PVTG in Hindi: पीवीटीजी (PVTG) के माध्यम से भारत में जनजातीय समुदायों को उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति के आधार पर अलग-अलग वर्गों में बाँटा गया है, जिनका उद्देश्य जनजातीय समुदायों को आर्थिक तौर पर सशक्त करना है। बता दें कि PVTG की फुलफॉर्म Particularly Vulnerable Tribal Groups होती है, जिसे हिंदी में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह कहा जाता है।
बता दें कि UPSC परीक्षा में पीवीटीजी के बारे में सामान्य अध्ययन (GS Paper-I) और निबंध के अंतर्गत आते हैं, जिनसे संबंधित कई प्रश्न पूछे जाते हैं। इस ब्लॉग में कैंडिडेट्स के लिए पीवीटीजी (PVTG UPSC in Hindi) की संपूर्ण जानकारी दी गई है, इसलिए ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़ें।
This Blog Includes:
- पीवीटीजी की परिभाषा (Definition of PVTG in Hindi)
- PVTG की अवधारणा और इसका ऐतिहासिक संदर्भ
- PVTG के वर्गीकरण का मुख्य आधार
- भारत में पीवीजीटी की सूची
- PVTG की प्रमुख विशेषताएँ
- PVTG से जुड़ी चुनौतियाँ
- PVTG के संरक्षण के लिए सरकार की योजनाएँ
- PVTG के भारत में प्रजनन के अधिकार
- PVTG की केस स्टडी
- UPSC के लिए PVTG से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु
- FAQs
पीवीटीजी की परिभाषा (Definition of PVTG in Hindi)
भारत में जनजातीय समुदायों का वर्गीकरण उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति के आधार पर किया गया है। इनमें से कुछ जनजातियाँ अत्यंत पिछड़ी और कमजोर हैं, जिन्हें PVTG (Particularly Vulnerable Tribal Groups) कहा जाता है। यह शब्द मुख्य रूप से उन जनजातीय समूहों के लिए प्रयोग किया जाता है जो विकास की दृष्टि से सबसे अधिक पिछड़े हुए हैं।
PVTG की अवधारणा और इसका ऐतिहासिक संदर्भ
PVTG (Particularly Vulnerable Tribal Groups) की अवधारणा पहली बार वर्ष 1973 में दहेबर आयोग (Dhebar Commission) द्वारा प्रस्तुत की गई थी। इस आयोग ने अपनी सिफारिश में इस बात पर जोर दिया था कि कुछ जनजातियाँ अत्यंत पिछड़ी हुई हैं और इन्हें विशेष ध्यान और सहायता की आवश्यकता है। इसके बाद, 1975 में भारत सरकार ने इन जनजातियों को ‘Primitive Tribal Groups’ (PTG) के रूप में वर्गीकृत किया। अंततः, 2006 में इस वर्गीकरण का नाम बदलकर ‘Particularly Vulnerable Tribal Groups’ (PVTG) कर दिया गया, ताकि इन जनजातियों की विशेष सुरक्षा और समृद्धि के लिए अधिक प्रभावी उपाय किए जा सकें।
PVTG के वर्गीकरण का मुख्य आधार
PVTG के वर्गीकरण का मुख्य आधार निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से परिभाषित किया जा सकता है, जो कुछ इस प्रकार हैं:
- जनसंख्या की स्थिति
- आर्थिक पिछड़ापन
- सामाजिक-सांस्कृतिक पिछड़ापन
- सामान्य जनजातीय समूहों से भिन्नताएँ इत्यादि।
भारत में पीवीजीटी की सूची
भारत में पीवीजीटी की सूची के बारे में पढ़कर आप इस विषय की अधिकाधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, ये सूची कुछ इस प्रकार है:
राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश | पीवीटीजी |
अंडमान और निकोबार द्वीप | ◉ महान अंडमानीज़ ◉ जरवा ◉ ओंगे ◉ सेंटिनल |
झारखंड | ◉ असुर ◉ बिरहोर ◉ पहाड़ी खरिया ◉ कोरवा |
दादरा और नगर हवेली | ◉ ढोडिया ◉ कोकना |
गुजरात | ◉ बजाज होल्डिंग |
केरल | ◉ कोरगा ◉ कुरुम्बा ◉ कट्टुनायकन ◉ चोलानैकेन ◉ पनिया |
मध्य प्रदेश | ◉ बैगा ◉ भरिया ◉ भिलाला ◉ कोरकू ◉ मवासी ◉ सहरिया |
कर्नाटक | ◉ जेनु कुरुबा ◉ कोरगा ◉ येरवा |
