Acharya Chatursen Shastri Ka Jeevan Parichay: समादृत उपन्यासकार एवं कथाकार आचार्य चतुरसेन शास्त्री हिंदी साहित्य जगत में अपना अग्रणी स्थान रखते हैं। वहीं जब भी हिंदी साहित्य में ऐतिहासिक लेखन का जिक्र होता है तब आचार्य चतुरसेन शास्त्री की कालजयी रचनाएँ ‘वैशाली की नगरवधू’, ‘वयं रक्षामः’, ‘सोमनाथ’ व ‘मंदिर की नर्तकी’ आदि कृतियों का नाम सबसे पहले उभर कर सामने आता है। आचार्य चतुरसेन शास्त्री (Acharya Chatursen Shastri in Hindi) ने साहित्य की सभी विधाओं में अपनी लेखनी चलाई हैं। उनका लेखन क्रम किसी एक विधा तक सीमित नहीं किया जा सकता।
बता दें कि आचार्य चतुरसेन शास्त्री की रचनाओं को विद्यालय के अलावा बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी आचार्य चतुरसेन शास्त्री का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है।
आइए अब आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रतिष्ठित साहित्यकार आचार्य चतुरसेन का जीवन परिचय (Acharya Chatursen Shastri Ka Jeevan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाम | आचार्य चतुरसेन शास्त्री (Acharya Chatursen Shastri) |
जन्म | 26 अगस्त, 1891 |
जन्म स्थान | चांदोख गाँव, बुलंदशहर जिला, उत्तर प्रदेश |
पिता का नाम | केवलराम ठाकुर |
माता का नाम | नन्हीं देवी |
शिक्षा | आयुर्वेदाचार्य, शास्त्री |
पेशा | साहित्यकार, आयुर्वेदिक चिकित्सक |
भाषा | हिंदी |
विधाएँ | उपन्यास, कहानी, निबंध व बाल साहित्य |
उपन्यास | ‘वैशाली की नगरवधू’, ‘सोमनाथ’, ‘वयं रक्षामः’, ‘सोना और खून’, ‘गोली’, ‘अपराजिता’ आदि। |
कहानी-संग्रह | ‘रजकण’, ‘अक्षत’, ‘मेरी प्रिय कहानियाँ’ |
निबंध-संग्रह | ‘अन्तस्तल’, ‘मरी खाल की हाय’, ‘तरलाग्नि’ |
नाटक | ‘राजसिंह’, ‘मेघनाथ’, ‘छत्रसाल’, ‘गांधारी’ |
आत्मकथा | ‘मेरी आत्मकहानी’ |
बाल-साहित्य | ‘महापुरुषों की झाकियाँ’, ‘हमारा शहर’ |
निधन | 2 फरवरी, 1960 |
This Blog Includes:
- उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में हुआ था जन्म – Acharya Chatursen Shastri Ka Jeevan Parichay
- “आयुर्वेदाचार्य” और “शास्त्री” की उपाधि मिली
- आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में किया कार्य
- आचार्य चतुरसेन शास्त्री की साहित्यिक रचनाएँ
- 68 वर्ष की आयु में हुआ निधन
- पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
- FAQs
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में हुआ था जन्म – Acharya Chatursen Shastri Ka Jeevan Parichay
प्रतिष्ठित रचनाकार आचार्य चतुरसेन शास्त्री का जन्म 26 अगस्त, 1891 को उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में चांदोख नामक गांव में हुआ था। बता दें कि आचार्य चतुरसेन शास्त्री का बचपन का नाम ‘चतुर्भुज’ था। उनके पिता का नाम ‘केवलराम ठाकुर’ और माता का नाम ‘नन्हीं देवी’ था।
“आयुर्वेदाचार्य” और “शास्त्री” की उपाधि मिली
आचार्य चतुरसेन शास्त्री की प्रारंभिक शिक्षा चांदोख गांव के निकट सिकंदराबाद नामक कस्बे में हुई थी। इसके बाद वह राजस्थान चले गए और यहाँ उन्होंने जयपुर के संस्कृत कॉलेज (Sanskrit College) में दाखिला लिया और वर्ष 1915 में आयुर्वेद में “आयुर्वेदाचार्य” व संस्कृत में “शास्त्री” की उपाधि प्राप्त की।
आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में किया कार्य
