साइना नेहवाल भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। वह एक महीने में तीसरी बार प्रथम वरीयता पाने वाली अकेली महिला खिलाड़ी हैं। लंदन ओलंपिक 2012 में साइना ने इतिहास रचते हुए बैडमिंटन की महिला सिंगल प्रतियोगिता में कांस्य पदक हासिल किया। बैडमिंटन मे ऐसा करने वाली वे भारत की पहली खिलाड़ी हैं। 2008 में बीजिंग में आयोजित हुए ओलंपिक खेलों में भी वे क्वार्टर फाइनल तक पहुँची थी। वह BWF वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप जीतने वाली पहली भारतीय हैं। वर्तमान में वह टॉप महिला भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं और भारतीय बैडमिंटन लीग में अवध वॉरियर्स की तरफ़ से खेलती हैं।
नाम | साइना नेहवाल |
उपनाम | स्टैफी साइना |
जन्म | 17 मार्च 1990 |
जन्म स्थल | हिसार, हरियाणा भारत |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म | हिंदू |
पिता जी | डॉक्टर हरवीर सिंह नेहवाल |
माताजी | उषा नेहवाल |
बहन | अब्बू चंद्राशु नेहवाल |
पति | पारुपल्ली कश्यप |
विवाह | 14 दिसंबर 2018 |
निवास स्थान | हिसार हरियाणा भारत |
स्कूल | दिल्ली पब्लिक स्कूल ,रानीपुर हरिद्वार |
शिक्षा योग्यता | 12वीं |
प्रोफेशन | भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी |
कोच | पुलेला गोपीचंद ,नानी प्रसाद राव ,सैयद मोहम्मद आरिफ |
संपत्ति | 22 करोड़ |
This Blog Includes:
- साइना नेहवाल का जीवन परिचय
- साइना नेहवाल की बैडमिंटन ट्रेनिंग की शुरुआत
- साइना की बैडमिंटन ट्रेनिंग स्ट्रगल
- साइना नेहवाल का बुरा दौर
- साइना नेहवाल का करियर
- साइना नेहवाल की प्रमुख उपलब्धियां
- भारतीय शटलर साइना नेहवाल के 10 बेहतरीन स्मैश
- साइना नेहवाल सम्मान और पुरस्कार
- साइना नेहवाल के मन पसंदीदा चीजें
- विज्ञापन, टीवी उपस्थिति और नई बायोपिक ‘साइना’
- साइना नेहवाल पर निबंध
- साइना नेहवाल सोशल मीडिया प्रोफाइल
- साइना नेहवाल से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
- FAQs
साइना नेहवाल का जीवन परिचय
साइना नेहवाल भारत की महिला बैडमिंटन खिलाड़ी है। यह ओलंपिक पदक जीतने वाली भारत की पहली बैडमिंटन खिलाड़ी हैं, जिन्होंने 2012 लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था। साइना नेहवाल के एक साधारण व्यक्ति से भारत की महिला बैडमिंटन खिलाड़ी बनने तक का सफर काफी चुनौती भरा रहा है। साइना नेहवाल का विस्तृत जीवन परिचय नीचे दिया गया है:
साइना नेहवाल का बचपन
का जन्म 17 मार्च 1990 में हिसार गांव ,हरियाणा में एक हिंदू परिवार में हुआ था। साइना नेहवाल के पिताजी का नाम डॉक्टर हरवीर सिंह नेहवाल है और माताजी का नाम उषा नेहवाल है। ये दोनों हरियाणा में पूर्व चैंपियन रह चुके हैं। साइना नेहवाल को मिली शोहरत और बुलंदी के पीछे उन्होंने बहुत ही लंबी लड़ाई लड़ी है, ताकि अपना लक्ष्य पा सके और अपना सपना पूरा कर सके। जब साइना नेहवाल का जन्म हुआ, उस समय उनके घर का बहुत ही अलग था। उनकी दादी को पोते की चाहत थी, लेकिन लड़की होने पर उन्हें बहुत ही गुस्सा आया था। इसलिए जन्म के समय दादी ने उनका चेहरा एक महीने तक नहीं देखा था। साइना नेहवाल 8 साल की थी तब से उन्होंने बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था। साइना अक्सर उस स्थानीय क्लब में जाती थी जहां उसकी मां खेलती थी। यह बैडमिंटन की तरफ उनका पहला कदम था।
