जानिए लाल बहादुर शास्त्री की बचपन की कहानी और उनके बारे में कुछ खास

1 minute read
लाल बहादुर शास्त्री की बचपन की कहानी

Lal Bahadur Shastri Ki Bachpan Ki Kahani : 02 अक्टूबर भारत के इतिहास में एक विशेष महत्व रखता है, इस दिन ही भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म हुआ था। परंतु इस दिन एक और महान शख्सियत का जन्मदिन होता है, वे हैं भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री। भारत के दूसरे प्रधानमन्त्री थे। 

लाल बहादुर शास्त्री जब महज ग्यारह साल के थे तब से ही उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर काम करने का मन बना लिया था। गांधी जी के असहयोग आंदोलन में शामिल होने के लिए अपने देशवासियों से आग्रह किया था, इस समय लाल बहादुर शास्त्री सिर्फ 16 साल के थे। तो चलिए जानते हैं, लाल बहादुर शास्त्री की बचपन की कहानी से जुड़ी कुछ खास बातें। 

लाल बहादुर शास्त्री के बारे में कुछ खास

लाल बहादुर शास्त्री का 2 अक्टूबर, 1904 उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। उनके पिता का नाम शारदा प्रसाद श्रीवास्तव और माता का नाम रामदुलारी था। लाल बहादुर शास्त्री के पिता का देहांत बचपन में ही हो  गया था उसके बाद घर की पूरी जिम्मेदारी उनकी मां उठाती थी।

बचपन में शास्त्री जी को पढ़ाई के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा, उन्हें प्रतिदिन पढ़ाई के लिए गंगा नदी को तैर कर पार करना होता था। इतनी कठिनाईयों के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी पढ़ाई जारी रखी इसके बाद उन्होंने 1926 में काशी विद्यापीठ से स्नातक किया, इसके साथ ही विद्या पीठ द्वारा उनके स्नातक की उपाधि के रूप में “शास्त्री” का खिताब दिया गया। 16 मई, 1928 को ललिता देवी से उनकी शादी हुई।

लाल बहादुर शास्त्री की बचपन की कहानी

एक छोटा लड़का जिसके पास नदी पार करने के लिए नाव वाले को देने के लिए पैसे नहीं है। परंतु उसकी पढ़ाई को लेकर लगन इतनी है कि वह सर पर किताब किताबें बांध कर वह गंगा नदी को पार कर जाता है। उसको गंगा नदी को दिन में दो बार तैर कर पार करना होता था। यह साहस की दास्तान है भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की।

लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर, 1904  उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था।  उनके पिता का नाम शारदा प्रसाद श्रीवास्तव और माता का नाम रामदुलारी था। लाल बहादुर शास्त्री के पिता का देहांत बचपन में ही हो  गया था उसके बाद घर की पूरी जिम्मेदारी उनकी मां उठाती थी।  

लाल बहादुर शास्त्री बचपन से ही पढ़ने में काफी होशियार थे। वे अपने स्कूल में स्कॉलर थे जिस वजह से उन्हें स्कॉलरशिप के रूप में तीन रुपए भी मिलते थे। शास्त्री जे के बचपन की एक और कहानी कभी प्रचलित है कि वे अपने दोस्तो के साथ कई अपने स्कूल आते जाते थे और इस रास्ते के बीच में एक बाग पड़ता था। एक दिन बाग की रखवाली करने वाला वहां नहीं था तो उन्हें और उनके साथियों को लगा कि यह अच्छा मौका है और उन्होंने बाग में से उन्होंने कई फल- फूल तोड़े और इतने में माली अ गया। 

उसके आते ही सभी वहां से भाग गए पर वहां पर सिर्फ शास्त्री जी खड़े रहे। उनके हाथ में कोई फल नहीं, एक गुलाब का फूल था जो उन्होंने उसी बाग से तोड़ा था। माली ने इस हालत में देख कर उन्हें एक तेज तमाचा मार दिया । तमाचा लगते ही वे तेजी से रोने लगे और उन्होंने मासूम लहजे में कहा कि तुम नहीं जानते, मेरा पिता जी नहीं हैं फिर भी तुम मुझे मारते हो। दया नहीं करते। 

