UPSC Chemistry Syllabus in Hindi: जानिए UPSC वैकल्पिक विषय केमिस्ट्री का संपूर्ण सिलेबस, एग्जाम पैटर्न, बेस्ट बुक्स

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UPSC Chemistry Syllabus in Hindi

UPSC परीक्षा तीन भागों में कंडक्ट की जाती है जिसे प्रिमिल्स, मेंस और इंटरव्यू में विभाजित किया गया हैं। UPSC सिविल सर्विस के प्रिलिम्स परीक्षा को पास करने के बाद कैंडिडेट्स को मेंस एग्जाम को भी क्लियर करना अनिवार्य होता है। UPSC मेंस परीक्षा में कैंडिडेट्स को 48 वैकल्पिक विषयों में से किसी एक विषय को चुनने का विकल्प मिलता हैं। जिसमें एक प्रमुख वैकल्पिक विषय केमिस्ट्री का भी माना जाता है। 

UPSC मेंस में केमिस्ट्री वैकल्पिक विषय की तैयारी करने के लिए कैंडिडेट्स को उसके कंप्लीट सिलेबस की जानकारी जरूर होनी चाहिए। यहां UPSC Chemistry Syllabus in Hindi का कंप्लीट सिलेबस दिया जा रहा है। जिसके माध्यम से आप अपनी परीक्षा की तैयारी और बेहतर तरीके से कर पाएंगे। 

UPSC क्या है?

संघ लोक सेवा आयोग जिसे इंग्लिश में ‘यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन’ (UPSC) के नाम से भी जाना जाता है। यह भारतीय कॉन्स्टिटूशन द्वारा स्थापित एक कोंस्टीटूशनल बॉडी है, जो भारत सरकार के लोकसेवा के पदाधिकारियों की रिक्रूटमेंट के लिए एग्जाम कंडक्ट करता है। भारतीय कॉन्स्टिटूशन के भाग-14 के अंतर्गत अनुच्छेद 315-323 में एक यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन और राज्यों के लिए ‘स्टेट पब्लिक सर्विस कमीशन’ (SPSC) के गठन का प्रोविशन है। जिसके माध्यम से देश सबसे कठिन एग्जाम माने जाने वाले UPSC के माध्यम से देश के प्रमुख पदाधिकारियों की रिक्रूटमेंट की जाती है। जिसमें IAS, IPS, IFS, IRS और ITS जैसी अन्य पोस्ट शामिल होती हैं। 

UPSC वैकल्पिक विषय केमिस्ट्री का सिलेबस क्या है?

यहां UPSC Chemistry Syllabus in Hindi के मेंस वैकल्पिक विषय की कंप्लीट जानकारी दी जा रही है, जिन्हें आप नीचे दिए गए बिंदुओं में देख सकते हैं:-

UPSC Chemistry Optional Syllabus in Hindi  पेपर -1 

  1. परमाणु संरचना: 

क्वांटम सिद्धांत , हाइगेन वर्ग का अनिश्चितता सिद्धांत , श्रोडिंगर तरंग समीकरण (काल अनाश्रित , तरंग फलन की व्याख्या , एकल विमीय बॉक्स में कण , क्वांटम संख्याएं , हाइड्रोजन परमाणु तरंग फलन। S, P और D कक्षकों की आकृति।

  1. रसायन आबंध: 

आयनी आबंध , आयनी यौगिकों के अभिलक्षण, जालक ऊर्जा , बार्नहैबर चक्र ; सहसंयोजक आबंध तथा इसके सामान्य अभिलक्षण। अणुओं में आबंध की ध्रुवणता तथा उसके द्विध्रुव अघूर्ण। संयोजी आबंध सिद्धांत, अनुनाद तथा अनुनाद ऊर्जा की अवधारणा। अणु कक्षक सिद्धांत (LCAO पद्धति) ; H2+ , H2, He2 + से Ne2 , NO , CO, HF , एवं CN। संयोजी आबंध तथा अणुकक्षक सिद्धांतों की तुलना , आबंध कोटि , आबंध सामर्थ्य तथा आबंध लंबाई।

  1. ठोस अवस्था: 