माना जाता है कि आचार्य चतुरसेन शास्त्री (Acharya Chatursen Shastri in hindi) ने अपनी शिक्षा पूर्ण होने के उपरांत बतौर आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में कार्य किया था। उन्होंने आयुर्वेदिक उपचार हेतु डिस्पेंसरी भी खोली किंतु हानि होने के कारण उनका यह कार्य अधिक दिनों तक नहीं चल सका। इसके बाद उन्हें कुछ समय तक 25 रुपये प्रति माह के वेतन पर औषधालय में नौकरी भी की।
वर्ष 1917 में DAV कॉलेज, लाहौर में उनकी नियुक्ति प्रोफेसर के पद पर हुई। लेकिन यहाँ कॉलेज प्रबंधन से वैचारिक मतभेद होने के कारण उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया। इस दौरान उनका साहित्य के क्षेत्र में पर्दापण हो चुका था। इसके बाद वह अजमेर, राजस्थान आ गए और यहाँ अपने श्वसुर के औषधालय में सहयोग करने लगे। यहाँ उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ और वह एक आयुर्वेद चिकित्सक के साथ ही साहित्यकार के रूप में विख्यात होने लगे।
आचार्य चतुरसेन शास्त्री की साहित्यिक रचनाएँ
यहाँ आचार्य चतुरसेन शास्त्री का जीवन परिचय (Acharya Chatursen Shastri Ka Jeevan Parichay) के साथ ही उनकी संपूर्ण रचनाओं (Acharya Chatursen Shastri Books) के बारे में संक्षिप में बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:-
उपन्यास – Acharya Chatursen Ke Upanyas
- वैशाली की नगरवधू
- सोमनाथ
- वयं रक्षामः
- सोना और खून
- गोली
- अपराजिता
- पत्थर युग के दो बुत
- रक्त की प्यास
- हृदय की परख
- बगुला के पंख
कहानी-संग्रह
- रजकण
- अक्षत
- मेरी प्रिय कहानियाँ
निबंध-संग्रह
- अन्तस्तल
- मरी खाल की हाय
- तरलाग्नि
नाटक
- राजसिंह
- मेघनाथ
- छत्रसाल
- गांधारी
आत्मकथा
- मेरी आत्मकहानी
बाल-साहित्य
- महापुरुषों की झाकियाँ
- हमारा शहर
राजनैतिक लेखन
- सत्याग्रह और असहयोग
- गोलसभा
- गांधी की आँधी
- मौत के पंजे में जिंदगी की कराह
चिकित्सा लेखन
- आरोग्यशास्त्र
- सुगम चिकित्सा
68 वर्ष की आयु में हुआ निधन
आचार्य चतुरसेन शास्त्री (Acharya Chatursen Shastri) ने कई दशकों तक हिंदी साहित्य की अनेक विधाओं में अनुपम साहित्य का सृजन किया हैं। वहीं साहित्य जगत को अपनी लेखनी से रोशन करने वाले इस प्रतिष्ठित रचनाकार का 2 फरवरी 1960 को निधन हो गया। किंतु अपनी कालजयी रचनाओं के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाता हैं।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ विख्यात साहित्यकार आचार्य चतुरसेन शास्त्री का जीवन परिचय (Acharya Chatursen Shastri Ka Jeevan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-
FAQs
आचार्य चतुरसेन शास्त्री का जन्म 26 अगस्त, 1891 को उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में चांदोख नामक गांव में हुआ था।
उनके बचपन का नाम ‘चतुर्भुज’ था।
आचार्य चतुरसेन शास्त्री ने जयपुर के संस्कृत कॉलेज से उच्च शिक्षा प्राप्त की थी।
वैशाली की नगर वधू किसकी रचना है?
‘वैशाली की नगरवधू’ आचार्य चतुरसेन शास्त्री का बहुचर्चित उपन्यास है।
उनका निधन 2 फरवरी 1960 को हुआ था।
आचार्य चतुरसेन शास्त्री आधुनिक हिंदी साहित्य में ‘द्विवेदी युग’ के प्रतिष्ठित साहित्यकार थे।
रक्त की प्यास, चतुरसेन शास्त्री का लोकप्रिय उपन्यास है।
चतुरसेन शास्त्री के पिता का नाम ‘केवलराम ठाकुर’ था।
‘हृदय की प्यास’ आचार्य चतुरसेन शास्त्री का अत्यंत रोचक उपन्यास है।
आशा है कि आपको विख्यात साहित्यकार आचार्य चतुरसेन शास्त्री का जीवन परिचय (Acharya Chatursen Shastri in Hindi) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।