Pongal Kab Hai 2025: भारत उत्सवों का देश है। भारत में अनेक त्यौहार मनाए जाते हैं। इन्हीं में से एक त्यौहार पोंगल भी है। पोंगल की शुरुआत हर साल 14 या 15 जनवरी को होती है। इस बार 14 जनवरी को पोंगल के चार दिवसीय पर्व का पहला दिन है। यह चार दिनों तक चलता है– भोगी, थाई पोंगल, मट्टू पोंगल और कानुम पोंगल। प्रत्येक में अद्वितीय अनुष्ठान होते हैं। पोंगल तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल में धूमधाम से मनाया जाता है। पोंगल को दक्षिण भारत के लोग नए साल के रूप में मनाया मनाते हैं। इस लेख में आपको पोंगल कब मनाया जाता है (Pongal Kab Hai) और पोंगल से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी बताई जा रही है।
Pongal Kab Hai | दिन | उत्सव का नाम | मुख्य गतिविधियां |
14 जनवरी 2025 | मंगलवार | भोगी पोंगल | पुराने वस्त्रों और चीज़ों का त्याग, सफाई अभियान, भोगी आग जलाना |
15 जनवरी 2025 | बुधवार | थाई पोंगल | सूर्य देवता की पूजा, पोंगल पकवान बनाना और अर्पण करना |
16 जनवरी 2025 | गुरुवार | मट्टू पोंगल | गायों और बैलों की पूजा, उन्हें सजाना और पारंपरिक खेल |
17 जनवरी 2025 | शुक्रवार | कनूम पोंगल | रिश्तेदारों से मिलना, पिकनिक और सामाजिक मिलन। |
पोंगल कब मनाया जाता है? (Pongal Kab Hai)
भगवान सूर्य और नए फसल को समर्पित पोंगल पर्व की शुरुआत इस साल 14 जनवरी से हो रही है। वहीं इसका समापन 17 जनवरी को होगा। बता दें कि दक्षिण भारत के विभिन्न राज्यों में पोंगल का त्योहार 4 दिन तक मनाया जाता है। इसमें पहले दिन यानी 14 जनवरी को भोगी पांडिगई, दूसरे दिन थाई पोंगल, तीसरे दिन मट्टू पोंगल और 17 जनवरी यानी चौथे दिन को कन्या पोंगल मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि पोंगल के दिन से ही तमिल नववर्ष की शुरुआत होती है।
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पोंगल क्यों मनाया जाता है?
सुख-समृद्धि का प्रतीक पोंगल का त्योहार मूल रूप से एक फसल कटाई का त्योहार है। इस पर्व को ‘धन्यवाद त्योहार’ भी माना जा सकता है क्योंकि इस समय लोग सूर्य देव और भगवान इंद्र को बेहतर उपज देने वाली फसल देने के लिए धन्यवाद करते हैं। लोग उनके सम्मान में घर के बाहर रंगोली बनाते हैं और खेत में उगी चीजों से सूर्यदेव को भोग लगाते है। साथ ही इस दौरान, लोग पुरानी चीजों को अस्वीकार कर नई चीजों का स्वागत करते हैं।
पोंगल का महत्व क्या है? (Significance of Pongal in Hindi)
पोंगल भारत के तमिलनाडु में एक महत्वपूर्ण फसल उत्सव है जो समृद्ध फसल के लिए प्रकृति, विशेष रूप से सूर्य देवता के प्रति आभार व्यक्त करता है। शुभ थाई महीने के दौरान मनाया जाने वाला यह त्यौहार सूर्य के मकर राशि (उत्तरायण) में संक्रमण का प्रतीक है जो लंबे दिनों और कृषि नवीनीकरण का संकेत देता है। यह त्यौहार किसानों, मवेशियों और मिट्टी की उर्वरता का सम्मान करता है, जो मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंधों पर जोर देता है। मीठा पकवान पोंगल तैयार करना और परिवार के साथ जश्न मनाना जैसे अनुष्ठान खुशी, समृद्धि और सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देते हैं, जो इसे एक प्रिय अवसर बनाता है।
