दुनिया में बहुत खोज हुईं हैं, जिससे सब का भला हुआ है। इतिहास में कुछ ऐसी खोज थीं, जिनसे व्यापार को बहुत फायदा भी मिला। ऐसी ही एक खोज थी, यूरोप से भारत तक के समुद्री रास्ते की। इसकी खोज की थी प्रसिद्द नाविक वास्को डी गामा ने। उनकी यह खोज भारत और उनसे संबंध रखने वाले देशों के लिए किसी बेशकीमती चीज़ से कम न थी। तो देर किस बात की, आइए विस्तार से जानिए Vasco da Gama in Hindi में उन्होंने कैसे ढूंडा भारत का रास्ता।
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जीवन की शुरुआत
Vasco da Gama in Hindi में प्रसिद्द खोजकर्ता वास्को डी गामा के शुरुआती जीवन और जन्म के मद्देनज़र राय अलग-अलग हैं। कुछ मानते हैं कि उनका जन्म 1460 में और कुछ उनका जन्म 1469 में पुर्तगाल के अलेंटेजो प्रांत के समुद्री तट पर स्थित साइनेस के किले में बताते हैं। वास्को डी गामा के पिता एस्तेवाओ द गामा भी एक महान खोजी नाविक थे, उनके पिता को पुर्तगाल के ड्यूक के यहाँ शूरवीर (Knight) की उपाधि मिली थी। वहीं बाद में वास्को डी गामा ने अपने पिता के व्यापार में रुचि ली और वे भी समुद्री यात्रा लिए जा रहे जहाजों की कमान संभालने लगे। उन्हें वास्को दा गामा और वास्को डी गामा दोनों नाम से ही जाना जाता है।
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पहली समुद्र यात्रा से खोजा भारत
8 जुलाई 1497 को भारत में व्यापारिक मार्गों की खोज के लिए पहली बार वास्को डी गामा अपने 4 जहाजों के एक बेड़े के साथ साउथ अफ्रीका के लिस्बन पहुंचे। इस दौरान उनके पास दो मीडियम साइज के तीन मस्तूलों वाले जहाज थे। जहाजों का वजन लगभग 120 टन था, एवं उनका नाम सॉओ रैफल और सॉओ ग्रैब्रिअल था। करीब 10 हजार किलोमीटर का लंबा सफर तय करने में उन्हें लगभग 3 महीने का लंबा वक्त लगा था। इस यात्रा के दौरान 3 दुभाषिए भी थे। Vasco da Gama in Hindi में अपनी पहली समुद्री यात्रा की खोज के दौरान 15 जुलाई को वे केनेरी द्धीप पहुंचे और 26 जुलाई को उनका बेड़ा केप वर्डे द्धीप के सॉओ टियागो पर पहुंचा। इसके बाद वास्को डी गामा ने गुयाना की खाड़ी की तेज जलधाराओं से बचने के लिए केप ऑप गुड होप के दक्षिणी अटलांटिक से होते हुए एक घुमावदार रास्ता अपनाया और इस तरह वे अपने विशाल बेड़े के साथ 7 नवंबर को सांता हैलेना खाड़ी पर पहुंचे।
16 नवंबर को मौसम में खराबी और तूफान के चलते यात्रा को नवंबर तक रोक दिया गया। इसके बाद वास्को डी गामा ने मोस्सेल की खाड़ी की तरफ अपना रुख किया। यहां उन्होंने एक द्धीप पर सामान रखने वाले जहाज एवं पेड्राओ गाड़ा को अलग-अलग होने के लिए कहा। वे 11 जनवरी, 1498 को नटाल के तट पर पहुंचे। इसके बाद वास्को डी गामा अपने इस बेड़े के साथ नटाल और मोजांबिक के बीच एक छोटी सी नदी के पास पहुंचे, जिसे उन्होंने “रियो द कोबर नाम दिया”।
इसके बाद वह आधुनिक मोजांबिक में क्लीमेन नदी पर पहुंचे, जिसे उन्होंने ”रियो डोस बोन्स सिनाइस” नाम दिया। वहीं इस अभियान में जहाज दल के कई मेंबर विटामिन सी की कमी से होने वाले स्कर्वी रोग से पीड़ित हो गए, जिससे 1 महीने तक यह अभियान रुक गया। 2 मार्च को बेड़ा मोजांबिक द्धीप पहुंचा। इस द्धीप में वास्को डी गामा को अरब के व्यापारियों के साथ उनके व्यापार के बारे में जानकारी हासिल हुई। वहां पर सोने, चांदी और मसालों से भरे चार अरबी जहाज भी खड़े थे। मोजांबिक के शासक प्रेस्टर जॉन ने वास्को डी गामा को दो पोत चालक उपलब्ध करवाए। इस तरह अभियान दल 14 अप्रैल को मालिंदी में पहुंचा, जहां पर भारत के दक्षिण-पश्चिम किनारे पर स्थित कालीकट का रास्ता जानने वाले एक चालक को अपने साथ ले लिया।
