स्पीति में बारिश को लिखा है महान कवि कृष्णनाथ जी ने। कृष्णनाथ जी ने ऐसी कई रचनाएं लिखी हैं। हम यहां उन्ही के द्वारा स्पीति में बारिश पाठ से आपके सामने लेखक परिचय, पाठ का सारांश, कठिन शब्द और प्रश्न-उत्तर आपके सामने लाएंगे चलिए, जानते हैं स्पीति में बारिश को इस ब्लॉग की मदद से I
किताब | NCERT |
बोर्ड | CBSE |
कक्षा | कक्षा 11 |
विषय | हिंदी आरोह |
पाठ संख्या | 6 |
पाठ का नाम | स्पीति में बारिश |
मध्यम | हिंदी |
This Blog Includes:
लेखक परिचय
लेखक कृष्णनाथ जी का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी में 1934 में हुआ था। इन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से इकोनॉमिक्स में एमए की। यह समाजवादी आंदोलन से जुड़े थे और बाद में यह बौद्ध दर्शन की ओर हो गए। बौद्ध दर्शन में इनकी गहरी पैठ है। काशी विद्यापीठ में यह इकोनॉमिक्स विषय के प्रोफेसर भी रहे। यह दोनों भाषाओं की पत्रकारिता से जुड़े रहे। ये हिंदी की साहित्यिक पत्रिका कल्पना के संपादक मंडल में कई वर्ष तक रहे। इन्होंने अंग्रेजी के मैनकाइंड का कुछ वर्षों तक संपादन भी किया।
वे राजनीति, पत्रकारिता और अध्यापन की प्रक्रिया में भी थे। इन्होंने भारतीय व तिब्बती आचार्यों के साथ बैठकर नागार्जुन के दर्शन और वज़यानी परंपरा का अध्यापन किया। इन्होंने भारतीय चिंतक जे. कृष्णमूर्ति के साथ बौद्ध दर्शन पर काम किया। इन्हें लोहिया पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
रचनाएं
लद्दाख में राग-विराग, किन्नर धर्मलोक, स्पीति में बारिश, पृथ्वी परिकमा, हिमालय यात्रा, अरुणाचल यात्रा, बौद्ध निबंधावली। इसके अलावा, इन्होंने हिंदी और अंग्रेजी में कई पुस्तकों का संपादन भी किया।
पाठ का सारांश
- यह पाठ, स्पीति में बारिश, एक यात्रा-वृत्तांत (यात्रा के बारे में) है। स्पीति, हिमालय के मध्य में स्थित है। यह स्थान अपनी भौगोलिक एवं प्राकृतिक विशेषताओं के कारण अन्य पर्वतीय स्थलों से भिन्न है। लेखक ने यहाँ की जनसंख्या, ऋतु, फसल, जलवायु व भूगोल का वर्णन किया है। उन्होंने दुर्गम क्षेत्र स्पीति में रहने वाले लोगों के कठिनाई भरे जीवन का भी वर्णन किया है। कुछ युवा पर्यटकों का पहुँचना स्पीति के पर्यावरण को बदल सकता है। ठंडे रेगिस्तान जैसे स्पीति के लिए उनका आना, वहाँ बूंदों भरा एक सुखद संयोग बन सकता है।
- लेखक बताता है कि हिमाचल प्रदेश के लाहुल-स्पीति जिले की तहसील स्पीति है। ऊँचे दरों व कठिन रास्तों के कारण इतिहास में इसका नाम कम ही रहा है। आजकल संचार के आधुनिक साधनों में वायरलेस के जरिए ही केलग व काजा के बीच संबंध रहता है। यह क्षेत्र पहले स्वायत्त रहा है चाहे कोई भी राजा रहा हो। इसका कारण यहाँ का भूगोल है। पहले राजा का हरकारा आता था तो उसके आने तक अल्प वसंत बीत जाता था। जोरावर सिंह हमले के समय स्पीति के लोग घर छोड़कर भाग गए थे। उसने यहाँ के घरों और विहारों को लूटा।
