UPSC एस्पिरेंट्स के लिए सेकुलरिज्म पर इम्पोर्टेन्ट नोट्स

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UPSC aspirants ke liye secularism par important notes

UPSC प्रीलिम्स और मेन्स दोनों परीक्षाओं में सेकुलरिज्म पर अक्सर प्रश्न पूछे गए हैं। इसीलिए IAS बनने के लिए सेकुलरिज्म पर नोट्स बनाना महत्वपूर्ण हो जाता है। विशेषज्ञों को देखा जाए तो सेकुलरिज्म शब्द का अर्थ है धर्म से “अलग” होना अथवा अपनी कोई धार्मिक पहचान या आधार का न होना। इस एग्जाम अपडेट में आपको सेकुलरिज्म के विषय की महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी।

सेकुलरिज्म किसे कहते हैं?

सेकुलरिज्म एक ऐसी पहचान है जो किसी भी धार्मिक पहचान पर आधारित नहीं रहती है। देखा जाए तो एक धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति वह है, जो अपने नैतिक मूल्यों को किसी भी धर्म के लिए स्वीकार नहीं करता है। उनके नैतिक मूल्य वास्तव में उन्हीं की तर्कसंगत और वैज्ञानिक सोच के उत्पाद हैं।

दूसरे शब्दों में कहा जाए तो धर्म को जीवन के राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं से अलग करना, धर्म को विशुद्ध रूप से व्यक्तिगत मामला माना जाना ही सेकुलरिज्म यानि कि धर्मनिरपेक्षता कहलाता है। सेकुलरिज्म में सभी धर्मों के लिए पूर्ण स्वतंत्रता और सभी धर्मों के प्रति सहिष्णुता पर जोर दिया जाता है।

प्राचीन भारत में लोगों की जीवनयापन की क्या व्यवस्था थी?

प्राचीन भारत में सनातन धर्म (हिंदू धर्म) ने मूल रूप से विभिन्न आध्यात्मिक परंपराओं का स्वागत करके एक ऐसी व्यवस्था प्रचलन में थी जिसने विश्व कल्याण की अवधारणा को अपना आधार बनाया। इस व्यवस्था में मत अनेक होने पर भी चर्चाओं और आत्म मंथन पर अधिक बल दिया जाता था।

चार वेदों का विकास, उपनिषदों और पुराणों की विभिन्न व्याख्याएं हिंदू धर्म की धार्मिक बहुलता को स्पष्ट रूप से उजागर करती हैं। प्राचीन भारत से लेकर आज के आधुनिक भारत तक यहाँ की मूल सनातन संस्कृति ने विश्व को सहिष्णु होना सिखाया। 

सेकुलरिज्म का सकारात्मक पक्ष

सेकुलरिज्म समाज को सर्वधर्म की भावना से परिचित कराने के साथ-साथ समाज को एकता से रहना सिखाता है। सेकुलरिज्म ही लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूती देने के साथ-साथ मानव कल्याण को बढ़ावा देता है।

सेकुलरिज्म का नकारात्मक पक्ष

सेकुलरिज्म कई विषयों में पक्षपाती सिद्ध होता है। सेकुलरिज्म को भारतीय परिपेक्ष्य में भारत की मूल संस्कृति और धार्मिक पहचान को मिटाने की साजिश या खतरे के रूप में भी देखा जा सकता है। सेकुलरिज्म को उत्पीड़नकारी के रूप में भी देखा जाता है क्योंकि यह भारत में अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर भारत की मूल संस्कृति पर प्रहार करता है।

सेकुलरिज्म UPSC परीक्षा के मद्देनजर एक महत्वपूर्ण विषय है। इसी प्रकार की अन्य Exam Update के लिए हमारी वेबसाइट के साथ बनें रहे।

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