पोंगल कैसे मनाया जाता है? (Pongal Celebration in Hindi)
पोंगल मनाने (Pongal Celebration in Hindi) के तरीके यहां बताए जा रहे हैं जिससे आप इस त्योहार की महत्वता आसानी से समझ सकेंगे-
- पोंगल का उत्सव चार दिन चलता है। पोंगल के पहले दिन पांडिगाई उत्सव मनाया जाता है। इस दिन घर की साफ सफाई की जाती है।
- पोंगल का दूसरा दिन थाई पोंगल के नाम से मनाया जाता है। इस दिन सूर्यदेव की पूजा की जाती है। इस दिन घर में पकवान भी बनाए जाते हैं।
- पोंगल के तीसरे दिन को मट्टू पोंगल के रूप में मनाया जाता है। इस दिन खेत में हल जोतने के काम में आने वाले पशुओं को सजाया जाता है।
- कन्या के चौथे और आखिरी दिन को कन्या पोंगल के नाम से जाना जाता है। इसे कुन्नुम की रस्म के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सूर्य भगवान को दूध, घी, चावल आदि से पकवानों का भोग लगाया जाता है।
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पोंगल पर 10 लाइन (10 Lines on Pongal in Hindi)
Pongal Kab Hai जानने के बाद यहां पोंगल पर 10 लाइन (10 Lines on Pongal in Hindi) दी जा रही हैं-
- पोंगल एक लोकप्रिय फसल उत्सव है जो मुख्य रूप से भारत के तमिलनाडु में मनाया जाता है।
- यह सूर्य के उत्तरी गोलार्ध में संक्रमण का प्रतीक है, जिसे उत्तरायण के रूप में जाना जाता है।
- पोंगल चार दिवसीय त्योहार है: भोगी, थाई पोंगल, मट्टू पोंगल और कानुम पोंगल।
- पारंपरिक पकवान पोंगल को नए कटे हुए चावल, गुड़ और दूध से तैयार किया जाता है।
- भोगी में घरों की सफाई करना और नई शुरुआत का स्वागत करने के लिए पुरानी वस्तुओं को जलाना शामिल है।
- थाई पोंगल भरपूर फसल के लिए आभार व्यक्त करने के लिए सूर्य देवता को समर्पित है।
- मट्टू पोंगल में खेती के लिए आवश्यक मवेशियों को सजाकर और उनकी पूजा करके उनका सम्मान किया जाता है।
- कानुम पोंगल पर परिवार मिलते हैं, उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं और सैर-सपाटे का आनंद लेते हैं।
- यह त्योहार समुदायों में समृद्धि, खुशी और एकता का प्रतीक है।
- पोंगल तमिलनाडु की सांस्कृतिक और कृषि विरासत को दर्शाता है।
FAQs
पोंगल में सूर्य भगवान की पूजा की जाती है। इस के अलावा खेतिहर मवेशियों, इंद्रदेव, कृषि से संबंधी वस्तुओं की पूजा की जाती है।
तमिल में पोंगल का अर्थ होता है उबालना, इस दिन सुख-समृद्धि की कामना से चावल और गुड़ को उबालकर प्रसाद बनाया जाता है और फिर इसे सूर्यदेव को अर्पित किया जाता है, इसे ही पोंगल कहते हैं।
पोंगल तमिलनाडु में मनाया जाने वाला चार दिवसीय फसल उत्सव है, जिसमें भरपूर फसल के लिए प्रकृति, खास तौर पर सूर्य देव को धन्यवाद दिया जाता है।
इस त्योहार में भोगी (घर की सफाई), थाई पोंगल (सूर्य पूजा), मट्टू पोंगल (पशु उत्सव) और कानुम पोंगल (पारिवारिक समारोह) शामिल हैं।
यह जनवरी के मध्य में मनाया जाता है, आमतौर पर 14 से 17 जनवरी तक, जो तमिल महीने थाई को दर्शाता है।
यह प्रकृति के प्रति आभार, कृषि समृद्धि और सूर्य की उत्तर दिशा की यात्रा (उत्तरायण) का प्रतीक है।
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