यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) ने बढ़ाई इन 2 MPhil प्रोग्राम्स की वैधता

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UGC ne badhaai in 2 mphil programs ki validity

यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) ने क्लीनिकल साइकोलॉजी और साइकेट्रिक सोशल वर्क में एमफिल प्रोग्राम्स की वैधता अकादमिक ईयर 2025-2026 तक बढ़ा दी है। UGC की ओर से 29 जनवरी 2024 से इसकी घोषणा की गई है।

UGC (पीएचडी डिग्री प्रदान करने के लिए मिनिमम स्टैंडर्ड और प्रोसेस) नियम 2022 सभी यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों को एमफिल प्रोग्राम्स पेश करने से रोकते हैं। अब UGC ने दो प्रोग्राम्स के लिए नियमों में ढील दी है।

UGC के ऑफिशियल नोटिस में ये कहा गया

UGC के ऑफिशियल नोटिस के हवाले से मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में क्लीनिकल साइकोलोजिस्ट और साइकेट्रिस्ट सोशल वर्कर्स द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए क्लीनिकल साइकोलॉजी में एमफिल और साइकेट्रिक सोशल वर्क में एमफिल की वैधता केवल अकादमिक ईयर 2025-2026 तक बढ़ाने का निर्णय लिया है।

तदनुसार, इन दो प्रोग्राम्स में छात्रों को दो और अकादमिक सेशंस के लिए प्रवेश दिया जाएगा। एमफिल दो साल का प्रोग्राम होता है जो छात्रों को रिसर्च और एनालिसिस के विभिन्न तरीकों और तकनीकों के बारे में बताता है।

दिसंबर 2023 में UGC ने दी थी ये स्टेटमेंट

दिसंबर 2023 में आयोग ने कहा था कि एमफिल डिग्री अब मान्यता प्राप्त डिग्री नहीं रहेगी। हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस को एमफिल प्रोग्राम्स की पेशकश नहीं करने का निर्देश दिया गया था, क्योंकि आयोग ने पहले घोषणा की थी कि सभी यूनिवर्सिटीज में पेश किए जाने वाले एडवांस रिसर्च कोर्सेज अब वैध नहीं होंगे। यूनिवर्सिटीज को अकादमिक ईयर 2023-2024 के लिए एमफिल प्रोग्राम में नए छात्रों को स्वीकार करना बंद करने का निर्देश दिया गया था।

ये नियम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप हैं जो यूनिवर्सिटीज में एमफिल प्रोग्राम्स को बंद करने की सिफारिश करते हैं। NEP चार साल की UG डिग्री और एक रिसर्च-इंसेंटिव मास्टर डिग्री की सिफारिश करता है, जिससे पीएचडी के लिए एमफिल की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।

UGC के बारे में

यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) 28 दिसंबर, 1953 को अस्तित्व में आया और विश्वविद्यालय में शिक्षा, परीक्षा और अनुसंधान के रेगुलेशंस के समन्वय और रखरखाव के लिए 1956 में संसद के एक अधिनियम द्वारा भारत सरकार की काॅंस्टिट्यूशनल बाॅडी बन गया। यह यूनिवर्सिटी और काॅलेजों को ग्रांट देता है।

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