भारतीय संविधान की प्रस्तावना को “संविधान की आत्मा” कहा जाता है। इसके साथ ही इसे संविधान का सार भी कहा जाता है। 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने भारत के संविधान की प्रस्तावना को स्वीकार किया था, जिसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था। तभी से हर साल 26 जनवरी को पूरे भारतवर्ष में गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। संविधान की प्रस्तावना पर कई प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे UPSC आदि में प्रश्नों को पूछा जाता है। इस लेख में संविधान की प्रस्तावना की जानकारी दी गई है।
This Blog Includes:
- संविधान के बारे में
- संविधान की प्रस्तावना क्या है?
- संविधान की प्रस्तावना का इतिहास क्या है?
- संविधान की प्रस्तावना क्यों महत्वपूर्ण है?
- सविधान की प्रस्तावना के मुख्य शब्द
- संविधान की प्रस्तावना का संशोधन
- भारतीय संविधान की प्रस्तावना के बारे में रोचक तथ्य
- संविधान की प्रस्तावना का महत्व क्या है?
- भारतीय संविधान पर 10 लाइन
- भारत के संविधान के बारे में रोचक तथ्य
- FAQs
संविधान के बारे में
भारत का संविधान भारत के शासन के लिए रूपरेखा है और सरकारी संस्थानों की संरचना, शक्तियों को स्थापित करता है। भारतीय संविधान को 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया था और यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था। भारत का संविधान दुनिया में सबसे लंबे लिखित संविधान के रूप में जाना जाता है। इसका पेनिंग स्टेटमेंट संविधान के आदर्शों और उद्देश्यों, जैसे न्याय, स्वतंत्रता, समानता को रेखांकित करता है।
संविधान की प्रस्तावना क्या है?
संविधान की प्रस्तावना- हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी , पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए और उसके समस्त नागरिकों को: सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, श्रद्धा और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता, प्राप्त कराने के लिए और उन सब में, व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित कराने वाली, बंधुता बढ़ाने के लिए, दृढ़ संकल्पित होकर अपनी संविधानसभा में 26 नवंबर 1949 (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत दो हजार छह विक्रमी) को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।
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संविधान की प्रस्तावना का इतिहास क्या है?
संविधान की प्रस्तावना को भारतीय संविधान की आत्मा कहा जाता है। यह संविधान का एक अभिन्न अंग है और 1946 में जवाहरलाल नेहरू द्वारा संवैधानिक संरचना का वर्णन करते हुए उद्देश्य प्रस्ताव पेश किया गया था। 22 जनवरी 1947 को इस प्रस्तावना को अपनाया गया। इसने भारत के संविधान को आकार दिया है। यह प्रस्तावना संविधान के उद्देश्यों को बताती हैं।
संविधान की प्रस्तावना क्यों महत्वपूर्ण है?
भारत के संविधान और भारत के लोगों के लिए संविधान की प्रस्तावना को महत्वपूर्ण माना गया है। इसमें स्वतंत्र राष्ट्र, लोकतांत्रिक समाजवाद (निजी क्षेत्र और सरकारी क्षेत्र एक साथ काम कर सकते हैं), धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र, न्याय, स्वतंत्रता, समानता, देश की एकता और अखंडता के साथ-साथ भाईचारे की बात कही गई है। प्रस्तावना के महत्व पर सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) द्वारा भी कई बार चर्चा की गई है।
सविधान की प्रस्तावना के मुख्य शब्द
सविधान की प्रस्तावना में मुख्य शब्द और उनके अर्थ इस प्रकार हैंः
| सार्वभौम | इस शब्द का अर्थ है कि भारत एक स्वतंत्र राज्य है और इसके ऊपर किसी अन्य का कोई अधिकार नहीं है। |
| समाजवादी | इस शब्द को शब्द संविधान की प्रस्तावना में 42वें संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा जोड़ा गया था और इसका अर्थ है कि यह लोकतांत्रिक समाजवाद का अनुसरण करता है। |
| धर्मनिरपेक्ष | धर्मनिरपेक्ष शब्द को 42वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा जोड़ा गया था। इससे देश के सभी धर्मों को राज्य से समान दर्जा और समर्थन मिलता है। |
| लोकतांत्रिक | लोकतंत्र में देश के लोगों के पास सर्वोच्च शक्ति होती है। |
| गणतंत्र | गणतंत्र शब्द भेदभाव को रोकता है और यह गणराज्य के रूप में भारत की पहचान को दर्शाता है। |
| न्याय | न्याय शब्द का अर्थ है कि सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से न्याय की मांग की जाती है। |
| स्वतंत्रता | भारतीय संविधान की प्रस्तावना में स्वतंत्रता शब्द- विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है। |
| समानता | भारत के नागरिकों को सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक दृष्टि से स्थिति और अवसर की समानता देना। |
| बिरादरी-बंधुत्व | राष्ट्र की एकता को सुरक्षित करने के लिए भाईचारे या बंधुत्व शब्द को दर्शाया गया है। |
संविधान की प्रस्तावना का संशोधन
प्रस्तावना में संशोधन को भी महत्वपूर्ण माना गया। बता दें कि 42वां संशोधन अधिनियम, 1976 केशवानंद भारती मामले के फैसले के बाद यह स्वीकार किया गया कि प्रस्तावना संविधान का हिस्सा है। संविधान के एक भाग के रूप में संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत प्रस्तावना में संशोधन किया जा सकता है, लेकिन प्रस्तावना की मूल संरचना में संशोधन नहीं किया जा सकता है।
अब तक 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 के माध्यम से प्रस्तावना में केवल एक बार संशोधन किया गया है। 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 के माध्यम से प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्द जोड़े गए हैं। ‘संप्रभु’ और ‘लोकतांत्रिक’ के बीच ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ जोड़ा गया। ‘राष्ट्र की एकता’ को ‘राष्ट्र की एकता और अखंडता’ में बदल दिया गया है।
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भारतीय संविधान की प्रस्तावना के बारे में रोचक तथ्य
भारतीय संविधान की प्रस्तावना के बारे में रोचक तथ्य इस प्रकार हैंः
- संविधान की प्रस्तावना को भारत के संपूर्ण संविधान के लागू होने के बाद अधिनियमित किया गया था।
- ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द को 42वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में जोड़ा गया था।
- प्रस्तावना भारत के सभी नागरिकों को विश्वास, विश्वास और पूजा की स्वतंत्रता प्रदान करती है।
- प्रस्तावना में न्याय का आदर्श (सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक) सोवियत संघ (रूस) के संविधान से लिया गया है।
- गणतंत्र और स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्श फ्रांसीसी संविधान से उधार लिए गए हैं।
- प्रस्तावना पहली बार अमेरिकी संविधान के माध्यम से पेश की गई थी।
संविधान की प्रस्तावना का महत्व क्या है?