- स्पीति में जनसंख्या लाहुल से भी कम है। 1901 में यहाँ 3231 लोग थे, अब यहाँ 34,000 लोग हैं। लाहुल स्पीति का क्षेत्रफल 12210 वर्ग किलोमीटर है। यहाँ जनसंख्या प्रति वर्गमील बहुत कम है। भारत को यहाँ का प्रशासन ब्रिटिश राज से मिला। अंग्रेजों ने 1846 ई. में कश्मीर के राजा गुलाब सिंह से यहाँ का प्रशासन लिया था ताकि वे पश्चिमी तिब्बत के ऊन वाले क्षेत्र में जा सकें। लद्दाख मंडल के समय यहाँ का शासन स्थानीय राजा (नोनी) द्वारा चलाया जाता था। अंग्रेजी काल में कुल्लू के असिस्टेंट कमिश्नर के समर्थन से नोनो काम करता था।
- 1873 में स्पीति रेगुलेशन में लाहुल व स्पीति को विशेष दर्जा दिया गया। यहाँ पर अन्य कानून लागू नहीं होते थे। यहाँ के नोनो को टैक्स इकट्ठा करने तथा छोटे-छोटे मारपीट के मुकदमों का फैसला करने का अधिकार दिया गया। उससे ऊपर के मामले वह कमिश्नर के पास भेज देता था। 1960 में इस क्षेत्र को पंजाब राज्य में तथा 1966 में हिमाचल प्रदेश बनने के बाद राज्य के उत्तरी छोर का जिला बनाया गया।
- स्पीति 31.42 और 32.59 लैटीट्यूड उत्तर और 77.26 और 78.42 पूर्व लोंगिट्यूड के बीच स्थित है। यहाँ चारों तरफ पहाड़ हैं। इसकी मुख्य घाटी स्पीति नदी की घाटी है। स्पीति नदी तिब्बत की तरफ से आती है तथा किन्नौर जिले से बहती हुई सतलुज में मिलती है। लेखक पारा नदी, पिन की घाटी के बारे में भी मान भाई से सुना है। यहाँ लोग रहते कैसे हैं? स्पीति के बारे में बताने पर यह सवाल लोग लेखक से पूछते हैं। ये क्षेत्र आठ-नौ महीने शेष दुनिया से कटे हुए हैं। वे एक फसल उगाते हैं तथा लकड़ी व रोजगार भी नहीं है, फिर भी वे यहाँ रह रहे हैं, क्योंकि वह यहाँ रहते आए हैं। यह तर्क से परे की चीज है।
- स्पीति के पहाड़ लाहुल से अधिक ऊँचे, भव्य हैं। इनके सिरों पर स्पीति के नर-नारियों की दर्द भरी पुकार है। यहाँ हिम का आर्तनाद है, ठिठुरन है। स्पीति मध्य हिमालय की घाटी है। यह हिमालय का तलुआ है। लाहुल, समुद्र की तरह से 10535 फीट ऊँचा है तो स्पीति 12986 फीट ऊँचा। स्पीति घाटी को घेरने वाली पर्वत श्रेणियों की ऊँचाई 16221 से 16500 फीट है। दो चोटियाँ 21,000 फीट से भी ऊँची हैं। इन्हें बारालचा श्रेणियाँ कहते हैं। दक्षिण की पर्वत श्रेणियों को माने श्रेणियाँ कहते हैं। शायद बौद्धों के माने मंत्रों के नाम पर इनका नामकरण किया गया हो। बौद्धों का बीज मंत्र ‘ओों मणि पद्भे हु’ है। इसे संक्षेप में माने कहते है।
- स्पीति के पार हिमालय दिखता है। इसकी एक चोटी 23,064 फीट ऊँची बताई जाती है। लेखक चोटियों से होड़ लगाने के पक्ष में नहीं है। इन ऊँचाइयों से होड़ लगाना मृत्यु है। कभी-कभी उनका मान-मर्यादा करना मर्द और औरत की शान है। लेखक चाहता है कि देश-दुनिया के मैदानों व पहाड़ों से युवक-युवतियाँ आकर अपने अहंकार को गलाकर फिर चोटियों के अहंकार को चूर करें। माने की चोटियाँ बूढ़े लामाओं के जाप से उदास हो गई।