क्रिस्टल पद्धति, क्रिस्टल फलकों , जालक संरचनाओं तथा यूनित सेल का स्पष्ट उल्लेख। ब्रेग का नियम , क्रिस्टल द्वारा X – रे विवर्तन ; क्लोज पैकिंग (ससंकुलित रचना) , अर्धव्यास अनुपात नियम, सीमांत अर्धव्यास अनुपात मानों के आकलन। NaCl , ZnS, CsCl एवं CaF2 की संरचना। स्टाइकियोमीट्रिक तथा नॉन – स्टाइकियोमीट्रीक दोष, अशुद्धता दोष, अर्द्धचालक।

  1. गैस अवस्था एवं परिवहन परिघटना: 

वास्तविक गैसों की अवस्था का समीकरण, अंतराअणुक पारस्परिक क्रिया, गैसों का द्रवीकरण तथा क्रांतिक घटना, मैक्सवेल का गति वितरण, अंतराणुक संघट्‌ट, दीवार पर संघट्‌ट तथा अभिस्पंदन, ऊष्मा चालकता एवं आदर्श गैसों की श्यानता।

  1. द्रव अवस्था: 

केल्विन समीकरण, पृष्ठ तनाव एवं पृष्ठ ऊर्जा, आर्द्रक एवं संस्पर्श कोण, अंतरापृष्टीय तनाव एवं कोशिका क्रिया।

  1. ऊष्मागतिकी: 

कार्य, ऊष्मा तथा आंतरिक ऊर्जा; ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम, ऊष्मा गतिकी का दूसरा नियम, एंट्रापी एक अवस्था फलन के रुप में विभिन्न प्रक्रमों में एंट्रापी परिवर्तन, एंट्रापी उत्क्रमणीयता तथा अनुत्क्रमणीयता, मुक्त ऊर्जा फलन, अवस्था का ऊष्मागतिकी समीकरण, मैक्सवेल संबंध; ताप; आयतन एवं U,H,A,G,Cp एवं Cv,α एवं β की दाब निर्भरता; J-T प्रभाव एवं व्युक्रमण ताप; साम्य के लिये निकष, साम्य स्थिरांक तथा ऊष्मागतिकीय राशियों के बीच संबंध, नेन्सर्ट ऊष्मा प्रमेय तथा ऊष्मागतिकी का तीसरा नियम।

  1. प्रावस्था साम्य तथा विलयन: 

क्लासियस – क्लोरिपन समीकरण , शुद्ध पदार्थों के लिये प्रावस्था आरेख ,द्विआधारी पद्धति में प्रावस्था साम्य , आंशिक मिश्रणीय द्रव – उच्चतर तथा निम्नतर क्रांतिक विलयन ताप ; आंशिक मोलर राशियां, उनका महत्व तथा निर्धारण ; आधिक्य ऊष्मागतिकी फलन और उनका निर्धारण।

  1. विद्युत रसायन: 

प्रबल विद्युत अपघट्यों का डेबाई हुकेल सिद्धांत एवं विभिन्न साम्य तथा अधिगमन गुणधर्मों के लिए डेबाई हुकेल सीमांत नियम। गैल्वेनिक सेल ,सांद्रता सेल ; इलेक्ट्रोकेमिकल सीरीज , सेलों के emf का मापन और उसका अनुप्रयोग ; ईंधन सेल तथा बैटरियां। इलेक्ट्रोड पर प्रक्रम ; अंतरापृष्ठ पर द्विस्तर ; चार्ज ट्रांस्फर की दर , विद्युत धारा घनत्व ; अतिविभव ; वैद्युत विश्लेषण तकनीक ; पोलरोग्राफी, एंपरोमिति, आयन वरणात्मक इलेक्ट्रोड एवं उनके उपयोग।

  1. रासायनिक बलगतिकी: 

अभिक्रिया दर की सांद्रता पर निर्भरता , शून्य , प्रथम , द्वितीय तथा आंशिक कोटि की अभिक्रियाओं के लिए अवकल। और समाकल दर समीकरण ; उत्क्रम , समान्तर , क्रमागत तथा श्रृंखला अभिक्रियाओं के दर समीकरण , शाखन श्रृंखला एवं विस्फोट ; दर स्थिरांक पर ताप और दाब का प्रभाव। स्टॉप – फ्लो और रिलेक्सेशन पद्धतियों द्वारा द्रुत अभिक्रियाओं का अध्ययन। संघटन और संक्रमण अवस्था सिद्धांत।

