रानी की वाव: इतिहास, वास्तुकला और प्रेम का अद्भुत संगम

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रानी की वाव

गुजरात के पाटन शहर में स्थित रानी की वाव भारत के सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्मारकों में से एक है। रानी की वाव कला और वास्तुकला का एक अद्भुत संगम है, जिसे देखने के लिए दुनियाभर से लोग आते हैं। गुजरात के शीर्ष पर्यटक आकर्षणों में से एक इस खूबसूरत संरचना का निर्माण 11वीं शताब्दी में एक राजा की याद में करवाया गया था। इसी तरह के अन्य रोचक जानकारी के लिए ये ब्लॉग अंत तक पढ़ें। इस ब्लॉग के माध्यम से आपको विश्व प्रसिद्ध रानी की वाव के इतिहास, वास्तुकला, कलाकृति और रोचक तथ्यों के बारे में जानने को मिलेगा। 

रानी की वाव के बारे में

रानी की वाव गुजरात के पाटन शहर में स्थित एक अद्भुत स्मारक जो अपनी भव्यता और कलाकृति के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इस ऐतिहासिक इमारत को साल 1063 में सोलंकी राजवंश के राजा भीमदेव प्रथम की याद में उनकी पत्नी रानी उदयामति ने बनवाया था। सरस्वती नदी के तट स्थित ये बावड़ी 64 मीटर लम्बी, 20 मीटर चौड़ी तथा 27 मीटर गहरी है और इसकी दीवारों और स्तंभों पर जटिल नक्काशी और मूर्तियां हैं। यहाँ भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों और अन्य हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ देखी जा सकती है। आईये अब जानते हैं इस ऐतिहासिक धरोहर का क्या है इतिहास। 

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रानी की वाव का इतिहास

गुजरात के पाटन जिले में स्थित “रानी की वाव” या “रानी की बावड़ी” का इतिहास 900 साल से भी ज्यादा पुराना है। 11वीं शताब्दी में इस वाव का निर्माण तब हुआ जब चालुक्य राजवंश सत्ता में था। इस बावड़ी का निर्माण वर्ष 1063 में सोलंकी शासन के राजा भीमदेव प्रथम की स्मृति में उनकी पत्नी रानी उदयामति द्वारा करवाया गया था। जिसको पूरा होने में 20 वर्षों का समय लगा। रानी की बावड़ी सरस्वती नदी के किनारे बनाई गई थी। ऐसे में 12वीं शताब्दी के दौरान सरस्वती नदी लुप्त हो गयी जिसके कारण वाव गाद में दब गई। वहीं साल 1940 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने वाव को फिर से खोजा और 1980 में वाव का जीर्णोद्धार किया। इसके बाद 2014 में यह ऐतिहासिक स्थल यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल हुआ। 

रानी की वाव क्यों प्रसिद्ध है?

रानी की बावड़ी अपनी अद्भुत वास्तुकला के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। बता दें कि यह एक ऐसी इकलौती बावड़ी है, जिसे विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया है। इस स्मारक को रानी उदयमती के उनके पति के प्रति प्रेम और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा यह प्राचीन भारत में जल प्रबंधन की बेहतरीन व्यवस्था का एक उत्कृष्ट उदाहरण है क्योंकि यहाँ जल संरक्षण के लिए कई तकनीकों का उपयोग किया जाता था।

रानी की वाव की वास्तुकला

मारू-गुर्जरा स्थापत्य शैली में निर्मित, यह स्मारक लगभग 12 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। बावड़ी की वास्तुकला आपको एक उलटे मंदिर की तरह दिखेगी, अर्थात्, इसकी संरचना जमीनी स्तर से शुरू हुई है। वाव की दीवारों और स्तंभों पर जटिल नक्काशी और मूर्तियां हैं। जिनमें आप भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों और अन्य हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों को देख सकते हैं। बता दें कि यहाँ 500 से अधिक मूर्तियां शामिल हैं। इसके अलावा इस बावड़ी में लगभग 226 खंभे हैं जो बाढ़ आने के बाद भी बरकरार रहते हैं। वहीं इस वाव के सबसे निचले स्तर पर एक कुंड है जो पत्थर से बना हुआ है और इसके दीवारों पर भी बेहतरीन नक्काशी की गयी है।

रानी की वाव को विश्व धरोहर में कब शामिल किया गया?

रानी की बावड़ी को 22 जून 2014 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया गया। वहीं जुलाई 2018 में इसे भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 100 रूपये के नोट पर चित्रित किया गया। इसी के साथ आपको बता दें कि अभी तक भारत में कुल 42 विश्व धरोहर स्थल है जिसमें से 33 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक स्थल और 1 मिश्रित विश्व विरासत स्थल हैं। यह भी बता दें कि वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स इन इंडिया में सबसे पहले 1983 में अजंता की गुफाएं, एलोरा की गुफाएं, ताजमहल और आगरा के किले को शामिल किया गया था। उसके बाद धीरे धीरे कई स्थल जुड़ते चले गए। वहीं हाल ही में शांतिनिकेतन और होयसल के पवित्र मंदिर समूह को वैश्विक धरोहर की सूची में शामिल किया गया है। 

रानी की वाव के बारे में रोचक तथ्य

रानी की वाव के बारे में रोचक तथ्य निम्नलिखित है : 

  • रानी की बावड़ी को ग्यारहवीं सदी के एक राजा की याद में बनवाया गया था।
  • रानी की बावड़ी में 500 से ज्यादा बड़ी मूर्तियां और एक हजार से ज्यादा छोटी मूर्तियां पत्थरों पर उकेरी गई हैं। 
  • 2016 में रानी की वाव को भारत में “सबसे स्वच्छ प्रतिष्ठित स्थान” का खिताब मिला था।
  • वहीं 2016 में देश की राजधानी दिल्ली में हुई इंडियन सेनीटेशन कॉन्फ्रेंस में इस वाबड़ी को ‘क्लीनेस्ट आइकोनिक प्लेस’ के पुरस्कार से नवाजा गया था। 
  • इसे भारत के 100 रुपये के नए नोट पर भी चित्रित किया गया है।
  • बता दें कि यह बावड़ी भारत में स्थित सबसे बड़ी बावड़ियो में से एक है जो लगभग 6 एकड़ के क्षेत्रफल में फैली हुई है।

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FAQs

रानी की वाव कौन से नोट पर है? 

रानी की वाव RBI द्वारा जारी 100 रुपए के नए नोट पर है। 

रानी की बावड़ी का निर्माण किसने करवाया था?

रानी की बावड़ी का निर्माण रानी उदयमती ने अपने पति, चालुक्य या सोलंकी राजवंश के राजा भीम प्रथम की याद में करवाया था। 

रानी की बावड़ी में किसकी मूर्ति है?

‘रानी की वाव’ में अधिकांश मूर्तियां विष्णु की हैं, जिनमें उनके दस-अवतार कल्कि, राम, कृष्णा, नरसिंह, वामन, वरही और अन्य प्रदर्शित किये गए हैं।

आशा है कि आपको रानी की वाव से जुड़ी सभी जानकारी इस लेख में मिल गयी होगी। वैश्विक धरोहर से जुड़े ऐसे ही अन्य ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहिए।

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