- स्पीति में दो ही ऋतुएँ होती हैं। जून से सितंबर तक वसंत ऋतु तथा बाकी समय शीत ऋतु होती है। बसंत में जुलाई में औसत तापमान 15 डिग्री सेल्सियस तथा सर्दियों में, जनवरी में औसत तापमान 8 डिग्री सेल्सियस होता है। वसंत में दिन गर्म तथा रात ठंडी होती है। शीत ऋतु की ठंड की कल्पना ही की जा सकती है। यहाँ वसंत का समय लाहुल से कम होता है। इस ऋतु में यहाँ फूल, हरियाली आदि नहीं आते। दिसंबर से मई तक बर्फ रहती है। तेज हवाएँ मुँह, हाथ व अन्य खुले अंगों पर कांटे की तरह चुभती हैं।
- यहाँ मानसून नहीं आता। बारिश कभी पड़ जाए तो क्या ही कहना। कालिदास को अपने ‘ऋतु संहार’ ग्रंथ में से वर्षा ऋतु का वर्णन हटाना होगा। उसका वर्षा वर्णन लाहुल-स्पीति के लोगों की समझ से परे है। वे नहीं जानते कि बरसात में नदियाँ बहती हैं,बादल बरसते हैं। जंगलों में हरियाली छा जाती है। यहाँ के लोगों ने कभी पर्याप्त वर्षा नहीं देखी। धरती सूखी, ठंडी रहती है।
- स्पीति में एक ही फसल होती है जिनमें जौ, गेहूँ, मटर व सरसों प्रमुख है। सिंचाई के साधन पहाड़ों से बहने वाले झरने हैं। स्पीति नदी का पानी काम में नहीं आता। स्पीति की भूमि पर खेती की जा सकती है बशर्त वहाँ पानी पहुँचाया जाए। यहाँ फल, पेड़ आदि नहीं होते। वर्षा यहाँ एक घटना है। लेखक एक घटना का वर्णन करता है। वह काजा के डाक बंगले में सो रहा था। आधी रात के समय उन्हें लगा कि कोई खिड़की खड़का रहा है। उसने खिड़की खोली तो हवा का तेज झोंका मुँह व हाथ को छीलने-सा लगा। उसने पल्ला बंद किया तथा आड़ में देखा कि बारिश हो रही है। बर्फ की बारिश हो रही थी। सुबह उठने पर पता चला कि लोग उनकी यात्रा को शुभ बता रहे थे। यहाँ बहुत दिनों बाद बारिश हुई।
स्पीति में बारिश गद्य की कौन-सी विधा है?
स्पीति में बारिश का सारांश प्रस्तुत पाठ या यात्रा-वृतांत स्पीति में बारिश लेखक कृष्णनाथ जी के द्वारा लिखा गया है। स्पीति हिमांचल प्रदेश की एक तहसील है। यह स्थान अपनी भौगोलिक एवं प्राकृतिक विशेषताओं के कारण अन्य पर्वतीय स्थलों से भिन्न है।
कठिन शब्द
स्पीति में बारिश पाठ में निम्नलिखित कठिन शब्द और उनके उत्तर दिए हैं –
- स्वायत्त-स्वतंत्र
- आधुनिक-नए
- हरकारा-धावक
- सुखद-खुश करने वाला
- रोजगार-काम-धंधा
- ऋतु-मौसम
- शीत-सर्दी
- वर्णन-ज़िक्र
- विशेष-खास
- वर्षा-बारिश
- जाप-मंत्र
- संचार-सूचना
- शेष-बाकी
- अहंकार-घमंड
स्पीति रेगुलेशन कब पास हुआ?
स्पीति रेगुलेशन किस वर्ष पास हुआ इसकी जानकारी नीचे दी गई है-
- स्पीति रेगुलेशन 1873 ई. में ब्रिटिश सरकार के समय पारित किया गया था।
- लाहौल व स्पीति को विशेष दर्जा दिया गया।
- यहाँ ब्रिटिश भारत के अन्य कानून लागू नहीं होते थे।
- स्थानीय प्रशासन के अधिकार नोनो को दिए गए।
- नोनो मालगुजारी को इकट्ठा करता तथा फौजदारी के छोटे-छोटे मुकदमों का फैसला करता था।
- अधिक बड़े मामले कमिश्नर को भेजे जाते थे।
स्पीति में बारिश प्रश्न-उत्तर
उत्तर: स्पीति हिमाचल प्रदेश के लाहुल-स्पीति जिले की तहसील है। यह पहाड़ी भू-भाग बहुत ऊँचा-नीचा है। यहाँ के दरें और पहाड़ इसे दुर्गम बनाते हैं।
उत्तर: (क) भयंकर ठंड
(ख) आठ-नौ महीने शेष दुनिया से कटे रहना
(ग) एक फसल ले पाना
(घ) घर गर्म करने हेतु लकडी तक का न होना
