Lal Bahadur Shastri Jayanti Speech : छात्रों और बच्चों के लिए ‘लाल बहादुर शास्त्री’ पर भाषण

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Lal Bahadur Shastri Jayanti Speech in Hindi (1)

लाल बहादुर शास्त्री भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं। एक अच्छे राजनेता होने के साथ लाल बहादुर शास्त्री महान स्वतंत्रता सेनानी भी थे। लाल बहादुर शास्त्री स्वतंत्र भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे। प्रसिद्ध नारा जय जवान जय किसान लाल बहादुर शास्त्री ने ही दिया था। हम हर साल 2 अक्टूबर के दिन उनकी जयंती मनाते हैं। कई बार छात्रों को Lal Bahadur Shastri Jayanti Speech in Hindi तैयार करने के लिए दी जाती है। लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती पर भाषण के बारे में अधिक जानने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें। 

लाल बहादुर शास्त्री जयंती पर 100 शब्दों में भाषण

100 शब्दों में Lal Bahadur Shastri Jayanti Speech in Hindi इस प्रकार है:

आप सभी को मेरा प्रणाम। आज मैं लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती पर उनके बारे में आप सभी के जानकारी देने जा रहा हूं। प्रसिद्ध भारतीय नेता लाल बहादुर शास्त्री ने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया था। स्वतंत्रता संग्राम में वे कई लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बने थे। उन्होंने छोटी उम्र से ही भारत के आजादी दिलाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था। लगभग 20 वर्ष की उम्र में लाल बहादुर शास्त्री स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए थे। लाल बहादुर शास्त्री जी 2 का जन्म अक्टूबर 1904 को हुआ था। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ी। वे सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों का पालन करते थे। भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में लाल बहादुर शास्त्री ने एक अहम भूमिका थी। 

लाल बहादुर शास्त्री जयंती पर 200 शब्दों में भाषण

Lal Bahadur Shastri Jayanti Speech in Hindi 200 शब्दों में इस प्रकार है:

सभी सम्माननीय अतिथियों को मेरा नमस्कार। आज हम सभी लाल बहादुर शास्त्री जयंती के अवसर पर यहां एकत्रित हुए हैं। लाल बहादुर शास्त्री एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। भारत के स्वतंत्र होने के बाद में वर्ष 1964 से 1966 वे भारत के प्रधान मंत्री भी थे। उन्होंने अपने संक्षिप्त कार्यकाल के दौरान देश में परिवर्तनकारी नीतियों को लागू किया था। उन्होंने एक प्रसिद्ध नारा जय जवान जय किसान भी दिया था। उन्होंने अपने कार्यकाल में किसानों के जीवन को बेहतर बनाने और भोजन की कमी को दूर करने पर बहुत कार्य किया था। शास्त्री जी ने खाद्य संकट की गंभीरता को पहचाना और उसके लिए व्यक्तिगत रूप से एक समाधान निकाला था।  

खाद्य संकट की कमी को पूरा करने के लिए शास्त्री जी में देश नागरिकों से आग्रह किया था की आप अपनी इच्छा से सप्ताह में एक दिन का भोजन छोड़ें जिससे कि जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाया जा सकेगा। उनकी इस पहल को शास्त्री व्रत के नाम से जाना जाता है। 

लाल बहादुर शास्त्री का मानना था की यदि देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है तो कृषि क्षेत्र के बढ़ाने पर अधिक ध्यान देना होगा। उस समय उन्होंने महत्वपूर्ण कानून पारित किया। इस कानून में राष्ट्रीय कृषि उत्पाद बोर्ड अधिनियम और 1964 का खाद्य निगम अधिनियम के तहत भारतीय खाद्य निगम का निर्माण शामिल था। जिससे भारतीय कृषि को बढ़ावा दिया जा सकते। शास्त्री जी की दूरदर्शी नीतियों का उद्देश्य अनाज और अन्य भोजन के लिए उत्पादन को बढ़ाना था। आप सभी को मेरी बात सुनने के लिए धन्यवाद। आइए हम लाल बहादुर शास्त्री जी को धन्यवाद दें। 

