UPSC एग्जाम 2023 के लिए इको सेंसिटिव ज़ोन टॉपिक पर महत्वपूर्ण नोट्स

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UPSC Exam 2023 ke liye eco sensitive zone topic par mahatvapurn notes.

प्रमुख सुर्खियां 

  • जनवरी 2023 में इको सेंसिटिव जोन का यह कहते हुए विरोध किया गया कि इनके द्वारा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुपालना करते हुए प्रवर्तन अधिकारीयों ने वन समुदाय के लोगों के हितों  का हनन किया है जिससे उनकी रोजी रोटी प्रभावित हुई है।  
  • पर्यावरण मंत्रालय ने राष्ट्रीय वनयजीव कार्य योजना के तहत यह निर्णय लिया है कि वन अभयारणों  के अंदर 10 किलोमीटर तक आने वाली भूमि इको सेंसिटिव जोन मानी जाएगी।  
  • 10 किलोमीटर के नियम को एक सामान्य सिद्धांत के रूप में लागू किया गया है।  इसकी सीमा अलग अलग स्थान पर अलग अलग हो सकती है।  पारिस्थिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र जो वन्यजीव अभयारणों के भीतर 10 किलोमीटर तक आता हो, उसे केंद्र सरकार के द्वारा इको सेंसिटिव जोन घोषित किया गया है।  

इको सेंसिटिव जोन का महत्व 

  • विकास कार्य को कम करना : वन्य क्षेत्रों में अंधाधुंध विकास से वन्य जीवों और वन्य सम्पदा को हानि पहुँचती है।  इसलिए इस बेहिसाब विकास की गति को रोकने और वन्य जीवों एवं वन्य सम्पदा को संरक्षित करने के उद्देश्य से संरक्षित क्षेत्रों से लगे क्षेत्रों को इको सेंसिटिव जोन घोषित किया गया है।  
  • इको सेंसिटिव ज़ोन मानव और पशुओं के बीच होने वाले संघर्ष को कम करते हैं।  
  • वनों के अभाव को पूरा करते हैं। 
  • स्थानीय लोगों की संस्कृति और हितों की रक्षा होती है।  
  • कमजोर पारिस्थिक तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव को कम करने में मदद करना : संरक्षित क्षेत्रों के आसपास इको सेंसिटिव जोन 
  • घोषित किए जाने से कमजोर पारिस्थिक तंत्र को मजबूती प्रदान होती है।  
  • ये उच्च सुरक्षा वाले इलाकों से निम्न सुरक्षा वाले इलाकों में एक संक्रमण क्षेत्र की तरह काम करते हैं।  

इको सेंसिटिव जोन के सम्बन्ध में सामने आने वाली चुनौतियाँ 

  • इको सेंसिटिव जोन की वजह से भूमि जल और पारिस्थिक तंत्र से सम्बंधित तनाव पैदा हुआ है।  
  • कभी कभी पर्यावरण संरक्षण अधिनियम और वन्य जीव संरक्षण अधिनियम को लागू करने के लिए वन अधिकारियों को कुछ ऐसे कदम उठाने पड़ते हैं जिससे स्थानीय लोगों की रोजी रोटी प्रभावित होती है।  
  • जंगल में लगने वाली आग या नदियों में आने वाली बाढ़ इको सेंसिटिव जोन को बुरी तरह से प्रभावित करती है।  इसका एक उदाहरण असम का कांजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान है।  

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