  1. प्रकाश रसायन: 

प्रकाश का अवशोषण; विभिन्न मार्गों द्वारा उत्तेजित अवस्था का अवसान; हाइड्रोजन और हैलोजन के मध्य प्रकाश रसायन अभिक्रिया और उनकी क्वांटमी लब्धि।

  1. पृष्ठीय परिघटना तथा उत्प्रेरकता: 

ठोस अधिशोषकों पर गैसों और विलयनों का अधिशोषण, लैंगम्यूर तथा BET अधिशोषण रेखा; पृष्ठीय क्षेत्रफल का निर्धारण; विषमांगी उत्प्रेरकों पर अभिक्रिया, अभिलक्षण और क्रियाविधि।

  1. जैव अकार्बनिक रसायन: 

जैविक तंत्रों में धातु आयन। तथा भित्ति के पार आयन गमन (आण्विक क्रियाविधि); ऑक्सीजन अपटेक प्रोटीन, साइटोक्रोम तथा फेरोडेक्सिन।

  1.  समन्वय रसायन :

(क) धातु संकुल के आबंध सिद्धांत, संयोजकता आबंध सिद्धांत, क्रिस्टल फील्ड सिद्धांत और उसमें संशोधन, धातु संकुल के चुंबकीय तथा इलेक्ट्रानिक स्पेक्ट्रम कर व्याख्या में सिद्धांतों का अनुप्रयोग।

(ख) समन्वयी यौगिकों में आइसोमेरिज्म। समन्वयी यौगिकों का UPAC नामकरण ; 4 तथा 6 समायोजन वाले संकुलों त्रिविम रसायन, किलेट प्रभाव तथा बहुनाभिकीय संकुलन; परा- प्रभाव और उसके सिद्धांत; वर्ग समतली संकुल में प्रतिस्थापनिक अभिक्रियाओं की बलगतिकी; संकुलों की तापगतिकी तथा बलगतिकी स्थिरता।

(ग) मैटल कार्बोनिलों की संश्लेषण संरचना तथा उनकी अभिक्रियात्मकता; कार्बोक्सिलेट एनॉयन, कार्बोनिल हाइड्राइड तथा मेटल नाइट्रोसील यौगिक।

(घ) एरोमैटिक प्रणाली के संकुलों, मैटल ओलेफिन संकुलों में संश्लेषण, संरचना तथा बंध, एल्काइन तथा सायक्लोपेंटाडायनिक संकुल, समन्वयी असंतृप्तता, आक्सीडेटिव योगात्मक अभिक्रियाएँ, निवेशन अभिक्रियाएँ प्रवाही अणु और उनका अभिलक्षण, मैटल – मैटल आबंध तथा मैटल परमाणु गुच्छे वाले यौगिक।

  1. मुख्य समूह रसायनिकी: 

बोरेन, बोराजाइन, फास्फेजीन एवं चक्रीय फास्फेजीन, सिलिकेट एवं सिलिकॉन, इंटरहैलोजन यौगिक; गंधक – नाइट्रोजन यौगिक, नॉबेल गैस यौगिक।

  1.  F ब्लॉक तत्वों का सामान्य रसायन: 

लैन्थेनाइड एवं एक्टिनाइड; पृथक्करण, आक्सीकरण अवस्थाएँ, चुंबकीय तथा स्पेक्ट्रमी गुणधर्म; लैन्थेनाइड संकुचन।

UPSC Chemistry Optional Syllabus in Hindi पेपर – 2

  1. विस्थापित सहसंयोजन बंध: 

एरोमैटिकता, प्रतिएरोमैटिकता; एन्यूलीन, एजुलीन, ट्रोपोलोन्स, फुल्वीन, सिडैनोन। 

  1. (क) अभिक्रिया क्रियाविधि: 

कार्बनिक अभिक्रियाओं की क्रियाविधिओं के अध्ययन की सामान विधियाँ (गतिक एवं गैर -गतिक दोनों), समस्थानिक विधि, क्रास- ओवर प्रयोग, मध्यवर्ती ट्रेपिंग, त्रिविम रसायन, सक्रियण ऊर्जा, अभिक्रियाओं का ऊष्मागतिकी नियंत्रण तथा गतिक नियंत्रण।

