Mathura Ki Holi 2025: भारत और दुनियाभर में प्रतिवर्ष होली का त्योहार बड़ी धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, लेकिन उत्तर प्रदेश के मथुरा में यह त्योहार कई दिनों तक चलता है। इस होली को देखने के लिए न सिर्फ देश बल्कि विदेशों के लोग भी आते हैं। बताना चाहेंगे यहाँ की होली एक महीने की होती है, जो फरवरी से शुरू होती है और मार्च में मथुरा होली के भव्य समारोह के साथ समाप्त होती है। वहीं बारसाना, नंदगांव और वृंदावन में अनोखी होली खेली जाती है। मथुरा की होली में बरसाना की लठमार होली, गोकुल की छड़ीमार होली, राधारानी जी के महल की लड्डू मार होली, रावल का हुरंगा, होलिका दहन और रंगों की होली प्रसिद्ध है। इसलिए इस ब्लॉग के माध्यम से मथुरा की होली (Mathura Ki Holi, Braj Ki Holi) और यहाँ के सभी विशेष कार्यक्रमों के बारे में बताया गया है।
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होली कब है 2025?
Holi Kab Hai 2025: भारत में होली का त्योहार हर वर्ष भव्यता के साथ मनाया जाता है। हर साल फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष में पूर्णिमा की तिथि पर शाम के वक्त होलिका दहन होता है, वहीं इसके अगले दिन रंगोत्सव मनाया जाता है। इस साल 13 मार्च को होलिका दहन (Holika Dahan 2025) और 14 मार्च को होली मनाई जाएगी।
क्यों प्रसिद्ध है मथुरा की होली?
Mathura Ki Holi 2025: इस वर्ष होली का त्योहार 14 मार्च को मनाया जा रहा है। मथुरा की होली (Mathura Ki Holi) इसलिए प्रसिद्ध है क्योंकि मथुरा में होली का त्यौहार देश के बाकी हिस्सों में बिल्कुल अलग तरह से मनाया जाता है। ब्रज में होली के त्यौहार से बहुत दिन पहले ही लोग होली मनाना शुरू कर देते हैं और होली के खत्म होने के बाद बहुत दिनों तक होली मनाई जाती है।
मथुरा की होली (Mathura Ki Holi) के इतने मशहूर होने का एक दूसरा कारण यह भी है कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि होली में रंगों के प्रयोग की शुरुआत ब्रज से ही हुई थी। एक बार भगवान कृष्ण ने मैया यशोदा से पूछा कि मैं सांवला क्यों हूँ और राधा गोरी क्यों है? इस पर मैया यशोदा ने हँसते हुए कहा कि तू राधा को रंग लगा दे, वह भी तेरी जैसी हो जाएगी। भगवान कृष्ण ने राधा को रंग लगा दिया। कहा जाता है कि तभी से होली पर रंगों के प्रयोग की शुरुआत हुई। इस मान्यता के कारण भी मथुरा की होली बहुत प्रसिद्ध है।
मथुरा की होली के अलावा मथुरा के बरसाने में लट्ठमार होली भी खेली जाती है। इसमें पुरुष गोपाल का वेश धारण कर लेते हैं। स्त्रियां गोपियाँ बनकर उनको डंडों से उनकी पिटाई करती हैं। पुरुष ढाल से उनकी पिटाई से बचने का प्रयास करते हैं। इस अनोखी होली का आनंद लेने के लिए देश विदेश से लोग आते हैं।
मथुरा की होली का महत्व क्या है?
