Wasim Barelvi Poetry in Hindi : ज़रा सा क़तरा कहीं आज अगर उभरता है, समुंदरों ही के लहजे में बात करता है!

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Wasim Barelvi Poetry in Hindi

साहित्य एक ऐसा मंच है, जो समाजिक सुधार के लिए जनजागृति की यात्रा में निरंतर प्रयासरत रहता है। साहित्य भाषाओं और सभ्यताओं का आधार होता है। हर दौर में कुछ ऐसे कवि, शायर, ग़ज़ल लिखने वाले हुए हैं, जिन्होंने अपनी साहित्य की समझ के आधार पर समाज को दिशा दिखाने का काम किया है। ऐसे ही शायरों में से एक “वसीम बरेलवी” भी थें, जिन्होंने हिंदी-उर्दू साहित्य को नए आयाम पर ले जाने का काम किया है। Wasim Barelvi Poetry in Hindi (वसीम बरेलवी की कविताएं) पढ़कर विद्यार्थियों को साहित्य के प्रति प्रेरणा मिल सकती है, जिसके बाद उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं।

कौन थे वसीम बरेलवी?

Wasim Barelvi Poetry in Hindi (वसीम बरेलवी की कविताएं) पढ़ने सेे पहले आपको वसीम बरेलवी जी का जीवन परिचय पढ़ लेना चाहिए। भारतीय हिंदी-उर्दू साहित्य की अप्रतीम अनमोल मणियों में से एक बहुमूल्य मणि वसीम बरेलवी भी हैं, जिन्होंने हिंदी-उर्दू के संगम से समाज को मार्गदर्शित किया। वसीम बरेलवी एक प्रसिद्ध उर्दू शायर, लेखक और प्रोफेसर थे।

वसीम बरेलवी का मूल नाम ज़ाहिद हसन था। वसीम बरेलवी को उर्दू के प्रसिद्ध प्रगतिवादी शायर और गीतकार के रूप में देखा जाता है। 8 फरवरी 1940, को वसीम बरेलवी का जन्म उत्तर प्रदेश के बरेली में हुआ था। वसीम बरेलवी ने अपनी शिक्षा बरेली कॉलेज से प्राप्त की और उर्दू साहित्य में एम.ए. की डिग्री हासिल की। वसीम बरेलवी ने अपनी रचनात्मक यात्रा को 1960 के दशक में शुरू किया था, जिसमें उन्होंने 50 से अधिक वर्षों तक उर्दू साहित्य में योगदान दिया।

वसीम बरेलवी की प्रमुख रचनाओं में “तुम्हें ग़मों का समझना अगर न आएगा”, “खुल के मिलने का सलीक़ा आपको आता नहीं”, “मेरा क्या”, “ज़रा सा क़तरा कहीं”, और “इश्क़ ने शहर में आग लगा दी” इत्यादि शामिल हैं। साहित्य में अपने महत्वपूर्ण योगदान के कारण वसीम बरेलवी को साहित्य अकादमी पुरस्कार, पद्म श्री, और ग़ालिब पुरस्कार सहित कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। 15 फरवरी 2023 को सदी के सुप्रसिद्ध शायर वसीम बरेलवी का बरेली में निधन हो गया था।

मोहब्बत ना-समझ होती है समझाना ज़रूरी है

Wasim Barelvi Poetry in Hindi (वसीम बरेलवी की कविताएं) आपका परिचय साहित्य के सौंदर्य से करवाएंगी। वसीम बरेलवी जी की प्रसिद्ध रचनाओं में से एक “मोहब्बत ना-समझ होती है समझाना ज़रूरी है” भी है, जो कुछ इस प्रकार है:

मोहब्बत ना-समझ होती है समझाना ज़रूरी है
जो दिल में है उसे आँखों से कहलाना ज़रूरी है

उसूलों पर जहाँ आँच आए टकराना ज़रूरी है
जो ज़िंदा हो तो फिर ज़िंदा नज़र आना ज़रूरी है

नई उम्रों की ख़ुद-मुख़्तारियों को कौन समझाए
कहाँ से बच के चलना है कहाँ जाना ज़रूरी है

थके-हारे परिंदे जब बसेरे के लिए लौटें
सलीक़ा-मंद शाख़ों का लचक जाना ज़रूरी है

बहुत बेबाक आँखों में त'अल्लुक़ टिक नहीं पाता
मोहब्बत में कशिश रखने को शर्माना ज़रूरी है

सलीक़ा ही नहीं शायद उसे महसूस करने का
जो कहता है ख़ुदा है तो नज़र आना ज़रूरी है

मिरे होंटों पे अपनी प्यास रख दो और फिर सोचो
कि इस के बा'द भी दुनिया में कुछ पाना ज़रूरी है