(ख) अभिक्रियाशील मध्यवर्ती : कार्बोनिक आयनों तथा कार्बेनायनों, मुक्त मूलकों (फ्री रेडिकल) कार्बीनों बेंजाइनों नाइट्रेनों का उत्पादन, ज्यामिति स्थिरता तथा अभिक्रिया।

(ग) प्रतिस्थापित अभिक्रियाएं ; SN1 , SN2 , एवं SNi क्रियाविधियाँ प्रतिवेशी समूह भागीदारी, पाइसेल , फ्यूरन , थियोफिन , इंडोन जैसे हेट्रोइक्लिक यौगिकों सहित ऐरोमैटिक यौगिकों की इलेक्ट्रोफिलिक तथा न्यूक्योफिलिक अभिक्रियाएँ।

(घ) विलोपन अभिक्रियाएँ : E1 ,E2, तथा Elcb क्रियाविधियाँ; सेजैफ तथा हॉफमन E2 अभिक्रियाओं में दिक्विन्यास , पाइरोलिटिक SyN विलोपन – चुग्गीव तथा कोप विलोपन।

(ङ) संकलन अभिक्रियाएँ : C=C तथा C=C के लिए इलेक्ट्रोफिलिक संकलन , C=C तथा C=N के लिए न्यूक्लियोफिलिक संकलन , संयुग्मी ओलिफिल्स तथा कार्बोजिल्स।

  1. परिरंभीय अभिक्रियाएँ; 

वर्गीकरण एवं उदाहरण, वुडवर्ड – हॉफमैन नियम – विद्युतचक्रीय अभिक्रियाएँ, चक्री संकलन अभिक्रियाएँ (2+2 एवं 4+2) एवं सिग्मा – अनुवर्तनी विस्थापन (1, 3 ; 3, 3 तथा 1,5) FMO उपागम।

  1. (1) बहुलकों का निर्माण और गुणधर्म: 

कार्बनिक बहुलक – पोलिएथिलीन, पोलिस्टाइरीन, पोलीविनाइल क्लोराइड , टेफलॉन, नाइलॉन, टेरीलीन, संश्लिष्ट तथा प्राकृतिक रबड़।
(2) जैव बहुलक : प्रोटीन , DNA , RNA की संरचनाएँ।

  1.  अभिकारकों सांश्लेषिक उपयोग: 

O5, O4, HIO4 , CrO3, Pb (OAc)4 SeO2 NBS , B2H6 , Na द्रव अमोनिया, LiAlH4 NabH4 , n-Buli एवं MCPBA. 

  1. प्रकाश रसायन: 

साधारण कार्बनिक यौगिकों की प्रकाश रासायनिक अभिक्रियाएँ, उत्तेजित और निम्नतम अवस्थाएँ, एकक और त्रिक अवस्थाएँ, नारिश टाइप -1 और टाइप -2 अभिक्रियाएँ।

  1. स्पेक्ट्रोमिकी सिद्धांत और संरचना के स्पष्टीकरण में उनका अनुप्रयोग।

(क) घूर्णी – द्विपरमाणुक अणु , समस्थनिक प्रतिस्थापन तथा घूर्णी स्थिरांक।

(ख) कांपनिक -द्विपरमाणु अणु , रैखिक त्रिपरमाणुक अणु बहुपरमाणुक अणुओं में क्रियात्मक समूहों की विशिष्ट आवृत्तियाँ।

(ग) इलेक्ट्रानिक :एकक और त्रिक अवस्थाएं : n 11 * तथा 11-11 *संक्रमण, संयुग्मित द्विआबंध तथा संयुग्मित कारबोनिकल में अनुप्रयोग – वुड्वर्ड – फीशर नियम; चार्ज अंतावरण स्पेक्ट्रा।

(घ) नाभिकीय चुम्बकीय अनुनाद (1H NMR): आधारभूत सिद्धांत ; रासायनिक शिफ्ट एवं स्पिन – स्पिन अन्योन्य क्रिया एवं कपलिंग स्थिरांक।

(ङ) द्रव्यमान स्पेक्ट्रोमिति : पैरेंट पीक , बेसपीक , मेटास्टेगल पीक , मैक। लैफर्टी पुनर्विन्यास।

