Poem on Paryavaran : पर्यावरण पर कविताएं, जो आपको प्रकृति के प्रति समर्पित रहना सिखाएंगी

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Poem on Paryavaran in Hindi

पर्यावरण पर कविताएं पढ़कर आपको पर्यावरण के महत्व और हमारे जीवन में इसकी भूमिका के बारे में पता लगेगा। पर्यावरण का महत्व जानकर आप प्रकृति के कण-कण के प्रति स्वयं को समर्पित कर सकते हैं। आने वाली को पर्यावरण के महत्व के बारे में जागरूक करने और पर्यावरण की रक्षा के लिए समाज को प्रेरित करने के उद्देश्य से हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस ब्लॉग में आप पर्यावरण संरक्षण पर कविता पढ़ने के साथ-साथ, इसके महत्व को ही जान पाएंगे। पर्यावरण पर कविताएं आपको प्रकृति का सम्मान और संरक्षण करने के लिए हमेशा प्रेरित करेंगी। इस ब्लॉग के माध्यम से आप Poem on Paryavaran in Hindi पढ़ पाएंगे, जो प्रकृति के प्रति समर्पित रहना सिखाएंगी।

पर्यावरण पर कविताएं

लोकप्रिय कवियों द्वारा लिखित प्रकृति के सौंदर्य की अनुभूति करवाने वाली पर्यावरण पर कविताएं (Poem on Paryavaran in Hindi) नीचे दी गई हैं जिसका उद्देश्य प्रकृति के विषय पर आपके दृष्टिकोण को व्यापक स्वरुप देना है।

कविता का नामकवि का नाम
वृक्षरामधारी सिंह ‘दिनकर’
एक नदी की बात सुनीगुलज़ार
नदीकेदारनाथ सिंह
एक वृक्ष भी बचा रहेनरेश सक्सेना
वृक्ष लगाकर इस धरती को, आओ स्वर्ग बनाएंमनोज जैन ‘मधुर’
दरख़्त की दास्ताँमयंक विश्नोई
पहाड़ों की पुकारमयंक विश्नोई

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वृक्ष

Poem on Paryavaran in Hindi की श्रेणी में सबसे पहले हैं राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा “वृक्ष” पर लिखित कविता जो इस प्रकार हैं:

पहली पंक्ति लिखी विधि ने जिस दिन कविता की,
उस दिन पहला वृक्ष स्वयं उत्पन्न हो गया।
प्रथम काव्य है वृक्ष विश्व के पहले कवि का।

द्रुमों को प्यार करता हूँ।
प्रकृति के पुत्र ये
मां पर सभी कुछ छोड़ देते हैं,
न अपनी ओर से कुछ भी कभी कहते।
प्रकृति जिस भांति रखना चाहती
उस भांति ये रहते।
-रामधारी सिंह ‘दिनकर’

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एक नदी की बात सुनी

Poem on Paryavaran in Hindi की श्रेणी में आपको गुलज़ार साहब की लोकप्रिय रचना “एक नदी की बात सुनी” पर कविता पढ़ने का अवसर प्राप्त होगा। यह कविता कुछ इस प्रकार हैं:

एक नदी की बात सुनी...
इक शायर से पूछ रही थी
रोज़ किनारे दोनों हाथ पकड़ कर मेरे
सीधी राह चलाते हैं
रोज़ ही तो मैं
नाव भर कर, पीठ पे लेकर
कितने लोग हैं पार उतार कर आती हूँ ।

रोज़ मेरे सीने पे लहरें
नाबालिग़ बच्चों के जैसे
कुछ-कुछ लिखी रहती हैं।

क्या ऐसा हो सकता है जब
कुछ भी न हो
कुछ भी नहीं...
और मैं अपनी तह से पीठ लगा के इक शब रुकी रहूँ
बस ठहरी रहूँ
और कुछ भी न हो !
जैसे कविता कह लेने के बाद पड़ी रह जाती है,
मैं पड़ी रहूँ...!
-गुलज़ार

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नदी

Poem on Paryavaran in Hindi की श्रेणी में दूसरी कविता है लोकप्रिय कवि केदारनाथ सिंह की लोकप्रिय रचना “नदी” पर कविता जो इस प्रकार हैं:

अगर धीरे चलो
वह तुम्हे छू लेगी
दौड़ो तो छूट जाएगी नदी
अगर ले लो साथ
वह चलती चली जाएगी कहीं भी
यहाँ तक- कि कबाड़ी की दुकान तक भी
छोड़ दो
तो वही अंधेरे में
करोड़ों तारों की आँख बचाकर
वह चुपके से रच लेगी
एक समूची दुनिया
एक छोटे से घोंघे में

सच्चाई यह है
कि तुम कहीं भी रहो
तुम्हें वर्ष के सबसे कठिन दिनों में भी
प्यार करती है एक नदी
नदी जो इस समय नहीं है इस घर में
पर होगी ज़रूर कहीं न कहीं
किसी चटाई
या फूलदान के नीचे
चुपचाप बहती हुई

कभी सुनना
जब सारा शहर सो जाए
तो किवाड़ों पर कान लगा
धीरे-धीरे सुनना
कहीं आसपास
एक मादा घड़ियाल की कराह की तरह
सुनाई देगी नदी!