संविधान की प्रस्तावना भारतीय लोकतंत्र की संकल्पना, अधिकारों और दायित्वों की मौलिक रूपरेखा प्रदान करने में मुख्य भूमिका निभाती है। साथ ही यह समजा में सभी को समान अधिकार देने का काम करते हैं। समाज के हर तबके के लोगों को मौलिक अधिकार देने में भारत के संविधान उसकी प्रस्तावना की मुख्य भूमिका होती है। संविधान की प्रस्तावना ही सरकार की शक्तियों को सीमित करके लोकतंत्र की शक्तियों को बढ़ाने का काम करती है।
भारतीय संविधान पर 10 लाइन
भारतीय संविधान पर 10 लाइन इस प्रकार हैं:
- भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को प्रभावी हुआ।
- डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान का निर्माता माना जाता है।
- संविधान की नींव भारत सरकार अधिनियम, 1935 में निहित है।
- संविधान सभा पहली बार 5 दिसंबर, 1946 को बुलाई गई।
- भारत के संविधान को तैयार करने में लगभग तीन साल लगे।
- 26 जनवरी 1950 को कानूनी रूप से लागू किया गया।
- भारत का राष्ट्रीय प्रतीक 8 जनवरी 1950 को अपनाया गया था।
- शुरुआत में हिंदी और अंग्रेजी में लिखा गया, संविधान का प्रत्येक पृष्ठ कलात्मक रूप से डिजाइन किया गया था।
- संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे।
- भारत के संविधान में आज तक कुल 100 से भी अधिक अमेंडमेंट किए गए हैं।
भारत के संविधान के बारे में रोचक तथ्य
यहाँ भारत के संविधान के बारे में रोचक तथ्य दिए गए हैं –
- भारतीय संविधान नियमों की पुस्तक है।
- भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को प्रभावी हुआ।
- भारतीय संविधान सरकारी तंत्र को सुचारु रूप से चलाने के लिए मार्गदर्शन एवं संचालन करता है।
- भारतीय संविधान ने अन्य देशों के संविधानों को प्रभावित किया है।
- भारतीय संविधान अपने सभी नागरिकों को न्याय, स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सुनिश्चित करने पर जोर देता है।
- भारतीय संविधान भारत के प्रत्येक नागरिक को एक ही पैमाने पर देखता है।
- संविधान ने न्यायपालिका को एक स्वतंत्र संस्था के रूप में रखा है।
- भारत का संविधान इसकी सर्वोच्चता बताता है जिसे संसद खत्म नहीं कर सकती।
- भारतीय संविधान में वर्तमान में इसमें 104 संशोधनों के बाद 12 अनुसूचियों के साथ 448 अनुच्छेद हैं।
- भारत का संविधान नागरिकों को कई महत्वपूर्ण अधिकार देता है।
- भारत का संविधान 2 साल, 11 महीने और 18 दिन में पूरा हुआ था।
- भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने से पहले डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने 60 देशों के संविधान का अध्ययन किया था।
- भारत का संविधान अलबामा के संविधान के बाद दूसरा सबसे लंबा सक्रिय संविधान है।
- हमारे संविधान ने अपनी स्थापना के बाद से कई संशोधनों का अनुभव किया है।
- संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को संसद भवन में हुई थी।
- हमारे संविधान ने देश के प्रत्येक नागरिक को कुछ मौलिक अधिकार प्रदान किए हैं।
- भारत को एक लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बने रहने के लिए हमारा संविधान आवश्यक है।
- संविधान सभा के 389 सदस्यों ने इसका मसौदा (ड्राॅफ्ट) तैयार किया था।
FAQs
प्रस्तावना संविधान का एक हिस्सा है।
प्रस्तावना संविधान की पृष्ठभूमि के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा दिए गए उद्देश्य प्रस्ताव का रिजल्ट है।
डॉ. भीमराव अंबेडकर।
भारत के संविधान की प्रस्तावना से तात्पर्य संविधान के सार से है। 22 जनवरी 1947 में संविधान की प्रस्तावना को अपनाया गया था।
संविधान लिखने का श्रेय संविधान सभा के अध्यक्ष संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर को जाता है।
आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको संविधान की प्रस्तावना के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। प्रतियोगी परीक्षा जैसे UPSC में पूछे जाने वाले क्वैश्चंस के बारे में अधिक जानकारी के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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