मणिपुर | ◉ लामगांग ◉ माओ ◉ मारम ◉ पुरम |
महाराष्ट्र | ◉ बजाज होल्डिंग ◉ कटकारी ◉ कोलम ◉ मारिया गोंड ◉ मदिया गोंड ◉ ठाकुर |
मिजोरम | ◉ चकमा ◉ हमार ◉ लाइ ◉ मारा ◉ पावी-लुई ◉ सेन्थांग |
राजस्थान | ◉ भिलाला ◉ दामोर ◉ सहरिया ◉ तड़वी भील |
ओडिशा | ◉ बोंडो पोराजा ◉ दिदायि ◉ डोंगरिया खोंड ◉ पहाड़ी खरिया ◉ जुआंग ◉ कुटिया कोंध |
सिक्किम | ◉ भूटिया-लेप्चा ◉ डुकपा |
तमिलनाडु | ◉ इरुला ◉ कट्टुनायकन ◉ पलियान ◉ शोलगा ◉ टोडा |
उत्तर प्रदेश | ◉ बिरहोर ◉ पहाड़ी कोरवा ◉ कमरिया |
पश्चिम बंगाल | ◉ लोढ़ा ◉ टोटो |
त्रिपुरा | ◉ रियांग |
PVTG की प्रमुख विशेषताएँ
PVTG की प्रमुख विशेषताएँ (Key Features of PVTG in Hindi) कुछ इस प्रकार हैं:
- PVTG समूहों की आजीविका का मुख्य स्रोत कृषि, वनोपज संग्रहण, शिकार और मछली पकड़ना है। इनके पास संसाधनों की कमी होती है और ये अत्यंत गरीबी में जीवनयापन करते हैं।
- इन समूहों की जनसंख्या बहुत कम होती है और समय के साथ इनमें गिरावट देखने को मिलती है, जिससे इनका जीवन सीमित क्षेत्रों तक ही केंद्रित होता है।
- इन समूहों में साक्षरता दर बहुत कम होती है, जिससे इनमें आधुनिक शिक्षा और तकनीकी ज्ञान का अभाव देखा जा सकता है।
- इन जनजातियों की निर्भरता प्राकृतिक संसाधनों पर अधिक रहती है।
- इन समूहों के लोग समाज की मुख्यधारा से अलग-थलग रहते हैं, साथ ही ये समूह अपने पारंपरिक रीति-रिवाजों, संस्कृतियों और जीवनशैली का पालन करते हैं।
- PVTG क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की भारी कमी होती है। इसी कारण से इन समूहों में कुपोषण, संक्रामक रोग और उचित चिकित्सा के अभाव में मृत्यु दर अधिक देखी जाती है।
PVTG से जुड़ी चुनौतियाँ
PVTG से जुड़ी चुनौतियाँ (Challenges related to PVTG in Hindi) निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से आसानी से समझी जा सकती हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं:
- PVTG से जुड़ी चुनौतियों में शिक्षा का अभाव एक बड़ी चुनौती के समान है, जिससे इन समूहों की साक्षरता दर अत्यंत कम होती है।
- आर्थिक पिछड़ापन भी इन समूहों के लिए एक बड़ी चुनौती के समान है। आधुनिक संसाधनों की कमी के कारण ये जनजातियाँ गरीबी में जीवन यापन करती हैं।
- पारंपरिक उपचार पद्धतियों पर निर्भर रहना और स्वास्थ्य सुविधाओं का आभाव होना भी इन समूहों के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में उभर कर आता है।
- आवास और भूमि अधिकार को इन समूहों के सामने आई किसी बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा सकता है, जिसमें भूमि अधिग्रहण और विस्थापन के कारण ये समुदाय संकट में आ जाता है।
- प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भरता के कारण ये समुदाय जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं, जो इनके जीवन में एक बड़ी चुनौती का स्वरुप लेता है।
- बाहरी प्रभावों के कारण अथवा मुख्यधारा में शामिल होने के कारण उनकी परंपरागत संस्कृति, भाषा और जीवनशैली खतरे में आ सकती है।
PVTG के संरक्षण के लिए सरकार की योजनाएँ
PVTG के संरक्षण के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों और योजनाओं के बारे में निम्नलिखित बिंदुओं में जानकारी दी गई है, जो इस प्रकार हैं:
- वर्ष 2014 में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) का विकास करने के लिए वनबंधु कल्याण योजना को शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य आदिवासी समाज की सामाजिक आर्थिक स्थितियों में सुधार करना है।
