Essay on Dussehra in Hindi : दशहरा एक बहुत बड़ा हिंदू पर्व है, जिसे लोग ‘बुराई पर अच्छाई की जीत’ के रूप में मनाते हैं। एग्जाम के समय स्कूल में बच्चों को दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) लिखने को कहा जाता है, जिससे उनको दशहरा के इस पर्व के बारे में पता चले और इसके प्रति उनमें उत्सुकता बनी रहे और उन्हें दशहरा के बारे में पूरा ज्ञान प्राप्त हो। इसके अतिरिक्त कभी-कभी स्टूडेंट्स को शब्द सीमा के आधार पर निबंध लिखने को आता है। इसे देखते हुए आज हम Essay on Dussehra in Hindi के ज़रिए सरल तरीके से इस पर्व की विशेषता बताएंगे, ताकि स्टूडेंट्स को दशहरा पर निबंध आसानी से समझ आए।
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दशहरा पर्व का परिचय
दशहरा एक बहुत बड़ा त्योहार है जिसे पूरे भारत देश में लोग बड़े उत्साह के साथ दशहरा मनाते हैं। इस पर्व का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं, क्योंकि इस पर्व में रावण के पुतले का दहन किया जाता है और यह बुराई की शक्ति पर अच्छाई की शक्ति की जीत का प्रतीक माना जाता है। यही नहीं हमारे भारत देश के कुछ क्षेत्रों में दशहरा को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है। तो चलिए जानते हैं दशहरा पर निबंध के कुछ सैंपल निबंध।
दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) 100 शब्दों में
100 शब्दों में दशहरा पर निबंध कुछ इस प्रकार है –
दशहरा भारत देश में मनाए जाने वाले प्रसिद्ध त्योहार में से एक है। यह पर्व उस उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जब भगवान राम ने लंका के राजा रावण को हराया था। उस दिन सभी को एक संदेश मिला था कि हमेशा अच्छाई और पवित्रता बुराई पर विजय प्राप्त करती है। कई शहरों और गांवों में इस पर्व के दिन मेले का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें परिवार के सभी सदस्य तैयार होकर दशहरे में रावण दहन, आतिशबाजी और स्थानीय रंगमंच समूह रामलीला का नाटक देखने जाते हैं। जो रामायण की प्रसिद्ध पौराणिक कथाओं पर आधारित होती है।
दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) 150 शब्दों में
150 शब्दों में दशहरा पर निबंध कुछ इस प्रकार है –
दशहरा हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार है, जिसे भारत देश में बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। दशहरा भारत देश में सभी जगह समान्य रूप से मनाया जाता है, पौराणिक कथाओं की मान्यता के अनुसार इस दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता है। लेकिन देखा जाए तो इस पर्व को मनाए जाने के पीछे दो मुख्य कारण भी हैं, पहला यह कि इस दिन भगवान राम ने रावण के साथ युद्ध करके उसका वध किया था और वहीं दूसरी वजह यह कि माता दुर्गा द्वारा राक्षसों के साथ नौ दिनों तक भयंकर युद्ध के बाद उनका का संहार किया था।
इसलिए कहा जाता है की इस दिन बुराई का अंत हुआ था और बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी। भारत देश सालों से इस दिन को विजयादशमी भी कहते हैं। क्योंकि देवी दुर्गा की नौ दिनों तक पूजन के पश्चात् लोग दशमी के दिन रावण का पुतला जलते हैं और इस दशहरे के पर्व को बड़ी धूमधाम के साथ मानते हैं।
दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) 250 शब्दों में
दशहरा या विजयदशमी त्योहार जोकि बुराई पर अच्छाई की जीत की याद दिलाता है। इस सैंपल 250 शब्दों में दशहरा पर निबंध में आप दशहरा के समय, पौराणिक कथा और महत्व के बारे में जानेंगे।
दशहरा कब मनाया जाता है?
दशहरा का त्यौहार हिंदू लूनिसोलर कैलेंडर के अनुसार अश्विन या कार्तिक माह में 10वें दिन मनाया जाता है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक सितंबर-अक्टूबर माह से मिलता-जुलता है। यह त्योहार नवरात्रि में दुर्गा पूजा के दसवें दिन और दीपावली से 20 दिन पहले मनाया जाता है।
इसलिए मनाया जाता है दशहरा?