-वसीम बरेलवी

भावार्थ : इस ग़ज़ल के माध्यम से वसीम बरेलवी ने प्रेम, जीवन और दर्शन के विभिन्न पहलुओं का वर्णन बहुत ही खूबसूरती से किया है। यह ग़ज़ल वसीम बरेलवी की सुप्रसिद्ध रचनाओं में से एक है, जिसकी भाषा बेहद सरल और स्पष्ट है। यह रचना हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं से परिचित करवाती है, साथ ही इस रचना के माध्यम से वसीम बरेलवी कहते हैं कि मोहब्बत एक समझदार चीज़ नहीं होती है। इसे समझाने के लिए हमें अपनी भावनाओं को व्यक्त करना होगा।

ज़रा सा क़तरा कहीं

Wasim Barelvi Poetry in Hindi (वसीम बरेलवी की कविताएं) आपके नज़रिए को नया आयाम देंगी। वसीम बरेलवी जी की सुप्रसिद्ध रचनाओं में से एक रचना “ज़रा सा क़तरा कहीं” भी है। यह कविता कुछ इस प्रकार है:

ज़रा सा क़तरा कहीं आज अगर उभरता है
समुंदरों ही के लहजे में बात करता है

खुली छतों के दिए कब के बुझ गए होते
कोई तो है जो हवाओं के पर कतरता है

शराफ़तों की यहाँ कोई अहमियत ही नहीं
किसी का कुछ न बिगाड़ो तो कौन डरता है

ये देखना है कि सहरा भी है समुंदर भी
वो मेरी तिश्ना-लबी किस के नाम करता है

तुम आ गए हो तो कुछ चाँदनी सी बातें हों
ज़मीं पे चाँद कहाँ रोज़ रोज़ उतरता है

ज़मीं की कैसी वकालत हो फिर नहीं चलती
जब आसमाँ से कोई फ़ैसला उतरता है

-वसीम बरेलवी

भावार्थ : इस ग़ज़ल के माध्यम से वसीम बरेलवी ने विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर अपनी बात रखी है। यह रचना भी वसीम बरेलवी की कुछ लोकप्रिय रचनाओं में से एक है। इस ग़ज़ल में वसीम बरेलवी आशा और संघर्ष के महत्व को परिभाषित करने का प्रयास करते हैं। वसीम साहब एक छोटी सी बूंद की कहानी सुनाते हैं जो समुद्र में मिलने के लिए एक लंबी यात्रा पर निकलती है। यह रचना हमें सिखाती है कि हर इंसान में अपने सपनों को पूरा करने की इच्छा होती है, साथ ही यह रचना हम में हार को स्वीकार किए बिना अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का जज़्बा भरती है।

मेरा क्या

Wasim Barelvi Poetry in Hindi आपका परिचय साहित्य के सौंदर्य से करवाएंगी। वसीम बरेलवी जी की सुप्रसिद्ध रचनाओं की श्रेणी में से एक रचना “मेरा क्या” भी है। यह कविता कुछ इस प्रकार है:

मेरा क्या है जो मैं कहूँ और तुम समझो भी
मेरी बातों का यहाँ कोई असर नहीं होता

मैंने दुनिया को अपनी आँखों से देखा है
इस दुनिया में कोई सच्चा इंसान नहीं होता

सब लोग अपने मतलब के लिए ही जीते हैं
यहाँ किसी को किसी की परवाह नहीं होती

मैं भी इस दुनिया का एक हिस्सा हूँ
लेकिन मैं इन लोगों की तरह नहीं बनना चाहता

मैं सच्चा रहना चाहता हूँ
और लोगों की मदद करना चाहता हूँ

मुझे पता है कि यह आसान नहीं होगा
लेकिन मैं कोशिश करूँगा

मैं इस दुनिया को बदलना चाहता हूँ
और इसे एक बेहतर जगह बनाना चाहता हूँ

यह मेरा सपना है
और मैं इसे पूरा करूँगा

-वसीम बरेलवी

भावार्थ : इस कविता के माध्यम से वसीम बरेलवी ने निराशा और हताशा की भावनाओं को व्यक्त करने का प्रयास किया है। वसीम बरेलवी ने इस रचना के माध्यम से दुनिया में अच्छे लोगों की कमी और लोगों के स्वार्थी व्यवहार पर टिप्पणी की है। इस रचना में उन्होंने कहने का प्रयास किया है कि उन्हें इस दुनिया में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं मिलता, जो उनके विचारों और भावनाओं को समझ सके। इस रचना के माध्यम से वसीम साहब दुनिया को बेहतर बनने के लिए कहते हैं क्योंकि वे एक आशावादी व्यक्ति हैं और उन्हें विश्वास है कि वे दुनिया में बदलाव ला सकते हैं।

