राजा राम मोहन राय, जिन्हें भारतीय पुनर्जागरण का मसीहा भी कहा जाता है, भारतीय इतिहास के महान विद्वान और युगपुरुष हुए हैं। वे 19वीं सदी के एक प्रभावशाली नेता थे। राजा राम मोहन राय का जन्म वर्ष 1172 को 22 मई के दिन पश्चिम बंगाल के हुगली नमक स्थान पर हुआ था। यहाँ राजा राम मोहन राय कौन थे के साथ साथ एक समाज सुधारक के रूप में उनकी भूमिका के बारे में बताया जा रहा है।
राजा राम मोहन राय कौन थे?
राजा राम मोहन राय 19वीं सदी के सबसे प्रभावशाली नेता थे। वे एक बड़े विद्वान व्यक्ति होने के साथ साथ एक महान समाज सुधारक भी थे। भारतीय समाज में मौजूद सती प्रथा जैसी कुरीति को ख़त्म करने का श्रेय राजा राम मोहन राय को ही जाता है।
समाज सेवक के रूप में राजा राम मोहन राय की भूमिका
- राजा राम मोहन राय कौन थे में अब जानिए एक समाज सुधारक के रूप में उनकी भूमिका के बारे में :
- उन्होंने ब्रह्म समाज की स्थापना की जो एक एकेश्वरवाद पर आधारित धार्मिक आंदोलन था।
- उन्होंने वेदों का अध्ययन कर उनका अनुवाद बंगला, हिंदी और अंग्रेजी में किया।
- उन्होंने सती प्रथा जैसी कुरीति को ख़त्म किया।
- उन्होंने महिला शिक्षा के लिए बहुत कार्य किए।
- उन्होंने विधवा पुनर्विवाह क़ानून की नींव रखी।
- उन्होंने बाल विवाह और दहेज़ प्रथा का विरोध किया।
अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई में राजा राम मोहन राय की भूमिका
- राजा राम मोहन राय कौन थे में अब जानिए अंग्रेजों के खिलाफ उनकी भूमिका के बारे में :
- उन्होंने भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज़ उठाई थी।
- उन्होंने किसानों के समर्थन में भूमि सुधार आंदोलन का समर्थन किया।
- उन्होंने भारत में भारत के लोगों के प्रतिनिधित्व वाली सरकार की मांग अंग्रेजों के सामने रखी।
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