Santa Claus History in Hindi 2024: हर वर्ष 25 दिसंबर को क्रिसमस के मौके पर बच्चों को सांता क्लाॅस के गिफ्ट का इतंजार रहता है। कहा जाता है कि सांता रात में बच्चों को गिफ्ट देने आता है, लेकिन कई बार हम सोचते हैं कि सांता कौन है और क्रिसमस पर सांता क्लाॅस के गिफ्ट देने की क्या प्रथा है और ऐसा क्यों होता है आदि। सांता के गिफ्ट देने की प्रथा से पहले हमें क्रिसमस और सांता का इतिहास जानना होगा क्योंकि क्रिसमस से जुड़े प्रिय पात्र सांता क्लॉस का एक समृद्ध और आकर्षक इतिहास है जो सदियों से विकसित हुआ है। इसलिए इस ब्लाॅग में Santa Claus History in Hindi के बारे में विस्तार से जानेंगे।
त्योहार | क्रिसमस |
आयोजन दिवस | 25 दिसंबर, 2024 |
आयोजन का उद्देश्य | ईसा मसीह के जन्म का स्मरण और सांता क्लाॅस का स्मरण करना। |
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सांता क्लॉस कौन थे?
Santa Claus History in Hindi : क्रिसमस और सांता क्लाॅस की परंपराओं से भरा एक लंबा इतिहास है। सांता क्लॉस को संत निकोलस या क्रिस क्रिंगल के नाम से भी जाना जाता है। वर्तमान में हम हर वर्ष 25 दिसंबर को या इससे एक दिन पहले सांता क्लाॅस को लाल रंग के कपड़ों में एक हंसते हुए व्यक्ति के रूप में देखते हैं और यह मानते हैं कि वह क्रिसमस की पूर्व संध्या पर बच्चों के लिए गिफ्ट्स लाता है।
सांता क्लाॅस को जरूरतमंदों की मदद करने के लिए जाना जाता है और संत निकोलस का जन्म 280 ई. के आसपास (विभिन्न रिपोर्ट्स और इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार) आधुनिक तुर्की में मायरा के निकट पटारा में हुआ था।
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सांता क्लॉस का पारिवारिक इतिहास क्या है?
इतिहासकारों के मुताबिक, संत निकोलस यानि सांता क्लॉस के माता-पिता की मृत्यु उस समय हो गई थी जब वह बहुत छोटे थे और उनका पालन-पोषण उनके चाचा ने किया था। हालांकि सांता बहुत छोटी उम्र में ही पादरी बन गए थे। संत निकोलस के परिवार के बारे में कहा जाता है कि उनका परिवार काफी रईस था।
सांता का गांव
सांता का जन्म तुर्की के मायरा के पास पटारा में हुआ था, लेकिन इस समय कहा जाता है कि सांता का गांव बर्फ से ढके फिनलैंड के रोवानिएमी में स्थित है और यह गांव पूरे वर्ष बर्फ से ढका रहता है। इस जगह पर सांता का ऑफिस भी और लोग यहां आज भी अपनी चिट्ठियां भेजते हैं और फिर इन चिट्ठियों को ऑफिस में टीम एकत्र करती है और बाद में कर्मचारी सांता क्लॉस की वेशभूषा में इन चिट्ठियों का जवाब देते हैं।
सांता क्लॉस पादरी कब बने थे?