यहाँ मथुरा की होली (Mathura Ki Holi) के महत्व के बारे में बताया जा रहा है :
- मथुरा की होली का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है। लोग मथुरा की होली को पवित्र मानते हैं और ऐसा माना जाता है कि होली में रंगों की शुरुआत मथुरा से ही हुई थी।
- भगवान कृष्ण को होली खेलना बहुत पसंद था। मथुरा की होली (Mathura Ki Holi) प्राचीनकाल से ही भारतीय संस्कृति के अनुरूप रही है और इसलिए भी मथुरा की होली बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
मथुरा की होली का आयोजन
मथुरा में होली उत्सव का आयोजन पूरे सप्ताह चलता है। इस उत्सव की शुरुआत होली पूजा के कार्यक्रम से की जाती है। इसमें भगवान कृष्ण की मूर्ति को रंगों से सजाया जाता है। मथुरा की होली (Mathura Ki Holi) के अंतिम दिन “धुलंडी” का आयोजन किया जाता है। इसमें लोग एक दूसरे को रंग और गुलाल लगाते हैं।
मथुरा के बरसाने की लट्ठमार होली
मथुरा की लट्ठमार होली पूरी दुनिया में प्रसिद्धं है। लट्ठमार होली में पुरुष गोपाल बनकर आते हैं। औरतें गोपियाँ बनकर आती हैं और बड़े बड़े डंडों से मर्दों की पिटाई करती हैं। पुरुष इस मार से बचने के लिए पुरुष ढाल का प्रयोग करते हैं। औरते पुरुषों पर डंडे बरसाने के साथ टेसू के फूलों और टेसू के फूलों से बने रंगों की बरसात भी करती हैं।
बरसाने की लड्डूमार होली
मथुरा के बरसाने के राधारानी मंदिर में भगवान कृष्ण की मूर्तियों की रंगों के साथ पूजा करने के बाद लड्डूमार होली का आयोजन किया जाता है। इसमें लोग एक दूसरे पर लड्डू मारते हैं।
मथुरा की होली का शेड्यूल 2025
मथुरा की होली 2025 (Mathura Ki Holi) का कार्यक्रम इस प्रकार है;-
तारीख | उत्सव और स्थान |
7 मार्च | फाग आमंत्रण (सखियों का न्यौता) शाम को लाड़लीजी महल में लड्डू मार होली खेली जाती है। |
8 मार्च | बरसाना में लट्ठमार होली खेली जाएगी। |
9 मार्च | नदगांव में लट्ठमार होली। |
10 मार्च | रंगभरी एकादशी के दिन श्रीकृष्ण जन्मस्थान और पूरे मथुरा में रंगभरी होली खेली जाएगी। |
11 मार्च | गोकुल के रमणरेती में होली खेली जाएगी। |
12 मार्च | वृंदावन में बांकेबिहारी मंदिर में होली खेली जाएगी। |
13 मार्च | समूचे ब्रज में होलिका दहन होगा। |
14 मार्च | पूरे ब्रज में धुलेंडी होली खेली जाएगी। विख्यात द्वारकाधीश ब्रज में टेसू फूल, अबीर गुलाल की होली खेली जाएगी। |
15 मार्च | बलदेव में दाऊ जी का हुरंगा। |
16 मार्च | नंदगांव का हुरंगा। |
18 मार्च | मुखराई का चरकुला नृत्य। |
21 मार्च | खायरा का हुरंगा। |
22 मार्च | वृंदावन में रंगनाथ जी मंदिर में होली का उत्सव होगा। |
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FAQs
मथुरा-बरसाना की लट्ठमार होली विश्व प्रसिद्ध है।
मथुरा में बरसाने की लट्ठमार होली विश्व प्रसिद्ध है।
लट्ठमार होली में पुरुष गोपाल बनकर आते हैं। औरतें गोपियां बनकर आती हैं और बड़े बड़े डंडों से मर्दों की पिटाई करती हैं। पुरुष इस मार से बचने के लिए ढाल का प्रयोग करते हैं। औरतें पुरुषों पर डंडे बरसाने के साथ टेसू के फूलों और टेसू के फूलों से बने रंगों की बरसात भी करती हैं।
13 मार्च को होलिका दहन होगा और 14 मार्च को रंगों वाली होली खेली जाएगी।
होली की शुरुआत बसंत पंचमी से होती है और पूरे 40 दिनों तक होली का त्योहार मनाया जाता है।
इस बार बरसाने में लठमार होली 8 मार्च 2025 को खेली जाएगी।
आशा है कि आपको इस ब्लॉग में मथुरा की होली (Mathura Ki Holi, Braj Ki Holi) से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी मिल गई होगी जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ाने का काम करेगी। ऐसे ही होली और ट्रेंडिंग इवेंट्स से जुड़े अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।