दशहरा का ये तयौहार मुख्य रूप से भगवान राम और रावण पर उनकी विजय से जुड़ा है। भगवान राम को कौन नहीं जनता है, यह पर्व अयोध्या (Ayodhya) के राजकुमार राम की है, जिनका विवाह मिथिला की राजकुमारी सीता से हुआ था। राम और सीता के विवाह के पश्चात राम को उनके पिता राजा दशरथ के वचनवद्ध होने के कारण उनको 14 वर्ष के वनवास भोगना पढ़ा। पिता की आज्ञा मानकर राम वनवास जाने के लिए अपने राजमहल से निकले उनके साथ सीता माता भी जाने को तैयार हो गई, भाई प्रेम के कारण लक्ष्मण ये सब देख न सके और भ्राता राम और माता सीता के साथ वन के लिए प्रस्थान कर लिया। राम दंडक वन (दक्षिण भारत) में अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वनवास काट रहे थे। उस समय कई राक्षसों द्वारा तीनों को परेशान किया गया, लेकिन राम के आगे किसकी चलती। राम ने सबको पराजित किया।
दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) 500 शब्दों में
500 शब्दों में दशहरा पर निबंध कुछ इस प्रकार है –
प्रस्तावना
लक्ष्मण द्वारा रावण की बहन की नाक काट देने की वजह से लंका के राजा लंकेश को बहुत गुस्सा आया और उसने इसका प्रतिशोध लेने के लिए माता सीता का हरण किया। रावण जानता था कि वह माता सीता का कोई साधारण स्त्री नहीं है, उनका हरण कर पाना सरल नहीं है। क्योंकि सीता अकेले जरूर है, परन्तु मायावी शक्तियां सदैव उनके साथ होंगी। जिसके कारण कभी उन तक नहीं पहुंच सकता है। तभी रावण ने उस समय एक साधु के वेश में आकर सीता का छल के द्वारा माता सीता का हरण कर लिया और वह उन्हें अपने राज्य ‘लंका’ ले गया, जोकि वर्तमान समय में श्रीलंका के नाम से पुकारा जाता है।
राम और रावण का युद्ध लगभग कितने दिनों तक चला
राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है, क्योंकि उनमें निस्सल राजकुमार, एक श्रेष्ठ धनुषधारी योद्धा और नैतिक मूल्य के गुण थे। इस युद्ध में उनकी मुलाकात अपने प्रिय भक्त हनुमान से हुई, जिन्होंने पूरी लंका को अपनी पूंछ के बल पर जला दिया था। इस युद्ध में हनुमान के साथ, सुग्रीव, जामवंत अंगद जैसे कई वीर योद्धा शामिल थे। समय बीतता गया और राम की सेना लंका में प्रवेश करने वाली थी, लेकिन श्रीराम नहीं चाहते थे कि युद्ध हो और सब विनाश की चपेट में आए। युद्ध से होने वाले विनाश से बचने के लिए राम ने अंगद को लंका में शांतिदूत बनाकर भेजा था। वहां रावण द्वारा अंगद का बहुत उपहास और अपमान किया गया, जिससे क्रोधित होकर अंगद ने पूरी सभा में ही प्रस्ताव रख दिया कि जो कोई उनका पैर जमीन से हिला देगा, तो वे हार मान लेंगे और श्रीराम व पूरी सेना के साथ वापस अयोध्या को लौट जाएंगे। कोई उनके पैर को टस से मस नहीं कर सका।
पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है की राम और रावण का ये युद्ध लगभग 13 दिनों तक चला और अंत में भगवान राम लंका के राजा रावण को मारने में सफल रहे। और युद्ध के 20 दिन बाद अपना वनवास पूरा करके माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अपनी नगरी अयोध्या वापस लौटे आए। राम के लौटने की खुशी में पूरे नगर के देशवासियों ने नगर को दीपों ने रोशन कर दिया था। इस उत्साह और ख़ुशी के दिन से ही पूरे भारत वर्ष में इस दिन को दीपावली के रूप में मनाया जाता है।
दुर्गा पूजा और दशहरा
दुर्गा पूजा और दशहरा देखा जाएं तो दोनों बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। इस दिन देवी दुर्गा ने नौ दिनों तक चले भयंकर युद्ध में दुष्ट राक्षस महिषासुर का वध किया था और नवरात्रि के दसवें दिन उसका वध किया था इस रूप में हम कह सकते हैं कि, बुराई पर अच्छाई की विजय हुई थी। कहा जाता है कि युद्ध में जाने से पहले भगवान राम ने शक्ति और वीरता के लिए देवी दुर्गा की पूजा की थी। हम हर वर्ष सितंबर-अक्टूबर के माह में दशहरा अत्यधिक हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं और हर गाँव या शहर में मेलों का आनंद लेते हैं।
निष्कर्ष
दशहरा न केवल हिंदू धर्म के विश्वास का एक प्रमुख अंग है, अपितु यह दिन “असत्य पर सत्य की जीत” का प्रतीक है। ये दिन भारतीय लोगों पर भी जोर देता है।
FAQs
रामलीला
1955 से रावण दहन कार्यक्रम की शुरुआत हुई। यह प्रचलन 1954 में दशहरा कमेटी के गठन के बाद से शुरू हुआ।
मेघनाद
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