ऐसा कहा जाता है कि रईस परिवार में जन्म लेने वाले सांता क्लॉस अपने माता-पिता की मृत्यु के बाद ही छोटी उम्र में ही पादरी बन गए ते और वह बहुत दयालु थे। बच्चों के चेहरे पर खुशी बिखरने के लिए वह उन्हें गिफ्ट देना पसंद करते थे।
क्रिसमस और सांता का इतिहास
क्रिसमस और सांता का इतिहास (Santa Claus History in Hindi) काफी मिला-जुला है, हालांकि कुछ इतिहासकार इसे बिल्कुल अलग मानते हैं। क्रिसमस और सांता का इतिहास जीसस क्राइस्ट से जोड़कर देखा जाता है। क्रिसमस 336 ईस्वी में यीशु के जन्मदिन के सम्मान में मनाया जाता था, लेकिन शताब्दियों से सेंट निकोलस (सांता क्लॉस) के उत्सव के रूप में भी देखा जाता है।
बता दें कि संत निकोलस की जीसस क्राइस्ट में गहरी आस्था थी और वह उनकी भक्ति में लीन रहते थे। इसके अलावा निकोलस बच्चों को बहुत प्यार करते थे और वह रात के अंधेरे में बच्चों को गिफ्ट देते थे और ऐसा हर दिन ही होता था, लेकिन क्रिसमस से एक दिन पहले या फिर क्रिसमस पर बच्चों को गिफ्ट मिलता था तो वह और खुश और उत्साहित होते थे। यही वजह है कि सांता क्लाॅस आज भी बच्चों के लिए लोकप्रिय हैं।
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सांता की वेशभूषा
सांता और क्रिसमस के इतिहास (Santa Claus History in Hindi) की तरह सांता की वेशभूषा की अपना इतिहास है और इस समय भी जो लोग सांता के रूप में बच्चों को गिफ्ट देते हैं तो उन्हें भी सांता क्लाॅस की वेशभूषा में देखा जाता है। सांता की वेशभूषा को देखा जाए तो हमारे मन में सफेद दाढ़ी और लाल रंग की ड्रेस आती है, लेकिन आपको बता दें कि सांता की पोशाक या कपड़ों की कहानी सदियों से चलती आ रही है।
वर्तमान में लाल सूट में सांता की पिक्चर 1930 के दशक में कोका कोला द्वारा पेश की गई थी, हालांकि यह बिल्कुल सच नहीं है। यह भी कहा जाता है कि 1931 से सांता मुख्य रूप से लाल-सफेद कपड़ों में बड़ी-सी सफेद दाढ़ी और बालों वाले सांता क्लॉस आते हैं। सांता के कंधे पर गिफ्ट से भरी पोटली और हाथ में क्रिसमस बेल भी होती है।
लाल रंग के मोजे में गिफ्ट
Santa Claus History in Hindi लाल रंग के मोजे में गिफ्ट का इतिहास भी समझना जरूरी है। सांता को आधी रात में लोगों से छिपकर गिफ्ट देना पसंद था और वह लोगों से अपनी पहचान छुपाकर गिफ्ट देते थे। सांता के गिफ्ट देने की कई कहानियां रही हैं, लेकिन लाल रंग के मोजे में गिफ्ट देने की कहानी ने उन्हें अलग पहचान दी है।
इस कहानी की शुरुआत होती है एक गरीब व्यक्ति से, जिसकी तीन बेटियां थीं और उसके पास अपनी बेटियों की शादी करने के लिए पैसे नहीं थे। वह अपनी बेटियों से मजदूरी कराने के लिए मजबूर था, लेकिन जब इसकी जानकारी निकोलस को हुई तो वह आधी रात को उस व्यक्ति के घर पहुंचे और दरवाजे से न जाकर घर की चिमनी के पास पहुंचे और चिमनी के पास सूख रहे मोजे में सोने के सिक्के भर दिए थे।
इससे उसकी गरीबी दूर हो गई और तीन बेटियों के जीवन में खुशियां आ गईं। तब से ही लोग क्रिसमस पर अपने-अपने घरों के बाहर मोजे टांगते हैं और यह सोचते है कि सांता उनका गिफ्ट देने आएगा।
सांता क्लाॅस से जुड़े रोचक तथ्य
Santa Claus History in Hindi जानने के साथ ही सांता क्लाॅस से जुड़े रोचक तथ्य जानना जरूरी है, जोकि इस प्रकार हैंः
- वैज्ञानिकों ने गणना की कि सांता को दुनिया के हर घर में उपहार पहुंचाने के लिए, उसे 4,921,200 मील प्रति घंटे की गति से यात्रा करनी होगी।
- सांता क्लाॅस बनने से पहले इनका नाम सेंट निकोलस था। इसके अलावा कई देशों में सांता क्लाॅस को अलग नाम से जाना जाता है। ब्रिटेन में उन्हें ‘सेंट क्रिसमस’, ‘फादर क्रिसमस’ या ‘ओल्ड मैन क्रिसमस’ जाना जाता था। फ्रांस में उन्हें ‘पेरे नोएल’ के नाम से जाना जाता था।
- सांता के पास नौ रेनडियर डैशर, डांसर, प्रेंसर, विक्सेन, कॉमेट, क्यूपिड, डोनर, ब्लिटज़ेन और रूडोल्फ थे और वे उसकी स्लेज उड़ाने में उसकी मदद करते हैं ताकि वह उपहार दे सकें।
- सांता क्लॉस आमतौर पर रेनडियर पर सवारी करते थे और अपनी सिग्नेचर धुन गुनगुनाते थे।
- यदि फिल्मों और किताबों पर विश्वास किया जाए, तो माना जाता है कि सांता क्लाॅस चिमनी या खिड़कियों के माध्यम से घर में प्रवेश करते हैं और क्रिसमस की पूर्व संध्या पर क्रिसमस ट्री के नीचे बच्चों के लिए उपहार छोड़ते हैं।
- जिस सांता क्लॉस को हम जानते हैं वह संत निकोलस के एक चरित्र से बाहर निकले।
- सांता क्लॉस की उत्पत्ति सेंट निकोलस की कथा से हुई है जो आधुनिक तुर्की में रहते थे और सेंट निक के समय तुर्की के उस क्षेत्र में ग्रीक भाषा बोली जाती थी।
- कुछ देशों में बच्चे गिफ्ट की मांग करते हुए सांता क्लॉस को लेटर लिखते हैं।
सांता क्लाॅस की फोटो (Santa Claus Photos) क्या है?
