नागरी प्रचारिणी सभा हिंदी भाषा और साहित्य एवं देवनागरी लिपि की उन्नति और प्रचार प्रसार करने वाली देश की प्रमुख संस्थाओं में से एक हैI इसकी स्थापना हिंदी के महान साहित्यकार श्यामसुंदर दास ने उस समय की थी जिस समय भारत में अंग्रेजी और फारसी का वर्चस्व काफी बढ़ गया था और लोग लगभग हिंदी को भूलते जा रहे थेI उन्होंने इस संस्था की स्थापना हिंदी को लोगों के बीच वापस लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से की थीI इस संस्था का मुख्य कार्य हिंदी का प्रचार प्रसार करना हैI इस लेख में नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना कब और कहां हुई? इस बारे में विस्तार से बताया गया हैI
नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना कब हुई थी?
नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना 16 जुलाई, 1893 को क्वींस कॉलेज, वाराणसी के नवीं कक्षा में पढ़ने वाले तीन छात्रों, बाबू श्याम दास, पंडित रामनारायण मिश्र और शिवकुमार सिंह ने की थीI इसमें श्यामसुंदर दास ने अहम भूमिका निभाई थी इसलिए नागरी प्रचारिणी सभा का संस्थापक उन्हें ही माना जाता हैI इस संस्था की स्थापना हिंदी भाषा का विकास करने के उद्देश्य से की गई थीI
नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना कहाँ हुई थी?
नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना बाबू श्याम दास, पंडित रामनारायण मिश्र और शिवकुमार सिंह ने क्वींस कॉलेज के अपने छात्रावास में बैठकर की थीI
नागरी प्रचारिणी सभा के प्रमुख कार्य
नागरी प्रचारिणी सभा के मुख्य कार्य इस प्रकार हैं:
- हिंदी का प्रचार प्रसार करना
- हिंदी को राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय भाषा बनाना
- हिंदी के नए साहित्यकारों को प्रोत्साहन एवं आर्थिक मदद प्रदान करनाI
हिंदी में शॉर्टहैंड स्टाइल की नींव रखी
हिंदी में शॉर्टहैंड की शुरुआत करने का श्रेय हिंदी प्रचारिणी सभा को ही जाता हैI हिंदी शॉर्टहैंड सिखाने वाला पहला स्कूल इसी संस्था के द्वारा शुरू किया गया थाI इसके पहले बैच में सिर्फ तीन विद्यार्थी थे – लालबहादुर शास्त्री, टी. एन. सिंह और अलगू राम शास्त्री।
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