यह भी पढ़ें: लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध 

लाल बहादुर शास्त्री जयंती पर 300 शब्दों में भाषण

300 शब्दों में Lal Bahadur Shastri Jayanti Speech in Hindi इस प्रकार है:

स्पीच की शुरुआत में

आप सभी को सुप्रभात, मैं [आपका नाम] हूं। लाल बहादुर शास्त्री जयंती पर अपने विचार प्रकट करने के लिए में बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूं। मेरे आदरणीय प्रधानाचार्य, शिक्षकों, और मेरे प्यारे साथियों, आज हम एक महान व्यक्ति की जयंती मनाने के लिए एकत्र हुए हैं। उन्होंने अपनी सादगी, ईमानदारी और नेतृत्व से भारत को एक नई दिशा दी थी। आज भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी को जयंती है। उनकी जयंती के इस अवसर पर, आइए हम उनके जीवन से प्रेरणा लें और उनके आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प करें।

स्पीच में क्या बोलें?

लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी से सात मील दूर एक छोटे से रेलवे कस्बे मुगलसराय में हुआ था। उनके पिता ‘शारदा प्रसाद श्रीवास्तव’ माँ ‘रामदुलारी देवी’ थीं। पिता के देहांत के बाद वे तब उनकी माता के साथ नाना जी के घर मिर्जापुर जाकर चले गए। वहीं उनकी प्राथमिक शिक्षा शुरू हुई। उनकी स्कूली शिक्षा कुछ खास नहीं रही, उन्होंने वहां काफी विषम परिस्थितियों में शिक्षा हासिल की थी। उन्हें स्कूल जाने के लिए रोजाना मीलों पैदल चलना और नदी पार करनी पड़ती थी।  

बड़े होने के साथ ही शास्त्री जी ब्रिटिश हुकूमत से आजादी के लिए देश के संघर्ष में अधिक रुचि रखने लगे। शास्त्री जी स्वतंत्रता के पहले आजादी की लड़ाई के प्रमुख सिपाही थे। वे स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़ चढ़ कर भाग लेते थे। शास्त्री जी स्वतंत्रता आंदोलन के उन सिपाहियों में शामिल हैं जिन्हें 1942 में ब्रिटिश गर्वेमेंट द्वारा जेल में बंद किया गया था।

देश के आजाद होने के बाद उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया था। वे आजादी के बाद उत्तर प्रदेश में पुलिस मंत्री भी रहे थे। इसके बाद पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें रेल मंत्री का पद दिया था। एक रेल दुर्धटना के कारण उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद वे एक बार फिर 1957 में परिवहन और संचार मंत्री बने। 1961 में शास्त्री जी को गृह मंत्री बनाया गया। 

वर्ष 1964 में लाल बहादुर शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने थे। इस दौरान देश अन्न संकट के कारण भुखमरी की स्थिति से गुजर रहा था। वर्ष 1965 भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध भी शुरू हो गया था। शास्त्री जी ने देशवासियों को सेना और जवानों का महत्व बताने के लिए ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया था। इस संकट के काल में शास्त्री जी ने अपनी तनख्वाह लेना भी बंद कर दिया था और देशवासियों से कहा कि हम हफ़्ते में एक दिन का उपवास करेंगे। 

स्पीच के अंत में

आज जब हम शास्त्री जी को याद करते हैं तो हमें उनकी सादगी, दृढ़ निश्चय, और देशभक्ति से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। आइए हम उनके आदर्शों पर चलते हुए भारत को एक महान राष्ट्र बनाने में योगदान दें। धन्यवाद!

