नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने अब मेडिकल कॉलेजों के लिए इमरजेंसी मेडिकल डिपार्टमेंट की आवश्यकता को अनिवार्य नहीं करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय एक देशव्यापी (country-wide) स्टडी के बाद आया है और इसमें दिखाया गया है कि डेडिकेटेड इमरजेंसी हजारों लोगों की जान बचा सकती है।
23 जून 2023 को जारी मिनिमम स्टैंडर्ड रिक्वायरमेंट (MSR) पर NMC के नए रेगुलेशन ड्राॅफ्ट के अनुसार, इमरजेंसी मेडिकल डिपार्टमेंट को उन 14 डिपार्टमेंट में से एक के रूप में शामिल किया गया था, जिन्हें किसी भी मेडिकल कॉलेज या संस्थान को स्नातक प्रवेश की मंजूरी दी गई है।
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इमरजेंसी डिपार्टमेंट को उस नियम से हटा दिया गया है जो इस महीने की शुरुआत में घोषित (UG-MSR 2023) किया गया था और इसके स्थान पर ड्राॅफ्ट में कहा गया है कि संबंधित विभाग हताहत सेवाओं (Casualty Services) या इमरजेंसी मेडिकल डिपार्टमेंट्स को 24×7 रोटेशन से मैनेज करेंगे।
इमरजेंसी मेडिकल में ये शामिल
एक विशेषता के रूप में इमरजेंसी मेडिकल के डेवलपमेंट के साथ ही लोगों की देखभाल में काफी सुधार हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, इमरजेंसी डिपार्टमेंट में तेज कोरोनरी सिंड्रोम, स्ट्रोक, चोटें, दुर्घटनाएं और अन्य प्रकार की बीमारियां शामिल हैं।
इमरजेंसी मेडिकल में अंडरग्रेजुएट ट्रेनिंग पर भी विचार
अब निर्धारित किया गया कि इमरजेंसी मेडिकल में अंडरग्रेजुएट ट्रेनिंग को शामिल किया जाना चाहिए। 2019 में जब पहली बार इसकी आवश्यकता थी, तब लगभग 100 PG सीटें ही उपलब्ध थीं, लेकिन अब PG सीटों की संख्या बढ़कर लगभग 400 हो गई है।
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NMC के बारे में
नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) का गठन संसद के एक अधिनियम द्वारा किया गया है, जिसे राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 के रूप में जाना जाता है। नेशनल मेडिकल कमीशन का उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण और किफायती चिकित्सा शिक्षा तक पहुंच में सुधार करना शामिल है।
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