सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंड्री एजुकेशन (CBSE) ने मल्टीलिंगुअल एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए अपने स्कूलों में वैकल्पिक माध्यम के तौर पर भारतीय लैंग्वेज का उपयोग करने पर विचार करने के लिए कहा है। ऐसा होने पर उन स्टूडेंट्स को फायदा होगा जो अपनी स्थानीय भाषा में भी पढ़ाई करना चाहते हैं।
सेंट्रल एजुकेशन मिनिस्टर धर्मेंद्र प्रधान ने CBSE के इस फैसले की सराहना की। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि अपने सभी स्कूलों में बालवाटिका से 12वीं तक भारतीय भाषाओं में शिक्षा का विकल्प उपलब्ध कराने के लिए CBSE को बधाई देता हूं।
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एजुकेशन मिनिस्ट्री और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) द्वारा नेशनल एजुकेशन पाॅलिसी-2020 के तहत कई भाषाओं में शिक्षा प्रदान करने के उपाय किए गए हैं, जिसके बाद CBSE ने अपने स्कूलों को उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करने और उसे मल्टीलिंगुअल एजुकेशन के लिए उपयुक्त बनाने के लिए एक-दूसरे के साथ सहयोग करने के लिए कहा है।
स्कूल शिक्षा बोर्ड ने कहा कि हायर एजुकेशन अथॉरिटी ने भी कई भाषाओं में शिक्षा देना शुरू कर दिया है। बता दें कि वर्तमान में CBSE से संबद्ध अधिकांश स्कूलों में शिक्षा का माध्यम इंग्लिश है और कुछ में शिक्षा हिंदी में दी जाती है।
CBSE के सर्कुलर की ये बातें मुख्य
CBSE के डायरेक्टर डॉ. जोसफ इमानुवल द्वारा सर्कुलर जारी किया गया है, जोकि इस प्रकार हैः
- CBSE की ओर से मल्टीलिंगुअल को शिक्षा माध्यम बनाने में आने वाली चुनौतियों और उनके समाधान के लिए प्रयासों का जिक्र।
- मल्टीलिंगुअलिज्म को शिक्षा का माध्यम बनाने के लिए चुनौतियों से निपटने में सक्षम होना।
- संबंधित भाषा में शिक्षकों की उपलब्धता, मल्टीलिंगुस्टिक बुक्स, समय सीमा आदि का जिक्र।
- CBSE ने कहा कि NCERT ने इस गंभीर कार्य को पहली प्राथमिकता पर लिया है।
- आगामी सेशन में सभी छात्रों को 22 शेड्यूल लैंग्वेज में बुक्स उपलब्ध कराने का लक्ष्य।
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