(ङ) रोजगार न होना
उत्तर: स्पीति मध्य हिमालय पर बसा हुआ है। इसके उत्तर की ओर बारालाचा श्रेणियाँ हैं। इनकी ऊँचाई 16,221 फीट से लेकर 16,500 फीट तक है। इस पर्वत-श्रेणी की दो चोटियों की ऊँचाई 21,000 फीट से अधिक है। दक्षिण में माने श्रेणी है।
उत्तर: स्पीति का इतिहास में कम ही नाम आता है, क्योंकि ऊँचे दरों व कठिन रास्तों के कारण यह आम संसार से कटा रहता है। वहाँ आवागमन अत्यंत कठिन है।
उत्तर: स्पीति में बौद्ध धर्म का प्रभाव है। यहाँ की पर्वत श्रेणी को माने श्रेणी कहा जाता है। शायद इसका नाम माने के नाम पर ही हुआ हो। यदि ऐसा नहीं है तो भी यहाँ माने का जाप हुआ है, जिससे स्पष्ट होता है कि यहाँ बौद्ध धर्म का प्रभाव है।
उत्तर: स्पीति में एक ही फसल होती है जिनमें जौ, गेहूँ, मटर व सरसों प्रमुख है। सिंचाई के साधन पहाड़ों से बहने वाले झरने हैं। स्पीति नदी का पानी काम में नहीं आता। स्पीति की भूमि पर खेती की जा सकती है बशर्त वहाँ पानी पहुँचाया जाए।
उत्तर: वह काजा के डाक बंगले में सो रहा था। आधी रात के समय उन्हें लगा कि कोई खिड़की खड़का रहा है। उसने खिड़की खोली तो हवा का तेज झोंका मुँह व हाथ को छीलने-सा लगा। उसने पल्ला बंद किया तथा आड़ में देखा कि बारिश हो रही है। बर्फ की बारिश हो रही थी। सुबह उठने पर पता चला कि लोग उनकी यात्रा को शुभ बता रहे थे। यहाँ बहुत दिनों बाद बारिश हुई।
उत्तर: स्पीति में दो ही ऋतुएँ होती हैं। जून से सितंबर तक अल्पकालिक वसंत ऋतु तथा शेष वर्ष शीत ऋतु होती है।
उत्तर: बसंत में जुलाई में औसत तापमान 15 डिग्री सेल्सियस तथा सर्दियों में, जनवरी में औसत तापमान 8 डिग्री सेल्सियस होता है। वसंत में दिन गर्म तथा रात ठंडी होती है। शीत ऋतु की ठंड की कल्पना ही की जा सकती है।
उत्तर: भारत को यह ब्रिटिश राज से मिला था। अंग्रेजों ने 1846 ई. में कश्मीर के राजा गुलाब सिंह से यहाँ का प्रशासन लिया था ताकि वे पश्चिमी तिब्बत के ऊन वाले क्षेत्र में जा सकें। लद्दाख मंडल के समय यहाँ का शासन स्थानीय राजा (नोनी) द्वारा चलाया जाता था।
लेखक यह नहीं चाहता कि ऊँचाइयों के माप के चक्कर में पड़ा जाए। वह उनसे होड़ लगाने के पक्ष में भी नहीं है। इसका कारण यह है कि ऊँचाइयों से होड़ लगाना मृत्यु का कारण बन सकता है।
लेखक दुनिया के मैदानों व पहाड़ों से युवक-युवतियों को बुलाना चाहता है ताकि वे यहाँ आकर पहले अपने अहंकार को गलाएँ तथा फिर चोटियों का मान-मर्दन करें। इससे उन्हें आनंद की अनुभूति होगी।
स्पीति हिमालय की मध्य घाटियों में स्थित है। यहाँ वर्षा ऋतु नहीं होती, क्योंकि यहां बादल नहीं पहुँचते। यहाँ कभी-कभी वर्षा होती भी है तो बर्फ की, जिसे अत्यंत शुभ माना जाता है।
स्पीति के लोग यह नहीं जानते कि बरसात में नदियां बहती हैं, बादल बरसते हैं, मस्त हाथी चिंघाड़ते हैं, जंगल हरे-भरे हो जाते हैं, वियोगिनी स्त्रियां तड़पती हैं, मोर नाचते हैं तथा बंदर गुफाओं में जा छिपते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि यहाँ वर्षा न के बराबर ही होती है।