साइना नेहवाल की शिक्षा
साइना नेहवाल ने अपनी स्कूल की पढ़ाई की शुरुआत हरियाणा के हिसार के एक स्कूल से की थी, लेकिन उनके पिता का हैदराबाद ट्रांसफर हो जाने की वजह से उनके पूरे परिवार को हैदराबाद शिफ्ट होना पड़ा था। इसके बाद साइना ने अपनी 10 वीं की पढ़ाई फॉर्म सेंट ऐनी कॉलेज मेहदीपत्तनम, हैदराबाद से पूरी की है। साइना पढ़ाई के साथ-साथ खेल गतिविधियों में भी काफी एक्टिव रहती थीं। उन्होंने स्कूल में पढ़ाई करने के दौरान कराटे भी सीखे थे, इसमें ब्राउन बेल्ट भी मिला हुआ है।
साइना नेहवाल बेहद कम उम्र से ही बैडमिंटन खेलने में दिलचस्पी लेने लगी थीं। उनके पिता हमेशा से ही साइना को दुनिया की एक सर्वश्रेष्ठ बैडमिंटन प्लेयर बनाना चाहते थे। साइना के पिता उन्हें स्कूल जाने से पहले रोजाना सुबह 4 बजे उठाकर बैडमिंटन की प्रैक्टिस करवाने के लिए ले जाते थे। इसके बाद साइना के पिता ने उन्हें प्रोफेशनल बैडमिंटन खेलने की ट्रेनिंग देने का फैसला लिया। साइना की सबसे पहली ट्रेनिंग हैदराबाद के लाल बहादुर खेल स्टेडियम में कोच ”नानी प्रसाद” के अंडर हुई थी।
साइना नेहवाल की शादी
बैडमिंटन स्टार साइना नेहवाल की शादी पारुपल्ली कश्यप से साल 2018 में हुई थी। साइना नेहवाल ने कश्यप के साथ अपने प्रेम संबंधों के बारे में खुलकर बात की थी। साइना और पारुपल्ली की पहली मुलाकात 2005 में पुलेला गोपीचंद की अकादमी में ट्रेनिंग के दौरान हुई थी। पारुपल्ली कश्यप ने भी बैडमिंटन में शानदार प्रदर्शन किया था और वह छठी रैंक पर भी रहे थे। पारुपल्ली कश्यप 2012 के लंदन ओलंपिक में निलुका करुणारत्ने को हराकर ओलंपिक में क्वार्टर फाइनल में पहुंचने वाले भारत के पहले पुरुष शटलर थे।
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साइना नेहवाल की बैडमिंटन ट्रेनिंग की शुरुआत
साइना के पिता ने लाल बहादुर शास्त्री स्टेडियम में 8 की उम्र में ही नन्हीं साइना की बैडमिंटन ट्रेनिंग शुरू करवा दी थी। कोच ने साइना को शॉट्स खेलने का मौका भी दिया था, उसको साइना के शॉट्स पसंद आए थे। कोच ने उनके पिता को कहा कि तुम्हारी बेटी में बहुत संभावना है, वह बैडमिंटन खेल के आगे बढ़ सकती हैं। फिर बैडमिंटन में साइना नेहवाल की प्रोफेशनल ट्रेनिंग शुरू हो गई। वह रोजाना सुबह 6:00 बजे स्टेडियम पहुंच जाती थी। स्टेडियम साइना नेहवाल के घर के करीब 20 किलोमीटर दूर था। उनकी माताजी रोज सुबह साइना को 4:00 बजे जगा देती थी, शुरुआत में यह उनके लिए बहुत ही कठिन था, फिर उनकी आदत हो गई थी। रोजाना उनके पिताजी साइना नेहवाल को स्कूटर पर बिठाकर स्टेडियम ले जाया करते थे, कई बार तो साइना स्कूटर पर बैठे-बैठे पिता के पीठ पर सिर रखकर सो जाया भी करती थी। वर्ष 2004 में साइना ने नेशनल जूनियर चैंपियनशिप जीती थी और यहाँ से उनकी हार जीत का सिलसिला हुआ था। वर्ष 2005 में नेशनल सीनियर चैंपियनशिप में हिस्सा लिया था, लेकिन यहाँ उन्हें जीत नहीं मिली। फिर भी उन्होंने हौसला नहीं हरा और 2006 में सीनियर चैंपियनशिप जीत ली थी। जब बैडमिंटन का मैच बाहर होता था उनके पिताजी हमेशा उनके साथ जाते थे। उनके पिताजी की मौजूदगी ही उनका आत्मविश्वास बढ़ा देती थी।