जब कालीकट पहुंचे वास्को डा गमा
हिंद महासागर में उनका बेड़ा 20 मई 1498 को भारत के दक्षिण-पश्चिम के तट पर स्थित कालीकट पहुंचा जहां पर वास्को डी गामा ने अपने भारत पहुंचने के प्रमाण के रुप में स्थापित किया। उस दौरान कालीकट भारत के सबसे अधिक प्रसिद्ध एवं महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्रों में से एक था। 3 महीने तक यहां रहने के बाद कालीकट के शासक के साथ कुछ मतभेदों के चलते वास्को डी गामा को कालीकट छोड़ना पड़ा। वहीं इस दौरान वास्को डी गामा द्वारा भारत की खोज की खबर फैलने लगी। Vasco da Gama in Hindi में दरअसल वास्को डी गामा ने यूरोप के व्यापारियों, सुल्तानों और लुटेरों के लिए एक समुद्री रास्ते की खोज की।
जिसके बाद भारत पर कब्जा जमाने की मंशा से यूरोप के कई राजा और व्यापारी आए और अपना अधिकार जमाने की कोशिश की। यही नहीं पुर्तगालियों की वजह से ही ब्रिटिश लोग भी भारत आने लगे। हालांकि, इसके बाद वास्को डी गामा मालिंदी के लिए निकले और 8 जनवरी 1499 को वे अजिंदीव द्धीप पहुंचे। अरब सागर को क्रॉस करने में उन्हें लगभग 3 महीने का लंबा वक्त लग गया। इस दौरान उनके अभियान दल के कई सदस्य गंभीर बीमारी की चपेट में आ गए और उनकी मृत्यु हो गई।
Vasco da Gama in Hindi में मालिंदी पहुंचने पर उनके अभियान दल की संख्या बेहद कम रह गई थी, जिसकी वजह से सॉओ रैफल जहाज को जला दिया गया। इस तरह वास्को डी गामा ने वहां पर भी अपने एक पेड्राओ को गाड़ा। वे 1 फरवरी को मोजांबिक पहुंचे जहां पर उन्होंने अपना आखिरी पेड्राओ स्थापित किया। अचानक समुद्री तूफान की वजह से सॉओ ग्रैब्रिएल और बेरिओ दोनों अलग-अलग हो गए। बेरिओ करीब 10 जुलाई को पुर्तगाल की ट्रैगॉस नदी पर पहुंचा जबिक सॉओ ग्रेबिएल ने एजोर्स के दर्सीरा द्धीप के लिए अपनी यात्रा जारी रखी और 9 सितंबर को लिस्बन पहुंचा।
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वास्को डी गामा की दूसरी समुद्री यात्रा
Vasco da Gama in Hindi में 1502 में वास्को डी गामा ने एडमिरल के रुप में करीब 10 जहाजों का नेतृत्व किया। जिसमें हर जहाज की मद्द के लिए करीब 9 बेड़े थे। अपनी दूसरी समुद्री यात्रा को आगे बढ़ाते हुए 14 जून, 1502 को वास्को डी गामा का यह बेड़ा पूर्वी अफ्रीका के सोफला पोर्ट पर पहुंचा। इसके बाद वे दक्षिणी अरब तट का चक्कर लगाने लाए गोवा पहुंचे। वहीं दक्षिण-पश्चिम भारत के कालीकट के उत्तर में स्थित कन्त्रागोर पोर्ट में वे अरबी जहाजों को लूटने के इंतजार में रुके। इस दौरान उन्होंने माल से लदे अरबी जहाज का माल जब्त करने के बाद उसमें आग लगा दी। यह वास्को डी गामा के व्यवसायिक जीवन का सबसे भयावह और दिल दहलाने वाला कुकृत्य था। कालीकट के हिंदू शासक जमोरी के दुश्मन कन्त्रानोर के शासक के साथ एक संधि के बाद वास्को डी गामा का अभियान कालीकट के लिए रवाना हो गया।
इसलिए जमोरीं ने वास्को डी गामा ने दोस्ती के हाथ आगे बढ़ाए, लेकिन वास्को डी गामा ने उनके इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और फिर वास्को डी गामा ने पहली पोर्ट से सभी मुस्लिमों को निकालने की धमकी दी और फिर पोर्ट पर जमकर बमबारी भी दी। Vasco da Gama in Hindi में यही नहीं वास्को डी गामा ने जहाज पर अपना सामान बेचने आए करीब 38 हिन्दुओं मछुआरों की भी जान ले ली।