शास्त्री जी को लगा कि इस बात को कहने से माली की ओर से उन्हें सहानुभूति मिलेगी परंतु हुआ इसका उलटा, माली ने उनके एक और तेज तमाचा मारा और कहा कि जब तुम्हारे पिता जी नहीं हैं, तब तो तुम्हें ऐसी गलती नहीं करनी चाहिए। तुम्‍हें तो नेक और ईमानदार बनना चाहिए। यह बात उनके दिल में घर कर गई।

लाल बहादुर शास्त्री के जीवन की ऐसी रही यात्रा

शास्त्री जी महात्मा गांधी और बाल गंगाधर तिलक से बहुत प्रभावित थे। वे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में 1920 में शामिल हुए। 1930 में उन्होंने नमक सत्याग्रह में भाग लिया जिसके लिए उन्हें दो साल से ज्यादा की जेल भी हुई।  

भारत की आजादी के बाद शास्त्री जी उत्तर प्रदेश के संसदीय सचिव बनें। इसके बाद वे 1947 में परिवहान मंत्री भी रहें। इस समय उन्होंने एक ऐतिहासिक फैसला भी लियाा। उन्होंने पहली बार महिला कंडक्टरों की नियुक्ति की थी। इसके बाद रेल मंत्री रहते हुए उन्होंने 1955 में इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में पहली मशीन स्थापित की थी।

लाल बहादुर शास्त्री 9 जून, 1664 को भारत के प्रधानमंत्री बने। उन्होंने अपने कार्यकाल में श्वेत क्रांति को प्रोत्साहन दिया। इसके साथ ही उन्होंने खेती को और बेहतर करने के लिए हरित क्रांति को भी बढ़ावा दिया।

प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री कब बनें?

1964 से 1966 तक लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया। इससे पहले (1961 से 1963 तक) उन्होंने भारत के छठे गृह मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था।

जानें लाल बहादुर शास्त्री की उपलब्धियां के बारे में

  • 1965 में भारत में हरित क्रांति को भी बढ़ावा दिया था।
  • 1920 में ‘भारत सेवक संघ’ से जुड़कर स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए थे।
  • 1947 में वे पुलिस एवं परिवहन मंत्री भी बने।
  • 1951 में शास्त्री को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव के रूप में नियुक्त किया गया।
  • 1952 में शास्त्री जी यूपी से राज्यसभा के लिए चुने गए।
  • 1955 में रेल मंत्री रहते हुए चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में पहली मशीन लगवाई।
  • 1957 में शास्त्री जी फिर से परिवहन और संचार मंत्री और फिर वाणिज्य और उद्योग मंत्री बने। 
  • 1961 में उन्हें गृह मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया।
  • 1964 को लाल बहादुर शास्त्री भारत के प्रधान मंत्री बने थे।
  • 1966 में मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु

11 जनवरी, 1966  को लाल बहादुर शास्त्री का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। कहा जाता है की 1966 को ताशकंद, उज़्बेकिस्तान में हुई, जहाँ वे पाकिस्तान के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने गए थे। उन्हें 1966 में मरणोपरांत भारत रत्न से नवाजा गया। यह पुरस्कार भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है।

FAQs

लाल बहादुर शास्त्री कौन थे उनमें कौन कौन से महान गुण थे?

लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमन्त्री थे और उनमें विनम्र, दृढ, सहिष्णु एवं जबर्दस्त आंतरिक शक्ति जैसे महान गुण थे।

लाल बहादुर शास्त्री जी का नारा कौन सा था?

लाल बहादुर शास्त्री जी का नारा जय जवान जय किसान था।

1965 में भारत का प्रधानमंत्री कौन था?

1965 में भारत का प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री था।

लाल बहादुर शास्त्री को भारत रत्न कब मिला था?

लाल बहादुर शास्त्री को 1966 में भारत रत्न मिला था।

आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको लाल बहादुर शास्त्री की बचपन की कहानी के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

प्रातिक्रिया दे

Required fields are marked *

*

*