- भारत सरकार की एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय योजना का उद्देश्य आदिवासी क्षेत्रों में आवासीय विद्यालयों की स्थापना के लिए धन उपलब्ध कराना है। इन विद्यालयों के माध्यम से आदिवासी समुदाय के बच्चों को कक्षा 6वीं से 12वीं तक की शिक्षा प्रदान की जाती है।
- वर्ष 1974 में जनजातीय उपयोजना (टीएसपी) को पहली बार पांचवीं पंचवर्षीय योजना के हिस्से के रूप में लाया गया था, इसका उद्देश्य एसटी के कल्याण के लिए बजट का एक निश्चित प्रतिशत तय करना था।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत जनजातीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने पर बल दिया गया था।
- जनजातीय उत्पादों के विपणन और बिक्री के लिए सहायता प्रदान करने के लिए TRIFED ने एक अहम भूमिका निभाई थी।
- वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत वन क्षेत्रों में रहने वाले जनजातीय समूहों को भूमि अधिकार प्रदान किया गया।
PVTG के भारत में प्रजनन के अधिकार
पीवीजीटी के भारत में प्रजनन के अधिकार कुछ इस प्रकार है:
- भारत सरकार ने इन समूहों को विशेष आउटरीच सेवाएं प्रदान की हैं, जिनके तहत सुदूर और दुर्गम क्षेत्रों में पीवीटीजी को प्रजनन स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान की जाती है।
- भारत सरकार द्वारा पीवीटीजी को शिक्षित करने के लिए कई जागरूकता अभियान जैसे – प्रजनन स्वास्थ्य, परिवार नियोजन, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य शुरू किए गए हैं। इन अभियानों का उद्देश्य जागरूकता पैदा करना है।
- पीवीटीजी को वित्तीय सहायता प्रदान करने से भारत सरकार इन समूहों की पहुंच को प्रजनन स्वास्थ्य सेवाएँ, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाएँ आदि के लिए सरल और सक्षम बनाएगी।
- नये स्वास्थ्य केन्द्र स्थापित करने, चिकित्सा स्टाफ की उपलब्धता में सुधार करने और आवश्यक औषधियों एवं उपकरणों की उपलब्धता को सुनिश्चित करने से पीवीटीजी के स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जा सकता है।
- निर्णय लेने वाले निकायों में भारत सरकार द्वारा पीवीटीजी का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए भी आवश्यक कदम उठाए गए हैं। इसके साथ ही इन समूहों के लिए प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल से संबंधित समितियाँ भी गठित की जाती हैं।
PVTG की केस स्टडी
भारत में PVTG की केस स्टडी (Case Study of PVTG in Hindi) कुछ इस प्रकार है:
- बैगा जनजाति:
- बैगा जनजाति विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) में शामिल है।
- “बैगा” का अर्थ होता है जादूगर।
- बैगा जनजाति खुद को जंगल का रक्षक मानती है और प्रकृति के साथ सामंजस्य बना कर जीवन जीती है।
- यह जनजाति मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ में निवास करती है।
- बैगा लोग झूम खेती (बेवर खेती) पर निर्भर रहते हैं।
- पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में जड़ी-बूटियाँ और प्राकृतिक उपचारों का उपयोग करते हैं।
- बैगा जनजाति को “जंगल का डॉक्टर” भी कहा जाता है।
- जारवा जनजाति:
- जारवा जनजाति भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में बसी हुई है।
- यह विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) में शामिल है।
- जारवा जनजाति का जीवन पूरी तरह से शिकारी-संग्राहक शैली में आधारित है, और वे जंगलों से शिकार और प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर रहते हैं।
