुक्ति, संसद भंग करने और अन्य महत्वपूर्ण निर्णयों पर सलाह देते हैं। प्रधानमंत्री देश की विदेश नीति, राष्ट्रीय सुरक्षा और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी निर्णय लेते हैं। उनका कार्य राजनीतिक, प्रशासनिक और राष्ट्रीय संकटों के समाधान में महत्वपूर्ण होता है।
देश के निर्वाचित प्रमुख के रूप में, प्रधान मंत्री निम्नलिखित कार्य करता है:
वह लोगों, राष्ट्रपति और संसद के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करता है।
वह सरकार की विभिन्न नीतियां बनाता है।
वह मंत्रियों की नियुक्ति पर राष्ट्रपति को सलाह देता है।
राष्ट्रपति प्रधान मंत्री और मंत्रिमंडल की सलाह पर प्रमुख नियुक्तियाँ करता है।
संसद की तीन शक्तियाँ हैं – उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति और उच्च न्यायालयों तथा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाने की शक्ति, अपने सदस्यों या बाहरी लोगों को दंडित करने की शक्ति तथा राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेने का अधिकार।
एनडीटीवी और इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के प्रधानमंत्री को हर महीने 1.66 लाख रुपये मिलते हैं। इसमें संसदीय भत्ता 45000 रुपये, व्यय भत्ता 3000 रुपये, दैनिक भत्ता 2000 और बेसिक पे 50 हजार रुपये शामिल है।
प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद, या कैबिनेट का प्रमुख होता है, और राष्ट्रपति और कैबिनेट के बीच की कड़ी के रूप में कार्य करता है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 78 में कहा गया है कि देश के प्रशासन से संबंधित सभी कैबिनेट निर्णयों को राष्ट्रपति को सूचित करना प्रधान मंत्री का कर्तव्य है।
प्रधानमंत्री को कई प्रमुख सुविधाएं मिलती हैं, जैसे कि दिल्ली में सरकारी आवास, उच्च स्तर की सुरक्षा, विशेष यात्रा सुविधाएं, और चिकित्सा सेवाएं। उन्हें कार्यों के संचालन के लिए एक विस्तृत दफ़्तर और कर्मचारी सहायता मिलती है। इसके अलावा, प्रधानमंत्री को उच्च वेतन, भत्ते, और देश की नीतियों को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए आर्थिक संसाधनों तक पहुंच होती है।
कोई भी शिकायत माननीय प्रधानमंत्री या पीएमओ को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की वेबसाइट https://www.pmindia.gov.in/ पर उपलब्ध प्रधानमंत्री को लिखें इंटरैक्टिव पेज के माध्यम से भेजी जा सकती है। इसके लिए, वेबसाइट पर माननीय प्रधानमंत्री से बातचीत करें विकल्प पर क्लिक करें और फिर ड्रॉप-डाउन मेनू से प्रधानमंत्री को लिखें का चयन करें।
संबंधित आर्टिकल
- राज्य सूची में कितने विषय हैं? जानें क्या है इसका महत्व
- संविधान की आवश्यकता किन परिस्थितियों में हुई?
- भारत-पाकिस्तान के बीच में सिंधु जल समझौता क्यों हुआ था?
- दल बदल क्या है? जानें परिभाषा, कारण, कानूनी प्रक्रिया और प्रभाव
उम्मीद है आपको प्रधानमंत्री की शक्तियों के बारे में (Pradhanmantri ki Shaktiyan) के संदर्भ में हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। UPSC और सामान्य ज्ञान से जुड़े ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ जुड़े रहें।