UPSC केमिस्ट्री सिलेबस की PDF 

यहां UPSC केमिस्ट्री मेंस वैकल्पिक विषय के सिलेबस की यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन की ऑफिशियल सिलेबस की PDF दी जा रही है। जिसे आप आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं:-

यहां से करे डाउनलोड – UPSC सिलेबस PDF डाउनलोड लिंक

UPSC केमिस्ट्री विषय की तैयारी के लिए बेस्ट बुक्स 

यहां UPSC केमिस्ट्री मेंस वैकल्पिक विषय की तैयारी कर रहे कैंडिडेट्स के लिए बेस्ट बुक्स की सूची नीचे दी गई टेबल में दी जा रही है। जिसके माध्यम से आप UPSC Chemistry Syllabus in Hindi की टॉपिक वाइज प्रिपरेशन कर सकते हैं:-

बुक्स ऑथर और पब्लिकेशन यहां से खरीदें 
Principles of physical chemistryPuri, Sharma and Pathaniaयहां से खरीदें 
An Introduction To ElectrochemistrySamuel Glasstoneयहां से खरीदें
Organic Chemistry Stanley H. Pineयहां से खरीदें
A Textbook of Physical ChemistryK L Kapoorयहां से खरीदें 
Advanced Physical Chemistry Gurdeep Rajयहां से खरीदें 
Reaction Mechanism in Organic Chemistry S.M. Mukherjee and S.P. Singhयहां से खरीदें 
Selected Topics in Inorganic ChemistryWahid U. Malik, G. D. Tuli and R. D. Madan’sयहां से खरीदें 
Principles of inorganic chemistryPuri, Sharma, and Kaliaयहां से खरीदें 
Principle of organic synthesis Norman and Coxonयहां से खरीदें 
Organic Chemistry Clayden, Nick Greeves, and S.Warrenयहां से खरीदें 

UPSC में कितने पेपर होते है?

UPSC परीक्षा को तीन मुख्य भागों में विभाजित किया गया है। जिसमें प्रिलिम्स परीक्षा, मेंस परीक्षा और इंटरव्यू शामिल होता हैं। प्रिलिम्स परीक्षा एक स्क्रीनिंग परीक्षा है जो कैंडिडेट्स को अगले चरण, यानी मेंस परीक्षा के लिए योग्य बनाती है। मेंस एग्जाम में पास होने वाले कैंडिडेट्स ही इंटरव्यू के लिए योग्य माने जाते हैं। 

  1. प्रिलिम्स परीक्षा
  2. मेंस परीक्षा
  3. इंटरव्यू 

UPSC परीक्षा का एग्जाम पैटर्न क्या है?

UPSC प्रिलिम्स सिविल सर्विस एग्जाम का स्क्रीनिंग चरण है जो हर साल यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) द्वारा कंडक्ट किया जाता है। इस चरण को मुख्यत प्रिलिम्स एग्जाम के नाम से जाना जाता है। यहां UPSC प्रिलिम्स एग्जाम के दोनों क्वेश्चन पेपर्स का एग्जाम पैटर्न नीचे दी गई टेबल में दिया जा रहा हैं:-

प्रिमिल्स एग्जाम – जनरल स्टडी 

क्वेश्चन की संख्या100
कुल मार्क्स 200 
एग्जाम टाइमिंग 2 घंटे
नेगेटिव मार्किंग एक तिहाई
एग्जाम टाइप ऑब्जेक्टिव टाइप

प्रिलिम्स एग्जाम – सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट (CSAT)

क्वेश्चन की संख्या80
कुल मार्क्स 200 
एग्जाम टाइमिंग 2 घंटे
नेगेटिव मार्किंग एक तिहाई
एग्जाम टाइप ऑब्जेक्टिव टाइप

नोट – कैंडिडेट्स को UPSC प्रिलिम्स एग्जाम के दोनों पेपर में सम्मिलित होना अनिवार्य होता हैं। यदि कोई कैंडिडेट UPSC के दोनों GS-1 और GS-2 पेपर में शामिल नहीं होता तो वह अयोग्य ठहराया जाएगा। UPSC प्रिलिम्स का का दूसरा पेपर सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट (CSAT) क्वालीफाइंग नेचर का होता है जिसमें पास होने के लिए  मिनिमस 33% मार्क्स होने अनिवार्य होते है। 