कालिदास यहाँ आकर कहेंगे कि अपने बहुत-से-सुंदर गुणों से सुहानी लगने वाली, स्त्रियों का जी खिलाने वाली, पेड़ों की टहनियों और बेला की सच्ची सखी तथा सभी जीवों का प्राण बनी हुई वर्षा ऋतु आपके मन की सब साधे पूरी करें।
उत्तर- स्पीति का जीवन बहुत कठोर है। यहाँ लंबी शीत ऋतु होती है। आठ-नौ महीने यह क्षेत्र शेष विश्व से कटा रहता है। यहाँ जलाने के लिए लकड़ी भी नहीं होती। लोग ठंड से ठिठुरते रहते हैं। यहाँ न हरियाली है और न ही पेड़। यहाँ पर्याप्त वर्षा भी नहीं होती। यहाँ साल में एक ही फसल उगा सकते हैं। जौ, गेहूँ, मटर व सरसों के अलावा दूसरी फसल नहीं हो सकती। किसी प्रकार का फल व सब्जियाँ पैदा नहीं होतीं। यहाँ रोजगार के साधन नहीं हैं। यहाँ की जमीन खेती योग्य है, परंतु सिंचाई के साधन विकसित नहीं हैं। अत: यहाँ के लोग अत्यंत जटिल परिस्थिति में रहते हैं।
उत्तर- स्पीति का जीवन बहुत कठोर है। यहाँ लंबी शीत ऋतु होती है। आठ-नौ महीने यह क्षेत्र शेष विश्व से कटा रहता है। यहाँ जलाने के लिए लकड़ी भी नहीं होती। लोग ठंड से ठिठुरते रहते हैं। यहाँ न हरियाली है और न ही पेड़। यहाँ पर्याप्त वर्षा भी नहीं होती। यहाँ साल में एक ही फसल उगा सकते हैं। जौ, गेहूँ, मटर व सरसों के अलावा दूसरी फसल नहीं हो सकती। किसी प्रकार का फल व सब्जियाँ पैदा नहीं होतीं। यहाँ रोजगार के साधन नहीं हैं। यहाँ की जमीन खेती योग्य है, परंतु सिंचाई के साधन विकसित नहीं हैं। अत: यहाँ के लोग अत्यंत जटिल परिस्थिति में रहते हैं।
उत्तर- लेखक ने बताया है कि माने पर्वत श्रेणियाँ बूढ़े लामाओं के जाप से उदास हो गई हैं, क्योंकि उनके जाप से यहाँ का वातावरण बोझिल व नीरस हो गया है। लेखक पहाड़ों व मैदानों से युवक-युवतियों को बुलाना चाहता है ताकि वे यहाँ आकर क्रीड़ा-कौतुक करें, प्रेम के खेल खेलें, जिससे यहाँ के वातावरण में ताजगी व उत्साह का संचार हों। चोटियों पर चढ़ने से जीवन औगड़ाई लेने लगेगा। युवाओं के अट्टहास से चोटियों पर जमा आर्तनाद पिघलेगा।
उत्तर- स्पीति में वर्षा नहीं होती। वहाँ के लोग वर्षा की आनंददायक स्थितियों से अनभिज्ञ हैं। यहाँ वर्षा ऋतु मन की साध पूरी नहीं करती। यहाँ की धरती सूखी, ठंडी और वंध्या रहती है। स्पीति में साल में केवल एक फ़सल होती है। सिंचाई का साधन है-पहाड़ों से आ रहे नाले। उपजाऊ और खेती के योग्य धरती का तो यहाँ अभाव नहीं है, परंतु वर्षा नहीं होती। वर्षा यहाँ के लोगों के लिए एक घटना है। इसीलिए लेखक ने इसे एक सुखद संयोग माना है। स्पीति की यात्रा के दौरान वहाँ की वर्षा देखने का सौभाग्य भी लेखक को मिला था। स्थानीय लोगों ने भी इसी कारण लेखक की यात्रा को शुभ कहा था।
उत्तर- लेखक ने बताया है कि माने पर्वत श्रेणियाँ बूढ़े लामाओं के जाप से उदास हो गई हैं, क्योंकि उनके जाप से यहाँ का वातावरण बोझिल व नीरस हो गया है। लेखक पहाड़ों व मैदानों से युवक-युवतियों को बुलाना चाहता है ताकि वे यहाँ आकर क्रीड़ा-कौतुक करें, प्रेम के खेल खेलें, जिससे यहाँ के वातावरण में ताजगी व उत्साह का संचार हों। चोटियों पर चढ़ने से जीवन औगड़ाई लेने लगेगा। युवाओं के अट्टहास से चोटियों पर जमा आर्तनाद पिघलेगा।