-केदारनाथ सिंह

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एक वृक्ष भी बचा रहे

Poem on Paryavaran in Hindi की श्रेणी में आपको कवि नरेश सक्सेना की लोकप्रिय रचना “एक वृक्ष भी बचा रहे” पर कविता पढ़ने का अवसर प्राप्त होगा। यह कविता कुछ इस प्रकार है:

अंतिम समय जब कोई नहीं जाएगा साथ
एक वृक्ष जाएगा
अपनी गौरैयों-गिलहरियों से बिछुड़कर
साथ जाएगा एक वृक्ष
अग्नि में प्रवेश करेगा वही मुझ से पहले

'कितनी लकड़ी लगेगी'
शमशान की टालवाला पूछेगा
ग़रीब से ग़रीब भी सात मन तो लेता ही है

लिखता हूँ अंतिम इच्छाओं में
कि बिजली के दाहघर में हो मेरा संस्कार
ताकि मेरे बाद
एक बेटे और एक बेटी के साथ
एक वृक्ष भी बचा रहे संसार में

-नरेश सक्सेना

वृक्ष लगाकर इस धरती को, आओ स्वर्ग बनाएं

Poem on Paryavaran in Hindi आपको एक नया दृष्टिकोण देंगी, रामविलास शर्मा की लोकप्रिय कविताओं में से एक कविता “कवि” है, जो कुछ इस प्रकार हैं:

वृक्ष लगाकर इस धरती को
आओ स्वर्ग बनाएं

हरा भरा सोना है जंगल
इसे न हरगिज काटें
कॉेक्रीट का जाल बिछाकर
नहीं धरा को पाटें
ये तो शिव का वह स्वरूप जो
हरते सदा अमंगल
स्वच्छ हवा और वर्षा का जल
देते हमको जंगल
करते जो खिलवाड़ प्रकृति से
उनको सबक सिखाएँ

नदियाँ, ताल, नहर, बाँधों को
मिलकर स्वच्छ बनाना
जल है प्राणाधार हमारा
मिलकर इसे बचाना
रहे प्रदूषण मुक्त धरा यह
और गगन यह अपना
रोग रहित जीवन जीने का
बीड़ा चलो उठाएं

समझें मित्र प्रकृति को अपना
इसका रूप मनोहर
आने वाली नस्लों की है
पर्यावरण धरोहर
जल में, थल में, नभ में देखें
कई जीव हैं ऐसे
संख्या बल में बहुत विरल हैं
या विलुप्त हैं जैसे
होत हुए विलुप्त प्राणियों
का जीवन सरसाएं

-मनोज जैन 'मधुर'

दरख़्त की दास्ताँ

Poem on Paryavaran in Hindi की श्रेणी में आपको स्वलिखित रचना “दरख़्त की दास्ताँ” पर कविता पढ़ने का अवसर प्राप्त होगा। यह कविता कुछ इस प्रकार है:

“कई किस्सों को खुद में समेटे हुए
कई एहसास खुद से लपेटे हुए
खड़ें हैं एक लंबे अर्से से,
वो शांत कहीं-एकांत कहीं

कई पीढ़ियों को पाला है
कई मौसम में खुद को ढाला है
फक़्त ख़ामोशी के सहन में है
इनकी आवाज़ कहीं-इनके रिवाज़ कहीं

ज़माने को बदलते देखा है
मौसमों की सियासत देखी है
ऐसा नहीं है कि ये यूँ है भरे-पूरे,
इन्होंने गमों में खुशियों की हिफाज़त देखी है

भीड़भाड़ देखी है इन्होंने
तो कभी सन्नाटा भी देखा है
बुढ़ापे के साए में इन्होंने
बचपन पुराना देखा है

पतझड़ में बिखरकर
बसंत में फिर बनते हैं
दरख़्त की दास्ताँ यही है
ये प्रकृति की गोद में पनपते हैं…”

-मयंक विश्नोई

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पहाड़ों की पुकार

Poem on Paryavaran in Hindi की श्रेणी में आपको स्वलिखित रचना “पहाड़ों की पुकार” पर कविता पढ़ने का अवसर प्राप्त होगा। यह कविता कुछ इस प्रकार है:

“मानव ने स्वार्थ बड़ा कर
 लाँघी जो खुद की सीमाएं
 प्रकृति को प्रताड़ित कर
 खत्म करी सारी आशाएं

 नदियों को उजाड़ दिया जब
 प्रकृति का तब ध्यान किया ना
 खोखला किया पहाड़ों को,
 शांति का सम्मान किया ना

 लूट मचाई सबने मिलकर
 थी सबकी झूठी इच्छाएं
 प्रकृति माँ करती प्रश्न यही,
 है कौन सही, ये कौन बताए?

 किसने जाना अंतर्मन को
 कौन यहाँ पर क्षुब्ध हो गया?
 जिसने प्रकृति का अपमान किया
 बस वही यहाँ पर लुप्त हो गया।

 सफलता की जयकार करें
 खुशियों का विस्तार करें
 पहाड़ों की पुकार सुनें,
 हम प्रकृति का सम्मान करें…”

-मयंक विश्नोई

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आशा है कि इस ब्लॉग के माध्यम से आप Poem on Paryavaran in Hindi पढ़ पाएंगे, पर्यावरण पर कविताएं युवाओं को पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करेंगी। साथ ही यह ब्लॉग आपको इंट्रस्टिंग और इंफॉर्मेटिव भी लगा होगा। इसी प्रकार की अन्य कविताएं पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।

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