साइना की बैडमिंटन ट्रेनिंग स्ट्रगल
साइना के पिता एक सरकारी कर्मचारी थे जिनकी एक निश्चित मासिक आय थी। वहीं उनकी ट्रेनिंग की लागत INR 25,000 – 30,000 प्रति माह और अन्य खर्च होते थे। साइना के माता-पिता उन्हें एक राष्ट्रीय चैंपियन बनाना चाहते थे और सर्वश्रेष्ठ ट्रेनिंग प्रदान कराना चाहते थे। साइना नेहवाल ने अक्सर इस बात का जिक्र किया है कि उनके पिता ने उनकी ट्रेनिंग के लिए पैसे उधार लिए थे और साथ ही उनकी ट्रेनिंग के लिए उन्होंने अपनी सारी सेविंग लगा दी थी। कहा जाता है कि प्रशिक्षण के लिए प्रसिद्ध खिलाड़ी पुलेला गोपीचंद की अकादमी में शामिल होने से पहले उन्हें पर्याप्त रूप से तैयार किया गया था। साइना नेहवाल द्वारा अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट जीतने और प्रायोजकों का ध्यान आकर्षित करने के बाद हालात बेहतर होने लगे थे।
साइना नेहवाल का बुरा दौर
साइना के लिए साल 2013 सबसे बुरा साल रहा। जिसकी वजह से वे एक भी टाइटल नहीं जीत सकी और मैं विश्व रैंकिंग में नंबर 9 तक भी पहुँच गयी थी। इसी के साथ उनको लगता था कि शायद अब वे कभी बेहतर नहीं खेल पाएंगी और उनका करियर वहीं खत्म हो जाएगा लेकिन ऐसा नहीं था उन्होंने अपने खेल में और ज्यादा मेहनत की और इसका इम्प्रूवमेंट उनको दिखा और वे उन्होंने फिर से गेम में वापसी की।
“बैडमिंटन ओलंपिक में मेरी जीत के बाद बड़े पैमाने पर गति प्राप्त करेगा। अधिक खिलाड़ी खेल में भाग लेंगे। ”
साइना नेहवाल का करियर
साइना नेहवाल के करियर की पहली सीढ़ी 2003 थी जब उन्होंने जूनियर चेक ओपन में जीत हासिल की थी। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मूड कर नहीं देखा। अपने करियर में उन्होंने कई टूर्नामेंट खेलें हैं, जिनके बारे में नीचे बताया गया है:
- 2003 में जो जूनियर चेक ओपन हुआ, वह उनके करियर की शुरुआत थी, जिस टूर्नामेंट में उन्होंने जीत हासिल की।
- 2004 के कॉमनवेल्थ यूथ गेम में उन्होंने दूसरा स्थान प्राप्त किया।
- साइना नेहवाल एक बार 2005 में और उसके बाद 2006 में अंडर- 19 नेशनल चैंपियन बनी। इसी साल एशियन सेटेलाइट बैडमिंटन टूर्नामेंट जीता।
- 2006 में, साइना नेहवाल एक सुपर सीरीज टूर्नामेंट, फिलीपींस ओपन जीतने वाली प्रथम भारतीय महिला बनीं।
- 2008 में, वह वर्ड जूनियर बैडमिंटन चैम्पियनशिप जीतने वाले प्रथम भारतीय बनीं। उन्होंने 2008 के चीनी ताइपे ओपन ग्रां प्री गोल्ड और भारतीय राष्ट्रीय बैडमिंटन चैंपियनशिप और कॉमनवेल्थ यूथ गेम्स खेलों को भी उसी वर्ष जीता।
- 2008 में उन्हें सबसे होनहार खिलाड़ी के रूप में घोषित किया गया था।
- 2009 में वे दुनिया की सबसे प्रमुख बैडमिंटन सीरीज इंडोनेशिया ओपन जीतने वाली प्रथम भारतीय बन गईं। वह विश्व चैंपियनशिप के क्वार्टर फाइनल में भी पहुंची।