सांता क्लॉस बच्चों के लिए उपहार लाता है, लेकिन उसकी फोटो देखकर ही बच्चे खुश हो जाते हैं और उनकी वेशभूषा को अपने आसपास देखता है। सांता क्लाॅस कई यूरोपीय देशों में फादर क्रिसमस की भूमिका भी निभाते हैं और इस समय यह एक व्यक्ति के रूप में दिखता है।
सांता क्लॉज़ का आधुनिक स्वरूप
सांता क्लॉज़ का आधुनिक स्वरूप देखा जाए तो इसका जीवंत उदाहरण फिल्मों, कहानियों और विज्ञापनों में देखा जा सकता है, जिनमें उनके किरदार को और अधिक आकर्षित बनाया जाता है ताकि उनका किरदार बच्चों से सीधा कनेक्ट कर पाए। इसी के साथ सांता क्लॉज़ का आधुनिक स्वरुप वैश्विक क्रिसमस उत्सव की झलक में भी दिखाई पड़ जाता है।
FAQs
संत निकोलस को असली सांता कहा जाता है।
सांता क्लाॅस क्रिसमस के दिन या क्रिसमस के एक दिन पहले आते हैं।
क्रिसमस को 160 से अधिक देश मनाते हैं।
सांता क्लॉज़ मुख्य रूप से सेंट निकोलस ऑफ़ मायरा पर आधारित है, जो चौथी शताब्दी के ग्रीक बिशप थे और बच्चों के प्रति अपनी उदारता और प्रेम के लिए जाने जाते थे। सदियों से, लोककथाओं और सांस्कृतिक अनुकूलन ने सेंट निकोलस को आधुनिक सांता क्लॉज़ में बदल दिया।
“सांता क्लॉज़” नाम डच सिंटरक्लास से लिया गया है, जो सिंट निकोलास (सेंट निकोलस) का संक्षिप्त रूप है। अमेरिका में डच बसने वालों ने इस परंपरा की शुरुआत की, और समय के साथ नाम विकसित हुआ।
सांता से जुड़ी उपहार देने की परंपरा सेंट निकोलस से शुरू हुई, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे 6 दिसंबर को अपने पर्व के दिन जूतों में सिक्के और छोटे-छोटे उपहार छोड़ते थे। समय के साथ, यह प्रथा क्रिसमस समारोहों के साथ जुड़ गई, जो 25 दिसंबर को शुरू हुई।
नोराड सांता ट्रैकर एक क्रिसमस परंपरा है जो 1955 में शुरू हुई थी। यह रडार और सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग करके क्रिसमस की पूर्व संध्या पर सांता की दुनिया भर की यात्रा को “ट्रैक” करता है। उत्तरी अमेरिकी एयरोस्पेस डिफेंस कमांड (नोराड) द्वारा संचालित यह कार्यक्रम हर साल लाखों लोगों को खुश करता है।
मूल रूप से, सेंट निकोलस 6 दिसंबर (अपने पर्व के दिन) को उपहार देते थे। समय के साथ, यह परंपरा क्रिसमस की पूर्व संध्या (24 दिसंबर) पर स्थानांतरित हो गई क्योंकि क्रिसमस कई संस्कृतियों में प्राथमिक शीतकालीन अवकाश बन गया।
क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ का रेनडियर और स्लेज को बच्चों को उपहार पहुंचाने के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। यह परंपरा 19वीं सदी की कविता “A Visit from St. Nicholas” (जिसे “The Night Before Christmas” भी कहते हैं) से शुरू हुई थी, जिसमें सांता के रेनडियर के नाम और उनकी उड़ने की क्षमता का वर्णन किया गया है।
भारत में सांता क्लॉज़ की परंपरा ब्रिटिश काल के दौरान ही आई थी, जब ब्रिटिश शासन के दौरान ईसाई मिशनरियों ने क्रिसमस का त्योहार भारत में मनाना शुरू किया था। इसके बाद क्रिसमस और इससे जुड़ी परम्पराएं धीरे-धीरे भारतीय ईसाई समुदायों में प्रचलित होने लगी थी।
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