यह भी पढ़ें- लाल बहादुर शास्त्री के विचार, जिन्होंने किया भारतीय समाज को प्रेरित

लाल बहादुर शास्त्री पर स्पीच तैयार करने के टिप्स

लाल बहादुर शास्त्री पर स्पीच तैयार करने के टिप्स नीचे दी गई है:

  • अपनी स्पीच की शुरुआत में सुनने आए सभी लोगों का अभिवादन करें। 
  • अभिवादन के बाद में शास्त्री जी के जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं, उनके जन्म और प्रारंभिक जीवन को उजागर करें। 
  • शास्त्री जी के जन्म स्थान, परिवार, शिक्षा, और शुरुआती जीवन की प्रमुख घटनाओं को संक्षेप में बताएं।
  • आपकी स्पीच में उनके स्वतंत्रता संग्राम में योगदान पर ध्यान दें।
  • स्वतंत्रता के बाद उनके राजनैतिक सफर को संक्षेप में समझाएं।
  • उनके प्रधानमंत्री बनने और उनके कार्यकाल के महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा करें।
  • एंड स्पीच को एक प्रेरणादायक और प्रभावशाली समापन के साथ खत्म करें, जिसमें श्रोताओं को शास्त्री जी के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने का संदेश दिया गया हो।
  • अपने आत्म विश्वास को बढ़ाने के लिए स्पीच को तैयार करके उसका अभ्यास करें। 

यह भी पढ़ें: लाल बहादुर शास्त्री का जीवन परिचय 

लाल बहादुर शास्त्री से जुड़े रोचक तथ्य 

लाल बहादुर शास्त्री से जुड़े रोचक तथ्य यहां दिए गए हैं:

  • प्रधान मंत्री होने के साथ साथ लाल बहादुर शास्त्री ने देश के कई बड़े पदों पर कार्यभार संभाला है। 
  • स्वतंत्रता आंदोलन के समय लाल बहादुर शास्त्री जी को जेल जाना पड़ा था। 
  • लाल बहादुर शास्त्री जी को शास्त्री की उपाधि वर्ष 1930 में काशी विद्यापीठ की तरफ से दी गई थी जब उन्हीं ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर ली थी।
  • अपने स्कूल के दिनों में लाल बहादुर शास्त्री जी अपने बैग और कपड़ों को सिर पर लेकर कई बार गंगा नदी पार किया करते थे। 
  • 1965 के युद्ध के बाद देश में जो अकाल आया था उससे उबरने और देश को सेना और जवानों के महत्व को बताने के लिए लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान जय किसान नारा दिया था। 
  • शास्त्री जी ने INR 5000 का कार लोन लिया था जिसे उनके निधन के बाद उनकी पत्नी ललिता देवी ने उनकी पेंशन से चुकाया था। 

FAQs  

लाल बहादुर शास्त्री जी की सबसे बड़ी विशेषता क्या थी?

विनम्र, दृढ, सहिष्णु एवं जबर्दस्त आंतरिक शक्ति वाले शास्त्री जी लोगों के बीच ऐसे व्यक्ति बनकर उभरे जिन्होंने लोगों की भावनाओं को समझा। वे दूरदर्शी थे जो देश को प्रगति के मार्ग पर लेकर आये। लाल बहादुर शास्त्री महात्मा गांधी के राजनीतिक शिक्षाओं से अत्यंत प्रभावित थे।

शास्त्री जी के प्रमुख नारे क्या थे?

प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद लाल बहादुर शास्त्री के सामने 1965 में पाकिस्तान के साथ जंग थी और दूसरी तरफ देश में सूखा और अनाज का अकाल था। ऐसी स्थिति में पूरा देश प्रधानमंत्री से आस लगाए बैठा था। इसी दौरान लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान और जय किसान का नारा दिया था।

लाल बहादुर शास्त्री से हमें क्या सीख मिलती है?

शास्त्री जी के जीवन से हमें सादगीपूर्ण जीवन जीने की सीख मिलती है। रिशु अग्रवाल ने लालबहादुर शास्त्री को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनका जीवन राजनैतिक क्रियाकलाप सैद्धांतिक न होकर व्यवहारिक और जनता की आवश्यकताओं के अनुरूप था। उन्होंने जय जवान, जय किसान का नारा दिया था। भारत के किसानों व जनता का मनोबल बढ़ाया।

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