- जनवरी 2010 में उन्होंने इंडिया ओपन ग्रां प्री गोल्ड, सिंगापुर ओपन सुपर सीरीज, इंडोनेशिया ओपन सुपर सीरीज और हांगकांग सुपर सीरीज भी जीती।
- 2010 राष्ट्रमंडल खेलों के आठ ब्रांड एंबेसडरों में से एक, साइना ने भारतीय बैडमिंटन के इतिहास में एक महान यादगार पल बनाने के लिए स्वर्ण पदक जीता।
- 2011 में उन्होंने स्विट्जरलैंड स्विस ओपन ग्रां प्री गोल्ड जीता और मलेशिया ओपन ग्रां प्री गोल्ड, इंडोनेशिया ओपन सुपर सीरीज प्रीमियर और बीडब्ल्यूएफ सुपर सीरीज मास्टर्स फाइनल में दूसरा स्थान प्राप्त किया।
- 2012 में साइना ने स्विस ओपन ग्रां प्री गोल्ड, थाईलैंड ओपन ग्रां प्री गोल्ड जीता. और इंडोनेशिया ओपन सुपर सीरीज प्रीमियर को पुनः प्राप्त कर लिया जिससे वह अपना तीसरा इंडोनेशियाई ओपन खिताब जीत गई।
- 2012 लंदन ओलंपिक में, साइना नेहवाल ने कांस्य पदक जीता और बैडमिंटन में ओलंपिक पदक जीतने वाली प्रथम भारतीय बनीं।
- साइना की विशाल उपलब्धि के लिए हरियाणा, राजस्थान और आंध्र प्रदेश की राज्य सरकारों ने इन्हें बड़ी रकम में नकद पुरस्कार प्रदान किए और खेल मंत्री ने साइना को आईएएस अधिकारी के पद के बराबर नौकरी देने का वादा किया। ओलंपिक में उनकी सफलता ने निश्चित रूप से भारत में आगे बढ़कर खेलने के लिए नए दरवाजे खोल दिए हैं।
- साइना नेहवाल ने डेनमार्क ओपन सुपर सीरीज प्रीमियर ट्रॉफी को प्राप्त करने के लिए जर्मनी की जूलियन शेक को 35-17 मिनट में 21-17, 21-8 से हराकर एक हावी जीत के साथ वर्ष का अपना का चौथा खिताब जीता।
- लंदन खेलों के बाद यह उनका पहला टूर्नामेंट था। इस टूर्नामेंट को जीतने के बाद प्रकाश पादुकोण ने उन्हें डेनिश ओपन सुपर सीरीज खिताब जीतने वाली एकमात्र भारतीय बना दिया।
- स्पेन की कैरोलीना मरीन को फाइनल में 19-21, 25-23, 21-16 से हराकर पिछली विजेता साइना ने 2015 का इंडिया ओपन ग्रेड प्रिक्स गोल्ड खिताब जीत लिया। इसके ठीक पहले आल इंग्लैंड बैडमिंटन प्रतियोगिता के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला बनते हुए साइना कैरोलिना से ही फाइनल में 21-16, 14-21, 7-21 से हार गयी थीं।
- 29 मार्च 2015 को थाइलैंड की रत्वानोक को इंडियन ओपन सुपर सीरीज़ के फाइनल में हराकर वह विश्व की शीर्ष वरीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी बन गईं।
- 2018 में सायना नेहवाल ने 21 वें राष्ट्रमंडल खेलों में अंतिम दिन रविवार को महिला एकल वर्ग का स्वर्ण पदक अपने नाम किया। सायना ने फाइनल में हमवतन पी.वी सिंधु को मात दी। ऐसे में इस स्पर्धा का रजत पदक भी भारत को ही मिला है।
- सायना ने भारत की झोली में 26वां स्वर्ण पदक जीता ! सायना ऐसे में राष्ट्रमंडल खेलों में दो स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी बन गई हैं।
- 29 जनवरी 2020 को वे भारतीय जनता पार्टी (BJP) शामिल हुई।
साइना नेहवाल की प्रमुख उपलब्धियां
