जहाँ भारतीय छात्र अंग्रेजी बोलने वाले नेशंस को अपनी पहली चॉइस मानते थे, यह ट्रेंड अब बदलता नज़र आ रहा है। इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ पॉप्युलेशन साइंसेज के अकेडेमिशियंस भगत आर. बी. और सुलेमान के.एम्. की हाल ही में की गई स्टडी से केरल के यूथ के बारे में एक दिलचस्प ऑब्ज़र्वेशन निकल कर सामने आई है। इस स्टडी में 491 स्टूडेंट्स का सैंपल साइज़ शामिल था, जिसमें तीन में से दो नौजवान अब्रॉड जाकर नौकरी करने की इच्छा रखते हैं। इस स्टडी ने यह भी प्रीडिक्शन भी ज़ाहिर की है कि आने वाले 10 से 20 सालों में यह माइग्रेशंस लाइफ गोल्स को हासिल करने के लिए एक पोटेंशियल लाइफ चॉइस के रूप में जारी रहेगा।
इस स्टडी में की गई ऑब्सर्वेशन्स और प्रिडिक्शन्स अनुसार ही माइग्रेंट्स की संख्या केरल से अब्रॉड जाती नज़र आ रही है। पिछले चार सालों में, हायर एजुकेशन के लिए अब्रॉड जाने वाले स्टूडेंट्स की संख्या डबल होती नज़र आई है। नंबर्स में बात की जाए तो यह संख्या 30,000 से भी ज़्यादा देखने को मिली है। इसके साथ यह भी देखने को मिला है कि केरल के छोटे शहरों में भी एजुकेशन कंसल्टैंसीज़ उपलब्ध है जिनकी मदद से केरल के युवा अपने एडमिशन और अकोमोडेशन अब्रॉड की यूनिवर्सिटीज के लिए अरेंज कर पा रहे हैं। सिर्फ ये ही नहीं, उनमें से कुछ युवाओं को पार्ट टाइम काम दिलाने में भी सक्षम साबित हुए हैं।
यूरोपियन और अंग्रेजी भाषा सिखाने वाले लैंग्वेज इंस्टीट्यूट्स भी राज्य में अपनी जगह बनाते नज़र आ रहे हैं। इनमें से ज़्यातर स्टूडेंट्स अपने माइग्रेशन के लिए एजुकेशनल लोन्स का सहारा लेते हैं। स्टेट लेवल बैंकर्स कांफ्रेंस (SLBC) के स्टैटिस्टिकल डाटा अनुसार यह देखा गया है कि केरल के बैंक्स में एजुकेशनल लोन्स की संख्या मार्च 2022 में INR 11,061 करोड़ तक पहुंच चुकी है।
एजुकेशनल गतिविधियों की बात की जाए तो अक्टूबर में कोची में कई एजुकेशनल अफेयर्स विटनेस किए गए। अक्टूबर 9 को UpGrad ने शहर में अपना ‘Global UniExpo 2022’ कंडक्ट किया था। दो दिन बाद, फ्रेंच सरकार द्वारा लिया गया इनिशिएटिव ‘Choose France Tour 2022’ कोची में किया गया। इसके अलावा अक्टूबर 18 को कोची ने एक एजुकेशनल फेयर होस्ट किया, जिसमें 19 ऑस्ट्रेलियाई यूनिवर्सिटीज के रिप्रिज़ेंटेटिव्स स्टूडेंट्स की क्वेरीज़ के जवाब देने के लिए शामिल हुए।
परम्परा के अनुसार, भारतीय स्टूडेंट्स आम तौर पर अपनी हायर एजुकेशन के लिए इंग्लिश स्पीकिंग नेशंस को ज़्यादा एहमियत देते हैं, जैसे UK, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूज़ीलैंड। लेकिन यह प्रेफरेंस अब बदलती नज़र आ रही है। कंट्रीज़ जैसे फ्रांस जहाँ 3.6 लाख से भी ज़्यादा फॉरेन स्टूडेंट्स और 1,700 एकेडेमिक प्रोग्राम्स अंग्रेज़ी में मौजूद है इस रेस में हिस्सा ले चुकी हैं। इस बात पर फ्रांस के काउंसिल जनरल लिसे टैलबोट बर्रे ने पॉन्डिचेरी, तमिल नाडु और केरल में टिपणी की है कि वे कोशिश कर रहे हैं कि फ्रांस को इंग्लिश स्पीकिंग नेशंस में एक वैल्युएबल अलटरनेटिव के रूप में पोज़िशन किया जाए।