तुम्हें ग़मों का समझना अगर न आएगा

Wasim Barelvi Poetry in Hindi आपका परिचय प्रेम के अनूठे स्वरुप से करवाएंगी, साथ ही आपको प्रेम के प्रति निष्ठावान रहना सिखाएंगी। वसीम बरेलवी जी की सुप्रसिद्ध रचनाओं में से एक रचना “तुम्हें ग़मों का समझना अगर न आएगा” भी है, यह कुछ इस प्रकार है:

तुम्हें ग़मों का समझना अगर न आएगा
तो मेरी आँख में आँसू नज़र न आएगा

ये ज़िंदगी का मुसाफ़िर ये बे-वफ़ा लम्हा चला गया
तो कभी लौट कर न आएगा

बनेंगे ऊँचे मकानों में बैठ कर नक़्शे
तो अपने हिस्से में मिट्टी का घर न आएगा

मना रहे हैं बहुत दिन से जश्न-ए-तिश्ना-लबी
हमें पता था ये बादल इधर न आएगा

लगेगी आग तो सम्त-ए-सफ़र न देखेगी
मकान शहर में कोई नज़र न आएगा

'वसीम' अपने अँधेरों का ख़ुद इलाज करो
कोई चराग़ जलाने इधर न आएगा

-वसीम बरेलवी

भावार्थ : इस ग़ज़ल के माध्यम से वसीम बरेलवी जीवन की विभिन्न पहलुओं को छूने का प्रयास करते हैं, जिसमें ग़म, क्षणभंगुरता, और आशा शामिल हैं। इस ग़ज़ल के माध्यम से शायर का कहना है कि ग़म जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है और यदि कोई ग़म को नहीं समझता है तो वह जीवन की गहराई को नहीं समझ सकता। वसीम बरेलवी के अनुसार जीवन क्षणभंगुर है और हमें हर पल को महत्व देना चाहिए। वसीम साहब जानते ऐन कि भले ही हम कितनी भी योजनाएं बना लें, अंत में हमें अपनी नियति स्वीकार करनी ही होगी। यह रचना हमें सिखाती है कि हमें अपनी समस्याओं का समाधान खुद ही ढूंढना होता है।

खुल के मिलने का सलीक़ा आपको आता नहीं

Wasim Barelvi Poetry in Hindi आपको प्रेरित करेंगी, साथ ही आपका उर्दू साहित्य से करवाएंगी। वसीम बरेलवी जी की महान रचनाओं में से एक रचना “खुल के मिलने का सलीक़ा आपको आता नहीं” भी है। यह कविता कुछ इस प्रकार है:

खुल के मिलने का सलीक़ा आपको आता नहीं
और मेरे पास कोई चोर दरवाज़ा नहीं

वो समझता था उसे पाकर ही मैं रह जाऊँगा
उस को मेरी प्यास की शिद्दत का अंदाज़ा नहीं

जा, दिखा दुनिया को, मुझको क्या दिखाता है ग़ुरूर
तू समुंदर है, तो हो, मैं तो मगर प्यासा नहीं

कोई भी दस्तक करे, आहट हो या आवाज़ दे
मेरे हाथों में मेरा घर तो है, दरवाज़ा नहीं

अपनों को अपना कहा, चाहे किसी दर्जे के हों
और जब ऐसा किया मैंने, तो शरमाया नहीं

उसकी महफ़िल में उन्हीं की रौशनी, जिनके चराग़
मैं भी कुछ होता, तो मेरा भी दिया होता नहीं

तुझसे क्या बिछड़ा, मेरी सारी हक़ीक़त खुल गयी
अब कोई मौसम मिले, तो मुझसे शरमाता नहीं

-वसीम बरेलवी

भावार्थ : यह ग़ज़ल एक सुप्रसिद्ध ग़ज़ल है जो कि प्रेम और संबंधों में आने वाली मुश्किलों और गलतफहमियों पर आधारित है। वसीम बरेलवी द्वारा रचित, पने प्रेमी के व्यवहार से निराश हैं और उन्हें अपनी भावनाओं को व्यक्त करने और रिश्ते में सुधार लाने के लिए प्रेरित करते हैं। इस ग़ज़ल में शायर अपनी प्रेमिका की महफ़िल के बारे में बात करते हैं। वे कहते हैं कि उनकी महफ़िल में उन्हीं की रौशनी होती है जिनके चराग़ होते हैं। इसका अर्थ है कि उनका प्रेम और उनकी प्रेमिका केवल उन लोगों को महत्व देते हैं जो सफल और शक्तिशाली होते हैं।

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आशा है कि Wasim Barelvi Poetry in Hindi (वसीम बरेलवी की कविताएं) के माध्यम से आप वसीम बरेलवी की सुप्रसिद्ध कविताओं को पढ़ पाएं होंगे, जो कि आपको सदा प्रेरित करती रहेंगी। साथ ही यह ब्लॉग आपको इंट्रस्टिंग और इंफॉर्मेटिव भी लगा होगा, इसी प्रकार की अन्य कविताएं पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।

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