साइना नेहवाल ने दो मौकों पर एशियन सैटेलाइट बैडमिंटन टूर्नामेंट जीतने के बाद अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन सर्किट में एक अलग पहचान बना ली है। साइना सिर्फ 16 साल की थीं जब उन्होंने जीत हासिल की और चार-सितारा टूर्नामेंट जीतने वाली सबसे कम उम्र की एशियाई बन गईं। उन्होंने 2009 में चीन के वांग लिन के खिलाफ जीत हासिल की और BWF सुपर सीरीज़ की पहली भारतीय विजेता बनकर एक और स्मैशिंग रिकॉर्ड बनाया। साइना लगभग 24 इंटरनेशनल चैंपियनशिप जीत चुकी हैं। आइए नजर डालते हैं उनके 23 साल के करियर की उपलब्धियों पर।
राष्ट्रमंडल खेल, 2010
2010 में, साइना कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। उसने मलेशिया के मेव चू वोंग के साथ खेला और अपने स्वर्ण पदक को जीता। साइना नेहवाल की जीत विशेष रूप से महत्वपूर्ण थी क्योंकि उन्होंने भारत का 38 वां स्वर्ण जीतने में मदद की और इंग्लैंड को टैली में दूसरे स्थान पर धकेल दिया।
ओलंपिक 2012
चीनी, जिन वांग के खिलाफ जीत दर्ज कर नेहवाल बैडमिंटन में पहले भारतीय ओलंपिक पदक विजेता के रूप में उभरी।स्विट्जरलैंड की सबरीना जाकेट, क्वार्टर फाइनल में चीन में जन्मी डच सनसनी याओ जी, सेमी फ़ाइनल में साइना में चीन की वांग यिहान को हरा कर बैडमिंटन के इतिहास में जगह बनाई है।
चाइना ओपन, 2014
2014 साइना के लिए कई सफलताओं का वर्ष था, उनमें से एक 2014 में चीन ओपन टूर्नामेंट में जीत थी, जिसमें उसने जापान की अकाने यामागुची को हराकर स्वर्ण पदक जीता था।
इंग्लैंड ओपन वर्ल्ड चैम्पियनशिप, 2015
इंग्लैंड ओपन में, नेहवाल ने कैरोलिना मारिन के साथ फाइनल में पहुंचने का रास्ता बनाया। भले ही उसने 1 मैच जीता, लेकिन कैरोलिना ने दूसरा और निर्णायक मैच जीतकर नेहवाल को रजत दिलाया।साइना नेहवाल विश्व चैंपियनशिप का खिताब जीतने की कगार पर थीं, लेकिन स्पेन की कैरोलिना मारिन ने अपनी सुमेरू उन्नीस से हार गईं। फिर भी, उसने रजत जीता, विश्व चैम्पियनशिप टूर्नामेंट में रजत जीतने वाली पहली भारतीय बन गई।
“ओलंपिक पोडियम पर खड़े होने से बड़ा कुछ भी नहीं..यह अभी भी एक सपने जैसा लगता है, अविश्वसनीय है।”
भारतीय शटलर साइना नेहवाल के 10 बेहतरीन स्मैश
साल | प्रतियोगिता | प्रतिद्वंदी |
2007 | राष्ट्रमंडल युवा चैंपियनशिप | एन सिक्की रेड्डी (इंडिया ) |
2008 | विश्व जूनियर बैडमिंटन चैंपियनशिप खिताब | सायका सातो (जापान ) |
2009 | इंडोनेशिया ओपन | वांग ली (चीन) |
2010 | दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स। | मेव चू वोंग (मलेशिया) |
2010 | हांगकांग ओपन | वांग यिहान (चीन) |
2014 | ऑस्ट्रेलियाई सुपर सीरीज | कैरोलिना मारिन (स्पेन) |
2014 | चाइना ओपन | अकाने यामागुची (जापान ) |
2015 | सैयद मोदी इंटरनेशनल | कैरोलिना मारिन (स्पेन) |
2016 | ऑस्ट्रेलियन ओपन | सुन युन (चीन) |
2017 | मलेशिया मास्टर्स | पोर्नपावी चोचुवोंग (थाईलैंड ) |
साइना नेहवाल सम्मान और पुरस्कार
यहाँ शीर्ष प्रशंसा और पुरस्कार हैं, जिनके लिए साइना नेहवाल को सम्मानित किया गया हैं:
- बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन, 2008 द्वारा मोस्ट प्रॉमिसिंग प्लेयर ऑफ़ द ईयर अवार्ड
- अर्जुन पुरस्कार, 2009
- पद्म श्री, 2010
- राजीव गांधी खेल रत्न, 2019
- पद्म भूषण, 2016