लिसे टैलबोट बर्रे ने कहा कि फ्रांस में पढ़ने के तीन फायदे मौजूद हैं जिसमें से पहला है फ्रांस में हाय क्वालिटी हायर एजुकेशन। अगर आप QS/शंघाई यूनिवर्सिटी रैंकिंग्स के हिसाब से देखें तो हमारे पास टॉप 50 में से दो फ्रेंच यूनिवर्सिटीज हैं और टॉप 200 में से 6 यूनिवर्सिटीज मौजूद हैं।
इसके साथ साथ फाइनेंशियल टाइम्स द्वारा हमारे 15 फ्रेंच बिज़नेस स्कूल्स को ट्रिपल क्राउन प्राप्त है। जिसमें हमारे पास कई नोबल लॉरेटस और फील्ड मैडल्स भी मौजूद हैं। यह हमारे सिस्टम की हाय क्वालिटी दर्शाता है। दूसरा रीज़न यह है कि आपको फ्रांस आने के लिए फ्रेंच सीखना ज़रूरी नहीं। यहाँ आपको 1,700 से भी ज़्यादा प्रोग्राम्स इंग्लिश में सिखाए जाते हैं और तो और यूनिवर्सिटी का फीस स्ट्रक्चर US और UK से काफी सस्ता है।
फ्रांस का टारगेट है कि साल 2025 तक 20,000 स्टूडेंट्स फ्रेंच यूनिवर्सिटीज का हिस्सा हों। फ्रेंच यूनिवर्सिटीज कुछ पार्टनरशिप प्लान्स के साथ भी आ रही है, जिसमें लोकल कॉलेजेस और यूनिवर्सिटीज भी शामिल होंगे। यह प्लान मुख्य रूप से स्टूडेंट्स की एक्सचेंज को बढ़ावा देने की और अग्रसर है। इस पर बार्रे का कहना है कि हम उम्मीद करते हैं की भविष्य में हमें ज़्यादा साइंटिफिक और रिसर्च प्रोग्राम्स भी देखने को मिलेंगे।
Mr François-Xavier MORTREUIL Attaché for Scientific and Academic Cooperation, French Embassy, South India ने कहा, केरल एक प्रोमिसिंग जगह है जो बेहतरीन स्टूडेंट्स को प्रोड्यूस करने में सक्षम है। इसके साथ फ्रांस भी ज़्यादा से ज़्यादा स्टूडेंट्स का उनके शहर में स्वागत करता है। उन्होंने यह भी कहा कि स्टूडेंट्स जो पोस्टग्रेजुएशन के लिए जा रहे हैं वह PG के बाद 1+1 स्टे बैक वीज़ा हासिल कर सकते हैं।
अगर कैंडिडेट भारत आकर किसी फ्रेंच कम्पनी में नौकरी करना चाहता तो वो ऑप्शन भी उनके लिए मौजूद होगा। उन्होंने अपनी बात में यह भी जोड़ा कि हम उन भारतीय कैंडिडेट्स को नौकरी देने में खुश होंगे जो फ्रेंच स्कूल से पढ़कर आये हैं, फ्रेंच कल्चर को जानते हैं और फ्रेंच एनवायरनमेंट में रह चुके हैं।
चीन के बाद भारत ही सबसे ज़्यादा स्टूडेंट्स को अब्रॉड स्टडी के लिए भेजने में आगे है। अंदाज़न 5 लाख से भी ज़्यादा स्टूडेंट्स अब्रॉड जा चुके हैं, जिसमें केरल का सहयोग सबसे ज़्यादा माना गया है। इस समय माइग्रेशन का बुखार फिर अपनी चरम सीमा पर पहुंचने की चरम सीमा पर है और अभी भी अगर गौर किया जाए तो स्टूडेंट्स की सहुलियत के लिए सेंटर और स्टेट लेवल पर काफी दिक्क़ते अब भी देखने को मिल रही हैं। जिसके कारण ज़्यादातर स्टूडेंट्स आज भी प्राइवेट कन्सल्टेंसीज़ पर निर्भर नज़र आते हैं।
फ्रांस की बेहतरीन यूनिवर्सिटीज और बाहें फैला कर स्टूडेंट्स का स्वागत करने वाले इस स्वभाव को विश्व भर में काफी सराहना प्राप्त हो रही है जिससे स्टूडेंट्स वहां पढ़ने के लिए उतारू भी हैं। ज़रूरत है तो सिर्फ कुछ महत्वपूर्ण बदलावों की ताकि किसी स्टूडेंट्स को चाहे वह केरल से हो या भारत के किसी अन्य देश से किसी प्राइवेट कंसल्टेंसी पर निर्भर होकर अपने भविष्य के निर्णय ना लेने पड़ें।
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