स्पीति में बारिश MCQs
(क) कसोल
(ख) सोलन वैली
(ग) धर्मशाला
(घ) स्पीति वैली
उत्तर: (घ)
(क) बारिश
(ख) बर्फ
(ग) ओले
(घ) लैंडस्लाइड
उत्तर: (क)
(क) 45,000
(ख) 20,000
(ग) 34,000
(घ) 50,000
उत्तर: (ग)
(क) 1 डिग्री सेल्सियस
(ख) 8 डिग्री सेल्सियस
(ग) 12 डिग्री सेल्सियस
(घ) 4 डिग्री सेल्सियस
उत्तर: (ख)
(क) सूरदास
(ख) कबीर
(ग) तुलसीदास
(घ) कालिदास
उत्तर: (घ)
(क) ऋतु प्रसंग
(ख) ऋतु प्रहार
(ग) ऋतु संहार
(घ) ऋतु संदेश
उत्तर: (ग)
(क) शीत को
(ख) वसंत को
(ग) वर्षा को
(घ) गर्मी को
उत्तर: ग
(क) कृष्णनाथ
(ख) कृश्नचंद्र
(ग) शेखर जोशी
(घ) प्रेमचंद
उत्तर: क
(क) हरियाणा
(ख) पंजाब
(ग) हिमाचल
(घ) राजस्थान
उत्तर: ग
(क) टेलीफोन
(ख) मोबाइल
(ग) तार
(घ) वायरलेस सेट
उत्तर: घ
(क) 150
(ख) 160
(ग) 170
(घ) 180
उत्तर: ग
(क) जोगा सिंह
(ख) दरियाव सिंह
(ग) जोरावर सिंह
(घ) होशियार सिंह
उत्तर: ग
(क) चार
(ख) चालीस
(ग) चार सौ
(घ) चार हजार
उत्तर: क
(क) राजा गुलाब मल
(ख) राजा गुलाब राय
(ग) राजा गुलाब सिंह
(घ) राजा गुलाब चंद
उत्तर: ग
(क) बोनो
(ख) टोनो
(ग) नोनो
(घ) पोनो
उत्तर: ग
FAQs
स्पीति में बारिश पाठ एक यात्रा-वृत्तांत है। लेखक ने इस पाठ में स्पीति की जनसंख्या, ऋतु, फ़सल, जलवायु तथा भूगोल का वर्णन किया है जो परस्पर एक-दूसरे से संबंधित हैं। पाठ में दुर्गम क्षेत्र स्पीति में रहने वाले लोगों के कठिनाई भरे जीवन का भी वर्णन किया गया है।
स्पीति में बारिश के लेखक भारत के मशहूर कथाकार कृष्णनाथ जी हैं।
लाहौल स्पीति में आवागमन की अनेक कठिनाइयां हैं। स्पीति में पूरे साल में लगभग 8 से 9 महीने बर्फी जमा रहती है, इस कारण सारे रास्ते जाम हो जाते हैं और यह क्षेत्र बाकी दुनिया से कटा रहता है। लाहौल स्पीति में पूरे साल में सिर्फ एक फसल होती है तथा गेहूं, जौ, मटर अथवा सरसों के अलावा किसी अन्य तरह की फसल हो ही नहीं पाती।
लाहौल स्पीति का मुख्यालय केलांग में है।
लेखक कहता है कि यहां भयंकर ठंड होती है। यहाँ लकड़ी, रोजगार नहीं है। फसल भी एक ही होती है। ऐसी दुर्गम स्थितियों में भी लोग यहां रहते हैं।
स्पीति के लोग जीवन यापन के लिए सब प्रकार की कठिनाइयों का सामना करते हैं। स्पीति में साल के आठ-नौ महीने बर्फ रहती है तथा यह क्षेत्र शेष संसार से कटा रहता है। कठिनता से तीन-चार महीने वसंत ऋतु आती है। यहाँ न हरियाली है, न पेड़।
स्पीति हिमालय की मध्य घाटियों में स्थित है। यहाँ वर्षा ऋतु नहीं होती, क्योंकि यहां बादल नहीं पहुँचते। यहाँ कभी-कभी वर्षा होती भी है तो बर्फ की, जिसे अत्यंत शुभ माना जाता है।
आशा करते हैं कि आपको स्पीति में बारिश के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली होगी। यदि आप विदेश में पढ़ाई करना चाहते हैं तो आज ही हमारे Leverage Edu एक्सपर्ट्स को 1800572000 पर कॉल करें और 30 मिनट का फ्री सेशन बुक करें।