साइना नेहवाल के मन पसंदीदा चीजें
साइना नेहवाल मन पसंदीदा चीज़ें नीचे दी गई है:
- अभिनेत्री- माधुरी दीक्षित
- अभिनेता- शाहरुख खान और महेश बाबू
- भोजन- आलू पराठा और कीवी
- गायक- श्रेया घोषाल
- क्रिकेटर- सचिन तेंदुलकर और रॉजर फेडरर ( हॉकी प्लेयर )
- नेता- नरेंद्र मोदी
- पसंदीदा जगह- सिंगापुर
विज्ञापन, टीवी उपस्थिति और नई बायोपिक ‘साइना’
साइना नेहवाल का पहला समर्थन 2002 में योनेक्स नाम के एक स्पोर्ट्स ब्रांड के लिए था, जब उन्होंने उसकी किट को प्रायोजित करने का फैसला किया। उसके बढ़ उन्हें भारत पेट्रोलियम, ओलंपिक गोल्ड क्वेस्ट, कम्यून बिल्डर, फॉर्च्यून कुकिंग ऑयल, एडलवाइस ग्रुप, गोदरेज नो मार्क्स, हुआवेई स्मार्टफोन, इंडियन ओवरसीज बैंक, आयोडेक्स, सहारा ग्रुप, स्टार स्पोर्ट्स टॉप जैसे विभिन्न सम्मानित संगठनों द्वारा प्रायोजित किया गया है।
उन्हें सत्यमेव जयते, कॉमेडी नाइट्स विद कपिल और द कपिल शर्मा शो जैसे लोकप्रिय टेलीविजन शो में भी आमंत्रित किया गया था। 2012 में, उन्होंने प्लेइंग टू विन: माय लाइफ ऑन और ऑफ कोर्ट शीर्षक से अपनी आत्मकथा जारी की। परिणीति चोपड़ा अभिनीत साइना नामक उनकी बायोपिक 26 मार्च 2021 को रिलीज़ हो गई है।
सफल लोगों की 30 अनमोल आदतें: Habits of Successful People
साइना नेहवाल पर निबंध
राष्ट्रमण्डल खेल वर्ष 2010 के अन्तिम दिन 14 अक्टूबर को भारत 37 स्वर्ण पदकों के साथ तीसरे स्थान पर था, किन्तु जिस महिला खिलाड़ी ने अन्तिम समय में देश के लिए 38वां स्वर्ण जीतकर भारत को इन खेलों के इतिहास में पहली बार पदक तालिका में दूसरा स्थान दिलाया, वह मशहूर बैडमिण्टन सितारा आज एक परिचित नाम बन चुका है । उस होनहार खिलाड़ी का नाम सायना नेहवाल है । सायना नेहवाल आज विश्वविख्यात बैडमिण्टन खिलाड़ियों में से एक है । वे ओलम्पिक खेलों में बैडमिण्टन प्रतिस्पर्द्धा के क्वार्टर फाइनल में पहुँचने वाली प्रथम भारतीय महिला एवं विश्व जूनियर बैडमिण्टन चैम्पियनशिप जीतने वाली प्रथम भारतीय खिलाड़ी हैं ।
जून, 2010 में मात्र 20 वर्ष की उम्र में बैडमिण्टन खिलाड़ियों की विश्व रैंकिंग में दूसरा स्थान प्राप्त कर सायना ने नट स्तर पर उल्लेखनीय ख्याति अर्जित की । उनकी इस उपलब्धि से प्रसन्न होकर तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभादेवी सिंह पाटिल, प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह और सोनिया गाँधी जैसे देश के शीर्षस्थ नेताओं ने उन्हें बधाई दी । सायना का जन्म 17 मार्च 1990 को हरियाणा के हिसार में हुआ था । सायना को बैडमिण्टन का खेल विरासत में मिला है । उनके पिता डॉ. हरवीर सिंह तथा माँ ऊषा रानी हरियाणा के बैडमिण्टन चैम्पियन रहे हैं । वर्तमान में डॉ. हरवीर सिंह हैदराबाद स्थित तिलहन अनुसन्धान निदेशालय में वैज्ञानिक हैं । हरवीर सिंह चाहते थे कि उनकी बेटी बड़ी होकर बैडमिण्टन का चमकता सितारा बने ।