UPSC मेंस एग्जाम

विषय कुल मार्क्स 
पेपर A: अनिवार्य भारतीय भाषा 300 
पेपर B: इंग्लिश  300 
पेपर I: निबंध250 
पेपर II: सामान्य अध्ययन – I250 
पेपर III: सामान्य अध्ययन – II250 
पेपर IV: सामान्य अध्ययन – III250 
पेपर V: सामान्य अध्ययन – IV250 
पेपर VI: वैकल्पिक – I250 
पेपर VII: वैकल्पिक – II250 

नोट: UPSC के दोनों एग्जाम में क्वालीफाई करने के बाद स्टूडेंट्स के मार्क्स के आधार पर मेरिट तैयार की जाती है। जिसके अनुसार टॉप रैंक प्राप्त करने वाले कैंडिडेट्स को इंटरव्यू के लिए आमंत्रित किया जाता हैं।  

UPSC के लिए योग्यता क्या है?

UPSC परीक्षा के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता ग्रेजुएशन होती है। UPSC के सिविल सर्विस एग्जाम में हिस्सा लेने के लिए कैंडिडेट को भारत के किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड से ग्रेजुएशन कंप्लीट करनी होगी। इसके साथ ही ग्रेजुएशन के तृतीय वर्ष यानी आखिरी वर्ष के स्टूडेंट्स भी UPSC की परीक्षा देने के लिए योग्य माने जाते हैं। 

UPSC एग्जाम के लिए आयु सीमा 

  • जनरल वर्ग और EWS : 21 से 32 वर्ष
  • विशेष पिछड़ा वर्ग यानी OBC : 21 से 35 वर्ष
  • अनुसूचित जाति / अनुसूचित जन जाति : 21 से 37 वर्ष
  • शारीरिक रूप से अक्षम : 21 से 42 वर्ष

FAQs

क्या यूपीएससी के लिए रसायन विज्ञान वैकल्पिक अच्छा है?

UPSC मेंस परीक्षा में कैंडिडेट्स को 48 वैकल्पिक विषयों में से किसी एक विषय को चुनने का विकल्प मिलता हैं। जिसमें एक प्रमुख वैकल्पिक विषय केमिस्ट्री का भी माना जाता है जोकि एक स्कोरिंग पेपर माना जाता हैं। 

यूपीएससी पास करने के लिए कुल कितने नंबर होने चाहिए?

UPSC प्रीलिम्स के लिए आपको 200 अंकों में से 120 अंकों को प्राप्त करना अनिवार्य है। जहाँ आपको प्रत्येक सवाल के सही आंसर के लिए 2 अंक और सवाल गलत हो जाने पर नेगेटिव मार्किंग के 0.66 अंक कट जाते हैं। इसी प्रकार आपको UPSC मेंस में पास होने के लिए आपको 1750 अंकों में से न्यूनतम 900 या 950 से अधिक अंक लाने ही होते हैं।

UPSC में कितने विषय हैं?

यूपीएससी में कुल नौ अनिवार्य विषय होते हैं। जिसमें सात पेपरों के अलावा, दो क्वालीफाइंग पेपर, पेपर-ए (भारतीय भाषा) और पेपर-बी (अंग्रेजी भाषा) का होता हैं। 

यूपीएससी पेपर 1 सिलेबस में क्या-क्या आता है?

इस परीक्षा के अंतर्गत सामान्य अध्ययन (भारतीय राज्यव्यवस्था, भूगोल, इतिहास, भारतीय अर्थव्यवस्था, विज्ञान एवं प्राद्यौगिकी, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकि, अंतराष्ट्रीय सम्बन्ध और करेंट अफेयर्स के प्रश्न पूछे जाते हैं।

उम्मीद है कि आपको UPSC Chemistry Optional Syllabus in Hindi ब्लाॅग में यूपीएससी केमिस्ट्री सिलेबस की पूरी जानकारी मिल गई होगी, जिससे आपको UPSC परीक्षा क्लियर करने में मदद मिलेगी। ऐसे ही UPSC से जुड़े ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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