इसके बाद पुर्तगाली अपने अभियान को आगे बढ़ाते हुए कोचीन के पोर्ट पहुंचे और यहां के शासक जो कि जामोरीं के दुश्मन थे उनसे संधि कर ली। इसके बाद पुर्तगालियों का कालीकट के पास एक युद्द हुआ, जिसके बाद उन्हें यहां से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा और वे 1503 में पुर्तगाल वापस लौट गए और फिर वहां करीब 20 साल रहने के बाद फिर से भारत आए। इसके बाद किंग जॉन तृतीय ने 1524 में उन्हें भारत का पुर्तगाली वाइसरॉय नियुक्त किया फिर सितंबर में गोवा पहुंचने के बाद वास्को डी गामा ने यहां कई प्रशासनिक कुप्रथाओं को सुधारा।
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वास्को डी गामा की मौत
वास्को डी गामा अपनी तीसरी भारत यात्रा के दौरान मलेरिया की चपेट में आ गए थे, जिससे 24 दिसंबर 1524 को कोच्ची में 55-56 वर्ष की उम्र में उनकी मौत हो गई। उनका शव को पुर्तगाल लाया गया। लिस्बन जहां से उन्होंने अपने भारत यात्रा की शुरुआत की थी, वहां पर उनका स्मारक भी बनाया गया है। Vasco da Gama in Hindi में वास्को डी गामा की पत्नी का नाम कटरीना दे अतेड था, उनके 6 लड़के और 1 लड़की थी।
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रोचक तथ्य
Vasco da Gama in Hindi में हम आपके सामने ला रहे हैं उनसे जुड़े कुछ रोचक तथ्य, जिनके बारे में आप शायद ही पहले जानते हों। तो जानते हैं वह रोचक तथ्य।
- पुर्तगाली बेड़े को भारत भेजने से पहले एस्टावोडिगामा को चुना गया था. उनकी अचानक मौत के बाद वास्को द गामा को इस मुहिम की कमान सौंपी गई।
- वास्को डी गामा भारत से काली मिर्च पुर्तगाल ले जाते थे। तब भारत में हरी मिर्च की खेती नहीं होती थी। पुर्तगाली ही 16वीं सदी भारत में हरी मिर्च को में लेकर आए। आज भारत हरी मिर्च (मलयालम में मुलाकू) का सबसे बड़ा उत्पादक भी है।
- अपनी इस खोज के लिए वास्को डी गामा को पुर्तगाल में राजकीय सम्मान दिया गया और उन्हें राजकीय उपाधि भी दी गई।
- उनकी इस यात्रा में 170 नाविकों के दल के साथ चार जहाज लिस्बन से रवाना हुए। भारत यात्रा पूरी होने पर मात्र 55 आदमी ही दो जहाजों के साथ वापिस पुर्तगाल पहुंच सके।
- चांद के एक गढ्ढे का और पुर्तगाल में कई सड़कों का नाम वास्को के नाम पर रखा गया है।
- वास्को दा गामा को भारत खोजने में 23 दिन लगे थे।
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FAQ
उत्तर: हिंद महासागर में उनका बेड़ा 20 मई 1498 को कालीकट पहुंचा था।
उत्तर: उनका जन्म पुर्तगाल के साइनेस के एक किले में उनका जन्म हुआ था।
उत्तर: उनकी मौत कोच्ची में 24 दिसंबर 1524 को हुई थी।
उत्तर: एक पुर्तगाली नाविक थे, समुद्र के रास्ते से भारत पहुँचने वाले प्रथम व्यक्ति थे।
उत्तर: उन्हें भारत का पुर्तगाली वाइसरॉय नियुक्त किया था।
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Vasco da Gama in Hindi के इस ब्लॉग में आपने जाना कि वास्को डी गामा ने भारत आने के लिए समुद्र का रास्ता कैसे खोजा। इस ब्लॉग को शेयर करें जिससे बाकी लोग भी Vasco da Gama in Hindi के बारे में जान सकें। इसी और अन्य तरह के ब्लॉग्स पढ़ने के लिए आप Leverage Edu पर विजिट सकते हैं।