पिता की इच्छाओं में ही सायना को अपना कैरियर भी नजर आया । लिहाजा, सायना ने दृढ़ निश्चय किया और वर्ष 1998 में हैदराबाद के लालबहादुर स्टेडियम से अपने बैडमिण्टन कैरियर की शुरूआत कर दी, जहाँ उन्हें बैडमिण्टन कोच नीनी प्रसाद से प्रोत्साहन मिला । सायना ने आठ वर्ष की उम्र से ही कठिन परिश्रम एवं सतत अभ्यास आरम्भ कर दिया था । उन्हें प्रतिदिन प्रशिक्षण के लिए 50 किमी की यात्रा करनी पड़ती थी । सायना ने द्रोणाचार्य पुरस्कार प्राप्त एसएम आरिफ से भी प्रशिक्षण प्राप्त किया है । बाद में विश्वविख्यात बैडमिण्टन खिलाड़ी पुलेला गोपीचन्द उनके कोच बने । सायना के अपने खेल करियर में ऊँचाई हासिल करने की शुरूआत तब हुई, जब उन्होंने वर्ष 2004 में राष्ट्रीय जूनियर चैम्पियनशिप का खिताब जीता।
वर्ष 2005 में उन्होंने फिर यह प्रतियोगिता जीती । इसी वर्ष वे राष्ट्रीय सीनियर चैम्पियनशिप में रनर-अप भी रहीं । वर्ष 2006 तथा 2007 दोनों ही वर्षों में बे इसकी विजेता रहीं । इसके अतिरिक्त सायना की अन्य उपलब्धियों में वर्ष 2005 के अखिल भारतीय टूर्नामेण्ट तथा इसी वर्ष मुम्बई में आयोजित अखिल भारतीय सीनियर रैंकिंग टूर्नामेण्ट में विजय भी उल्लेखनीय हैं । वर्ष 2005 में गुवाहाटी (असोम) में आयोजित राष्ट्रीय खेलों में सायना ने शानदार जीत हासिल की । सायना के अन्तर्राष्ट्रीय करियर की शुरूआत वर्ष 2003 में इण्डियन सैटेलाइट टूर्नामेण्ट से हुई, जिसमें वे अन्तिम 16 खिलाड़ियों में से एक रहीं । वर्ष 2004 में वे सिंगापुर में आयोजित चीयर्स एशियन सैटेलाइट टूर्नामेण्ट के क्वार्टर फाइनल दौर में पहुँची।
इसी वर्ष इण्डियन सैटेलाइट टूर्नामेण्ट जीतकर सायना ने अपना पहला अन्तर्राष्ट्रीय पदक जीता । उन्होंने वर्ष 2006 में बिंगो बोनांजा फिलीपीन्स ओपन टाइटल तथा इण्डिया सैटेलाइट टूर्नामेण्ट, 2006 जीतकर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी सशक्त पहचान कायम की । वर्ष 2007 में ऑल इंग्लैण्ड ओपन प्री क्वार्टर फाइनल राउण्ड में पहुँची, किन्तु यहाँ उन्हें विश्व की तीसरी वरीयता प्राप्त चीनी खिलाड़ी से शिकस्त झेलनी पड़ी । उनकी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अन्य उपलब्धियों में मकाउ ओपन टूर्नामेण्ट (2007) तथा डच ओपन टूर्नामेण्ट (2007) के क्वार्टर फाइनल राउण्ड में पहुँचना शामिल है ।
वर्ष 2008 सायना के अन्तर्राष्ट्रीय करियर का टर्निंग प्वाइंट था । इस वर्ष उन्होंने ग्रां प्री गोल्ड टूर्नामेण्ट जीतकर लाइनिंग चाइना मास्टर्स सुपर सीरीज टूर्नामेण्ट में सेमीफाइनल दौर में पहुँचने में सफलता प्राप्त की । इसी वर्ष उन्होंने ओलम्पिक खेलों में अभूतपूर्व सफलता हासिल करते हुए भारतीय बैडमिण्टन के क्षेत्र में एक नया इतिहास रचा । वे विश्व की पाँचवीं वरीयता प्राप्त खिलाड़ी और टूर्नामेण्ट में चौथी वरीयता प्राप्त हाँगकाँग की बैग चेन को प्री क्वार्टर में हराकर ओलम्पिक के सेमीफाइनल में प्रवेश करने वाली प्रथम भारतीय बैडमिण्टन खिलाड़ी बनी । वर्ष 2009 में ही इण्डोनेशिया ओपन जीतकर वे बैडमिण्टन के सर्वाधिक प्रतिष्ठित खिताब सुपर सीरीज जीतने वाली न केवल प्रथम भारतीय महिला बनीं, बल्कि उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इस खेल में अपनी सशक्त पहचान बनाई ।