- जारवा जनजाति की अपनी विशिष्ट भाषा है, जिसका कोई लिखित रूप नहीं है।
- बिहोर जनजाति:
- बिहोर जनजाति भी PVTG में शामिल है और यह मुख्य रूप से झारखंड में निवास करती है।
- बिहोर जनजाति के लोग पलामू, गढ़वा, लातेहार और अन्य जिलों में रहते हैं।
- इनका जीवन जंगलों और प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर होता है।
- बिहोर जनजाति बाँस के उत्पाद जैसे टोकरी, सूपा, चटाई आदि बनाकर अपनी आजीविका चलाती है।
- यह जनजाति जंगलों से लकड़ी और अन्य संसाधन एकत्र करके स्थानीय बाजारों में बेचती है।
UPSC के लिए PVTG से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु
UPSC के लिए PVTG से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु (PVTG UPSC in Hindi) कुछ इस प्रकार हैं:
- UPSC परीक्षा में पीवीटीजी (Particularly Vulnerable Tribal Groups) की परिभाषा और उनके महत्व के बारे में प्रश्न पूछे जाते हैं।
- UPSC प्रीलिम्स परीक्षा में PVTG से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों और उनकी विशेषताओं के बारे में सवाल हो सकते हैं।
- सामाजिक-आर्थिक विकास में पीवीटीजी का योगदान और इनके संरक्षण के उपायों से जुड़े प्रश्न UPSC परीक्षा में आमतौर पर पूछे जाते हैं।
- UPSC मेन्स के लिए PVTG के संरक्षण के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का मूल्यांकन और विश्लेषण किया जा सकता है।
- UPSC परीक्षा में PVTG पर सामान्य अध्ययन (GS Paper-I) और निबंध (Essay) में प्रश्न पूछे जाते हैं।
- इन जनजातीय समूहों के बारे में केस स्टडी और निबंध लेखन से जुड़े सवाल भी परीक्षा में आ सकते हैं।
FAQs
पीवीटीजी का मतलब है विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह, जिन्हें समाज में सबसे पिछड़ा और सशक्तिकरण की आवश्यकता होती है।
PVTG का पूरा रूप है Particularly Vulnerable Tribal Groups, जो भारत के सबसे कमजोर और पिछड़े जनजातीय समूहों का समूह है।
UPSC के सामान्य अध्ययन (GS Paper-I) और निबंध में पीवीटीजी से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं, जो समाज, जनजातीय संस्कृति और सरकारी नीतियों से जुड़े होते हैं।
भारत सरकार ने PVTG विकास योजना के तहत विशेष निधि और योजनाएँ शुरू की हैं, जिनका उद्देश्य इन जनजातियों की शिक्षा, स्वास्थ्य, और आजीविका में सुधार करना है।
अनुसूचित जनजाति (ST) की सूची संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत तैयार की गई है, जबकि PVTG, ST के अंदर एक उप-श्रेणी है, जिसमें सबसे कमजोर और पिछड़ी जनजातियाँ शामिल हैं।
भारत में ओडिशा राज्य में PVTG की सबसे अधिक संख्या पाई जाती है।
PVTG का मुख्य उद्देश्य इन जनजातियों को सामाजिक-आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और उनके जीवन स्तर को सुधारना है।
भारत में PVTG के लिए कई योजनाएँ लागू की जाती हैं, जैसे:
1. विकासात्मक योजनाएँ (पारंपरिक कौशल विकास, स्वास्थ्य और शिक्षा)
2. वन अधिकार अधिनियम 2006
3. राष्ट्रीय आदिवासी स्वास्थ्य योजना
4. एकीकृत जनजातीय विकास परियोजना (ITDP)
भारत में 75 जनजातीय समूहों को PVTG के रूप में चिन्हित किया गया है।
PVTG को पहली बार 1973 में चिन्हित किया गया। इसका उद्देश्य अत्यंत कमजोर और पिछड़ी जनजातियों को विशेष सरकारी योजनाओं और सहायता के माध्यम से विकास की मुख्यधारा में लाना था।
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