वर्ष 2010 में सायना ने उबेर कप फाइनल में अपने सभी मैच जीतकर महिला टीम का सफल नेतृत्व किया । वे ऑल इंग्लैण्ड सुपर श्रृंखला में पूर्व चैम्पियन टीना रासमुसेन को पराजित कर सेमीफाइनल में पहुँचने वाली प्रथम भारतीय महिला हैं । सायना ने योनेक्स सनराइज बैडमिण्टन एशिया चैम्पियन, 2010 के सेमीफाइनल में भी अपनी भागीदारी दर्ज कराई । उन्होंने इण्डिया ओपन ग्रां प्री गोल्ड प्रतिस्पर्द्धा, 2010 में मलेशिया के म्यू चू वांग को पराजित कर स्वर्णिम जीत हासिल की । वर्ष 2010 में उन्होंने चीनी खिलाड़ी त्सू यिंग ताई को हराकर सिंगापुर ओपन सीरीज खिताब जीता । सायना के करियर का सबसे शानदार पड़ाव 27 जून, 2010 को इण्डोनेशियन ओपन सुपर सीरीज में रहा, जिसमें उन्होंने सायका सातो को पराजित कर सीरीज अपने नाम की । सायना की उपलब्धियों को देखते हुए उन्हें देश का सर्वोच्च खेल सम्मान ‘राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार’ (वर्ष 2009-10) प्रदान किया गया । उन्हें वर्ष 2009 में देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान ‘पद्मश्री’ से भी नवाजा गया था ।
साइना नेहवाल सोशल मीडिया प्रोफाइल
साइना नेहवाल की सोशल मीडिया प्रोफाइल के लिंक नीचे दिए गए है:
साइना नेहवाल से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
साइना नेहवाल से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण और रोचक बातें नीचे बताई गई है:
- साइना नेहवाल का जन्म हरियाणा में हुआ था और जब उनकी उम्र 5 वर्ष की थी उनका परिवार हरियाणा से हैदराबाद आ गया था।
- साइना नेहवाल की दादी पोता चाहती थी इसलिए वह साइना नेहवाल के जन्म से खुश नहीं थी।
- साइना नेहवाल के माता-पिता हरियाणा के लिए राज्य स्तरीय बैडमिंटन चैंपियन थे।
- उन्होंने 8 वर्ष की उम्र में बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था।
- वर्ष 2009 में उन्हें प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार, वर्ष 2010 में, राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार और वर्ष 2010 में, पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- वर्ष 2012 में, उन्होंने लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीता।
- साइना ने गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी से बैडमिंटन की ट्रेनिंग ली है।
- उनको कराटे में एक ब्राउन बेल्ट भी मिला है।
FAQs
साइना नेहवाल बैडमिंटन खेलती है।
साइना नेहवाल का जन्म 17 मार्च 1990 को हिसार, हरियाणा में हुआ था।
साल 2012 में लंदन ओलंपिक में साइना नेहवाल ने ओलंपिक पदक जीता।
विश्व बैडमिंटन में नंबर 1 रैंकिंग की वरीयता प्राप्त करने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी खिलाड़ी साइना नेहवाल है।
बैडमिंटन खेलों में ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला साइना नेहवाल है
साइना नेहवाल के पति का नाम पी. कश्यप है।
विश्व बैडमिंटन में दो कांस्य पदक जीतने वाला एकमात्र खिलाड़ी साइना नेहवाल है।
भारत ने ओलंपिक में पहला स्वर्ण पदक 1928 में जीता था।
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